मौसम की करवट-6

सभी पाठकों को मेरा नमस्कार, मैं विकास फिर एक बार आप सभी के सामने अपनी ज़िन्दगी के कुछ राज़ रखने आया हूँ। मैंने पहले भी इस कहानी के कुछ अंश लिखे थे, उम्मीद है आपको पसंद आए होंगे।

प्रिया के साथ उन प्यारे लम्हों के बाद मैं काफी अकेला हो गया था, प्रिया विदेश चली गई थी।

मैं भी अपने कैरियर में आगे बढ़ने सपनों के शहर आ गया, बहुत ज्यादा विचलित था साथ ही नया अध्याय आरंभ हो गया था।

मुंबई की एक मल्टिनेशनल कंपनी में मेरा चयन हो गया था.. जगह नई थी, मन नहीं लग रहा था।

फिलहाल मुझे ये शहर काफी व्यस्त लग रहा था, किसी को किसी से कोई लेना-देना नहीं था। एक महीना तो यहाँ के तौर-तरीके सीखने में लग गया, फिर कहीं जाकर कुछ अच्छे दोस्त बने।

उसमें एक लड़की थी, उसका नाम तनु था। तनु दिखने में थोड़ी कुछ परिणिति चोपड़ा जैसी थी, उसे देख कर ही मेरा उस पर दिल आ गया था। नाजुक होंठ.. बड़ी आँखें.. उसका टॉप क्लास रहन-सहन मुझे उसकी तरफ आकर्षित कर रहा था। अब सच में प्रिया की कमी महसूस होने लगी थी।

तनु के लिए मैं कुछ गलत नहीं सोचना चाहता था। वैसे भी मेरी और प्रिया की शादी की उम्मीद अभी जिन्दा थी, तो मैं इस दूसरे प्यार के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता था और तनु का भी एक बॉयफ्रेंड था।

सब ठीक था, कुछ अन्दर के दर्द थे लेकिन व्यस्त ज़िंदगी उस दर्द को महसूस करने नहीं दे रही थी।

जनवरी का महीना बीत गया, फरवरी आ गया था, प्यार का महीना जो ठहरा.. इस महीने की सबसे ख़ास बात है कि जितने दिल इस महीने में जुड़ते हैं.. उतने दिल टूटते भी हैं।

खैर.. अब मैं और तनु अच्छे दोस्त बन गए थे। हमारे ग्रुप में 5 लोग थे, बाक़ी दो लड़कियां और एक लड़का था। ये लड़का मेरा रूममेट भी था। मैं, तनु, रोहित, ऋचा, साक्षी.. हम सब बहुत मजे करते। रोज काम के बाद साथ खाना खाने जाना, छुट्टियों के दिन मस्ती मरना, कुल मिलाकर ऐश चल रही थी।

कभी कभी तनु अपने बॉयफ्रेंड को भी हमारे साथ ले चलती थी, मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं थी।

मुझे याद है 3 फरवरी के दिन मैंने तनु को उसके बॉयफ्रेंड से झगड़ते हुए देखा, तब ठीक से तो पता नहीं था कि उनके झगड़े का कारण क्या है, मैंने भी तनु को पूछना कुछ ठीक नहीं समझा।

उस दिन के बाद तनु निराश सी रहने लग गई थी, धीरे-धीरे वो प्यार वाला हफ्ता नजदीक आ गया।

सात फरवरी से तो तनु जैसे रोज ऑफिस में रोने लग रही थी। मुझसे उसकी हालत नहीं देखी जा रही थी। मैंने ऋचा से कहा- तनु से बात करो। तब ऋचा ने बताया- उसका ब्रेकअप हुआ है.. इसलिए वो उदास रहती है।

ऋचा तनु के साथ रहती थी, दोनों काफी अच्छी सहेलियां थीं.. तो ऋचा को सब पता था। उसने मुझे पूरा किस्सा बताया कि तनु के बॉयफ्रेंड ने उसके साथ धोखा किया और कैसे वो एक साथ दो लड़कियों के साथ फरेब कर रहा था।

मुझे भी सुन कर काफी बुरा लगा, मैंने सोचा तनु को दुखी नहीं होने देना है, मैं उससे बात करता हूँ।

