बरसात में मेरी ज़बरदस्त गांड चुदाई

अन्तर्वासना पर हिंदी सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।

बात करीब 2 महीने पहले की है। मैं फाफा मऊ से अपने घर वापस आ रहा था, तेज़ बारिश हो रही थी.. मैं बिल्कुल भीग चुका था। तभी अचानक मेरी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया। अब मैं बहुत परेशान हो गया कि इतनी रात में पेट्रोल कहाँ मिलेगा.. आस-पास कोई पम्प भी नहीं था। मैं वहीं पानी में खड़ा सोच रहा था.. लेकिन कुछ सूझ ही नहीं रहा था।

मैं वहीं एक घर के पास बाइक खड़ी करके रुक गया। कुछ देर के बाद उसी घर से एक लड़का निकला, उसने मुझसे पूछा- क्या बात है?

मैंने उसे अपनी परेशानी बताई, उसने बाइक को बरामदे में रखने को कहा और मुझे अन्दर बुला लिया, मैं उसके साथ चला गया, अन्दर दो लड़के और भी थे।

मैं इतना भीग गया था कि मुझे ठंड लग रही थी। उसने मुझसे कहा- कपड़े उतार कर हीटर पर सेंक लो।

लेकिन मैंने सिर्फ़ एक लोवर और टी-शर्ट पहनी हुई थी, यह बात मैंने उससे बताई तो उसने कहा- यार, घर में हम सब लड़के ही तो हैं। मैंने भी सोचा ठंड से तो अच्छा है कि चल कर कपड़े सुखा लूँ।

मैं उसके किचन में चला गया और मैंने अपने कपड़े उतार डाले। फिर हीटर पर सेंकने लगा। मैं हीटर के पास बिल्कुल नंगा खड़ा था और अपने लोवर को आंच दिखा रहा था। तभी उनमें से एक वहाँ आ गया और मेरे पास खड़ा हो गया। मैं उसे देख कर शर्मा गया और अपना लोवर पहनने लगा।

तभी उसने कहा- अरे मैं कोई लड़की नहीं हूँ जो तुम शर्मा रहे हो.. कोई बात नहीं है यार। मैं फिर से कपड़ा सेंकने लगा।

थोड़ी ही देर में वो मेरे पीछे खड़ा होकर पानी का गिलास उठाने लगा, किचन में जगह कम थी, उसका लंड मेरी गांड में टच हो गया, मैं थोड़ा सा आगे को खिसक गया। वो गिलास उठा कर पानी निकालने लगा, फिर पानी पी कर गिलास रखने के बहाने वो फिर से अपना लंड मेरी गांड में टच करने लगा।

मैं उसका इरादा समझ गया और थोड़ा आगे की ओर हट गया। वो बहुत ही कमीना था, उसने मेरी गांड पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा। वो भी क्या करता.. मेरी गांड है ही ऐसी कि कोई भी नियत खराब कर ले।

मैं इधर-उधर को हटने लगा। उसने लोवर मेरे हाथ से छीन लिया और मेरी कमर को अपने एक हाथ से पकड़ लिया। मेरी कमर इतनी पतली है कि कोई भी एक हाथ से भरपूर पकड़ सकता है।

अब उसने अपनी निक्कर उतार दी और अपना लंड मेरी गांड पर घिसने लगा। तभी उसके दोनों साथी भी आ गए, उन्होंने उससे मुझे छोड़ने को कहा।

अब वे मुझे अपने साथ कमरे में ले गए और मुझे बिस्तर पर बैठा दिया। वे खुद भी बैठ गए और मेरे बदन पर हाथ फेरने लगे।

एक बोला- यार गांड तो तुम्हारी मस्त है.. एक बार मरवा लो। मैं मानने को तैयार नहीं था।

तभी किसी का फोन आ गया। उनके दो दोस्तों का फोन था तो उन लोगों ने उनको भी बुला लिया, दस मिनट में वो तीन से पाँच हो गए। अब मैं वहाँ फँस चुका था। वो सब मेरे पास बैठ कर सिगरेट का धुंआ उड़ाने लगे, कोई मेरी गांड पर हाथ फेरता तो कोई मेरी जाँघ पर.. लेकिन मैं भी मान नहीं रहा था।

तभी उनमें से एक ने मुझे एक हाथ मेरी जांघ पर जड़ दिया। मैं सन्न रह गया और उस पहले वाले ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।

