आंटी की चुदासी चूत में मेरा लंड

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दोस्तो, मेरा नाम जिगर पटेल है, मैं भावनगर, गुजरात में रहता हूँ। अभी मैं सिर्फ 18 साल का हूँ। आप सोचोगे कि इतनी छोटी उम्र में मैंने आंटी की चुदाई करके ये हिंदी सेक्स स्टोरी कैसे लिख दी। तो बात यह है कि यह कहानी मैंने किसी से लिखवाई है। आप कहानी पढ़ो, सब जान जाओगे।

हम घर में 4 लोग हैं, मैं मेरी बड़ी बहन, जो मेडिकल पढ़ रही है, मम्मी और पापा! हमारा घर जिस मोहल्ले में है वहाँ घर बहुत छोटे छोटे हैं और आपस में एक दूसरे से बहुत सटे हुये हैं। हमारा घर तीन मंज़िला है। सबसे ऊपर की मंज़िल पर सिर्फ एक छोटा सा कमरा है।

मैं अक्सर उस कमरे में जा कर बैठ जाता हूँ, क्यों? क्योंकि उस रूम की खिड़की से नीचे पड़ोसियों का बाथरूम दिखता है। बाथरूम क्या है, बस चार दीवारें हैं। उस घर में एक अंकल और एक आंटी के सिवा मैंने कभी किसी और को नहीं देखा।

आम तौर पर आंटी को ही देखा है। उम्र 40 साल, मोटा बदन, मगर रंग साफ गोरा, नैन नक्श ठीक ठाक से। मगर मुझे इस सब से मतलब नहीं था। मतलब था, तो जब वो 10-11 बजे के करीब, अपने सारे घर के काम निपटा कर नहाने आती थी, ऊपर से मैं उसे बिल्कुल साफ देख सकता था।

जब पहली बार देखा तो बड़ा अजीब लगा, एकदम नंगी औरत, मेरी तो लुल्ली टाईट हो गई, मैंने हाथ में पकड़ लिया। उस दिन सिर्फ उनकी पीठ और बोबे देखे मगर देख कर मज़ा आ गया।

मैं हर रोज़ सुबह नाश्ता करके पढ़ने के बहाने ऊपर चला जाता और इंतज़ार करता के वो कब नहाने आएँ और मैंने उन्हें नंगी देखूँ। अगले दिन उसने कपड़े धोये, उस बाथरूम के बाहर ही बैठी थी, नाईटी के बड़े सारे गले से उनके बड़े बड़े गोरे बोबे दिख रहे थे।

मैं तो अपना लंड पकड़ के हिलाने लगा और उनको देखते देखते ही मैं मुट्ठ मार कर अपना पानी निकाल दिया। अब तो यह रोज़ का ही काम हो गया।

अगले महीने पेपर थे, सो स्कूल से तो फ्री हो गया था। रोज़ किताबें ले कर छत पर चला जाता, पहले आंटी को नंगी देखता, मुट्ठ मारता और फिर पढ़ाई करता। बाकी दिन भी खयाल रखता, जैसे कभी पेशाब करने आई, या और किसी काम से आँगन में आई हो।

एक दिन ऐसे ही मैं बैठा आंटी का इंतज़ार कर रहा था, इतने में वे आई, पानी की बाल्टी भरी, कपड़े उतारे, ब्रा पेंटी सब उतार के बिल्कुल नंगी हो गई। उसके बाद उन्होंने सेफ़्टी रेज़र लिया और अपनी बगलों के बाल साफ किए, उसके बाद उन्होंने अपने नीचे के बाल साफ किए।

नीचे उनकी चूत मैं देख तो नहीं सका क्योंकि वो बैठी हुई थी, मगर उसके एक्शन से पता चल रहा था कि वो अपनी झांट साफ कर रही हैं।

झांट साफ करते करते उम्होंने अपनी चूत सहलानी शुरू कर दी। ‘अरे आंटी तो हाथ से कर रही है!’ मेरे मुंह से निकला।

उधर वो अपनी चूत मसल रही थी और इधर मैं अपना लंड पेल रहा था। मैंने मन ही मन सोचा ‘हे भगवान, दोनों तड़प रहे हैं, ऐसा कर दोनों को मिला ही दे, ताकि दोनों एक दूसरे की प्यास बुझा सकें!’

