दो जवान बहनें और साथ में भाभी-1

पल-पल इन्तजार किया एक पल के लिये, वो पल आया भी तो एक पल के लिये, अब तो हर पल इन्तजार है उस पल के लिये, कि वो पल आये फिर से एक पल के लिये…

हेलो दोस्तो, कैसे हो आप लोग! आपने मेरी कहानी दो जवान बहनें पिंकी और रिंकी तो पढ़ी ही होगी, उसके लिए मुझे बहुत सारे मेल आये जिनके लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ।

तो उसके बाद रिंकी और पिंकी शहर छोड़ के चली गई थी तो कहानी भी रुक गई थी। अभी कुछ ही दिन हुए इस बात को अचानक एक नंबर से फोन आया, वो फोन रिंकी का था। रिंकी- हेल्लो वीर? मैं- हेल्लो, हां कौन? रिंकी- कमाल है तुमने मुझे नहीं पहचाना? मैं- नहीं, बताओ तो सही आप हो कौन?

रिंकी- आवाज सुन कर भी नहीं पहचाना, क्या बात करते हो? हम एक दूसरे को बहुत करीब से जानते हैं। मैं- कितना करीब से? रिंकी- इतना करीब से जितना पति पत्नी भी एक दूसरे को नहीं जानते होंगे! मैं- अच्छा, तो कुछ बताओ मेरे बारे में अगर इतना ही करीब से जानती हो तो?

रिंकी- सब पता है, तुम अपने घर की किरायेदार से किराया भी लेते हो और मजे भी पूरे लेते हो। मैं- कौन, सुनीता बोल रही हो?

रिंकी- अच्छा जी, सुनीता भी, सुनीता कौन है यह? मैं- थी एक, उठा उठा के देती थी, पर उसके बाप को पता चल गया था कुछ बोला नहीं, पर कमरा खाली कर दिया था। रिंकी- तो तुमने तो मजे ले ही लिए न, तुम्हें भी तो उठा उठा के लेने में मजे आते हैं, हमारी भी तो ऐसे ही लेते थे, जब मन कर दिया तब! मैं-हमारी? मतलब तुम दो हो, रिंकी-पिंकी? रिंकी- चलो पहचान तो लिया न! मैं- हाँ पहचान लिया सेक्सी!

फिर उसने मुझे पता दिया और कहा कि इस पते पे आ जाना, मैंने भी हां कर दी।

अगले दिन अच्छे से लंड पे से जो हल्के बाल थे, उनको साफ़ करके नहा कर तैयार होकर रिंकी के बताये पते पर निकल गया। ठीक उनके बताई जगह पर पहुँच गया, सुबह के दस बज रहे थे, मैंने डोर बेल बजाई।

एक मस्त औरत दरवाजा खोला, मैंने पूछा- यहाँ रिंकी और पिंकी रहती है क्या? उसने कहा- हाँ, यहीं रहती हैं, आओ अंदर!

मैं अंदर चला गया, उसने मुझे बैठने को कहा।

उसकी उम्र कोई 28-30 साल होगी, वो मेरे सामने बैठ गई। मैंने उससे पूछा कि वो दोनों कहाँ हैं? तो उसने कहा- वो तुम्हारे लिए सामान लेने गई हैं, तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ।

वो मेरे लिए पानी ले आई, उसने अपना नाम फलक बताया, वो उनके साथ ही रहती थी, घर बड़ा था इसलिए तीनों एक साथ रहती थी। वो एक स्कूल में टीचर थी, रविवार था इसलिए छुट्टी थी, उसने कहा- मैं नहाने जा रही हूँ, तुम तब तक टीवी देखो और उनका इन्तजार करो।

दो कदम की दूरी पर कमरा था, उसने अलमारी से कपड़े निकाले और बाथरूम की ओर चल दी। कुछ ही देर में पानी गिरने की आवाज आने लगी।

मेरा मन कर रहा था कि उसे जाकर देखूँ… पर पकड़ा न जाऊँ, इसका डर था।

फिर भी 10 मिनट बाद खड़ा हुआ और कमरे की तरफ चल दिया। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला, वो नहा कर बाहर आ गई, उसने सिर्फ एक टॉवेल लपेटा हुआ था। उसने शायद मुझे देखते हुए देख लिया था।

वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई और टॉवेल एकदम से गिरा दिया। अब वो पूरी तरह से बिना कपड़ों के नंगी मेरे सामने थी। उसके गोल और उठी हुई गांड मेरे लंड को खड़ा करने के लिए काफी थी।

