लव स्टोरी से सेक्स स्टोरी तक का सफ़र-2

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अब तक आपने पढ़ा..

दिल्ली यूनिवर्सिटी की सोनिया जो ‘बन्द चूत’ के नाम से जानी जाती थी, अब चुदने के लिए मचल उठी थी।

अब आगे..

गोरी-गोरी जांघें.. गुलाबी पेंटी के अन्दर गीली हो चली चूत उसकी चुदास को बयान कर रही थी।

ओह माय गॉड.. मुझे मालूम है कि जब मैं उसकी मसाज कर रहा था.. उस वक़्त ही उसकी चूत में पानी आ गया था। मैंने उसको लेटा दिया और उसकी पेंटी उतार कर देखा तो मुझसे रहा नहीं गया। छोटी-छोटी रेशमी झाँटें देख कर लगा कि शायद कुछ दिन पहले ही उसने चूत को साफ़ किया था।

झांटों के बीच में से उसकी गीली गुलाबी चूत रो रही थी.. वो इतनी ज्यादा रसीली थी कि जैसे मेरे लंड को अपने अन्दर लेने के लिए एकदम तैयार बैठी हो।

मैंने सोनिया की दोनों टांगों को फैला दिया और झुक कर उसकी चूत में मुँह लगा कर चूसने लगा।

वो छटपटा रही थी.. मैंने अपनी जीभ को थोड़ा कड़क करके उसकी चूत के छेद में पेल दिया और चूत के अन्दर तक पेल कर जीभ को घुमाने लगा। अब तो वो ऐसे उछल रही थी.. मानो मछली पानी से बाहर आ गई हो… वो चूत चुसवाने का भरपूर मज़ा लूट रही थी, वो उत्तेजना में मेरे बालों को पकड़ के मेरे सर को चूत में दबाए जा रही थी।

मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे कह रही हो कि चूत में मेरा सर भी ले जाएगी।

‘उम्मह.. आअहह.. मर गई.. आहह.. आअहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से से राहुल.. ऊऊहह.. बस करो ना.. उम्मह..’ उसके मुँह से निकली ये सब आवाज़ें सुन कर मैं सोच रहा था कि आज काम बन रहा है।

फिर अचानक उसने मेरे मुँह को ज़ोर से अपनी चूत से दूर हटा दिया और उठ बैठी। वो ज़ोर-ज़ोर से साँसें ले रही थी.. दरअसल मैं और कुछ देर उसकी चूसता, तो शायद वो झड़ जाती इसलिए उसने मुझे हटा दिया था। मतलब वो इतनी जल्दी कामलीला की समाप्ति नहीं चाह रही थी।

वो भी चुदने के लिए पगला रही थी, वो मेरी पैन्ट को उतारने लगी। उसने जैसे ही मेरी चड्डी को उतारा, मेरा खीरे जैसा मोटा तगड़ा लंड निकल कर उसके सामने मुंडी हिलाने लगा। उसने जितने कॉन्फिडेन्स के साथ मेरी चड्डी उतारी थी.. मेरे लंड देख कर उतना ही नर्वस हो गई।

मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो घुटने के बल खड़ी थी। मैंने उसके हाथों में लंड को पकड़ा दिया और मुठ मारने का इशारा कर दिया। उस वक़्त उसके हाथ कांप रहे थे, वो पहले धीरे-धीरे और फिर ज़ोर से मेरे लंड पकड़ कर खेलने लगी।

कुछ देर बाद मैंने उसको बालों से पकड़ कर उसके मुँह में लंड डाल दिया और उसका मुख चोदन करने लगा। मेरे टोपे से निकले हुए प्री-कम को वो अपनी जीभ से चाट रही थी और ना जाने क्यों.. पूरे लंड को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।

जब मैंने महसूस किया कि मेरा मॉल निकलने वाला है.. तो मैंने लंड चुसवाना बंद कर दिया और उसको बिस्तर पर बैठा दिया। हम दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे बैठे थे और मेरा लंड उसकी लार से लिपटा हुआ था।

