चुत चुदाई सेक्सी मामी की: मेरी फैन्टेसी

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

सभी सेक्सी चुत की मालकिनों की प्यासी चुतों को मेरे खड़े और बड़े लंड का घुस कर सलाम!

मैं प्यारा सा लड़का जीव हूँ। मैं अभी 21 साल का हूँ, पुणे महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। मेरी कद-काठी औसत है, मेरा लंड भी किसी भी चुत को संतुष्ट करने लायक है।

इस कहानी में मैंने अपनी मामी की चुत में उंगली डाल कर बहुत रस निकाला और पूरी रात उनको जमकर चोदा।

ये कहानी मेरी फैन्टेसी है.. जो मैंने अपनी मामी को अपने लंड पर खड़े हुए बैठा कर लिखी है।

मेरी मामी एक हाउस-वाईफ हैं, वो दिखने में भरी-पूरी माल हैं, उनकी गांड पूरी 37 इंच की उठी हुई है। जो मेरे लंड को बार-बार खड़ा करवाती रहती है। मेरे मामाजी एक बिजनेसमैन हैं। मामा-मामी को एक बेटा और एक बेटी है, वो दोनों ही स्कूल जाते हैं।

मेरा घर मामा के घर से करीबन 3 किलोमीटर दूर है और मैं लगभग हर दिन कॉलेज जाते वक्त उनके घर रुक जाता हूँ।

मैं अपने स्कूल टाइम से ही सेक्स के वीडियो देखता आ रहा हूँ।

मैं कॉलेज की छुट्टियों में मामा के घर रुका हुआ था। पर उस दिनों में मेरे मामा के बच्चों के स्कूल चल रहे थे। ऐसे में मैं और मेरी सेक्सी मामी ही घर पर अकेले रहते थे।

अब मैं तो रहा ठरकी.. मुझे तो मामी की गांड के अलावा दूसरा कुछ सूझता भी नहीं था।

मैं मामी को नहाते वक्त देख कर उनके बाद बाथरूम में जाकर उनकी 95 नम्बर वाली पेंटी पर मुठ मार लेता था।

एक दिन बहुत सारी कहानियाँ पढ़ने से मेरी उत्तेजना काफी बढ़ गई और मैंने मामी को नहाते समय ही नीचे फर्श पर अपना माल गिरा दिया। फिर डर के मारे उस पर थोड़ा पानी डाल कर टीवी देखने बैठ गया।

मैंने देखा कि मामी अपने पेटीकोट से अपनी चूचियों को ढकते हुए लंगड़ाती हुई जा रही थीं।

मैंने लंगड़ा कर चलने का कारण पूछा तो उन्होंने मेरी तरफ देखा और बताया- मेरे घुटने में चोट लग गई है, बहुत दर्द हो रहा है, इधर कुछ चिकना सा पड़ा था जिससे मैं फिसल गई।

मैं उनको मस्त और वासना भरी नजरों से देख रहा था। उनकी फिसलने की बात सुन कर मुझे अपनी मुठ का ख्याल आया और मैं मन ही मन मुस्कुरा दिया।

तभी जाते वक्त उनका पेटीकोट दरवाजे के कीले में अटक गया लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं था और वो आगे बढ़ीं.. तो पूरा पेटीकोट पीछे कीले में फंस कर रह गया। वो उसे पकड़ने के लिए मेरी तरफ को मुड़ीं.. तो यारों क्या कहर ढा रही थीं.. इस वक्त पेटीकोट के फट जाने से वो पूरी नंगी हो गई थीं।

उनकी चुत बहुत सारे काले बालों से छुपी हुई थी और उनके बोबे तो मस्त उछल रहे थे। मैं उन्हें ही घूरे जा रहा था।

मामी अब तब तक अपना पेटीकोट कीले से निकाल कर अपने बेडरूम में चली गईं।

इसके तुरन्त बाद मैं भी स्नान करने घुस गया और दोबारा से उनके पेंटी में मुठ मार कर शांत हो गया। मामी के बच्चे स्कूल में थे और मामाजी ऑफिस गए हुए थे। घर पर मैं और मामी ही थीं।

मैं टीवी देख रहा था, तभी मुझे मामाजी का कॉल आया कि मामी को लेकर अस्पताल आ जा। क्योंकि मेरे मामी के घुटनों में बहुत दर्द था। उसी के लिए मामा जी ने मुझे उनको लेकर आने के लिए कहा था।

