भाभी ने पूछा कि कोई लड़की फंसाई है या नहीं?

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नमस्ते दोस्तो, आप सभी को मेरा प्रणाम! हैलो.. मैं पुणे का रहने वाला हूँ, मैं अपनी बॉडी हमेशा फिट रखता हूँ। इसलिए मैं बहुत आकर्षक भी लगता हूँ। मैं पिछले काफ़ी समय से अन्तर्वासना पढ़ रहा हूँ।

मेरी यह पहली हिंदी सेक्स स्टोरी है। बात उन दिनों की है.. जब मैं डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा था। मेरे घर के सामने बहुत किरायेदार रहते थे। उनमें बहुत सारी जोड़ियाँ भी रहती थीं, उन मकानों का मालिक मेरा अच्छा दोस्त था, मैं उसके यहाँ ऐसे ही टाइम पास करने के लिए जाता रहता था।

उन किरायेदारों में से एक भाभी बहुत ही झक्कास आइटम थीं। भाभी का नाम रोहिणी था, मैं आप लोगों को क्या बताऊँ वो सच में बहुत ही सुंदर थीं, वो एकदम दुबले पतले शरीर की थीं, उनकी फिगर 34-28-36 की थी। इतना खूबसूरत चेहरा था कि उनको देखने के बाद कोई भी बस देखता ही रह जाए। उनका दूध सा गोरा रंग.. लम्बे बाल और कमनीय काया की वजह से वो बहुत ही सुंदर दिखती थीं।

रोहिणी भाभी की उम्र लगभग 29 साल की थी और उनके पति की उम्र 39 साल की थी। वो लोग कोकण के रहने वाले थे। भाभी का पति ड्राईवर की नौकरी करता था.. तो वो पैसा कमाने के लिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। भाभी के घर में तीन ही लोग थे.. रोहिणी भाभी, उनका पति और उनका बेटा! उनका 6 साल का बेटा भी भाभी की तरह ही सुंदर था।

रोज सुबह भाभी का पति जल्दी ही काम पर निकल जाता था और शाम को देर रात तक घर वापस आता था। उनका बेटा 11 बजे स्कूल चला जाता और 3 बजे आता। भाभी का बेटा हमारे यहाँ के किराएदार के बच्चों के साथ खेलने के लिए आया करता था।

कुछ दिन के बाद वो रोज आकर खेलने लगा, उसे देख कर मुझे भी ख़ुशी हुई। वो रोज आता.. खेलता रहता था। उसकी माँ यानि वो भाभी उसे लेने के लिए रोज आतीं। इसी वजह से मैं भी भाभी से बोलने का मौका ढूँढता रहता था, वो मुझसे 2 मिनट बात करके चली जाती थीं।

ऐसा करीब 2 महीना चला। भाभी से मेरी मुलाकात बहुत बार हो चुकी थी। मैं उनके बेटे के स्कूल जाते समय जानबूझ घर से बाहर निकलता और उनसे बात करने की कोशिश करता रहता, वो भी मुझसे मजे से बात करतीं और मुस्कुरा कर ‘बाय..’ कह कर निकल जातीं।

जैसा कि मैंने बताया कि उनका मकान मालिक मेरा अच्छा दोस्त था, मैं उसके यहाँ जाता रहता था। मैं अपने उस मकान-मालिक दोस्त के बारे में भी बता दूँ कि वो भी बहुत भाभियों को चोद चुका था।

उन दिनों मेरी परीक्षा भी हो चुकी थीं.. ठण्ड के दिन थे। एक दिन मैं उस दोस्त के यहाँ यूँ ही टाइम पास करने जा रहा था। जाते वक्त रोहिणी भाभी बाहर खड़ी थीं मैंने उन्हें देखा.. हँसा और चल पड़ा।

भाभी ने मुझे आवाज दी और कहा- जाते टाइम मेरे यहाँ होते जाना! भाभी का बेटा उस वक्त उनके घर में नहीं था।

