मैं ख्यालों में भाभी को नंगी करता था-2

अब तक आपने पढ़ा.. आकृति भाभी मुझसे चुदने के लिए बेकरार हो चुकी थीं और मेरा लंड तो न जाने कबसे उनकी मचलती जवानी को भोगने के लिए तड़फ रहा था। अब आगे..

मैं उनकी दोनों चूचियां पकड़ कर जोर-जोर से मसलने लगा और गर्दन पर चुम्बन करने लगा.. उनकी भी सिसकारी छूट गई। मेरा लंड उनकी गांड की फांकों में चुभने लगा और वे भी अपनी गांड से मेरे खड़े लंड को दबाने लगीं।

मैंने उनको पलट दिया और होंठों पर बहुत बुरी तरह से किस करने लगा। मेरी उंगलियाँ उनके पेट और नाभि के गड्डे में घूम रही थीं.. जिसका मैं सबसे ज्यादा दीवाना था।

अचानक उन्होंने मुझसे अपने को अलग किया मेरे लंड को ऊपर से पकड़ कर सहलाने लगीं और बोलीं- सब्र रखो मेरे राजा.. आज रात आप जन्नत की सैर करोगे.. आई लव यू सो मच वीरू.. तुम मेरे लिए इतने दूर से आ गए.. मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है।

फिर वो मेरे गाल पर एक प्यारा सा चुम्बन देकर काम में लग गईं। मेरे लिए डाइनिंग टेबल पर खाना लगाया और गेस्ट रूम में बिस्तर ठीक करने चली गईं।

खाना खाकर मैं गेस्ट रूम में गया तो वो जा चुकी थीं। मैंने टीवी ऑन किया और हॉलीवुड की मूवी देखने लगा।

मुझे नींद तो आ नहीं रही थी और वैसे भी साढ़े बारह बज रहे थे। मैं पूरी तैयारी के साथ आया था। मेरे बैग में 3 के पैक वाला कन्डोम.. कुछ दवाइयाँ थीं.. जो मैंने ले लीं। अपना अंडरवियर निकाल दिया था और बरमूडे और बनियान में लेटे-लेटे थके होने की वजह से कब सो गया.. मुझे पता ही नहीं चला।

उस वक्त रात के 3 बज रहे थे, मैं बेधड़क सो रहा था, भाभीजी कमरे में आईं, उन्होंने टीवी बंद किया और लाइट ऑफ की.. उन्होंने नाईटी पहनी हुई थी, वो एकदम से मेरे ऊपर टूट पड़ीं।

मेरी आँख खुली और मैं भी उनको किस करने लगा। लगभग 5 मिनट बाद मैंने उनको नीचे लिटाया। पास में पड़ा टेबल लैंप ऑन किया। मैं उनका जिस्म अपनी आँखों से देखना चाहता था। दवा की वजह से नींद में भी मेरा लंड काफी हद तक खड़ा था।

मैंने तसल्ली से उनकी पैरों की उंगलियों से चूमना शुरू किया.. भाभी चुदास से कांप रही थीं, मेरे एक-एक चुम्बन पर वो सीत्कार उठतीं, उनके होंठों से मादक आवाज निकल रही थी।

मैं भाभी की गोरी जांघों से गुजरते हुए पेंटी की किनारों पर अपनी जीभ फिराते हुए.. उनकी नाभि पेट और चूचियों तक आ पहुँचा। फिर ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को खूब जोर-जोर से दबाने लगा, मेरी जीभ उनकी नाभि के इर्द-गिर्द फिर रही थी।

भाभी के मुँह से आवाज निकल रही थी- आह वीरू.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस्स्स.. कम ऑन.. मेरे वीर बहादुर.. नंगी करो मुझे.. प्लीज। मैंने एक झटके में उनकी नाईटी निकाल फेंकी और ब्रा के हुक भी खोल दिए, अब भाभी सिर्फ पेंटी में थीं।

वाह क्या मस्त चूचे थे.. मैं उनके निप्पलों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। वो एकदम से अपना सीना ऊपर उठा कर एक हाथ से मेरा सर दबा रही थीं और अति उत्तेजन के कारण अपने होंठों को काट रही थीं। इसी के साथ ही उन्होंने अपना एक हाथ नीचे से मेरे बरमूडे में डाल दिया और मेरे कड़क लंड को पकड़ कर मसलने लगीं।

कुछ मिनट के बाद मैंने चूचियों से मुँह हटाया और जीभ फिराते हुऐ नीचे की ओर बढ़ा। मैंने उनकी पेंटी अपने दांतों में दबा कर नीचे खींच दी और घुटने तक ले जाकर छोड़ दिया। भाभी की चूत को मैंने पहली बार देखा.. वो बहुत ही सुन्दर फूली हुई चूत थी। पीली रोशनी में उनकी चूत एकदम सुनहरी लग रही थी उस पर छोटे-छोटे बाल थे.. जो चूत की सुंदरता और बढ़ा रहे थे।

मैं अपने जीभ चूत और जांघ के बीच फिराने लगा और जहाँ चूत की लाइन शुरू होती है उसके ऊपर कभी जांघ पर काट लेता.. तो कभी उनकी झांटों को अपने होंठों में दबा कर खींच देता जिससे उनकी ‘आह..’ निकल जाती।

मैं उनको तड़पा रहा था, वो अपनी एड़ियां रगड़ रही थीं, जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ.. तो उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और दबाने लगीं।

मैंने अपनी जीभ जब भाभी की चूत के दाने पर रखा.. तो उनके मुँह से तेज सिसकारी निकल गई। फिर क्या दोस्तो.. मैं जोर-जोर से अपनी जीभ और होंठों से उन्हें चोदने लगा। भाभी की चूत से लगातार रसधार बह रही थी।