हम दोनों करीब 11 बजे निकल पड़े। हमने रास्ते में कुछ भी बात नहीं की। मामी ने अपनी जांच कराई और मेडिकल से दवा आदि के साथ-साथ बाम भी ले ली।

हम वहाँ से बाईक पर निकले। आते वक्त ट्रेफिक हो गया था.. तो मुझे रूक-रूक कर आना पड़ा। उस दौरान कई बार मजबूरी में तेज स्पीड को रोकने के लिए ब्रेक दबाने पड़े तो उनके बोबों को अपने पीठ पर दबने से मजा लिया।

हम घर पहुँचे तो घर पर हम दोनों ही थे। कामवाली आकर चली गई थी और बच्चों को स्कूल से आने में अभी दो घंटे थे। मैं टीवी देखने बैठ गया और मामी अपने रूम में चली गई थीं।

मामी ने मुझे आवाज लगा कर मुझे बाम लगाने में मदद करने में कहा।

मैं उनके बेडरूम में आकर उनके पैरों के नजदीक बैठ गया और बाम लगाने लगा। मैं पूरे मजे से बाम लगाता रहा और मामी कब सो गईं.. मुझे पता ही नहीं चला।

जब मुझे पता लगा कि मामी सो रही हैं तो मैं हिम्मत करके उनकी साड़ी और पेटीकोट को उनके कमर तक ले गया। मुझे डर तो बहुत लग रहा था.. पर मुझ पर वासना हावी हो चुकी थी।

अब मेरे सामने लाल कलर की पेंटी में मेरी प्यारी मामी की चुत कैद थी। मैंने धीरे से उनकी पेंटी साईड से खोली और अपनी उंगली अन्दर घुसाने लगा।

मामी के चुत पर बहुत सारे बाल थे, तो मुझे उनके छेद का अनुमान नहीं लग रहा था।

तभी मामी सोते सोते अपने हाथ से चुत खुजाने लगीं। मैंने डर के मारे उनकी साड़ी छोड़ दी। लेकिन मुझ पर वासना अभी बाकी थी, तो मैं कुछ पल बाद फिर से उनकी चुत में उंगली डालने लगा।

इस बार मेरी उंगली सीधी उनकी चूत के छेद पर जा लगी और मैंने देर न करते हुए उसे चुत के अन्दर डाल दिया। मुझे चुत बड़ी गर्म लगी.. पर मैंने उंगली को चुत में आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। कुछ मिनट तक यूँ ही मैं मामी की चुत के अंदर उंगली करता रहा। मैं पूरे मूड में चल रहा था।

तभी मामी अपने हाथ से चुत के पास झांटों को खुजाने लगीं। झांटें खुजाते हुए मामी के हाथ को मेरे हाथ का स्पर्श हुआ लेकिन मामी कुछ नहीं बोलीं।

इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने बाजू में लेट कर धीरे से उनकी पेंटी को नीचे किया और बड़े प्यार से दो-दो उंगली से चुत को सूँघते हुए अन्दर-बाहर डालता रहा। उनकी चुत लिसलिसी होने लगी थी।

अब तो मामी ने भी टांगें फैला दीं और सिसकारियां भरने लगीं, उनकी चुत अब भरपूर रस छोड़ने लगी।

तभी अचानक जोर से दरवाजे की बेल बजी और मामी जी ने झट से घुटनों तक उठ बैठीं। वाह.. क्या नजारा था यारों.. मामी के पैर फैले हुए.. पेंटी नीचे की तरफ थी।

मेरी दो उंगलियां अब भी चुत में घुसी हुई चूत का मर्दन कर रही थीं।

फिर हमने झट से अलग होकर खुद को ठीक-ठाक किया और अपने दूसरे काम में लग गए। मैंने दरवाजा खोला तो उनकी बेटी स्कूल से आ गई थी।

फिर उस दिन हमारा दिन यूं ही कट गया।

मुझे तो मामी को चोदना ही था.. तो मैं मौका ढूँढ रहा था। मामा आज रात देर बारह बजे तक आने वाले थे। ऐसा मुझे उनके बच्चों की बातों से सुनने को मिला। यह जानते ही मेरे लंड के घोड़े दौड़ पड़े कि मामी की चुत को कैसे चोदें।