उस दिन काम के बाद सब के अलग-अलग प्लान थे, ऋचा साक्षी अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ बाहर जा रही थीं, मेरा रूममेट अपने घर जा रहा था।

साक्षी और ऋचा निकल गईं और हम तीनों खाना खाने बाहर आ गए। खाने के बाद मुझे रोहित को बस-स्टैंड छोड़ना था.. तो मैंने अपनी कार ले ली।

कार में रोहित और मैं आगे बैठे थे, तनु पीछे बैठी थी। मैं रोहित को वापसी के बारे में पूछ रहा था, तनु हमसे कोई बात नहीं कर रही थी। तब मैंने मिरर में देखा कि तनु रो रही है, मैंने उसे उस वक्त टोकना ठीक नहीं समझा।

हम सभी रेस्टॉरेंट पहुँचे.. खाना खाया और रोहित को बस-स्टैंड छोड़ा, इसके बाद वापस अपने फ्लैट की ओर हम निकल पड़े। अब तनु मेरे साथ आगे की सीट पर बैठी थी। मैंने उसे उसकी उदासी के बारे में पूछा- तनु.. मैं तुम्हें 3 दिन से देख रहा हूँ.. तुम बहुत उदास हो.. क्या बात है?

पहले तो वो कुछ नहीं बोली.. फिर थोड़ा जोर देने के बाद उसने बताया- विक्की.. यार मैं बहुत परेशान हूँ.. अमन ने मुझे चीट किया। मैं बोला- हाँ मुझे ऋचा ने बताया था, मैंने ही उससे पूछा था.. अब इस बात को 4 दिन हो गए हैं.. तुम आज भी रो रही हो.. क्यों? वो बोली- तुम नहीं समझोगे विक्की.. मैं उसको बहुत प्यार करती थी। जब प्यार में धोखा मिलता है न.. तब बहुत दर्द होता है।

मैं बोला- हाँ मैं जानता हूँ.. मैं भी अपने प्यार से दूर हूँ.. तुम्हारा दर्द समझ सकता हूँ.. लेकिन जिसे जाना था वो तो चला गया, अब आगे बढ़ो.. थोड़ा खुश रहो। जब हम खुश रहते हैं तभी ऐसी चीजों से बाहर निकल सकते हैं। मानता हूँ कि इतना आसान नहीं होता है लेकिन असंभव भी नहीं है।

वो चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी।

मैं बोला- देखो जो तुम्हें पसंद है वो करो.. बस खुश रहो, तुम्हारी स्माइल उस इंसान को सबसे बड़ा जवाब होगी। उसे मेरी बात कुछ समझ आई..

मैं बोलता रहा- उस इंसान ने तुम्हें चीट किया, वो तुम्हें डिज़र्व नहीं करता, तुम अपना एट्टीट्यूड ना छोड़ो.. जैसे पहले रहती थीं.. वैसे ही रहो।

उसे शायद मेरी यह बात अच्छी लगी उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

हमारी बिल्डिंग आगे थी, वो और ऋचा उस बिल्डिंग के छठे माले पर रहते थे और मैं 8वें माले पर रहता था। मैंने कार पार्क की और हम दोनों अपने-अपने रूम की तरफ निकल पड़े। लिफ्ट में साथ में गए.. फिर तनु को उसके रूम में छोड़ा और फिर मैं सीढ़ियों से आगे निकल पड़ा। मैं अपने रूम में आने के बाद सोने की तैयारी में था, तभी मेरा दरवाजा किसी ने खटखटाया।

मैंने दरवाजा खोला तो तनु सामने खड़ी थी और थोड़ा रोने को हो रही थी। मैंने उसे पूछा- क्या हुआ तनु, यहाँ कैसे आई हो.. कोई प्रॉब्लम है क्या? वो बोली- यार मुझे अकेले बहुत डर लग रहा है.. ऋचा दो दिन अपने फ्रेंड के घर रुकने वाली है.. मैं नीचे अपने कमरे में अकेली हूँ।

