लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-35

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मीना ने बताया कि अश्वनी के अलावा यहाँ पर जितने मर्द हैं, सबके लंड उसकी चूत में जा चुके हैं। वो बस अश्वनी से अपनी चूत की चुदाई करवाना पसंद करेगी।

फिर मीना भी लड़कियों की तरफ आकर बैठ गई और अमित मर्दो की झुंड में चला गया। सभी लोग बैठे थे कि रितेश और अश्वनी उठे और रसोई में गये और वहाँ से आईस क्यूब की थैली, नौ गिलास और एक विह्सकी की बोतल उठा लाये, जबकि अमित और टोनी ने विह्सकी के साथ लिये जाने वाले आईटम को लगा दिया।

सभी एक बार फिर गोल घेरा बना कर बैठ गये।

तभी दीपाली बोली- आप सभी लोग कब तक ऐसे ही नंगे रहोगे? अश्वनी बोला- संडे की शाम तक… उसके बाद सभी अपने घर चले जायेंगे। ‘लेकिन मुझे लगता है कि सभी को कपड़े पहने होने चाहिएँ!’ दीपाली बोली।

‘क्यों?’ अश्वनी बोला। दीपाली बोली- एक्साईटमेन्ट!! ‘एक्साईटमेन्ट?’ टोनी बोला- हम लोग तो बहुत ही मजा ले रहे हैं।

‘हाँ, वो तो ठीक है।’ दीपाली ने कहा- लेकिन सोचो, इस समय हम सब नंगे बैठे हैं, तो क्या किसी के मन में है कि यार इसकी चूत की एक झलक दिख जाती तो क्या मजा आता या फिर लड़कियाँ ये सोचें कि इस साले का लंड अब कितना लंबा हो गया होगा। अपने ही मन में सोच कर तुम सब कितने एक्साईटेड होते न? और ये सोचो कि तुममें से किसी की चड्डी मे लंड टाईट हो और फिर कोई लड़की तुम्हारी चड्डी की तरफ कनखियों से देखे और तुम उसको इस तरह देखते पकड़ लो तो सोचो कितना मजा आयेगा।

दीपाली की बात सबकी समझ में आ गई और सभी ने दीपाली की बात को मानते हुए कपड़े पहन लिये। सिप का दौर चलता रहा और बातें होती रही कि तभी नमिता बोली- दोस्तो, सभी की चूतें चुद चुकी हैं, बस दीपाली ही है जिसकी चूत में इस समय तक किसी का लंड नहीं गया है।

चूंकि मैं अपने बॉस की ताकत से अच्छे से वाकिफ थी तो मैं यह जानना चाहती थी कि बॉस ने दीपाली के साथ अन्तिम बार मजे कब लिए। लेकिन बार बार पूछने पर वो नहीं बता रही थी, बस इतना ही बोली- थोड़ा सा घर के माहौल से उब गई थी तो पिछले एक महीने से मैं अपने घर चली गई।

बात मेरी समझ में आ चुकी थी कि दीपाली के चूत की सिंचाई हुए एक महीने से भी ज्यादा का समय हो रहा होगा।

चूंकि दीपाली मेरे ही बगल में बैठी थी, मैं उसकी जांघ को सहलाने लगी तो उसका भी हाथ मेरी जांघ के ऊपर था।

‘दोस्तो…’ मेरी आवाज सुनकर सभी मेरी तरफ देखने लगे, मैंने कहना शुरू किया- यह बताओ, अगर कोई खेत काफी समय तक सूखा पड़ा हो तो उस खेत के साथ क्या होना चाहिए?

सभी एक ही स्वर में बोल उठे- चुदाई! और हँसने लगे।

मैंने दीपाली की तरफ देख कर बोली- मैम, यहाँ हम लोगों को एक को एक का लंड मिला है और आप खुशकिस्मत हो कि आपके खेत को चोदने के लिये चार चार लंड तैयार हैं।

उसके बाद हम औरतें दीपाली को छोड़कर अलग हो गई और चारों मर्द दीपाली के पास आ गये। रितेश दीपाली के होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए बोला- दीपाली जी, आप जैसी हसीन औरत का खेत सूखा पड़ा है तो साला मर्द ही ना मर्द होगा। अमित उसकी चूची को मसलते हुए बोला- हाँ, वास्तव में आप बहुत खूबसूरत हो। हम लोग तो चाहते हैं कि आपकी चूत में अपना लंड डालकर पड़े रहें। टोनी बोला- मैं तो हमेशा इनका गुलाम बना रहूँ और जब ये कहें, तभी मैं इनकी प्यास मिटाता रहूँ।