मैं कुछ पल दोस्त के पास रुका और भाभी के घर जाने लगा। मैं जब भाभी के घर आया तो वो मेरे पास आईं और बोलीं- बहुत दिन से तुम्हें बुलाना चाहती थी.. पर बाजू की औरतें सामने रहती थीं.. इसलिए नहीं बुलाया। मैंने कहा- क्या बात है भाभी? भाभी मेरे बारे में पूछने लगीं- कुछ नहीं बस यूं ही.. और सुनाओ तुम्हारा कॉलेज कैसा चल रहा है।

इस तरह भाभी से मेरी बहुत देर बात होती रही। फिर भाभी कहने लगीं- यार दिन भर अकेले रहती हूँ.. तो बोर हो जाती हूँ। मैंने बोला- आप हमारे यहाँ आ जाया करो ना.. हम दोनों वहाँ बहुत सारी बातें करके अपनी बोरियत दूर कर लिया करेंगे। ‘तुम्हारा घर किधर है?’ ‘दो मकान छोड़ कर.. उधर बाहर से सीढ़ियाँ हैं.. उधर से मेरा कमरा भी ऊपर की मंजिल पर है।’

दोस्तों चूंकि हमारा मकान बहुत बड़ा था और मेरे पापा ने मेरे को ऊपर वाला कमरा पढ़ाई करने के लिए दिया है। वहाँ मेरे अलावा कोई नहीं आता। मेरा भाई ट्रांसपोर्ट का काम करता है तो वो भी पूरा दिन ऑफिस में ही रहता है और माँ नीचे ही रहती हैं।

मैंने भाभी से कुछ देर और बात की और आने की कह कर चला आया। फिर कुछ दिन यूं ही बीत गए।

एक दिन सुबह मैं अपने घर आ रहा था, उस समय भाभी अपने बच्चे को स्कूल छोड़ कर आ रही थीं, मैंने भाभी से नमस्ते की और कहा- चलो हमारे घर चाय पीने आओ भाभी!

पहले तो भाभी ने मना किया.. फिर मैंने कहा- उस दिन आपने बुलाया और चाय पिलाई थी और आज आप हमारे घर में नहीं आओगी। भाभी बोलीं- मैं घर जाकर आती हूँ।

भाभी गईं.. और 2 मिनट के बाद आ गईं, उस वक्त मेरी माँ कहीं गई थीं, मैं चाय बनाने के लिए अन्दर गया। अन्दर जाते वक्त मैं बहुत खुश था.. पर मेरे को चाय बनाने नहीं आती थी।

जब कुछ देर हो गई तो भाभी कुछ देर बाद किचन में अन्दर आ गईं। भाभी ने पूछा- क्या हुआ? मैंने बोला- भाभी मुझे चाय बनानी नहीं आती। तो बोलीं- अरे बुद्धू तो मुझसे कह देता ना.. चलो हटो, मुझे आती है। मैं बनाती हूँ।

फिर भाभी ने चाय बनाई और हम दोनों पीने के लिए ऊपर वाले मेरे कमरे में आ गए। मेरे कमरे में बैठ कर हम दोनों बातें करने लगे। मेरे सारे मेडल्स देखकर बोलीं- आपने बहुत खेल खेले हे- शायद!

मैंने ‘हाँ’ बोल दिया। फिर कुछ देर बाद वो मजाक करते हुए बोलने लगीं- कोई लड़की फंसाई है या नहीं? मैंने कहा- नहीं यार भाभी.. मैं आप जैसा सुंदर कहाँ हूँ। रोहिणी भाभी- कुछ भी मत फेंको.. तुम दिखते तो इतने अच्छे हो.. फिर क्यों नहीं मिली?

मैंने कहा- आप जैसी जबरदस्त माल मुझे अब तक नहीं मिली। रोहिणी भाभी- चुप यार.. मैं कहाँ माल लगती हूँ। मैंने कहा- सच भाभी मैं आपसे क्यों झूठ बोलूँगा। क्या कभी आपके पति ने नहीं कहा कि आप बहुत सुंदर हो।

रोहिणी भाभी ने उदास होकर कहा- मेरे पति के पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है। मैंने कहा- ये लो.. घर में फूल जैसी बीवी छोड़ कर बाहर फिर रहा है आपका पति? रोहिणी भाभी- हाँ देख ना..

