मेरी प्यारी मैडम संग चुदाई की मस्ती-3

अब तक आपने पढ़ा.. शिप्रा मेम मेरे साथ चुदाई की हद तक आ गई थीं.. बस चुदाई नहीं हो पा रही थी। अब आगे..

मैंने अभी तक उसकी चूचियों को ठीक से देखा नहीं था। एक दिन मैंने उससे फ़रमाइश की- मुझे तुम्हारी चूची देखनी है। वो कहने लगी- यहाँ कैसे दिखाऊँ। मैंने बोला- जैसे मेरा लंड पैंट से निकाल कर चूसती हो, वैसे अपनी चूची भी निकालो ना।

उसने अपनी कुर्ती निकाली और अब वो मेरे सामने काली ब्रा में थी। पहली बार किसी लड़की को सिर्फ ब्रा में देख रहा था। मैंने ब्रा का हुक खोलने की कोशिश की.. पर खुला नहीं। फिर उसी ने हँसते हुए ब्रा खोल दी, तो मेरे सामने उसके 34 साइज़ के दो आम एकदम तने हुए मेरी आँखों के सामने थे।

इतने तने हुए दूध देख कर मैंने सोचा था कि ये ठोस होंगे.. पर दबाने पर एकदम मक्खन से मुलायम निकले.. मुझे बहुत पसंद आए। पहली बार जो भी मिलता है.. वो पसंद आ ही जाता है।

मैंने उसके आमों को चूसना शुरू किया था और दूसरे वाले को हल्का सा दबा रहा था कि इतने में वो पूरा गर्म हो गई, मेरे सर को अपनी चूची में दबाने लगी। मैं मस्त होकर दोनों चूचों को अपने मुँह में लेकर बारी-बारी से चूस रहा था और वो मेरा लंड पकड़ कर मसले जा रही थी। हम दोनों को डर भी लग रहा था कि कहीं किसी को पता न चल जाए या कोई देख न ले।

ये सब हम लोग रोज़ करने लगे और हमारी हिम्मत बढ़ती गई। हफ्ता दस दिन बाद तो हम दोनों एकदम बेफ़िक्र हो गए क्योंकि हमारे साथ इतने दिनों से कुछ बुरा जो नहीं हुआ था। सब कुछ फर्स्ट क्लास चल रहा था, किसी को कुछ पता नहीं चला।

मैं रोज़ दोपहर दो घंटे उसके साथ सब कुछ करता, यह हमारा डेली रूटीन बन गया था, जैसे ही मैं उसके पास जाता, वो खुश हो जाती और प्यारी सी स्माइल दे देती।

हमेशा की तरह एक रोज़ मैं गया तो देखा कि वो मुझे देख कर चुप रही और इशारा में बैठने को बोली।

मुझे समझ में आ गया कि डिपार्टमेंट में कोई और भी है, मैं स्टूडेंट की तरह अन्दर गया और रिक्वेस्ट किया कि ये सारे डाउट क्लियर कर दीजिए।

इतने में उसने बताया- उसके पीछे वाले केबिन में मोहन्ती सर है। जो कद से तो नाटा था.. पर साला था मादरचोद!

शिप्रा ने इशारे में बोला- आज चले जाओ, आज वो यहीं रुकेगा, आज कुछ नहीं हो पाएगा। मैंने भी कह दिया- अपना कोटा ले कर ही जाऊंगा। वो हँसने लगी।

फिर वो मुझे पढ़ाने लगी, वो अभी दस मिनट भी नहीं पढ़ाया होगा कि उसको चुदासी छा गई, वह टेबल के नीचे से अपने पैर मेरे पैर से रगड़ने लगी। मैं भी ऐसा ही कुछ उम्मीद कर रहा था उससे!

वह मेरे पैरों को सहलाते हुए अपने पैर मेरे लंड पर ले आई और धीरे-धीरे सहलाने लगी। मैं आँखें बंद करके मुंडी नीचे करके कण्ट्रोल करने की कोशिश की। वो हँसने लगी, उसने मेरे कॉपी में लिखा- अभी भी टाइम है.. वापस चले जाओ, वरना बैठे-बैठे तुम्हारा माल निकाल दूंगी।

मैं भी ऐसे कैसे वापस जाने वाला था, मैंने भी अपनी पैर उठाया और सीधा उसकी चूत पर रगड़ने लगा। अब वो क्या मेरा लंड सहलाती, वो खुद मज़े लेने लगी।

