प्रीत चुदी चूतनिवास से-1

अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ने वालों को चूतनिवास के लौड़े के 31 तुनकों की सलामी!

यह घटना ढाई साल पहले की है, पंचकूला से मेरे पास एक ईमेल आई एक 22 साल की लड़की की, नाम था रूपिंदर कौर, परंतु उसने अपना कहानी के लिए नाम रखा था प्रीत… लिखा था कि चूतनिवास जी आपकी कहानियाँ पढ़ कर मेरी बुर कुलबुलाने लगती है, रस बहाने लगती है। जिस तरह से आपने रीना की बुर की सील तोड़ी, मैं भी आपसे अपनी सील तुड़वाना चाहती हूँ। यह भी चाहती हूँ कि आप मुझे चोद कर हमारी चुदाई की कथा लिखें जिसका शीर्षक हो ‘प्रीत चुदी चूतनिवास से’… मेरी बड़ी तमन्ना है कि यह कहानी मैं अन्तर्वासना पर पढ़ूँ। मुझे विश्वास है कि अपनी खुद की चुदाई का विवरण पढ़ के बेहद आनन्द आएगा।

प्रीत रानी के संग आठ दस दिन तक मेल बाज़ी हुई और अंत में आपसी सहमति से मैंने दो दिन का पंचकूला जाने का प्रोग्राम बना लिया। अब तक मैंने उसे प्रीत रानी और उसने मुझे मिस्टर चोदनाथ कहना शुरू कर दिया था। खूब जम के आपस में गालियाँ बकना और तू तड़ाक से बातें करना चालू हो चुका था। हालाँकि रानी पहले पहले गालियाँ देने में हिचकती थी मगर बहुत जल्दी वो सब गन्दी गालियाँ न सिर्फ सीख गई बल्कि गाली देने में उसकी हिचकिचाहट भी ख़त्म हो गई।

तभी रानी ने एक नई बात कही, वो बोली कि उसका प्रेमी दीपक भी उसकी सील टूटने का दृश्य देखना चाहता है और मेरा शिष्य बन कर चुदाई के खेल में पारंगत होना चाहता है। वो भी चाहता है कि मेरी तरह ज़बरदस्त चोदू बने!

यहाँ दीपक के विषय में मैं यह बता दूँ कि अपनी दूसरी या तीसरी मेल में प्रीत रानी ने मुझसे पूछा था कि उसके पीछे चार लड़के पड़े हुये हैं, और चारों ही उसको पसंद हैं, वो समझ नहीं पा रही कि किसको चुने। मैंने उसको चार में से एक को चुनने का एक तरीका बताया था जिसके परिणाम स्वरूप दीपक उसका प्रेमी बन गया था और दोनों ने शादी का फैसला भी कर लिया था।

यदि कोई पाठिका इसी प्रकार की उलझन में हो तो मुझे लिखे, मैं उसको सही आशिक को सेलेक्ट करने का तरीका बता दूंगा।

मैंने उत्तर दिया- ठीक है प्रीत रानी, मैं तेरी सील तोडूंगा। दीपक अगर अपनी माशूका को चुदवाते हुए देखना चाहता है मुझे क्या… देखे जी भर के! वैसे तो यह शर्त भी प्रीत रानी ने रखी थी कि वो दीपक को आशिक़ तभी बनाएगी जब वो उसकी सील मेरे से तुड़वाने को राज़ी होगा और शादी के बाद में भी मेरे से प्रीत रानी चुदा करेगी जिसमें वो कोई ऐतराज़ नहीं करेगा। इसलिए मैंने प्रीत रानी को हामी भर दी कि ठीक है दीपक उसकी नथ खुलने का नज़ारा देख सकता है।

इस समय मैं प्रीत रानी से क्षमा मांगना चाहता हूँ कि वादा करने के बाद भी बिना किसी विशेष कारण से उसकी चुदाई की कहानी टलती गई और टलती ही चली गई। आखिर में तंग आकर प्रीत रानी ने सब रानियों की महारानी अंजलि से शिकायत की। महारानी साहिबा ने मुझे कस के डांट पिलाई और बिना देर किये कहानी लिखने का हुक्म जारी किया। महारानी अंजलि के आदेश का मतलब बात खलास… न कोई सवाल न कोई जवाब, सिर्फ हुक्म की ताबेदारी! और सही भी है, यदि महारानी सख्ती न बरतें तो यह रानी साम्राज्य कैसे चलेगा?