मैंने कहा- तो आप इसी कारण से उदास रहती हो ना.. परेशान मत हो.. मैं हूँ न आपका प्यारा देवर! ‘तू तो सिर्फ कहता ही है सुंदर.. कुछ करता तो है नहीं..’

मैंने सोचा कि लोहा गर्म है.. और मैं जो सोच रहा था.. वो इसके भी दिमाग में है। मैं तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया, मैं बोला- आपको बुरा तो नहीं लगेगा? भाभी ने कहा- नहीं बाबा.. तुम करो जो करना है।

मैं भाभी को अपने पास खींचकर किस करने लगा और भाभी भी मुझसे मजा लेने लगीं और वो हँस कर बोलीं ‘बहुत देर बाद तेरी समझ में बात आई..’ मैंने भाभी को बहुत चूमा.. उन्होंने भी मुझे बहुत चूमा।

मैंने कहा- चलो आप अब मेरी हो। वो बोली- हाँ चल चोद दे मुझे.. मेरी जल्दी से जल्दी प्यास बुझा दे!

मेरा पप्पू जीन्स में से सलामी दे रहा था, मैंने भाभी को लिटा दिया, मैंने भाभी को बहुत चूमा, वो साड़ी पहने हुई थीं। मैंने भाभी को चूमते हुए उनकी साड़ी.. पेटीकोट को उतार दिया। मेरा तो ये पहली बार था।

भाभी ने मुझसे कहा- शायद तूने पहले कभी भी नहीं किया है। ‘हाँ भाभी..’ भाभी कहने लगीं- चलो मेरे मम्मे चूसो। अब वो बहुत गर्म हो गई थीं।

आप तो सब जानते ही हो कि यदि औरत गर्म हो जाए तो कैसी मचलती है। मैंने भाभी का ब्लाउज निकाल दिया और उनकी ब्रा में कसे हुए मम्मे मुझे बड़े ही मदमस्त दिखे।

मेरे तो होश उड़ गए… फिर मैंने भाभी की ब्रा भी निकाल दी, ब्रा खुलते ही भाभी के दूध उछल कर सामने फुदकने लगे। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मुझे तो समझो जन्नत के दर्शन हो गए। मैंने भाभी के मम्मों को देखते ही चूसना शुरू कर दिया। भाभी के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं ‘आहह.. आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर से चूसो और जोर से..’

मैंने भाभी के चूचे चूसते हुए उनके नीचे हाथ फेरने लगा, भाभी की पेंटी गीली हो चुकी थी, मैंने उसे निकाल कर फेंक दिया। भाभी की पेंटी उतारी तो मैं उनकी नंगी चूत देखता ही रह गया.. उफ़ क्या नजारा था.. दोस्तो मजा आ गया… एकदम चिकनी चूत.. उस पर एक भी बाल नहीं था।

मैंने भाभी की गुलाबी चूत को चूसना चाहा.. तो भाभी टांगें पसारते हुए बोलीं- जो करना है तुम करो.. मैं पूरी तुम्हारी हूँ। भाभी की नंगी चूत चूसना चालू कर दिया मैंने… मैंने बहुत देर तक चूत चूसी इसके बाद भाभी ने अपनी चूत से गर्म पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने भाभी की चूत का पूरा पानी पी लिया।

भाभी की चूत का थोड़ा पानी.. उन्हें किस करते समय उनको भी चखा दिया। भाभी पानी छोड़ने के बाद निढाल होकर मेरे चुम्मे ही ले रही थीं। मैंने कहा- भाभी, लंड नहीं चूसोगी?