चलो दोनों लगे रहे और थोड़ी देर बाद वो भी शांत हो गई, और मेरा भी पानी निकल गया। वो भी नहा कर चली गई।

अब मुझे रोज़ इस बात का इंतज़ार रहता कि कब वो अपनी चूत मसलें ताकि उसको हस्तमैथुन करते देख कर मैं भी मुट्ठ मारूँ। नंगी तो खैर उसे मैं रोज़ ही देखता था। ऐसे ही कितने दिन सिलसिला चलता रहा।

एक दिन आंटी फिर बाथरूम में बैठी अपनी चूत सहला रही थी, चूत में उंगली कर रही थी और मैं ऊपर अपने कमरे में उन्हें देख कर मुट्ठ मार रहा था। तभी वो ऊपर मेरे कमरे की खिड़की की तरफ देखते हुये रुक सी गई। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मुझे लगा शायद आंटी ने मुझे देख लिया है। पहले तो मैं डरा, मगर क्योंकि खिड़की तो बंद थी, सिर्फ थोड़ी सी मैंने खोल रखी थी, जिसमें से मैं नीचे देख सकूँ।

फिर ना जाने क्या हुआ, वो खिड़की की तरफ देख कर अजीब अजीब से इशारे करने लगी। कभी अपने बोबे पकड़ कर खिड़की की तरफ उठाती, कभी फ्लाइंग किस करती, कभी हाथ से बुलाती।

मुझे लगा जैसे उनको पता चल गया है कि इस खिड़की के पीछे कोई है। एक बार तो सोचा कि खिड़की पूरी खोल के आंटी के सामने आ जाऊँ। फिर सोचा, अगर यह इनकी चाल हुई तो, घर से कितने जूते पड़ेंगे कि पढ़ने के बहाने पड़ोसन को नंगी नहाते हुये देखता हूँ। मैंने खिड़की नहीं खोली।

मगर उसके बाद रोज़ नहाते हुये, आंटी खिड़की की तरफ ज़रूर देखती, मैं खुद को छुपाए रखता, मगर इतना ज़रूर था कि उनको इस बात का पता चल चुका था कि उसे नहाते हुये कोई देखता ज़रूर है।

4-5 दिन बाद आंटी बाथरूम के बाहर बने फर्श पर बैठ कर कपड़े धो रही थी, उन्होंने अपनी नाईटी घुटनों से भी ऊपर उठा रखी थी, और गला तो था ही बहुत गहरा।

भूरे रंग की नाईटी में से आंटी की गोरी मोटी टाँगें और जांघें दिख रही थी। नाईटी के बड़े से गले में उनके बड़े बड़े बोबे बाहर आने को पड़े थे।

कपड़े धोते धोते भी उनका ध्यान ऊपर ही था, जैसे उन्हें पता था कि ऊपर से उन्हें कोई देख रहा है।

मैंने भी अपनी पैंट में से अपना लंड बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ रखा था। आज मैंने थोड़ी हिम्मत की और खिड़की थोड़ी से ज़्यादा खोली, जिसमें से मैं तो उन्हें साफ देख सकता था मगर उन्हें शायद मैं ठीक से नहीं दिख पा रहा था।

आंटी ने कपड़े धोते धोते, अपनी नाईटी और पीछे को की और इस बार सारी नाईटी अपनी गोद में इकट्ठी कर ली। ‘ओ तेरे दी’ मेरे मुंह से निकल गया।

उनकी पूरी जांघें और चूत बाहर आ गई थी, उनकी झांट मुझे साफ दिख रही थी। मेरे लिए तो ये सब बर्दाश्त से बाहर की बात थी। मैंने जोश में आकर खिड़की सारी खोल दी।

अब आंटी मुझे साफ देख सकती थी, जब उन्होंने देखा कि मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर मुट्ठ मार रहा हूँ, तो उन्होंने अपनी नाईटी के गले से अपना बोबा बाहर निकाला और मेरी तरफ दिखाया, जैसे पूछा हो- पिएगा क्या? मैंने उनको अपना लंड हिला के दिखाया और मैंने भी इशारे में पूछा- लेगी क्या? वो मुस्कुरा दी, मतलब आंटी सेट हो गई।

जोश में मैंने और ज़ोर से मुट्ठ मारनी शुरू कर दी और जब मेरा पानी गिरा तो खिड़की के बाहर उनके आँगन में भी गिरा। मेरा माल गिरता देख आंटी ने बुरा सा मुंह बनाया और अपनी चूत पर हाथ से हल्के से थपथपा कर मेरे लंड की तरफ इशारा किया। जैसे कह रही हो- यहाँ वॉशिंग मशीन खाली पड़ी है और ये हाथ से कपड़े धो रहा है।

मैंने भी इशारे से आंटी को उसके घर आने के बारे में पूछा तो आंटी ने अगले दिन 10 बजे का समय इशारे से समझा दिया।

