मेरी प्यारी मैडम संग चुदाई की मस्ती-5

अब तक आपने पढ़ा.. मैं शिप्रा को लेकर पुरी के होटल के कमरे में था। अब आगे.. शिप्रा बोली- पहले पूरे रूम को चैक करो कहीं कोई कैमरा आदि तो नहीं लगा है। उफ़.. कितनी होशियारी वाली बात थी। मैंने पूरा रूम चैक किया.. पर कुछ नहीं मिला।

इतने में वो मुझसे चिपक गई और ज़ोर से गले लगा लिया। काफी देर यूँ ही सीने से चिपकी रही और मैंने भी फिर हग कर लिया। पूरा रूम का माहौल रोमांटिक हो चुका था, वो बहुत खुश नज़र आ रही थी उसकी आँखें सब कुछ ब्यान कर रही थीं।

उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और मुझे जी भर के देखने लगी।

थोड़ी देर रुक कर मैंने उसको अपने पास खींच कर उसके होंठ पर किस किया, तो उसने भी मुझे कस के जकड़ लिया और किस करने लगी।

बहुत देर किस करने के बाद मैंने उसे रूम की दीवार पर सटाया और मदहोश हो कर उसे किस करना शुरू कर दिया। होंठों से होते हुए उसके गाल को किस किया। फिर उसके कान तक पहुंच कर किस किया और काटने लगा। शिप्रा के गले में किस करते हुए उसकी गर्दन पर पहुंचा।

वो गर्म होने लगी थी। मैंने अपने दोनों हाथों का सही उपयोग करते हुए धीरे-धीरे उसकी चूचियों को दबाने लगा। वो पूरी मस्त हो चुकी थी, वो भी मेरे गर्दन को किस करते हुए पूरे शरीर को सहला रही थी, मेरे सीने को चूमती और बालों पर हाथ फेरती।

इसी तरह कुछ देर प्यार करते हुए मैं देर न करते हुए उसे बिस्तर पर ले आया। ये वही जगह थी.. जहाँ मैं उसे कब से लाना चाहता था। मैंने उसे बड़े प्यार से लेटाया और उसके शरीर पर हाथ फेरते हुए उसे लेटे हुए किस करने लगा।

सच बताऊँ बीवी वैसे ही होनी चाहिए, क्या पीस थी यार… उसे किस करते-करते मैंने उसके पिंक कलर के टॉप को उतार दिया। अब वो मेरे सामने ब्लैक ब्रा में थी। पहली बार बड़े सुकून से अपने माल को बिना कपड़ों में देख रहा था। मज़ा आ गया।

अब मैं उसे बिना सोचे-समझे चूमने लगा, उसकी चूचियों को पूरे जोश से दबाने लगा, फिर उसकी जीन्स उतारी। वाह.. क्या नज़ारा था। वो ब्लैक ब्रा और पेंटी में मेरे सामने थी, उसने मेरे ऊपर आ कर मेरी शर्ट खोल दी.. फिर जीन्स भी। अब वो बोली- हिसाब बराबर.. मैं हँस दिया।

वो मुझ पर चढ़ कर मुझे चूमने लगी, मैंने नीचे से ही उसकी ब्रा का हुक खोलना चाहा.. पर असफल रहा, वो हँसने लगी और कहने लगी- तुमसे नहीं होगा।

सच में.. मुझसे कभी भी हुक नहीं खुल पाता है। उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और अब मैं उसकी ब्रा-पेंटी को निकालने में व्यस्त था।

मैंने नजाकत से उसे लेटाया और उसे चूमना शुरू किया। चेहरे से शुरू करते हुए मैंने उसे गर्म करना शुरू किया, कान से गर्दन होते हुए धीरे-धीरे गले तक आया, कोई जल्दबाज़ी नहीं की, हमारे पास बहुत टाइम था, मेरा भी पहला मौका था तो मज़े ले कर कर रहा था।

उसके गले में चूमते हुए सीने तक आया, वो तेज़ ‘आहें..’ भरने लगी थी, उसकी साँसों से चूचियां ऊपर-नीचे होने लगी थीं। उस दिन समझ में आया कि फ़िल्म में लड़की सांस लेती थी.. तो चूचे ऊपर-नीचे क्यों होते थे।