अब मैं भी बिना कुछ बोले उसका लंड चूसने लगा, मैं बिल्कुल नंगा बैठा हुआ उसका लंड चूस रहा था।

फिर सबने अपने कपड़े उतार दिए और बारी-बारी मैं उनका लंड चूसने लगा। वो कभी मेरे बाल खींच रहे थे, कभी मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहे थे।

मैं सब कुछ सहते हुए उनके लंड चूसे जा रहा था, मुझे मज़ा आ रहा था। करीब 30 मिनट उन्होंने बाद मुझे उठा कर मुझे बिस्तर पर घोड़ी जैसा बना दिया और मेरी गांड को तेल से नहला दिया। अब मेरी गांड का की चुदाई शुरू हो गई।

पहला एपिसोड

उनमें से एक का लंड मेरी गांड के छेद पर था और मेरा दिल राजधानी की स्पीड से धक-धक कर रहा था। तभी वज्रपात हुआ और मेरी आँख के आगे अंधेरा हो गया उसने किसी बेरहम कसाई की तरह अपना लंड मेरी गांड में ठूंस दिया। मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. ऊह..’ की आवाज़ निकलने लगी, मैं बिल्कुल बच्चों की तरह रोने लगा क्योंकि 6 इंच मोटा लंड मेरी गांड की गहराई नाप रहा था।

मैं हिलने से भी मजबूर था.. क्योंकि चार चुड़क्कड़ों ने मुझे जकड़ रखा था। वो बस मुझे पेले जा रहा था।

थोड़ी देर इस तरह चोदने के बाद उन लोगों ने मुझे सीधा कर दिया और मेरी दोनों टांगों को मेरे सर से जोड़ दिया, अब मुझे वो इसी स्थिति में चोदने लगा, करीब 20 मिनट के बाद वो मेरी गांड में झड़ गया।

फिर शुरू हुआ एपिसोड नम्बर दो..

अब मेरा दर्द काफ़ी कम हो चुका था और थोड़ा अच्छा भी लगने लगा था। मैंने उन सबसे अपने आपको चोदने को कहा और खुद ही उल्टा होकर गांड को ऊपर उठा दिया।

दूसरे ने भी मेरी गांड मारने का कार्यक्रम चालू किया और मेरी ज़बरदस्त चुदाई शुरू हो गई। मैं उन चार के सामने चुद रहा था।

अब मेरे पैर भी दुखने लगे थे, मैंने खड़ा हो कर चोदने को कहा। उन्होंने मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया, मुझे दीवार में चिपका कर मेरी कमर पकड़ कर अपनी ओर कर लिया। अब वो अपने लंड से मेरे गांड की गहराई नापने लगा।

मुझे भी गांड मरवाने में कोई झिझक नहीं हो रही थी, मैं गांड चुदाई का मज़ा पाने लगा था। मेरा छोटा सा लंड भी खड़ा था। उसका लंड लगातार अन्दर-बाहर हो रहा था, कुछ देर के बाद वो भी मेरी गांड में ठंडा हो गया।

तीसरे राउंड में मैं बिस्तर पर गिर गया, मेरी टांगें जमीन पर नीचे थीं और शरीर बिस्तर पर पड़ा था। फिर सबने इसी पोज़िशन में मेरी गांड मारी.. लेकिन जब तक लास्ट वाला फ़ुर्सत होता.. तब तक पहले वाला फिर से तैयार हो चुका था। इस तरह एक के बाद एक मुझे चोदा जा रहा था।

मैं घंटों तक चुदने के बाद उठने में भी मजबूर सा हो गया था। कब मेरी चुदाई खत्म हुई.. मैं नहीं जानता।

जब मैं उठा.. तो रात के 2 बज रहे थे। फिर मैं वैसे ही नंगा सो गया.. क्योंकि अब छिपाने को कुछ बचा ही नहीं था।

सुबह उठा तो फिर सबको मैंने फिर अपनी गांड का नाश्ता परोसा। उन लोगों ने यह धारावाहिक मोबाइल में क़ैद कर लिया था, बाद में मुझे इसके दर्शन भी कराए था। बाद में मुझे पेट्रोल दिला दिया और जाने दिया।

अपनी वो गांड चुदाई मैं आज तक नहीं भूला। कैसी लगी आपको मेरी गांड चुदाई की दास्तान.. ईमेल करना न भूलें। [email protected]