वो मुझे देख कर थोड़ा मुस्कुराई.. तो उसकी ठोड़ी पर वो डिंपल खिल उठा.. जो मुझे हमेशा उसका दीवाना बना देता है। हम दोनों फिर से होंठों को जोड़ कर चुम्बन में मशगूल हो गए।

मैंने उसकी चूचियों को थोड़ा चूसा और उसको बिस्तर पर चित्त लिटा दिया, अब असली खेल होने वाला था।

आप सब जानते हैं कि उसकी चूत सील पैक थी, पहली बार किसी वर्जिन लड़की को चुदने के लिए मनाना सबके लिए एक चैलेन्ज होता है। मैंने अपने तने हुए लंड को पकड़ा और उसकी चूत के ऊपर रख कर रगड़ने लगा। मैं चाहता था कि वो चुदवाने के लिए तड़प उठे और खुद कहे कि वो चुदवाना चाहती है।

वो ‘ऊहह.. उहमम्म्म.. आहह..’ जैसी सिसकारियाँ निकाल रही थी। मेरे और उसकी प्री-कम से हम दोनों की सेक्स मशीनें गीली हो चुकी थीं।

अब वो बोली- बस करो ना राहुल.. कब डालोगे? ‘ले पाओगी?’ वो मेरे लंड को चूत में दबाने लगी, मैंने खुश हो कर सोचा कि ये हुई ना बात!

अब वो घड़ी आ चुकी थी, मैंने अपने लंड को ठीक उसकी चूत के होल के सामने रखा और धीरे-धीरे सुपारे को फांकों में फंसाते हुए एक ज़ोर का धक्का लगा दिया।

‘आहह.. मर गई..’

मैं रुक गया और बोला- कुछ नहीं होगा, बेबी.. कुछ ही देर दर्द होगा फिर तुम एंजाय करोगी।

उसके दोनों हाथों को पकड़ कर मैं किस करने लगा और उसे चूमते-चूमते ही और एक धक्का मार दिया। इस बार मेरा लंड काफी अन्दर घुस गया था।

वो छटपटा उठी और मैंने उसी वक्त अपने लंड के ऊपर खून की गर्मी को महसूस किया। उसकी वर्जिन फिल्म फट चुकी थी। मैंने देर ना करके और एक झटका लगाया तो पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर था।

‘अह.. ओह ओह.. ऊहह.. राहुल फट जाएगी.. प्लीज़.. निकाल लो.. मारोगे क्या?’ मैं सोच रहा था कि और कितना फटेगी।

‘और नहीं सहा जाता यार.. नहीं.. मर गइईई.. आहह..’ चिल्लाते हुए उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। मैं- चिंता मत करो तुम्हें कुछ नहीं होगा मेरी जान.. पूरा घुस चुका है.. अब कुछ नहीं होगा।

वो चुपचाप आँखें मूंद कर पड़ी थी।

एक कहावत है चमड़ी से चमड़ी को घिसने में कोई दोष नहीं होता है।

मैं भी तो वही कर रहा था। कुछ देर रुकने के बाद मैं धीरे से लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और फिर धीरे-धीरे रफ़्तार बढ़ने लगी।

‘उउम्म्म्मह.. आआहह.. आअहह..’ उसकी ये सब आवाज़ें मेरे चोदने की लय के साथ निकल रही थीं।

मैंने अपने एक हाथ से उसकी एक टाँग को लिया और दूसरे हाथ को उसके कंधे पर रख कर उसे ज़ोर से पेलना शुरू कर दिया। अब उसकी गीली चूत की वजह से चोदने में कुछ परेशानी नहीं थी।

सोनिया भी मेरे लंड के साथ सैट हो चुकी थी, अब उसकी चीखें मजे की सीत्कारों में बदल चुकी थीं, उसके मुँह से लगातार मादक आवाजें निकल रही थीं। ‘आआहह.. लग रही है.. ऊओह.. उम्म्मह.. आअहह..’ अन्य साईट के लिंक, फोन नम्बर और ईमेल आईडी लिखने की अनुमति नहीं है..