मैं धीरे-धीरे चूचियों तक पहुँचा। सफ़ेद मखमली मुलायम चूचियां मेरे हाथ में थीं। आज इनका मैं ही मालिक था, एक चूची को चूसना शुरू किया और दूसरी के निप्पल को मसलने लगा।

मैंने ध्यान दिया कि अब वो सही मायनों में गर्म होना शुरू हुई थी। उसके चूचुक एकदम कड़क हो गए थे। मैं बहुत देर तक चूची को चूसता रहा.. तो इतने में शिप्रा बोली- एक ही में अटके रहोगे क्या? मैंने तुरंत दूसरी वाली चूची को चूसना शुरू किया और पहले वाली को दबाने लगा।

थोड़ी देर ऐसा ही चला.. इतने में उसने मेरा दूसरा हाथ अपनी चूत पर रखते हुए कहा- कुछ नहीं आता है तुम्हें.. सब कुछ मुझे ही बताना होगा क्या?

अब मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे मैं उसकी चूचियों से होते हुए उसकी नाभि को चूमते हुए चूत तक पहुँच गया।

फिर उसकी जांघ को सहलाते हुए चूमने लगा। नीचे पैरों तक चूमने के बाद फिर चूत पर पहुँचा, एक किस किया और फिर ऊपर आकर चूचियों को चूसने लगा और उंगली से चूत को चोदना शुरू किया।

उसने भी मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी, मैंने उंगली से ही उसे चोद कर उसको झाड़ दिया और उसे अपना लंड चूसने को बोला। वो मना करने लगी और आज वो बहुत मनाने पर भी नहीं मान रही थी।

मैं नाराज़ हो जाता तो काम बिगड़ जाता इसलिए समझदारी से उसे मनाने की कोशिश करने लगा। कुछ देर बाद वो मान गई और मेरे लंड को पकड़ कर आहिस्ते-आहिस्ते चाटने लगी। थोड़ी देर में देखा तो साली लंड को गपागप चूसने लगी थी, थोड़ी देर में ही मेरे लंड ने माल गिरा दिया।

अब वो बोली- अब मेरी चूत को चाटो। ना चाह कर भी मुझे उसकी चूत चाटनी पड़ी, चूत से नमकीन स्वाद आ रहा था, पता नहीं क्या था।

चूत के दोनों होंठ पूरे गीले थे और अज़ीब सी महक आ रही थी। खैर.. जो भी हो.. करना था तो कर दिया। थोड़ी देर बाद जब ध्यान दिया तो देखा कि चूत एकदम क्लीन शेव की हुई थी.. एक भी बाल नहीं।

अब हम दोनों झड़ चुके थे और एक-दूसरे से चिपक कर लेटे हुए थे।

थोड़ी देर बाद वो नहाने चली गई और उसने दरवाज़ा बंद नहीं किया। मैं भी जा कर घुस गया और दरवाज़े बंद कर दिया। वो मना करने लगी.. पर मैं कहाँ मानने वाला था।

मैंने ही उसको नहलाया, उसके पूरे शरीर में बॉडी वाश लगाया, फिर उसके चूचियों में बॉडी वाश रगड़-रगड़ कर मला। फिर उसकी चूत को साबुन से रगड़ा, वो बस चुपचाप खड़ी थी और मुस्कुराए जा रही थी।

मैंने उसे जल्दी से पानी से नहलाया और फिर बाथरूम से बाहर निकाल दिया। मैं भी नहाने लगा। जब नहा कर निकला तो देखा वो एक छोटी से सफ़ेद कलर की मैक्सी पहने हुई थी.. जिसमें से उसकी पूरी पेंटी दिखाई दे रही थी।

वो अपने बाल बना रही थी। मैंने पीछे से जा कर उसे दबोच लिया और किस करने लगा। किस करते करते हम कब बिस्तर में आ गए पता ही नहीं चला। मैंने फिर कपड़े निकाल दिए उसके और उसने सिर्फ मेरी टॉवल खींच कर मेरा काम तमाम कर दिया।

अब वो मुझे बिस्तर में अपने नीचे धकेलते हुए मेरे ऊपर चढ़ गई और मुझे चूमने लगी, वो पूरी हॉर्नी हो गई थी, मुझे कान से गले तक। गर्दन से छाती तक चूमती रही।