सभी को एक झटके से सबको हटाता हुए अश्वनी दीपाली के होंठों को चूसते हुए बोला- इस तरह की खूबसूरत जिस्म की मलिका अगर हमारे बीच में रहेगी तो हम लोग एक पल भी कपड़े पहन कर नहीं रहे पायेंगे। हर समय हम लोगों को लंड चड्डी में ही खड़ा रहेगा! कहते हुए वो दीपाली के होंठों को चूमते चूमते अपने पूरे कपड़े उतार चुका था और साथ ही दीपाली की पैन्टी को छोड़कर उसके सभी कपड़े उतार चुका था।

अब अश्वनी के हाथ दीपाली की चूचियों को भी मसलने में लगे थे।

बाकी सभी अश्वनी को केवल देखते रहे लेकिन जब मेरी नजर दीपाली के नीचे के हिस्से में पड़ी तो देखा कि उसकी पैन्टी भी कोई उतार चुका है। दीपाली सभी के बीच में घिरी हुई थी और सभी मर्दों के भी कपड़े उतर चुके थे, कोई उसकी गांड में उंगली कर रहा था तो कोई उसकी चूत में, जिसका जहाँ मन कर रहा था, वहीं पर उसको चाटने में लगा था।

इस समय वास्तव में वो चारों मर्द किसी कुत्ते से कम नहीं लग रहे थे और दीपाली उनके बीच फंसी हुई एक कुतिया थी।

दीपाली भी इस समय बहुत अनुभवी लग रही थी, वो घुटने के बल बैठ गई और सभी मर्दों में लंड को बारी बारी से चूसने लगी। जिस मर्द के लंड को दीपाली चूसती तो बाकी सभी मर्द उसके सामने अपना लंड हिलाते रहते।

काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा, जिसकी बारी आती वो अपना पूरा लंड उसके मुंह के अन्दर हलक तक डाल देता और जब तक उसकी सांस न घुटने लगती वो नहीं निकालता था। लेकिन दीपाली को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था और शायद वो इसका मजा लूट रही थी। दीपाली बड़ी मस्ती के साथ सब को सन्तुष्ट कर रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी।

जब लंड चुसाई हो चुकी तो रितेश ने दीपाली को गोद में उठाकर पलंग पर लेटा दिया और उसकी चूत को चाट कर गीला करने लगा। उसके बाद रितेश ने लंड को चूत में सेट किया और एक धक्का मारा! यह क्या? लंड अन्दर जाने के बजाय फ़िसल गया।

रितेश ने एक बार मेरे बॉस की बीवी की चूत की फांकों को फैलाया और फिर लंड को टच किया और एक तेज झटका, लंड थोड़ा सा चूत के अन्दर और रितेश के मुंह से निकला- क्या टाईट चूत मिली है।

दीपाली की बात सही थी, कई महीने हो गये होंगे उसको लंड अपनी चूत में लिये। लंड अन्दर जाते ही दीपाली के मुंह से भी चीख निकल गई।

रितेश ने एक दूसरा तेज झटके के साथ अपने लंड को चूत के अन्दर घुसेड़ दिया। दीपाली ने रितेश के हाथों को कस कर पकड़ लिया और बर्दाश्त करने के नियत से उसने अपने होंठ चबाने शुरू कर दिये और आँखें बन्द कर ली। रितेश थोड़ा सा रूकते हुए उसकी चूचियों को मुंह में भर लिया और चूसने लगा।

दीपाली शायद थोड़ा राहत पा चुकी थी, इसलिये उसने अपनी कमर को उठाने लगी और इशारा करने लगी कि वो अब तैयार है। रितेश ने भी इशारा समझा और फिर लंड को हल्के से बाहर निकाला और एक तेज झटका और फिर एक बार मेरे पति का मोटा लंबा लंड दीपाली की चूत गुफा में घुस चुका था।

वो ‘ओफ्फ!’ बस इतना ही कह पाई थी।

इधर बाकी तीनों अपने लंड को हिला कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, रितेश चोदे जा रहा था और दीपाली बोले जा रही थी- मेरी प्यासी चूत की तुम लोग मिलकर प्यास बुझा दो। इस चूत का भोसड़ा बना दो। मुझे रंडी बना कर चोदो, बहुत मजा आ रहा है। काफी दिनो के बाद मेरी चूत की घिसाई हो रही है। हाँ बस ऐसे ही चोदो!

पता नहीं और क्या क्या बोले जा रही थी कि तभी एक बार फिर घंटी बजी। सब अपनी जगह रूक गये। इस बार दीपाली ने पूछा- कौन? तो बाहर से आवाज आई- मैं अभय हूँ।

दीपाली ने मुझे इशारा किया, मैंने दरवाजा खोल दिया और अभय सर यानि की मेरे बॉस अन्दर… मुझे देख कर हाथ के इशारे से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? और तुम्हारा फोन क्यों ऑफ बता रहा है? मैंने उन्हें अन्दर आने के लिये कहा।

बस वो अन्दर आये ही थे कि जड़वत हो कर खड़े हो गये। क्योंकि उनकी बीवी अब अश्वनी के लंड को अपने अन्दर ले चुकी थी। थोड़ी देर तक तो वो इसी तरह देखते रहे फिर थोड़ी तेज आवाज में बोले- यह क्या हो रहा है?