रात गहराने लगी.. दस बजे तक सो गए पर मामी अपना काम कर रही थीं।

मैंने उनको पीछे से जाकर पकड़ा और सीधे उनके बोबे दबाने लगा। मैंने मामी को कोई मौका न देते हुए सीधा दूसरे हाथ से उनकी चुत को पूरी ताकत से साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगा।

इस अचानक हुए हमले से वो संभल नहीं पाईं और वो भी अब सिसकारियां भरने लगीं। मैंने उनको सीधा किया और झट से उनको चुम्मी करने लगा। चुम्मी के साथ ही मेरे दोनों हाथ उनके एक बोबे और चुत को मसल रहे थे।

इस ताबड़तोड़ घिसाई से उनका रस एकदम से ही निकल गया और उनकी पेंटी पूरी गीली हो गई।

अब मैं उनको अपने कमरे में ले गया और उनको बिस्तर पर लिटा कर उनके ऊपर चढ़ कर उनको किस करने लगा।

कुछ ही पलों में मैंने उनका ब्लाउज निकाल फेंका और उनका दूध पीने लगा। वो भी मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही मसलने लगीं।

मैंने दूध पीते-पीते एक हाथ उनकी साड़ी में डाल कर उनकी गीली हो चुकी पेंटी को निकाल कर सूँघने लगा। मैंने तेजी से उनके नीचे जाकर पेटीकोट ऊपर करके सीधे अपने मुँह से बड़ी तेजी से चुत को चूसने लगा, दो ही मिनट में वे फिर से झड़ गईं।

मैं मामी को पूरी नंगी नहीं करना चाहता था.. क्योंकि मुझे उनको वैसे ही चोदना था और मेरे पास वक्त भी कम था।

मैं उनके सिरहाने आकर उनसे अपने लंड को चूसने को कहा.. तो मामी ने मना कर दिया। फिर भी मैंने जबरदस्ती से मामी के मुँह में लंड डाल दिया और उनका मुँह चोद डाला।

कुछ देर लंड चुसाई के बाद अपना सारा वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया जब टक उन्होंने मेरा रस पी नहीं लिया मैंने लंड को उनके मुँह से हटाया ही नहीं और जबरदस्ती उनको लंड का रस पिला दिया।

अब असली चुदाई की बारी थी.. तो मैंने नीचे जाकर मामी की चुत को फैला कर अपना लंड सीधा उनकी चुत पर टिका दिया। सुपारा फांकों में फंसा कर एक जोर से धक्का मार कर पूरा लंड अन्दर पेल दिया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मामी तो मजे में जोर से चिल्ला पड़ीं और मुझे सीने से लगाकर किस करने लगीं, मैंने जोरदार झटके चालू कर दिए। मामी अभी अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगीं। वो लगातार ‘आहें..’ भर रही थीं ‘आहहह.. ऊमम.. आहह.. जोरर.. से करर.. आहहहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्महह.. आह.. मजा आ गया है..’ उनकी कामुक आवाजें रूम में गूंजने लगी थीं।

फिर मैंने मामी को अपने ऊपर ले लिया और वो मेरे लंड पर उछल-कूद करने लगीं। अब वो मुझे चोदे जा रही थीं। वो बहुत भारी थीं.. तब भी मुझे उनको चोदने मजा आ रहा था।

अभी एक बजने के करीब का समय हो रहा था। मैंने जल्दी से उन्हें डॉगी स्टाईल में करके पीछे से उनकी चुत में लंड घुसा कर पूरी स्पीड से चोदना शुरू कर दिया। मामी ने बिस्तर पर घोड़ी बने हुए तकिया पूरी ताकत से पकड़ा हुआ था। मामी इस दौरान चार बार झड़ चुकी थीं।

अब मेरा भी निकलने वाला था.. तो मैंने उन्हें सीधा करके उनके मस्त बोबों पर मेरा पूरा माल छोड़ दिया और हम एक-दूसरे से लिपटे पड़े रहे। मैं एक हाथ उनकी चुत में घुसा कर लेटा हुआ था।

करीबन आधा घंटे बाद मामाजी आ गए.. दरवाजे पर घंटी बजी, मामी खुद को ठीक करके अपने कमरे में चली गई, मैंने दरवाजा खोल दिया।

दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी.. मुझे जरूर बताना। धन्यवाद [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000