जैसे जैसे मैं उसकी चूत सहलाता जा रहा था, वो अपनी चेयर से सरकती हुई नीचे को आती जा रही थी कि मुझे उसकी चूत सहलाने में दिक्कत न हो.. इसका वो पूरा ख्याल रख रही थी।

अचानक हम दोनों इसी काम में लग गए… उसकी सलवार जब गीली हो गई तो मुझे समझ में आ गया कि वो एक बार झड़ चुकी है। इतने में मुझे याद आया कि मोहन्ती सर भी हैं और शिप्रा तो मुझे पढ़ा रही थी।

इस बात को ध्यान करते ही मैंने उसे टोका तो वो किसी तरह मुझे फिर से पढ़ाने लगी। इतने में सर सारा सामान समेट कर जाने लगे, शिप्रा ने उड़िया भाषा में कुछ पूछा.. तो सर ‘हाँ’ में जवाब दे कर निकल गए।

शिप्रा बाहर तक गई और सर को जाते देख लिया। फिर पूरा फ्लोर देख कर सुनिश्चित करने के बाद वापस आ कर बैग से चाभी निकाली और दरवाज़ा लॉक करके मेरे पास आ गई।

उसने इठला कर कहा- आखिर तुम नहीं गए! मैंने उसका हाथ पकड़ा और जोर से दबाने लगा, वो दर्द के मारे तड़पने लगी और माफ़ी मांगने लगी। इतने में मुझे महसूस हुआ कि मैंने कुछ ज्यादा बेरूखी दिखा दी।

वो दर्द से रोने लगी.. पर फिर भी रोते रोते बोली- प्यार करती हूँ तो भी इतना तकलीफ दोगे मुझे? मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े और पीछे करके अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथों को जकड़ लिया और उसे दीवार से लगा दिया।

उसे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे हुआ क्या है, उसके चेहरे पर मैं अज़ीब से भाव प्रकट होते देख रहा था। सच बोलूँ तो मैं उस टाइम जंगली सा होने लगा था, वो खुद को मुझसे छुड़ाना चाहती थी.. पर असफल रही। उसने मेरा ऐसा रूप पहले नहीं देखा था।

थोड़ी देर हम दोनों वैसे ही खड़े रहे.. तब उसको लगा कि सब कुछ ठीक है। इससे पहले कि वो कुछ बोलती.. मैंने उसे किस करना शुरू कर दिया।

वो भी मुझे चूमने लगी, हम दोनों को करीब बीस मिनट किस करते हुए होंगे कि मैंने देखा उसके होंठ लाल हो गए थे और कुछ फूल से गए थे।

उसके बाद मैंने टेबल से सिस्टम को साइड करके उसके वहाँ लेटा दिया, उसके ऊपर चढ़ गया। मैं बहुत हॉर्नी महसूस कर रहा था, मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि पहले क्या करूँ।

उसके ऊपर चढ़ने के बाद मैंने उसे दम भर चूमा और उसे पूरा गर्म कर दिया, वो भी पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसके कपड़े उतारे और पूरे शरीर को चूमा, उसकी ब्रा से चूची को बाहर निकाल कर मन भर कर चूसा।

उसकी चूत बहुत गर्म हो गई थी और वो मेरे लंड को सहला रही थी।

इतने में मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी में घुसा दिया.. तो महसूस किया कि चूत से कुछ चिपचिपा सा निकल रहा है। मैंने थोड़ी देर उसकी चूत में उंगली करके उसे संतुष्ट किया।

फिर उसने नीचे उतर कर मुझे चेयर पर लेटा सा दिया, मेरी पैंट खोल कर मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस लिया। कुछ ही देर में मेरे लंड का पूरा माल निकल गया। उसने मेरा लंड अपने रुमाल से साफ़ कर दिया।

एक महीना इसी तरह से होता रहा। जब एक दिन हमारी ज़िन्दगी में भूचाल आया, वह दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा।

हमेशा की तरह एक रोज़ मैं शिप्रा के पास गया, वो थोड़ा काम में बिजी थी इसलिए मैं उसके पास जाकर बैठ गया। जैसे ही काम खत्म हुआ.. वो अपनी चेयर से उठी और मेरे पास आकर खड़ी होकर कहने लगी- बहुत इंतज़ार करना पड़ा मेरे बाबू को आज!