महारानी अंजलि तेरा यह ज़रखरीद गुलाम सदा की भांति तेरी आज्ञा का पालन करते हुए तुझ से भी क्षमा चाहता है कि मैंने तेरी इस प्रीत रानी के साथ बेइंसाफी की। आशा है कि बेगम साहिबा गुलाम को माफ़ी देकर अपनी सुहावनी बुर का उत्फ उठाने देंगी।

अब आते हैं कहानी पर:

तय किये हुए दिन मैं पंचकूला जा पहुंचा और होटल बेला विस्टा में ठहर गया। दोपहर दो बजे के करीब प्रीत रानी दीपक के साथ मेरे रूम में आ गई। हरामज़ादी को देख के दिल खुश हो गया, मस्त जवान लौंडिया थी माँ की लौड़ी! हृष्ट पुष्ट सरदारनी, बेहद खूबसूरत, 5 फुट 7 इंच का क़द, छरहरा निखरता हुआ मस्त बदन, तने हुए नुकीले चूचुक और खूब गोरा रंग! मैंने उसको सर से पांव तक निहारा… साली गज़ब की बुर थी कमीनी, खूबसूरत चेहरा, बेहद हसीन हाथ और सुन्दर सुडौल उंगलियाँ। अच्छे बड़े आयताकार सुन्दर नाख़ून जिन पर बैंगनी नेल पोलिश लगाई हुई थी और वे थोड़े थोड़े बिल्कुल सही सही बढ़े हुए थे मस्त! जैसे फिल्मों में अभिनेत्रियाँ नाख़ून रखती है एकदम वैसे! लहराते हुए रेशमी बाल, लंबी नाक, बड़ी बड़ी आँखें और हल्की सी मुस्कान लिए छोटे छोटे फ़ौरन ही चूसने लायक होंठ… जब ये होंठ लौड़े को दबाएंगे तो कितना मज़ा आएगा। यह बात मन में आते ही लंड मचल उठा।

उसने पटियाला स्टाइल भड़कीले प्रिंट वाली सलवार और गहरे नीले रंग की शमीज़ पहनी हुई थी। पैरों में जूतियाँ जिनमें उसके गोरे पैरों का ऊपरी भाग दिख रहा था। पांव नहीं दिख रहे थे मगर आशा थी कि ऐसे सुन्दर हाथों वाली लड़की के पैर भी सुन्दर होंगे।

दीपक एक लंबा तगड़ा नवयुवक था, अच्छा स्मार्ट और हैंडसम! प्रीत रानी भी मुझे भली भांति देखते हुए बोली- हाय मिस्टर चोदनाथ… कैसे हैं आप… आप तो एक प्रोफेसर लगते हैं। बहनचोद रानी की सेक्सी मीठी आवाज़ सुन कर लगा जैसे कहीं घंटियाँ बज रही हों। लंड तो अकड़ा हुआ था ही, अब फ़ुनफ़ुनाने भी लगा।

तभी दीपक ने कहा- नमस्ते सर जी! मैंने भी कहा- नमस्ते दीपक! और दोनों को आराम कुर्सियों पर बैठ जाने का इशारा किया।

दोनों बैठ गए तो मैंने दीपक से कहा- सुन दीपक…अब जो तेरी माशूका की नथ खोली जाएगी, उस नज़ारे को तू यहीं चुपचाप बैठे देखते रहना… न कुछ बोलना है और न कुछ करना है… मेरी रानी को तो छूना भी मत… आ गई बात समझ में? दीपक ने उत्तर दिया- हाँ हाँ सर जी… ऐसा ही होगा… वैसे भी आपकी रानी मुझे छूने कहाँ देती है… अभी तक तो मैंने इसको किस भी नहीं किया… बोलती है जब मैं एक बार चोदनाथ जी से चुद जाऊँ उसके बाद मैं तेरी… अब तक मैंने इसके सिर्फ पैर चाटे हैं और इसकी सु सु पीने के लिए बुर के नज़दीक मुंह लगाया है… बुर से भी नहीं सिर्फ बुर के पास… बस!

मैंने दीपक को डांटा- सुन बहन के लंड दीपक… सु सु सिर्फ लड़के करते हैं मादरचोद… लड़कियाँ सु सु नहीं करतीं बल्कि अमृत धारा निकालती हैं… इस धारा को स्वर्ण अमृत या स्वर्ण रस कहा जाता है कमीने… संक्षिप्त में सिर्फ अमृत भी कह सकते हैं… तू किस्मत वाला है बुरिये कि प्रीत रानी तुझको अमृत पीने देती है।

दीपक ने फ़ौरन कान पकड़ के कहा- सर जी, भूल हो गई, माफ़ कर दीजिये। प्रीत रानी बोली- और जो तेरी पचासों बार मुट्ठ मारी है उसका भी तो बोल हरामी? दीपक ने सर हिला हिला कर यह बात मान ली।

मैंने प्रीत रानी की ओर बड़े प्यार से देखते हुए कहा- रानी बहुत अकलमंद है कमीने.. चिंता न कर… सबर का फल मीठा होता है… अब तू आराम से बैठ और देख तमाशा…. ज़्यादा ठरक चढ़ जाए तो मुट्ठ मार लियो हरामी के पिल्ले!

