मेरी मामी की बुर चोदन के लिये तड़प रही थी

दोस्तो.. मेरा नाम राकेश है। मेरी उम्र 21 साल की है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और जो कहानी मैं आज आप लोगों को सुनाने जा रहा हूँ.. यह मेरी जिंदगी की एकदम सच्ची घटना है, आपसे विनती है कि थोड़ा समय देकर प्लीज़ इसे पूरा पढ़ें।

मेरा दावा है कि इस कहानी को पढ़कर आपके लंड से पानी अपने आप बहेगा और बुर इतनी गीली हो जाएगी कि घोड़े का लंड भी आसानी से घुस जाएगा।

बात आज से लगभग दो साल पहले की है, मैं एक हफ्ते के लिए अपने नानी घर गया हुआ था। जिस समय मैं उधर पहुँचा.. उस समय दोपहर के दो बजे थे, उस समय घर में सिर्फ मेरी मामी थीं.. जिनके पति उस वक्त किसी क्रिमिनल केस में जेल में थे।

जैसे ही मैं अन्दर गया मैंने देखा.. मामी मेरा ही इन्तजार कर रही थीं। मेरी मामी की 32-28-36 की फिगर बहुत ही कसी हुई और मस्त है। उनकी चूचियां तो मानो इतनी तनी हुई हैं कि उतनी तो ब्रा पहनने के बाद भी किसी की ना हों। सख्त चूचों के साथ ही उनकी गांड भी एकदम मदहोश कर देने वाली है।

मामी ने मुझसे कहा- राकेश बहुत देर कर दी आने में, मैं कब से आपका इन्तजार कर रही हूँ।

मैं आपको बता दूँ कि मामी मुझसे तीन साल की छोटी हैं। मेरे मामा की उम्र 36 साल है। ये मेरे मामा की दूसरी पत्नी हैं.. पहली पत्नी ने खुदकुशी कर ली थी। अब वापस कहानी पे आता हूँ।

मैंने कहा- क्या बात है भाई.. आज हमारी इतनी प्यारी मामी मेरा इतनी बेसब्री से इन्तजार कर रही हैं। लगता है आप हमें बहुत याद कर रही थीं.. है ना? मामी ने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा- आप अभी भी उतने ही शरारती हैं.. जितने कि पहले थे।

मैं और मामी पहले से एक-दूसरे के साथ बहुत मजाक करते थे। हम जानते थे कि हम दोनों एक-दूसरे को मन ही मन पसंद करते हैं। पर रिश्तों की गरिमा के कारण कभी सीमा को पार नहीं किया था।

फिर मैंने कहा- मामी आप तो जानती हैं कि मैं हमेशा खुश रहने और दूसरों को खुश करने में यकीन रखता हूँ। वैसे माँ कसम इस हरी-हरी नाइटी में आप एकदम मस्त और हरी-भरी लग रही हैं।

यह कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर पढ़ रहे हैं। मामी ने मुझसे बहुत ही गरम अंदाज में आँख मारी और कहा- आपके लिए ही तो पहनी है।

उनकी इस हरकत से मेरे शरीर के अन्दर आग से लग गई और ना चाहते हुए भी पता नहीं क्यों मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई, वो मेरे दिल को जलता हुआ छोड़ कर वहाँ से चली गईं। मामी जी जाते-जाते बोल गईं- आप फ्रेश हो जाइए.. मैं खाना लगा देती हूँ।

फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया। चूंकि मैं सफ़र के कारण बहुत थक गया था.. सो मैं सोने चला गया।

सोते वक़्त मामी ने मेरे सर पर तेल की मालिश कर दी। उस वक़्त मुझे उन पर बहुत प्यार आया तो मैंने उनके गाल पर एक चुम्मा धर दिया और ‘थैंक्यू..’ कह कर सो गया। फिर मैं सुबह सात बजे उठा, वो भी मामी ने मेरे चहरे पर पानी की कुछ बूंदें गिराकर उठाया।

मैं उठकर फ्रेश हुआ.. फिर हम दोनों ने कुछ देर बाद दोपहर में खाना आदि खाया। कोई काम तो था नहीं, सो हम सब फिर से सोने चले गए। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मुझे रह-रह कर मामी का आँख मारना याद आ रहा था।

तभी मेरे कमरे का दरवाजा अचानक खुला और मैंने देखा कि मामी अन्दर आईं, अन्दर आकर उन्होंने मुझे आवाज लगाई- सो गए क्या राकेश? तो मैंने कहा- नहीं.. अभी नींद ही नहीं आ रही है। मामी बोली- नींद तो मुझे भी नहीं आ रही है.. चलिए कुछ बातें करते हैं। मैंने कहा- ठीक है।