मैं बोला- कोई बात नहीं.. तुम अपने रूम में जाओ.. अगर कोई दिक्कत हो तो मुझे बुला लेना। वो बोली- नहीं यार.. दिक्कत तो हो ही रही थी, इसीलिए तो तुम्हारे पास आई हूँ। तुम प्लीज आज मेरे साथ मेरे फ्लैट में रुक जाओ।

मैंने सोचा कि यार यहाँ भी मैं अकेला हूँ.. चलो इसके साथ ही चला जाता हूँ। तब तक मेरा कोई गलत इरादा नहीं था।

मैं बोला- ठीक है.. मैं आता हूँ, तुम जाओ.. मैं बस अभी आया।

वो चली गई.. मैं भी अपने घर में अन्दर आया और कपड़े चेंज करने लगा। मेरी एक आदत है.. मैं रात को सिर्फ शॉर्ट्स ही पहनता हूँ।

उस रात मुझे लगा कि आज टी-शर्ट पहन कर सोना पड़ेगा, तो मैंने टी-शर्ट पहन ली और शॉर्ट्स के अन्दर मैंने अंडरवियर नहीं पहनी थी।

पांच मिनट में मैं वहाँ पहुँच गया। तब मैंने तनु को देखा और देखता ही रह गया। उसने एक गहरे गले की सफ़ेद क्रॉप टॉप और बहुत छोटी सी शॉर्ट्स पहनी हुई थी। शायद मेरी शॉर्ट्स से भी छोटी थी। उसके बाल खुले थे, वो बहुत कमाल लग रही थी। अब मेरा ईमान डोला.. लेकिन मैंने खुद पर काबू किया। कम से कम मेरा डोलता हुआ ईमान उसे मेरी शॉर्ट्स में से दिखा नहीं।

फिर मैं उसके फ्लैट के अन्दर आ गया। अब यहाँ फ्लैट का मतलब होता है.. एक बेडरूम एक किचन और एक ड्राइंग रूम।

देखा जाए तो इस फ्लैट में ज्यादा सामान नहीं था। एक डायनिंग टेबल, दो बीन बैग्स थे और टीवी यूनिट था। मैं जाके एक बीन बैग पर बैठ गया। तनु मेरे पास वाले दूसरे बीन बैग पर बैठी थी।

मैंने उसे देखकर स्माइल किया.. तो वो भी मुस्कुराई। मैं बोला- अब लग रही हो न तुम एकदम फ्रेश। वो बोली- हाँ यार, मैंने सोचा तुम्हारी बातों के बारे में.. मुझे समझ आया, खुश रहने मैं ही भलाई है। मैं बोला- अब ये हुई ना बात.. किया करो.. अच्छी लगती हो।

वो फिर मुस्कुराई और फिर हमारी बातें चालू हो गईं। हम दोनों बहुत सारी और बहुत किस्म की बातें कर रहे थे।

काफी देर बात करने के बाद हम दोनों वहीं सो गए। थोड़ी देर बाद मेरी आँख खुली, मैंने देखा ड्राइंगरूम की लाइट चालू ही थी। शायद तनु भी सो गई थी। तब मैंने देखा कि तनु तो वहीं है.. सो गई है। उसकी पीठ मेरी तरफ थी, वो शायद करवट पर सोना चाहती होगी लेकिन बिन बैग पर उसे सोने में दिक्कत हो रही थी।

मैंने देखा के उसका क्रॉप टॉप ऊपर सरक गया था जो कि उसके ब्रा के हुक से बस थोड़ा ही नीचे लग रहा था। उस पोजीशन में उसकी कमर का आकार बहुत ही कामुक लग रहा था।

अब मुझे कुछ कुछ होने लगा, एक तो नींद में होने के कारण मेरा लिंग मस्ती में ही था। तनु की कामुक गोरी-गोरी कमर देख कर मेरा लिंग अपना आकार बदलने लगा। मैं बस उसे देख रहा था, कुछ करना नहीं चाहता था।