थोड़ी देर बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा ‘आह मेरे राजा.. इस्स उम्म.. मैं झड़ रही हूँ..’ वो झड़ गईं।

अब वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे सीने पर अपनी गांड को रख कर बैठ गईं। फिर उन्होंने मेरे लंड पर झुक कर उसे होंठों से चुम्बन किया और धीरे-धीरे मेरे लंड के सुपारे पर जीभ फिराने लगीं।

मैं तो जैसे दूसरी दुनिया में खो गया था.. मैंने जीवन में ऐसा कभी फील नहीं किया था जितना मजा मुझे आज आ रहा था। वो मेरा आधे से ज्यादा लंड मुँह में लेकर चूस रही थीं, उनके मुँह से चटखारे की आवाज आ रही थी.. वो खूब मजे से मेरा लौड़ा चूस रही थीं।

थोड़ी देर बाद जब मेरा माल निकलने को हुआ तो मैंने उन्हें बताया.. पर वो नहीं रुकीं और मैंने उनके मुँह में हो धार मार दी।

उनका मुँह मेरे वीर्य से लबालब भर गया.. उसे उन्होंने बेड के नीचे थूक दिया और मेरे ऊपर लेट गईं।

अब भाभी की चूचियां मेरे सीने पर दब कर पसर गई थीं, वे नशीली आवाज में बोलीं- कैसा लगा वीरू राजा.. मजा आया? मैंने कहा- हाँ भाभी.. बहुत ज्यादा। बोलीं- असली मजा तो अब आएगा।

यह बात करते-करते वे अपने एक हाथ से मेरे मूर्छित से लंड को सहला भी रही थीं। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से सलामी देने लगा और वो मेरे ऊपर बैठ कर चूत पर लंड को सैट करके धीरे-धीरे गांड उठा-उठा कर पूरा अन्दर लेने लगीं और धीरे-धीरे चूत चुदाने लगीं।

मैं उनकी हिलती हुई चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था।

फिर मैंने अपने पैर मोड़ कर उनकी पीठ से चिपका दिए और उनको अपने सीने से लगा लिया। उनके घुटनों को अपनों पसलियों तक मोड़ कर मैंने जो स्पीड दी.. तो उनके बदन में चीटियां दौड़ गईं। मैं सटासट लंड उनकी चूत में पेल रहा था, मेरी रफ्तार लगभग 100 शॉट प्रति मिनट की थी। भाभी जोर-जोर से चिल्लाने लगीं और बोलीं- मेरी ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई है जान.. और जोर से चोदो वीरू.. फाड़ दो मेरी चूत को।

मैं उनकी पीठ को बाँहों में जकड़ते हुए.. उठ कर बैठ गया, अभी भी मेरा लंड उनकी चूत में ही था और धीरे से उनके दोनों पैरों को अपनी कमर के पीछे किया। अब वो मेरे लंड को अपनी बच्चेदानी तक महसूस कर रही थीं, मेरे लंड में भी अन्दर कुछ टच हो रहा था। उनके बाल बिखर कर मेरे चेहरे पर फैले हुए थे और मैं उनकी चूचियों को मुँह में भर कर.. जबरदस्त तरीके से चूस भी रहा था।

अब तक वो एक और बार झड़ चुकी थीं। मैंने फिर पोजीशन चेंज की और उनके दोनों पैरों में हाथ डालकर लेकर बेड पर खड़ा हो गया। वो मेरे गले में अपनी बाँहें डाले झूल कर बैलेंस बना रही थीं।

मैंने लंड को बाहर निकाले बिना फिर से चुदाई चालू कर दी, भाभी किसी पोर्नस्टार की तरह मेरी कमर में अपने पैरों को लपेट कर मन से लंड पिलवा रही थीं।

क्या गजब का माहौल था।

जब मेरा निकलने को हुआ तो भाभी बोलीं- माल मुझे मेरे अन्दर चाहिए.. एक-एक बूंद.. मुझे तुमसे प्रेग्नेंट होना है.. मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ वीरू, एक बेटे के लिए मेरी प्लानिंग चल रही है।

मैं भाभी को सीधा लिटाकर उनके ऊपर आ गया और चूत में लंड डालकर जोर-जोर से चोदने लगा। वो तेजी से अकड़ कर झड़ने लगीं मैंने उनके कांख से होते हुए दोनों हाथ उनकी सर के नीचे ले गया था, उनका सर मेरा हथेलियों में था, आठ-दस झटकों के बाद जब मेरा ज्वालामुखी फटा, मैंने उनको ऐसे भींचा कि उनकी हड्डियों की आवाज सुनाई देने लगी और उनकी चूत मेरे वीर्य से लबालब भर गई।

मैं कुछ मिनट तक हिल भी नहीं पा रहा था ऐसे ही लंड डाले बॉडी के पूरे वजन के साथ भाभी के ऊपर पड़ा रहा। थोड़ी देर में जब उनको साँस लेने में तकलीफ हुई तो भाभी ने मुझे धीरे से अपने बगल में गिरा दिया और खुद सीधी पड़ी रहीं।

इन सारे कारनामों को अंजाम देने में हम बिस्तर के कौन-कौन से हिस्से में गए थे याद नहीं था। भाभी पूरी तरह संतुष्ट थीं और अपनी चूत जीवन भर के लिए मेरे नाम का वादा करके कपड़े पहनने लगीं। जाने से पहले उन्होंने मेरे माथे पर प्यारा सा चुम्बन किया और चली गईं।

उसके बाद आज तक मैंने भाभी को कई बार चोदा होगा। उनमें से कुछ और यादगार चुदाई मैं आपके रिप्लाई आने के बाद साझा करूँगा। प्लीज मुझे ईमेल करें। [email protected]