फिर हम दोनों बिस्तर पर बैठ कर बातें करने लगे।

मामी- राकेश आपकी कितनी गर्लफ्रेंड हैं? मैं- नहीं मामी, अभी तो एक भी नहीं है। मामी- झूठ मत बोलिए.. आप जितने हैंडसम लड़कों की तो चार-पांच होती हैं, आपकी भी जरूर होंगी। मैं- मामी आपसे झूठ न बोलूँगा.. पहले थी एक.. पर उसकी शादी हो गई।

मामी- फिर आपका मन कैसे लगता है? मैं- मन लगाना पड़ता है। वैसे मामा के बिना आपका भी तो मन नहीं लगता होगा। मामी- उनके रहने या न रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। वो जब रहते थे.. तब भी मुझे प्यार नहीं करते थे। अब तो वो नहीं लम्बे समय के लिए नहीं हैं। मैं- क्यों.. प्यार क्यों नहीं करते थे? आप इतनी मस्त लगती हैं कि कभी-कभी लगता है कि बस… मामी- बस क्या..?? मैं- छोड़िए ना मामी।

मामी- आपको मेरी कसम अपने दिल की बात बता दीजिए ना.. मैं भी सुनने को कब से तरस रही हूँ। मैं- बस लगता है जैसे आपको इतना प्यार करूँ कि आप सब कुछ भूल जाएं। मामी- तो करिए ना.. मैं दिल से सिर्फ आपकी ही हूँ।

मैं और मामी एक-दूसरे की आँखों में कुछ समय के लिए खो से गए। फिर हम दोनों के अन्दर एक तूफ़ान सा उठा, मैंने मामी के माथे को पकड़ कर उनके होंठों से अपने होंठ मिला दिए। वो भी पूरा साथ देने लगीं।

ईमानदारी से कहूँ तो वो मुझसे भी ज्यादा जोश में थीं। मैंने उन्हें बिस्तर पर पटक दिया और पागलों की तरह उनके होंठों को चूमने लगा। वो भी जोश में आकर अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी बुर मेरे लंड से रगड़ने लगीं।

मैं उनके रसीले होंठों को छोड़कर कभी उनके गाल.. तो कभी गर्दन और कान को भी चूसने लगा।

मामी- आह मेरी जान.. बहुत मजा आ रहा है, कब से मेरी जवानी आपका इन्तजार कर रही है.. आज पटक के कीजिए मुझे। मैं तुरंत अलग हो गया। मामी- क्या हुआ जान? मैं- पटक कर क्या करूँ.. ये तो आपने बताया ही नहीं? मामी मुस्कुराकर बोलीं- पटक कर चोद दीजिए मेरी जान!

मैं उनके मुँह से यही सुनना चाहता था। मुझे बहुत ज्यादा जोश आ गया। मैंने एक झटके से ऊपर उठा कर उनकी नाइटी पूरी खोल दी। इसके बाद उन्हें पूरी अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा। उनके हाथ मेरे बाल सहला रहे थे। उन्होंने कहा- आह राकेश मेरी चूचियां पीजिए ना!

मैंने उनकी ब्रा फाड़ कर झटके से अलग कर दी- उफ्फ.. क्या मस्त चूचियां हैं आपकी! उन्होंने भी चुदास भरे स्वर में कहा- राकेश अब से आप मुझे ‘आप..’ नहीं कहेंगे और ना ही मैं आपको ‘आप..’ कहूँगी। मैं चाहती हूँ कि हम दोनों एक-दूसरे को गालियाँ भी दें, अगर तुमको बुरा न लगे?

उन्होंने ‘तुमको..’ कह कर शुरुआत कर दी थी तो मैंने भी एक कदम आगे बढ़ा कहा- मादरचोदी.. तुमने तो मेरी दिल की बात कह दी। मामी गनगना उठीं। फिर मैं उनकी चूचियों को अपने हाथों में पकड़कर चूसने लगा।

मामी- आह राकेश आज अपनी रंडी रानी को पटक कर चोद दे भोसड़ी के.. आह आह ऐसे ही चूस मेरे राजा! वो पूरी मस्ती में बोले जा रही थीं- कब से मेरी बुर तेरे लंड की प्यासी है, देख ना.. कितनी गीली हो रही है.. चोद न जल्दी से.. आज इसे फ़ाड़ दे हरामी!