यूँ ही मैं उसे घूरता रहा, पता नहीं कब मेरा हाथ अपने लिंग को सहलाने लगा।

तभी तनु ने करवट ली.. मैं थोड़ा डर गया मैंने अपना हाथ अपने लिंग से हटा लिया। वो करवट लेकर मेरी तरफ मुँह कर के सोई रही। उसके वैसा करने से अब मेरी आँखों के सामने उसके स्तन आ गए.. उसके टॉप का गला गहरा था तो उसके स्तनों का काफी हिस्सा दिख रहा था। ऊपर से उसका टॉप थोड़ा ऊपर खिसका हुआ था तो उसकी नाभि भी मुझे दिख रही थी।

लाइट चालू होने के कारण सब कुछ साफ़-साफ़ दिख रहा था। मेरी हालात अब और खराब हो गई। मैंने अब अपना लिंग सहलाना शुरू कर दिया।

तनु सोई हुई है इसमें मुझे कोई शक नहीं था। थोड़ी देर बाद ऐसा लगा जैसे वो उठने वाली है.. तो मैंने अपना हाथ लिंग पर से हटा दिया। वो सच में जाग गई, मैं सोने का नाटक करने लगा।

वो उठी.. कपड़े ठीक किए। उसे लग रहा होगा कि मैं सो रहा हूँ। अपने कपड़े ठीक करने के बाद उसने मेरी तरफ देखा तो उसे मेरा खड़ा लिंग दिख गया.. जो कि शॉर्ट्स में तना हुआ था।

तब मैंने देखा कि वो मुझे गौर से देख रही है। मैंने हल्की खुली आँखों से उसको देखना जारी रखा। वो थोड़ी देर वहीं खड़ी रही.. फिर लाइट बंद करके बेडरूम में चली गई।

बाद में मैं भी जहाँ बीन बैग में धंसा था.. वहीं सो गया।

सुबह जब मेरी आंख खुली.. तो वो पहले से उठी हुई थी। वो मेरे लिए कॉफ़ी लेकर आई। वो उन्हीं रात वाले कपड़ों में थी, शायद वो भी तभी उठी होगी।

हमारी शिफ्ट साथ में होती है तो हम साथ ही जाते हैं लेकिन कंपनी की बस में जाते हैं। हमें सुबह जल्दी उठने की आदत थी।

सभी लोग जानते होंगे अब इतनी सुबह सिर्फ मर्द नहीं उठते.. कुछ और भी उठता है। बस क्या था वो कॉफ़ी लेकर आई और मैं अपना सामान छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।

मेरी कोशिशें देखकर उसे हँसी आ गई, वो शर्मा कर बोली- डोन्ट वरी.. तुम कॉफ़ी पियो.. मैं नहाने जा रही हूँ। वो कॉफ़ी मेरे हाथ में देकर चली गई।

मैं चुपचाप कॉफ़ी पीने लगा। मुझे थोड़ी हँसी भी आ रही थी और थोड़ी शर्म भी। फिर मैं आराम से कॉफ़ी पीने लगा था।

मेरी कॉफ़ी खत्म हो गई थी, मैंने टाइम देखा 6:30 हो चुके थे। अभी मुझे भी तैयार होना था। बिल्डिंग के नीचे लगभग 7:15 पर बस आती है।

मैंने सोचा कि अगर तनु के नहाने तक रुका तो मुझे बिना नहाए ही जाना पड़ेगा। मैंने कॉफ़ी का मग किचन में रखा और बाथरूम के दरवाजे के पास गया। मेरा मकसद तनु को बताना था कि मैं जा रहा हूँ, लेकिन तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और तनु बाहर आ गई। उसने सिर्फ टॉवल लपेट रखा था, मैंने एक नजर उसे देखा और मैं घूम गया, वो भी चौंक गई थी।

मैंने उसे 3-4 बार ‘सॉरी.. सॉरी..’ बोला और बताया- मैं तो तुम्हें बताने आ रहा था कि मैं जा रहा हूँ.. और तभी तुमने दरवाजा खोल दिया।

वो हँस पड़ी और बोली- कोई बात नहीं विक्की, तुम जाओ.. नीचे मिलते हैं। मैं बिना उसे फिर देखे वहाँ से निकल गया। जाते उसके बारे में ही सोच रहा था।

थोड़ी देर बाद मैं भी तैयार हो गया और नीचे आ गया। तब तनु पहले से ही वहाँ खड़ी थी। फिर हम साथ में बस की ओर निकल पड़े।