इतना कह के मैंने लपक कर प्रीत रानी को गोद में उठा लिया और उसको बाँहों में कस के लिपटा लिया। आलिंगन में लिए मैं बिस्तर पर आ गया और रानी को लिटा दिया। जैसे ही मैं बिस्तर पर चढ़ने को हुआ तो रानी ने खनखनाती हुई शहद सी आवाज़ में कहा- मिस्टर चोदनाथ… एक बात मानोगे मेरी?

मैं- अरे मेरी जान, एक क्यों एक हज़ार बातें मानूँगा… बोल न क्या कहना चाहती है मादरचोद कुतिया? रानी- कुछ खास नहीं मैं यह चाहती थी कि आज का खेल मेरे इशारों पर चले… जैसे जैसे मैं डायरेक्शन दूँ, आप वैसा वैसा ही करिये… मंज़ूर मिस्टर चोदनाथ!

मैंने गर्दन हिला कर हामी भरी और पूछा- और कुछ बदज़ात रण्डी? प्रीत रानी ने इठलाते हुए कहा- दूसरा यह कि आपको चैट पर फोन पर तो खूब गालियाँ दे देती थी मगर फेस टू फेस गाली देने में शर्म आ रही है… थोड़ी गर्म हो जाऊँगी तो शायद शर्म भी खुल जाए मिस्टर चोदनाथ!

मैंने कहा- ठीक है, मैं ये बात समझता हूँ लेकिन मेरी एक शर्त यह है कि तू मुझे मिस्टर चोदनाथ बोलना बन्द कर और या तो राजे बोल या बुर निवास या सिर्फ चोदनाथ! इस पर रानी ने कहा- मैं तो चोदनाथ ही कहूँगी बहनचोद!

‘हा हा हा हा हा! बड़ी जल्दी कुतिया की शर्म निकल गई। देने लगी न हरामज़ादी गाली!’ मैंने कहा- आगे क्या हुक्म है मेरी रानी का… कैसे आगे बढ़ना है बताइये रानी जी?

प्रीत रानी ने इतराते हुए, बड़े कामुक अंदाज़ में बल खाते हुए धीमे स्वर में कहा- पहले तो राजा मुझे कस के बाँहों में जकड़ ले, जैसे अभी बिस्तर पर लिटाने से पहले जकड़ा था। बहुत आनन्द आया जब तुम्हारी जफ्फी में हड्डियाँ कड़कड़ा गईं… साँसें उखाड़ दो मिस्टर चोदनाथ… मुझे बाँहों में लिए लिए मेरे होंठों का रस चूसते रहो राजा…

मैंने रानी को बिस्तर से उठाकर फिर से बाहुपाश में बांध लिया और जैसा रानी चाह रही थी, अपने होंठ उसके गुलाब की पंखड़ियों समान लबों से सटा दिए, और लगा उनको हुमक हुमक के चूसने!रानी के मुंह का जूस मेरे मुंह में आ रहा था और मेरा उसके मुंह में, रानी के मुंह का स्वाद और गंध बेहद नशीले थे। यारो, मस्त हो गया मैं! लड़कियों के मुखरस और मुखसुगंध कुछ अलग ही होती है, आदमी का लंड तन्ना उठता है… हम्म्म्म… हम्म्म्म… बहनचोद हम्म्म्म.

मैंने उसे इतना ज़ोर से लिपटा रखा था कि बुरी तरह से अकड़ा हुआ लौड़ा उसके पेट में गड़ा जा रहा था और उसके चूचे मेरी छाती में चुभ रहे थे। मस्ती में चूर हो गए थे हम दोनों!

उसका मुंह गर्म था और उसमें लार बहे जा रही थी, मेरा मुंह भी पनिया गया था, मेरे हाथ उसके नितंबों तक पहुँच चुके थे और मजा ले लेकर उनको सहलाते हुए दबा रहे थे जबकि रानी मेरा लंड पकड़ना चाहती थी लेकिन असफल थी क्यूंकि लंड तो उसके नर्म पेट में गड़ा हुआ था। रानी ने अपने एक पैर मेरी टांगों से लिपटा लिया था और मेरे बाल पकड़े हुए वो मुझको अपने मादक होंठों का रसपान करवा रही थी।

काफी देर तक एक दूसरे के लबों का जूस चूसने के बाद रानी ने मुंह अलग किया और बोली- पहले तो अपने लौड़े के दर्शन करवा… सबसे पहले आंखें हरी कर लूँ फिर आगे बढ़ूँगी साले चोदनाथ!