उसके दोनों हाथ मेरी पीठ और चूतड़ों के ऊपर फिर रहे थे। इस पोज़िशन में कुछ मिनट एंजाय करने के बाद मैंने पोजीशन चेंज करने की सोची और खुद लेट कर उसको अपनी जाँघों बिठा लिया, मेरा लंड अब भी उसकी चूत में फंसा हुआ था।

अब मैंने नीचे से कमर उठा कर उसको चोदना शुरू कर दिया, वो भी जल्दी ही इस करतब को समझ गई और मेरे ऊपर कूदने लगी। यह लड़की पढ़ाई में जितनी स्मार्ट है, सेक्स करने में और नई-नई सेक्स तकनीक को अपनाने में माहिर निकली।

इस पोजीशन में कई मिनट तक उसको पेलने के बाद देखा कि वो थक गई थी और मेरे ऊपर निढाल सी गई थी।

पर ये आराम करने का नहीं था। मैं उसके ऊपर आ गया और फिर चुदाई को स्टार्ट कर दिया। एक बंद कमरे में दो जवान लड़का-लड़की आग बरसा रहे थे।

मेरे चोदने की रफ़्तार ऐसी स्थिति में पहुँच चुकी थी कि चूत और लंड की ‘पट पट..’ जैसे पेलने की आवाज़ के साथ-साथ सोनिया की ‘आहह.. ऊहह.. आउच आउच..’ की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं।

मुझे सोनिया की गोरी-गोरी चूचियों को उछलते हुए सिवाए और कुछ नहीं दिख रहा था। सोनिया की दोनों टांगें हवा में थीं। उसका एक हाथ मेरी कमर पर और दूसरा मेरी छाती पर था। मैं उसको हचक कर चोदने में मगन था।

उसी वक़्त वो नीचे से कमर उठा-उठा कर ‘फक.. फक्क.. मी.. हार्डर.. आहह.. ह्म्म्म्म..’ चिल्लाते हुए झड़ गई और हाथ-पाँव को फैला कर निढाल हो गई। उसकी पकड़ कमज़ोर हो चुकी थी। उसकी चूत का पानी निकल चुका था।

अब आई मेरी बारी… मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी पेंटी से लंड को पोंछ कर साफ करके फिर से उसकी गीली बुर में पेल दिया।

उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर मैंने 15-20 तगड़े झटके मारे और इसके बाद मेरा भी जूस निकल गया।

आह्ह.. क्या मस्त मजा था… वो लेटी हुई थी और मैं उसके ऊपर लेट गया।

वो कमरा फिर से शांत हो गया। मेरा लंड माल निकाल कर सुस्त हो गया था और चूत के होल से ‘फुक्क..’ की आवाज करते हुए निकल आया।

हम दोनों दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहे.. फिर वो उठ कर नीचे खड़े हो कर बाथरूम जाने की कोशिश कर रही थी कि मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर मेरे पास खींच लिया और उसके होंठों पर किस करने लगा।

वो मुस्कुरा कर बोली- मुझे मारने के बाद छोड़ोगे क्या? मैं बोला- नहीं.. खुद मरने तक.. हम दोनों हँस पड़े और फिर से एक-दूसरे को किस करने लगे।

मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था, फिर से खेल शुरू हो गया और उस दिन हम दोनों ने जी भर लिया।

अब हम एक-दूसरे के पास नहीं हैं.. लेकिन मैं जब भी मेरे होमटाउन जाता हूँ, तो उसकी चूत से 2 बार पानी निकाल ही देता हूँ।

यह थी मेरे एक दोस्त की लव और सेक्स की कहानी।

आपको यह हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी.. अगर कोई सुझाव हो तो ज़रूर बताएँ। [email protected]

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