उसने दूसरे तौलिये से अपना बदन पोंछा, मैं उसके हर एक अंग को बारीकी से देख रहा था। कुछ दूरी थी, पर ना जाने क्यों मैं इस लम्हे का एक पल भी बिना देखे रह नहीं सका, उसने बिस्तर से काली पेंटी उठाई एक पैर उठा कर उसमे पेंटी का एक सिरा डाला और फिर दूसरे में, फिर धीरे धीरे वो पेंटी को ऊपर ले आई।

पारदर्शी पेंटी में सब कुछ तो साफ़ दिखाई दे रहा था और साथ ही गांड उठी हुई होने से ऐसा लग रहा था कि गांड पेंटी को अंदर खींच रही है। फिर उसने ब्रा उठाई और हाथों में से होते हुए कंधों पे रख ली।

और तभी वो हुआ जिस से मेरे बदन में कंपकंपी सी हो गई, उसने मेरे को आवाज दी- वीर जरा यह हुक लगा देना। मैं पहले तो डर गया और फिर अपने को संभाल के मैं धीमे कदमों से उसके पास गया, उसके कंधों पे हाथ रखा रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा, सहलाते सहलाते पूरी पीठ पर हाथ फेर दिया।

उसे भी मदहोशी आने लगी, उसने कहा- अब लगा भी दो! मैंने ब्रा का हुक लगा दिया।

‘रिंकी और पिंकी तो कह रही थी कि तुम बहुत शरीफ हो पर तुम कुछ ज्यादा ही शरीफ निकले।’ वो मेरी तरफ पलट कर बोली। मुझसे अब रहा न गया उसके कंधे पकड़ के दीवार के सहारे ले गया और दीवार से चिपका दिया और अपने होठों को उसके होठों से लगा दिया।

वो मुझे धक्का देने लगी पर मैंने उसके हाथ पकड़ के दीवार से लगा लिया। उसे भी मजा आ रहा था पर वो नाटक कर रही थी क्योंकि वो नीचे अपनी कमर हिला रही थी जैसे लड़की चुदते टाइम हिलाती है।

अब मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और उसे पलट दिया यानि उसका मुंह दीवार की तरफ कर दिया, उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और साथ ही साथ अपनी पैंट का बटन और चैन खोल के नीचे कर दिया।

कुछ ही देर में उसकी ब्रा और मेरी पैंट हम दोनों के बदन से अलग थे। मैं उसकी पीठ को चूम रहा था और मेरा खड़ा लंड अंडरवियर के ऊपर से ही उसकी गांड की दरार में दब चुका था जिसे मैं और धक्का देकर उसकी गांड पे रगड़ रहा था।

फिर कुछ देर में उसे बेड पे धक्का दे दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया, उसके दोनों हाथों को अपने एक साथ से पकड़ लिया और होठों पे होंठ रख कर चूसने लगा और दूसरे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

कुछ देर चूसने के बाद मैंने उसके हाथ छोड़ दिए और दोनों चूचियाँ पकड़ ली और चूसने लगा। वो अब हल्का हल्का धक्का दे रही थी और मदहोश होकर सिसकारियाँ ले रही थी, कभी एक चूची तो कभी दूसरी चूची मसल मसल के दबाता तो कभी चूसता, फिर होठों पे होंठ रख दिए इस बार वो मेरा हल्का हल्का साथ दे रही थी।

कुछ देर बाद मैंने अपने होंठ उसके होंठों से अलग किये और उसके ऊपर से हट गया। वो बेचारी तड़प कर रह गई, इतनी प्यासी आँखों से देख रही थी कि मैं ब्यान नहीं कर सकता।

मैंने उसका तौलिया उठाया और उसके ऊपर डाल दिया। उसने कहा- क्या हुआ? मैंने कहा- तुम ही कह रही थी न छोड़ दो, मत करो, ये तुम गलत कर रहे हो। जाओ छोड़ दिया।

मैं अपने कपडे उठा के बाहर जाने लगा।

वो उठी और मेरे हाथ से कपड़े छीन कर फेंक दिए, मुझे पलंग की ओर खींच के धक्का दे दिया। मेरे ऊपर चढ़ गई मेरे अंडरवियर में छुपे लंड पे उसकी गर्म गर्म टपकती हुई चूत… आआह्ह ह्हह!