इतना कहते ही उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया। उसके स्पर्श से वाकयी लग रहा था कि वो मुझे प्यार करती थी। उसने मुझे किस किया। इस घड़ी हम लोग भूल गए थे कि दरवाज़ा खुला है। हम दोनों किस करने में इतना खो गए कि हमें होश ही नहीं रहा कि हम लोग कहाँ हैं।

मैं उसे किस किए जा रहा था और कब मेरा हाथ उसकी चूचियों को दबाने लगा मुझे पता ही नहीं चला। हम लोग पागलों की तरह किस किए जा रहे थे। मैं जब भी उसे किस करता था.. मेरा हाथ अपने आप उसकी चूचियों पर चला जाता था।

तभी दस मिनट किस किए होंगे कि अचानक एक आवाज़ आई- शिप्रा मैडम..

हम लोगों को अचानक 440 वोल्ट का झटका लगा। हम दोनों तुरंत एक-दूसरे से अलग हुए और अपने होश संभालने लगे। देखा तो मेरे बैच की दो लड़कियां अनुपमा और स्वीटी दरवाज़े पर खड़ी हैं, वे आश्चर्य से हम दोनों को देख रही थीं।

शिप्रा की तो गांड गोटी शॉट हो गई.. उसने तुरंत वहीं रोना चालू कर दिया। इतने में अनुपमा आई और कहने लगी-आप चुप हो जाइए.. कुछ नहीं होगा। मैंने भी शिप्रा को अपनी बांहों में जकड़ लिए और उसे चुप कराने लगा।

आमतौर पर लड़के इन हालात में वहाँ से चले जाते हैं.. पर मैंने वो गलती नहीं की।

मैं वहीं शिप्रा के साथ बना रहा और अनुपमा को समझाया कि प्लीज इनको थोड़ा सम्भाल लो। उसने मुझे सुनिश्चित किया और बोली- मैं किसी को कुछ नहीं बोलूँगी।

पर मुझे पता था कि ये सब बात लड़कियों के पेट में नहीं रहने वाली थी। ये बात को अन्दर रखेगी तो इसके पेट में दर्द होता रहेगा। खैर.. मुझे उससे क्या!

मुझे तो शिप्रा को संभालना था, मेरी इस तरह उसके साथ खड़ा रहने से वो बहुत खुश थी। वो बोली- मुझे अच्छा लगा कि तुम मुसीबत में मेरे साथ थे। अब उसे कौन समझाता कि मुसीबत में भी तो तुम्हारी वजह से पड़ा हूँ।

खैर.. उस दिन के बाद हम लोगों का डिपार्टमेंट में प्यार करने का सफ़र ख़त्म हो गया.. क्योंकि आज एक स्टूडेंट ने देखा है.. कल कोई और देख लेगा तो! मुझे डिग्री ले कर ही घर वापस जाना था। इसलिए शिप्रा के कहने पर मैंने दोपहर को आना बंद कर दिया।

अब हम दोनों मिलने के लिए छटपटाने लगे थे। क्योंकि शुरू से मिलने की और प्यार करने की आदत जो बन चुकी थी और अचानक से बंद हो गई थी। अब हमारे पास एक ही रास्ता था। फ़ोन पर बात करना.. जो हमने अभी तक नहीं किया था।

मेरे पास एक फ़ोन था.. फिर भी उसने अपना एक पुराना फ़ोन मुझे दिया और अपने नंबर को फ्री करवा लिया। उसके बाद से हम लोग सिर्फ फ़ोन पर ही बातें करने लगे। इसके अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं था। हम दोनों इस तरह बात करके भी संतुष्ट नहीं थे।

धीरे-धीरे दिन बीतते गए और हमारी बात करते-करते रात बीत जाती थी। रोज़ यही होने लगा। पढ़ाई और काम खत्म करके रात को फुरसत से बात किया करते थे।

गर्मियों के दिन लगभग खत्म होने को थे और आए दिन तूफानों की वजह से रोज़ शाम को हॉस्टल की बिजली चली जाती थी। कुछ दिन तक मैंने हॉस्टल में रह कर देखा कि बिजली गुल होने के बाद सब लोग करते क्या हैं।

एक हफ्ता तो ठीक निकला। सब अपने ही रूम में रहते थे। फिर मैंने हॉस्टल से बाहर जाना शुरू किया। कुछ दिन बाहर गया और देखा बिजली जाने के बाद भी लॉन में कोई नहीं आता है। मैंने शिप्रा से फिर मिलने को बोला और वो मान गई।

दोस्तो, शिप्रा के साथ तीन साल की कहानी है। पसंद आई या नहीं, कमेंट्स दीजिएगा। दुआओं में याद रखना। [email protected] कहानी जारी है।