मैंने कहा- पैंट खोल के खुद ही निकाल के दर्शन कर ले हराम की ज़नी… ये लंड मुसंड भी तो पैंट की क़ैद से आज़ाद होने को बेचैन हो रहा है।

रानी ने लपक के मेरी पैंट की बेल्ट खोल दी और पैंट नीचे गिरा दी, उसके बाद रानी ने मेरी टी शर्ट भी उतार डाली, मेरी नंगी बाँहों को चूमते हुए रानी ने बनियान उतार के दूर कहीं फेंक दी। फिर रानी ने मेरे पेट की चुम्मियाँ लीं, मेरी निप्पल्स पर जीभ फिराई और नाभि चाटते हुए उसने मेरा बॉक्सर शॉर्ट भी नीचे खिसका दिया।

अब मैं एकदम मादरजात नंगा खड़ा था, लंड एक गुस्साए हुए नाग की भांति फुन्ना रहा था, साला बार बार तुनक तुनक के उछाल मार रहा था। रानी ने जैसे ही लौड़े को अपने मुलायम हाथों में थामा तो उम्म्ह… अहह… हय… याह… हवस की तेज़ धारा मेरे बदन में दौड़ी।

प्रीत रानी ने लौड़े को पुचकारते हुए, सहलाते हुए, चूमते हुए उसके साथ बातें करनी शुरू कर दीं- हाय.य.य… मैं मर जावाँ नागनाथ… आज तुम अपने बिल में घुसोगे नागनाथ… बिल भी तुम्हारी बाट देख रहा है जान… पता है तुम्हें तुम्हारा बिल पानी छोड़ रहा है ताकि तुम्हें भीतर घुसने में ज़रा भी दिक्कत न हो… पुच्च पुच्च पुच्च… हाय.य.य.य.य राजा.. लंड महाराज तुम इतने मोटे तगड़े हो! खून खून कर दोगे बुर को… पुच्च पुच्च पुच्च.. यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

प्रीत रानी ने तन्नाए हुए लौड़े की उभरी उभरी नसें दबाईं और अंडे सहलाये। फिर लौड़े की सुपारी को कई दफा चूमा चाटा। लंड की खाल धीरे से पूरी पीछे खींच के सुपारी नंगी की और फिर उसके साथ नाक सटा के सूंघ सूंघ के लंड की विशेष गंध का आनन्द लेने लगी, सूंघती चूमती और फिर लंड को दबाते हुए गहरी गहरी आहें भरती!

मैंने पूछा- रानी तू है तो अभी तक कुमारी कच्ची कली… ये सब कहाँ से सीखा?

प्रीत रानी खिलखिला के हंसी… बहनचोद हंसी क्या मदमस्त थी जैसे कोई झरना, प्रकृति की कृपा से, बड़ी ऊंचाई से नीचे धमाधम गिर रहा हो। अपनी दिलकश हंसी का आनन्द दिलाते हुए रानी ने उत्तर दिया- चोदनाथ राजा, कुछ चुदाई की फ़िल्में देखकर और ज़्यादातर तेरी लिखी कहानियाँ पढ़ कर… जो जो तेरी रानियों ने कहानियों में किया वो सब सीख लिया… हर कहानी की रानी से कुछ कुछ! मस्ताई हुई रानी ने झुक के फिर से लंड पर चुम्मियों की बरसात कर डाली।

‘अब आगे का प्लान सुन चोदनाथ राजा… अब दीपक तेरी आँखों पर मेरा दुपट्टा बांध देगा… मैं बिस्तर पर कम्बल ओढ़ के, नंगी होकर लेट जाऊँगी.. तू थोड़ा थोड़ा कम्बल हटाता जायगा और धीरे धीरे खुलते हुए मेरे अंग अंग को चूमेगा… ठीक है न चोदनाथ?’

मुझे क्या प्रॉब्लम थी, यह नए स्टाइल का सुन के मुझे भी बहुत तेज़ उत्तेजना होने लगी थी, अभी से दिख रहा था कि बहुत मज़ेदार चुदाई होने वाली है, मैं बोला- जो हुक्म रानी साहिबा! और घुटनों के बल बैठ के आँखें बंद करवाने की प्रतीक्षा करने लगा।

रानी ने दीपक को आर्डर दिया कि मेरी आँखों पर पट्टी बांधे। दीपक ने रानी का दुपट्टा उठाया और मेरी आँखों पर लपेट दिया। हम्म्म्म… हम्म्म्म! बहनचोद रानी के दुपट्टे से उसके शरीर की मदमाती गंध मेरे नथुनों में बसने लगी- आहा आहा आहा आहा आहा!! यारों मजा आ गया! मैं इस सुगंध का आनन्द लूट ही रहा था कि कम्बल के नीचे से रानी की आवाज़ आई- आजा चोदनाथ अब बिस्तर के पास आजा…

[email protected] नई कुंवारी बुर के चोदन की कहानी जारी रहेगी।