उसने मेरे हाथ पकड़ कर बेड पे लगा दिया और मेरे होंठ चूसने लगी, मेरे गले, छाती सब जगह बुरी तरह चूमने लगी, फिर धीरे धीरे पेट पे आई और चूमते चूमते मेरे लंड के पास आ गई।

लंड पकड़ कर ऊपर से ही मुँह में ले लिया, फिर उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया, फिर मेरा लंड हाथ में लेकर मसलने लगी, कहने लगी- इतना अच्छा लंड मुझे चोदे बिना जा रहा था, आज इसका सारा रस पी जाऊँगी! और उसने पूरा लंड मुह में ले लिया, दस मिनट लंड चूसती रही, फिर मेरे बॉल्स को चूसने लगी, एक एक बॉल को मुंह में लेती फिर अपनी चूचियों के बीच लंड लगा कर मेरे लंड से अपनी चूचियाँ चोदने लगी।

दस मिनट वैसे किया, फिर लंड को चूसने लगी और बॉल्स को सहलाने लगी। 5 मिनट में मैंने बोला- मैं आने वाला हूँ।

उसने लंड मुँह से निकाल लिया और तेज तेज हिलाने लगी और फिर उसकी चूचियों और चेहरे पर मेरी मलाई गिर गई, उसने लंड चाट के साफ़ किया और वैसे ही बगल में लेट गई।

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे।

अचानक मेरे लंड को किसी ने पकड़ लिया और चूसने लगी, मैंने देखा तो और कोई नहीं, वो रिंकी थी जो मेरे लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी।

मैंने पूछा- तुम दोनों कब आई? तो पिंकी ने कहा- हम तो यहीं थी, तुम दोनों को देख को देख रही थी कि अकेले मौका पाकर क्या क्या करते हो।

तो मैंने पूछा- क्या क्या देखा? तो पिंकी ने कहा- देखा कि कैसे हमारा शेर शिकार देख उस पे टूट पड़ा और हमारी प्यासी भाभी जान ने अपने देवर को रिझाने के लिए क्या क्या और कितना कितना दिखाया।

फिर पिंकी ने भी अपना टॉप उतार दिया, उसकी नंगी चूचियाँ मेरे सामने थी, वो भी बगल लेट गई और मेरा लंड चूसने लगी। अब दोनों बहनें अपने होठों से मेरे लंड को चारों तरफ से चूस रही थी।

फलक मेरे होंठ चूसने लगी और छाती सहलाने लगी।

क्या बताऊँ मुझे क्या मज़ा आ रहा था!

फिर पिंकी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और रिंकी मेरे बॉल्स चूसने लगी, फलक भाभी मेरी छाती चूमने लगी।

कुछ ही देर में मेरा लंड तैयार खड़ा आवाज देने लगा कि कोई छेद दिलवाओ।

फलक भाभी उठ के आई और मेरे लंड पे बैठ गई सरकते सरकते लंड पूरा अंदर सरक गया और फलक भाभी ने एक लम्बी से सांस ली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ फिर फलक भाभी ऊपर नीचे होने लगी।

मज़ा बहुत आ रहा था, फलक भाभी की चूचियाँ ऊपर नीचे होने से हिल रही थी जिन्हें मैंने हाथों से पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा। फलक भाभी गांड उठा उठा के चुद रही थी।

पिंकी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख दिया, मैंने उसकी दोनों गांड की गांड की गोलाइयों को हाथों में ले लिया और चूत चाटने लगा।

रिंकी फलक भाभी और पिंकी के बीच में बैठ गई, फलक भाभी की ओर मुँह करके और उनके होठों पे होंठ रख दिए, फलक भाभी भी रिंकी का साथ देने लगी और उसकी चूचियाँ दबाने लगी, साथ ही साथ आराम आराम से मेरे लंड के ऊपर चुद भी रही थी।

मैं पिंकी की चूत में इतनी तेज तेज उंगली कर रहा था कि वो 5 मिनट में ही झड़ गई। फिर उसने रिंकी को खींच लिया और उसकी चूत चाटने लगी।

मैंने फलक भाभी को बेड लिटाया और खुद नीचे खड़ा होकर उनको चोदने लगा। कभी तेज, कभी धीरे… ऐसा करते करते दस मिनट उनको चोदता रहा। फिर वो भी झड़ने वाली थी और मैं भी… मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?

तो उन्होंने कहा- मेरी चूत में ही निकालना, बहुत गर्मी इसमें, इसमें अपना पानी डालकर ठंडा कर दो।

हम दोनों झड़ गए, रिंकी और पिंकी भी अपना अपना पानी निकाल कर लेटी हुई थी, हम भी वहीं लेट गए।

बाकी अगले भाग में!

मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा। [email protected]