अगले दिन बड़ी तैयारी से मैं आंटी के घर के बाहर से दो बार निकला, मगर अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जब तीसरी बार गुज़र रहा था, तभी आंटी सामने दिखी, मुझे देख कर मुस्कुराई और इशारे से मुझे बुलाया।

मैं झट से आंटी के गेट पे जा पहुंचा, आंटी ने गेट खोल कर मुझे अंदर बुला लिया और मैं आंटी के पीछे पीछे उनके घर के अंदर गया। अंदर कमरे में जाते ही आंटी पीछे को घूमी, मुझे एकदम से बाहों में भर लिया और चिपक गई मुझसे! मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।

आंटी बोली- ओह मेरे प्यारे, कब से तुमसे मिलने को तरस रही थी मैं, आज तुम मुझे मिले हो! कह कर आंटी ने मेरे होंठ चूम लिए।

मुझे लगा कि ये तो बहुत चुदासी हो रही हैं, बहुत गर्म आंटी हैं।

मैं कुछ कहता, इससे पहले ही आंटी ने अपनी नाईटी उतार दी और मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो कर खड़ी हो गई- लो देखो, मैंने अपना सब कुछ तुम्हें दिखा दिया है, अब तुम भी मुझे अपना सब दिखाओ? मैं कुछ कहता इससे पहले ही वो मेरे पास आई और खुद मेरी कमीज़ के बटन खोलने लगी।

मैंने कहा- आंटी, आप तो बहुत ही हॉट हो, बहुत सेक्सी हो। मगर उन्होंने मेरी बातों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया, बस मेरे कपड़े उतारती रही, और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।

अब चढ़ती जवानी है तो लंड तो उसको नंगी देखते ही खड़ा हो गया था। मेरा तना हुआ लंड देखते ही वे नीचे बैठ गई और मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर चूसने लगी।

‘यार क्या मज़ा आया लंड चुसवा कर… उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं तो आँखें बंद करके मज़ा ले रहा था और लेते रहना चाहता था, तब तक जब तक मेरा पानी न निकाल जाए!

मगर आंटी ने मेरे गाल को थपथपा कर मुझे जगाया और जाकर बेड पर लेट गई- आ जा मेरे राजा, जल्दी कर डाल दे अंदर बस, देर मत कर, आ जा! आंटी बोली।

मैंने आंटी के ऊपर लेट कर अपना लंड आंटी की चूत पर रखा और आंटी ने मेरी कमर अपनी तरफ खींची और मेरा लंड आंटी की चूत में घुस गया। मैं तो हतप्रभ था, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं किसी औरत को चोद रहा हूँ।

18 साल की उम्र में बहुत से लोगों को सेक्स के बारे में कुछ पता भी नहीं होता, मगर मैं एक 40 साल की औरत को चोद रहा हूँ। मुझे तो अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था।

वे बोली- आह मज़ा आ गया, आज कितने बरसों बाद कोई मज़ेदार लंड मिला है। मैंने आंटी से पूछा- आंटी, आप कब से जानती थी कि मैं आपको छुप छुप कर देखता हूँ? वे बोली- करीब एक महीने से! ‘हाँ, मैं भी करीब करीब तब से ही आपको देख रहा हूँ, मगर मुझे यह समझ नहीं आ रहा, आप इस तरह मेरे साथ सेट कैसे हो गई?’ मैंने आंटी के बड़े बड़े बोबे चूसते हुये पूछा।

आंटी बोली- अरे, ये चूत है न जो, जब ये मुंह खोलती है तो इसे सिर्फ मर्द का लंड चाहिए, और कुछ नहीं। तेरे अंकल अब इस काबिल रहे नहीं! मैं भी बहुत दिनों से किसी को ढूंढ रही थी, जो मेरी आग तो ठंडा कर सके, कोई और नहीं तो तू ही मिल गया। मैंने पूछा- और खिड़की के पीछे मैं न होता कोई और होता? वो बोली- अरे मुझे तो यही चाहिए था, कोई भी होता, मैं उससे चुदवा लेती, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। आंटी बहुत स्पष्टवादी थी।

मैं अपने हिसाब से अपनी कमर हिला रहा था, वैसे भी मेरा पहली बार था, तो मुझे ठीक से करना नहीं आ रहा था तो आंटी मुझे बताती जा रही थी- ऐसे कर, ज़ोर से मार, पूरा बाहर मत निकाला कर, यहाँ पे मेरी चूची पे काट, ये कर वो कर उनकी तो हिदायतें खत्म ही नहीं हो रही थी।