मेरे शरीर में अज़ीब का करंट दौड़ने लगा। यह एहसास नया था और मज़ेदार भी था। इसी तरह वो मेरे लंड तक पहुँच गई और उसने बिना कोई संकेत दिए उसे चूसना शुरू कर दिया।

लंड चूसते-चूसते उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, अब मैं भी उसकी चूत चाटने लगा। अभी वो नहा के आई थी, उसकी चूत से मस्त महक आ रही थी, इस बार पहली बार से अच्छा अनुभव था।

थोड़ी देर चूसने से मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं उसे नीचे लिटाते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपने हाथों से उसकी चूत सहलाने लगा। वो मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने की कोशिश कर रही थी।

मैं अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में रगड़ने लगा, वो मचलने लगी, कहने लगी- डालो अन्दर जल्दी!

मैं अपने सुपारे को चूत में रगड़ के अन्दर डालने लगा, थोड़ी परेशानी हुई, पर लंड अन्दर पूरा घुस गया। उसकी चीख तो नहीं निकली.. पर काफी दर्द हुआ होगा। मुझे संदेह हुआ कि वो पहले भी चुदी होगी, पर इन सब बातों को सोच कर अपना मूड ख़राब नहीं करना चाहता था।

उसकी चूत से खून तो निकला.. पर शायद वो सील टूटने की वजह से नहीं था.. क्योंकि खून निकलने के बाद रुकना बंद ही नहीं हो रहा था। पूछने पर पता चला कि उसके पीरियड शुरू हो गए हैं। अब मुझे पता ही नहीं चल रहा कि वो वर्जिन है या नहीं। फिर मैंने सोचा अगर यही है किस्मत में तो क्या कर सकते हैं।

उसी तरह मैं उसे चोदना शुरू किया। थोड़ी देर उसके ऊपर चढ़ कर चोदा ही था कि उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लंड को चूत में डाल के ऊपर-नीचे होने लगी। उसी ने बताया कि इसे हॉर्स राइड कहते हैं।

मैं भी उसकी झूलती चूचियों को चूसने लगा। इसी तरह काफी देर हो गई और फिर वापस मैंने उसके ऊपर आ कर उसे चोदना शुरू कर दिया। इतने में वो भी झड़ गई और फिर मेरा भी निकल गया।

अब हम दोनों काफी थक चुके थे और मैं उसके ऊपर गिर कर लस्त हो गया। थोड़ी देर बाद टाइम देखा तो एक बज चुके थे।

हमने बाथरूम में जा कर अपना-अपना ‘सामान’ साफ़ कर लिया। हमने खाना आर्डर किया और जब तक खाना आता.. तब तक हम एक दूसरे को बिस्तर में लेटे हुए ही चूमते रहे। खाना आया और हमने खाना खाया, अब तीन बज गए और हम खाकर सो गए। शाम 5 बजे उठे तो मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

अब मैंने उससे गांड मारने की फ़रमाइश की, बहुत मना करने के बाद वो मान गई। उसकी गांड बहुत टाइट थी, बहुत मुश्किल से लंड में तेल लगा कर घुसाने में कामयाब हुआ। मन भर गांड मारी और माल भी गिरा दिया।

उसकी हालत बहुत ख़राब हो गई थी, उसने कहा- अब कभी गांड मारने नहीं दूंगी। उससे बैठा भी नहीं जा रहा था, वो नाराज़ हो रही थी, उसका मूड ठीक करने के लिए मैंने सोचा घुमाने ले जाऊँ।

शाम 6 बजे हम लोग होटल से निकले। होटल के बाहर बीच पर हम लोग गए और बैठ गए। उसका मूड ठीक होता हुआ दिख रहा था। हमने बहुत बातें की। उसने अपनी ख़ुशी जाहिर की जो उसने मुझसे सम्बन्ध बनाने टाइम महसूस की थी।

करीबन 9 बजे हम लोग वापस रूम में आ गए। मैं बिस्तर में बैठ गया और वो मेरे गोद में सर रख कर लेट गई। मैंने खाना आर्डर किया।

अभी खाना आने में टाइम था.. तो वो अचानक उठी और मुझे गले से लगा लिया। मुझे चूमने लगी और कहने लगी- थैंक्यू.. मुझे इतना प्यार करने के लिए! मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकती, तुम मेरी लाइफ का सबसे इम्पोर्टेन्ट हिस्सा हो।

इतने में खाना आ गया।

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