दीपाली अपने होंठ पर उंगली रखकर मेरे बॉस को चुप रहने का इशारा करती हुई बोली- बहुत दिनों बाद मेरी चूत की खुजली मिट रही है, इस खुजली को मिटने दो। आओ तुम भी आओ। इस नदी में तुम भी आ जाओ और थोड़ी सैर कर लो। दीपाली के इतना कहते ही बॉस चुप हो गये और मेरा इशारा पाते ही बाकी की लड़कियाँ बॉस पर पिल पड़ी और लगी उनको चूमने चाटने ! अगले पांच मिनट में बॉस भी हम नंगों की जमात में शामिल हो गये। अश्वनी के धक्के और दीपाली के मुंह से निकलती हुई आवाज के साथ साथ मेरे बॉस की भी आवाज ‘आह ओह’ की निकलने लगी। थोड़ी ही देर में बॉस का लंड भी तैयार हो गया।

दीपाली ने इशारे से बॉस को बुलाया, अश्वनी वहाँ से हट गया और बॉस एक आज्ञाकारी की तरह दीपाली की चूत के पास जा कर खड़ा हो गया।दीपाली ने बड़े ही कामुक अंदाज में बोला- अभय, मेरी चूत को देखो मत, आओ इसे चाटो और फिर इसके अन्दर अपना लंड डाल कर मुझे मजा दो।

मेरे बॉस बिना कुछ कहे अपने घुटने के बल हो गये और फिर अपने हाथों को दीपाली की जांघों पर रखते हुए उसको सहलाने लगे, साथ ही साथ उनके दोनों अंगूठे दीपाली की जांघों के जोड़ों को कसकर दबा रहे थे।

थोड़ी देर तक तो ऐसा ही होता रहा फिर बॉस दीपाली की बुर को सूंघने लगे और फिर अपनी जीभ दीपाली की चूत पर चलाने लगे। कभी उनकी जीभ दीपली की चूत के ऊपरी हिस्सों को चाटती तो कभी चूत के अन्दर उनकी जीभ चली जाती।

दीपाली हल्की सी मुड़ कर बॉस के बालों को सहलाने लगी।

उसी समय टोनी दीपाली के मुंह के पास अपना लंड लेकर खड़ा हो गया, दीपाली उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। इधर बॉस बहुत ही तेज गति से अपनी जीभ दीपाली की चूत में चला रहा था, दीपाली भी उसे प्रोत्साहित करते हुए बोली- जानम और तेज… और तेज चाटो, बहुत मजा आ रहा है।

बॉस और टोनी दीपाली से खेल रहे थे जबकि बाकी के तीनों मर्द और हम औरतें आस पास खड़ी होकर तमाशा देख रही थी।

इधर बॉस अपने लंड को भी जोर जोर से हिला रहा था, मुझे लगने लगा कि बॉस जल्दी न झर जाये, मैं बॉस के पास गई और उसको मुंह को घुमाते हुए अपनी चूत की तरफ ले आई और धीरे से वो जगह बाकी के मर्दों के लिये खाली कर दी क्योंकि अगर बॉस वहाँ दो मिनट और ज्यादा रूकता तो वो अपने लंड को हिलाते हुए ही पानी छोड़ देता तो बाकी के सामने उसकी फजीहत हो जाती।

बॉस के हटते ही अमित ने अपना लंड सेट किया और दीपाली की चूत के अन्दर डाल कर चोदने लगा। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

इधर मैंने बॉस को सोफे पर बिठाया और खुद उसके लंड पर अपनी चूत को सेट करके बैठ गई। मेरे बैठने के एक मिनट के ही अन्दर मैंने बॉस का लावा अपने अन्दर महसूस किया और बॉस ने अपने अन्दर राहत!

अब नजारा यह था कि दीपाली की चूत में अमित का लंड था, मुंह में टोनी का, रितेश उसकी एक चूची को दबा रहा था और अश्वनी भी दीपाली के पास खड़े होकर अपने लंड को हिला रहा था।

इधर मैं बॉस के ऊपर बैठी थी, बॉस मेरे बालों को सहलाते हुए बोला- आकांक्षा मेरी जान, तुम बहुत अच्छी हो! और मेरी चूची को पीते हुए बोला- अच्छा हुआ तुमने इस कुतिया को भी चुदवा दिया। अब मैं खुलकर तुम्हारे साथ खेल सकूंगा।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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