मैं ज़ोर ज़ोर से कमर चला रहा था, और मैं जल्दी ही थक गया, मुझे सांस चढ़ गई, बदन पे पसीना आ गया। वो बोली- थक गया, चल लेट जा, मैं खुद ही कर लेती हूँ! मुझे नीचे लेटा कर वो मेरे ऊपर आ बैठी, मेरा लंड अपनी चूत पे रखा और जैसे ही बैठी, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसके बाद आंटी खुद आगे पीछे हो कर चुदाई करवाने लगी।

उनके मोटे मोटे बोबे, जो ऊपर खिड़की से चोरी चोरी देखता था, मेरे सामने खुल्ले पड़े थे, मेरे मुंह पर झूल रहे थे, जो मंगलसूत्र और माला उसके गले में ऊपर से देखता था, आज मेरे सामने थी।

आंटी के दोनों बोबे पकड़े और खूब ज़ोर ज़ोर से दबाये। बोबे दबाने का भी मेरा यह पहला अनुभव था, हर चीज़ मेरे लिए नई थी। मैंने उनसे कहा- आंटी, आपकी चूत पानी बहुत छोड़ती है, मेरा सारा लंड भिगो दिया। किसी औरत के सामने चूत लंड जैसे शब्द भी मैं पहली बार ही इस्तेमाल कर रहा था।

आंटी बोली- अरे पूछ मत, कितना मज़ा आ रहा है मुझे, जब औरत को चुदाई का मज़ा आता है तो उसकी चूत ऐसे ही पानी छोड़ती है। हर बार जब आंटी ऊपर को उठती तो अपनी चूत टाइट कर लेती, जिस से मेरे लंड को चूसने जैसे फीलिंग मुझे आ रही थी।

मैंने कहा- आंटी, लगता है मेरा पानी गिरने वाला है, और ज़ोर से करो। वो बोली- बस मैं भी गई कि गई! कह कर वो ज़ोर ज़ोर से करने लगी और मेरे लंड से गर्म गर्म माल की धारें फूट पड़ी, जो उनकी चूत से बाहर निकल कर मेरे झांट और आसपास के बिस्तर तक चू गई।

इसी दौरान आंटी ने भी ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुये बुरा सा मुंह बनाया और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूस गई, और मेरे ऊपर ही लेट गई। कितनी भारी थी आंटी!

2 मिनट बाद मैंने उनसे कहा- आंटी नीचे उतरो, बहुत भारी हो। वे मेरे ऊपर से साइड में लुढ़क गई, मैं उठ कर बैठ गया, मेरे लंड में अभी भी तनाव था।

आंटी टाँगें बाहें फैलाये बिल्कुल नंगी मेरे सामने लेटी पड़ी थी, मैंने पूरे ध्यान से उनका नंगा बदन देखा।

उन्होंने मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर कहा- ये तो अभी भी तना है, क्या और चोदेगा मुझे? मैंने कहा- अगर आप कहेंगी तो!

उन्होंने अपनी टांग उठाई और मेरे कंधे पे रख दी- अच्छा, चल आ जा, डाल अंदर! मैंने उठ कर आंटी की चूत पे अपना लंड रखा और फिर से अंदर डाल दिया।

इस बार मैं कमर को थोड़ा स्टाइल से चला रहा था। वो बोली- अरे तू तो एक चुदाई से ही चोदू मल बन गया, बड़े स्टाइल से ले रहा है? मैंने कहा- अब आप जैसे तजुर्बेकार औरत मिलेगी तो स्टाइल तो सीख ही लूँगा।

उसके बाद मैंने फिर एक बार आंटी को चोदा और इस बार उनके कहने पर ही उनकी छाती पर अपना पानी निकाला। दो बार चोद कर मेरी तसल्ली हो गई।

वो बोली- सुन, आज के बाद हाथ से मत करना, अब मैं हूँ, दो चार दिन इंतज़ार बेशक कर लेना, मगर जब भी करना, इसी चूत में करना, ठीक है, अब जाओ!

मैंने कहा- अब भी खिड़की से आपको देख सकता हूँ? वो हंसी और बोली- अरे अब दिखने दिखाने को रह ही क्या गया, सब कुछ तो कर लिया, जब मर्ज़ी, जो मर्ज़ी देखना, और पूरी खिड़की खोल कर देखना, पर एक एक वादा कर, किसी को इस बारे में बोलेगा नहीं? मैंने आंटी से वादा किया और वापिस अपने घर आ गया।

अब ‘नहीं बोलूँगा’ इस वादे को निभा रहा हूँ, पर अपने दिल की बात आपको लिख कर तो बता ही सकता हूँ। अगर आपका भी कोई ऐसा तजुरबा हो तो ज़रूर लिख भेजिये। [email protected]

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