बस मेन रोड के पास थोड़ा दूर रूकती थी.. हम साथ चलने लगे। मैंने देखा तनु अभी भी मुस्कुरा रही थी। मैंने उसे फिर से ‘सॉरी..’ बोला। वो बोली- इट्स ओके यार.. होता है, भूल जाओ।

मैंने मन ही मन सोचा कि बस भुलाया ही तो नहीं जा रहा ना। वो बोली- तुम रात को वहीं सो गए.. आई एम श्योर.. तुम्हारी पीठ दुख रही होगी। मैं बोला- हाँ यार, दुख तो रही है, तुम्हें आदत है शायद वहाँ सोने की..? वो बोली- नहीं यार.. मेरी भी पीठ दुख रही है इसीलिए मैंने बोला.. हाहाहाहा..

मैं भी हँस पड़ा और मैंने गौर किया कि शायद उसकी कमर में काफी दर्द है इसलिए वो धीरे चल रही थी।

थोड़ी देर में हम बस की जगह पर पहुँच गए.. बस भी आ गई, हम ऑफिस चले गए। उस दिन 13 फरवरी शुक्रवार का दिन था.. उस दिन काफी काम था।

सारा काम खत्म करके हम लंच पर मिले। कैंटीन में खाना खाते-खाते बात कर रहे थे। आज तनु के चेहरे पर कोई दुख या दर्द नहीं दिख रहा था, शायद ये मेरे साथ मजाक-मस्ती करने के वजह से था। हम बहुत ज्यादा हँस रहे थे, कैंटीन में सब हमें ही देख रहे थे।

मैंने उसे बोला- चलो अब वापिस काम चालू करना है.. सीधे 4:30 बजे ही मिलेंगे। उसने कहा- शाम को कहीं बाहर चलते हैं मैं 4 दिन से बोर हो रही हूँ। मैं बोला- ओ के..

शाम हुई.. हम साथ में ऑफिस से बाहर निकले.. बस मैं बैठे और घर आ गए। बस से उतर कर ऊपर जाते-जाते हमारी प्लानिंग चल रही थी कि कहाँ जाना है।

उसने एक-दो जगह के नाम बताए.. मैंने भी हामी भर दी। फिर हम अपने-अपने फ्लैट में चले गए, थोड़ी देर से फ्रेश होकर हम निकल पड़े।

उसने ब्लैक कलर की ड्रेस पहनी थी, वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

अब 6 बजने वाले थे, मैंने अपनी कार निकाली और हम निकल पड़े। पहले तो हम मॉल गए.. वहाँ शॉपिंग की, मैंने अपने लिए कुछ कपड़े ख़रीदे। आज तो शॉपिंग करने में तनु भी मेरी काफी मदद कर रही थी। फिर हम दोनों ने उसके लिए कुछ कपड़े देखे। बाद में उसे सौन्दर्य प्रसाधन आदि का सामान लेना था।

बस अब यहाँ मैं काफी बोर हुआ। दो घंटे बाद हमारी शॉपिंग पूरी हो गई थी। अब भूख लग पड़ी थी, हमने वहीं मॉल के फ़ूड कोर्ट में खाना खा लिया। हर तरफ वैलेंटाइन-डे का खुमार छाया हुआ था।

अब कल तो हमारी भी छुट्टी थी। रात के लगभग 9 बजे थे, मैंने तनु से पूछा- अब क्या करें..? कल तो छुट्टी है, हम इतने जल्दी घर जा कर भी सोने नहीं वाले हैं।

वो बोली- चलो पब चलते हैं। मैं बोला- आर यू श्योर..? वो बोली- अरे हाँ बाबा.. चलो।

फिर हम लोग नजदीक के पब निकल पड़े, वहाँ जाकर हम दोनों ने बहुत मस्ती की, डांस किया। फिर बारी आई ड्रिंक्स की..

मैंने सोचा तनु की नजर बचा कर एक पैग मार लेता हूँ। वो तब वाशरूम गई थी। मैंने वेटर को बोला और वो जल्द मेरा पैग लेकर भी आ गया।

मैं पी रहा था तब तनु ने देख लिया। वो थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली- अब तुम अकेले-अकेले पियो.. मेरे साथ आए हो, याद है ना..? मैं बोला- तुम भी पीती हो? वो बोली- हमेशा नहीं, लेकिन कभी-कभी..