भाभी ने हाँ बोला और कहा- तुम चूत भी चूसो ना.. बहुत अच्छा लगा था। हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, भाभी ने जब मेरे लंड को अपने मुँह में लिया.. तब समझो मुझे तो जन्नत का मजा मिल गया।

भाभी ने लंड चूसते हुए मेरा पानी निकलवा दिया और सारा पानी गटक गईं। मेरे लंड के झड़ने के बाद भी भाभी ने लंड छोड़ा नहीं.. बल्कि उसे चूस कर साफ़ कर दिया।

मैं भाभी की चूत चूसते हुए उनके चूतड़ों को भी सहला रहा था, हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे, वो दुबारा से फिर झड़ गईं।

फिर मैंने भाभी को अपने ऊपर लिया और उनके मम्मों को मसलते उनकी नंगी चूत में उंगली करने लगा, वो भी बहुत मजा ले रही थीं।

अब मैंने मेरा पप्पू उनकी नंगी चूत पर रगड़ा, वो काँप उठीं.. बोलीं- अब जल्दी से डालो न.. अब नहीं रहा जाता। मैं भाभी को और ज्यादा तड़पाना चाहता था… चुदाई का सूत्र है कि औरत को ज्यादा तड़पाओ.. तो ज्यादा मजा देती है।

भाभी बोली- डालो न प्लीज़। मैंने ज्यादा देर न करते हुए लंड का सुपारा भाभी की चूत के मुँह पर सैट किया और धक्का मारा, मेरे गीलेपन की वजह से आधे से ज्यादा लंड भाभी की चूत के अन्दर चला गया।

वो चिल्ला कर बोलीं- आह.. देखो मैं अब तेरी ही हूँ.. आराम से डालो मेरे राजा। मैं बोला- ये बात आराम से करने वाली नहीं है मेरी जान!

फिर मैंने जोश में चुदाई चालू कर दी। कुछ मिनट तक चूत चुदाई का खेल चला.. फिर मेरी साँसें जोर-जोर से आने लगीं।

भाभी समझ गईं.. और बोलीं- मेरे अन्दर डालोगे या बाहर करोगे? मैंने कहा- जैसा बोलो डार्लिग.. क्या करूँ? भाभी बोलीं- अब अन्दर ही डाल दो पर उसके बाद मेरे मुँह में भी डालना।

कुछ झटकों के बाद मेरे एक जोरदार फव्वारे ने भाभी की बुर भर दी और मैं निढाल होकर गिर पड़ा, भाभी ने उठ कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और लंड के रस की अंतिम बूंद तक को चाट लिया।

फ़िर हमने बहुत बातें की.. एक-दूसरे को साफ किया। भाभी बोलीं- अब जब तू बोलेगा.. मैं आ जाऊँगी। मैंने कहा- ठीक है भाभी.. मैं भी आपकी चूत का पूरा मजा लूँगा। भाभी बोलीं- अगर तुम्हारी माँ घर पर होगी.. तो मेरे घर में भी कर लेंगे।

फिर थोड़ी देर बाद भाभी मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगीं और बोलीं- आज तूने मेरी प्यास बुझा दी.. मैं बहुत दिनों से प्यासी थी। आज जो आनन्द मिला है.. उसे मैं कभी नहीं भूलूँगी।

फिर भाभी ने मुझे किस किया और फिर से गर्म किया, हम दोनों ने एक और बार चुदाई का खेल खेला।

अब भाभी जाने लगीं, मैंने रोका तो बोलीं- कल करेंगे ना जानू!

उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और साथ में टॉफ़ी भी खाई। टॉफी खाते समय भाभी बहुत खुश थीं.. वो मुझे बड़े प्यार से अपने मुँह में दबा कर टॉफ़ी खिला रही थीं। ये मुझे बहुत अच्छा लगा.. और फिर भाभी चली गईं।

इसके बाद हम दोनों ने कई बार चुदाई की.. कभी भाभी के घर में.. कभी हमारे कमरे में की है।

भाभी की गांड मारने की कहानी आप सभी को बाद में लिखूंगा। मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर बताना। [email protected]

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