मैंने वेटर को उसका आर्डर दिया, थोड़ी देर में उसकी ड्रिंक भी आ गई थी।

हम हमारा टाइम एन्जॉय कर रहे थे, माहौल बहुत रंगीन था, सारे कपल्स डांस कर रहे थे, थोड़ी देर में वैलेंटाइन-डे चालू होने वाला था।

हम एक-एक पैग के बाद अब फिर से डांस करने गए। तब धीमा म्यूजिक चल रहा था, हम दोनों आराम से डांस कर रहे थे।

जैसे ही 12 बजे.. डीजे ने सबको वैलेंटाइन-डे विश किया और सब कपल्स किस करने में लग गए।

हम दोनों थोड़ा परेशान थे.. क्या करें, उसे किस करने का मेरा मन तो बहुत कर रहा था.. लेकिन नहीं कर सका।

हमने बैठ कर अपना दूसरा पैग पीना ठीक समझा। अपना दूसरा पैग पीने के बाद मुझे तनु में कुछ अलग सा लगा। उसको किक लग चुकी थी। अक्सर पीने के बाद उदास लोग दुखी हो जाते हैं, मैंने सोचा इसे और पिलाई तो कहीं ये यहाँ रोना चालू ना कर दे।

मैंने उससे कहा- अब घर चलते हैं.. बहुत लेट हो गया है। उसने भी हामी भरी।

हम निकल पड़े, मुझ पर कुछ असर नहीं था.. मैं आराम से कार चला रहा था। अब घर पहुँचने में लगभग 30 मिनट लगने वाले थे।

हम घर सही-सलामत पहुँच गए। मैंने कार पार्क की.. फिर हम साथ में ऊपर की तरफ चल पड़े। अब तक तनु थोड़ी चुप थी.. लेकिन जैसे ही हम लिफ्ट में गए।

वो बोली- आज बिन बैग पर ना सोना, तुम जल्दी चेंज करके आओ। मैं बोला- हाँ, जल्दी आता हूँ।

मैं अपने फ्लैट में जाकर चेंज करने लगा, जल्दी से चेंज करके तनु के फ्लैट में आ गया.. मैंने डोर बेल बजाई, उसने दरवाजा खोला, मेरी आंखें खुली की खुली रह गई थीं।

उसने आज काफी सेक्सी कपड़े पहने थे, एक स्लीवलेस गहरे गले वाला पिंक टॉप और ब्लैक शॉर्ट्स.. उसके शरीर का 70% हिस्सा खुला था।

अब मेरा हाल तो और बुरा हो गया। मैं मन ही मन ये सोच रहा था कि अब खुद पर कण्ट्रोल कैसे रखूँ।

खैर.. मैं अन्दर आ गया.. उसने दरवाजा बंद किया। मैं वहीं बिन बैग पर बैठ गया।

वो आकर मेरे पास बैठी, जैसे कल बैठी थी और हम बातें करने लगे। उसने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा।

मैंने भी थोड़ा निराश होते हुए उसे प्रिया के बारे में बता दिया, मेरे अकेलेपन के बारे में भी बता दिया। वो भी ये सब सुन कर थोड़ा परेशान लगने लगी।

फिर मैंने उससे कहा- जाने दो.. सब नसीब का खेल है। वो फिर बोली- हूँऊ.. चलो अब सो जाते हैं.. आज अन्दर बेडरूम में सोना है।

वो उठने लगी तभी उसकी कमर में शायद दर्द उठा और वो थोड़ा लड़खड़ाई।

मैंने उसे पकड़ लिया, मेरा भी बैलेंस बिगड़ गया तो मैं नीचे गिर गया और वो मेरे ऊपर गिर गई। उसके कोमल-कोमल स्तनों का स्पर्श मेरे हाथों पर हुआ, मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई।

भगवान जाने क्या होने वाला था। चलिए अगले भाग में जानते हैं। आपके ईमेल का इंतजार रहेगा। [email protected] कहानी जारी है।