मैं कहाँ इतनी जल्दी मानने वाला था। मुझे उन्हें तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था। मैं उनकी मदमस्त चूचियां चूसे जा रहा था और बीच-बीच में अपने दाँतों से हल्का-हल्का काट भी रहा था।

मामी- आ.. आह.. अअह.. इतना मत तड़पा.. आह इस्सस.. ऐसे ही चूस अपनी रंडी मामी की चूचियां.. आह आह.. मेरा पानी निकल जाएगा मेरे राजा जल्दी चोद दो ना। मैं उनकी चूचियां छोड़ कर बोला- अभी कहाँ मेरी रानी.. अभी तुझे और तड़पाऊँगा। मामी- मादरचोद.. जल्दी से अपना मूसल लौड़ा मेरी बुर में घुसा.. नहीं तो मैं तुझे कच्चा खा जाऊँगी भोसड़ी के।

कसम से दोस्तो, मामी की यही बेचैनी मैं देखना चाहता था, तभी तो चुदाई का असली मजा आता है।

मैं भी पक्का खिलाड़ी हूँ, मैंने झट से अपने सारे कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो कर उनके बाल पकड़ के बोला- चोद दूँ क्या?? मामी अपनी कमर उठा कर अपनी बुर को पेंटी के अन्दर से ही मेरे नंगे एकदम खड़े लंड पर रगड़ते हुए बोलीं- जल्दी चोदो.. भैन के लंड.. मुझे अब और मत तड़पा।

मेरे चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई.. जिसे देख कर मामी डर सी गईं। मैंने कहा- अभी तो असली खेल बाकी है।

फिर मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए नाभि तक आ गया। उनकी साँसें तेज हो गईं। मैंने अपने दाँतों से उनकी पेंटी उतारकर उनकी जाँघों को चूमने लगा। वो जोश में आकर अपनी कमर उठाने लगीं और फिर मेरे बालों को पकड़ कर अपनी बुर की तरफ खीचने लगीं।

मैंने उनके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और एक झटके से उनकी बुर को पूरा का पूरा अपने मुँह में भर लिया। उनके मुँह से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह… राकेश आआह.. ऐसे ही.. हाँ हाँ.. ओअह..

मैं उनकी बुर में अपनी जीभ डालकर जोर जोर से अन्दर बाहर कर रहा था और वो मस्ती में अपनी कमर उठा उठा कर चीखे जा रही थीं- आआह्हह राजा.. आअह्ह.. मेरा पानी निकल जाएगा.. चोद दो मुझे..

मैंने देखा कि उनकी बुर से पानी आने ही वाला है.. तो मैं तुरंत उनके ऊपर आ गया और अपना लंड उनकी बुर के छेद पर रखकर ज़ोरदार धक्का लगा दिया- ‘गच्छ..’ की आवाज के साथ मेरा लंड उनकी बुर को चीरता हुआ अन्दर समा गया।

उनकी बुर से निकलता पानी मेरे लंड को अन्दर से भिगो रहा था और उनका शरीर झटके खा रहा था।

मैंने उनकी आंखों में देखा.. तो वो बोलीं- मजा आ गया राजा.. क्या टाइमिंग थी आपकी.. ऐसा एहसास तो पहले कभी नहीं किया मैंने। मैंने कहा- ये तो सिर्फ ट्रेलर था.. फिल्म तो अभी बाकी है मेरी रानी। उन्होंने कहा- अच्छा.. देखते हैं तुम्हारे लंड में भी कितना दम है?

मुझे गुस्सा आ गया मगर प्यार वाला गुस्सा। मैंने उनकी दोनों चूचियां पकड़ लीं और उन्हें पागलों की तरह चोदने लगा। पूरे कमरे में ‘ठप.. ठप..’ की आवाज गूँज रही थी। मामी- वाह मादरचोद.. क्या चुदाई कर रहा है तुम्हारा लंड.. अहह.. मेरी बुर तो तुम्हारी दीवानी हो गई.. अआह इस्स्सस आअह.. और जोर से भोसड़ी के.. अआह ऐसे ही चोदो रे साले कुत्ता.. मादरचोद.. मेरी प्यासी बुर की आग को आज अपने लंड से बुझा दे.. आआआ अआह हाँ मेरे राजा.. चोदो मुझे.. आह्ह.. रंडी बना दो आज मुझे.. आह्ह..

मैं भी पूरा जोश में आ गया था- ले साली रंडी.. रानी मजा आ रहा है चुदवाने में.. ले और अन्दर तक ले.. साली छिनाल.. मामी- हाँ मेरे राजा.. अआह.. ऐसे ही चोदते रहो.. मेरा पानी आने वाला है।

हम तकरीबन 20 मिनट तक चुदाई करते रहे। तभी हम दोनों एक तेज आवाज के साथ चरम पर आ गए।

‘आआह्हह राकेश.. और कस के चोदो.. मेरी बुर का पानी आने ही वाला है.. अआह आह..’ ‘हाँ मेरी रानी.. आह आह.. मेरा भी गिरने वाला है.. आह आह मेरी रंडी क्या बुर है.. तुम्हारी.. लग रहा है जैसे गरम भट्टी हो.. आआह.. आआह्हह..’

‘थप.. थप..’ की तेज आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं और मामी कमर उठा-उठा कर मेरे लंड से अपनी प्यासी चूत चुदवा रही थीं। मामी- आह्हह.. राकेश आअह.. राकेश मैं गई..

इसके साथ ही मामी की बुर ने इतना पानी छोड़ा.. जैसे उनकी बुर में बाढ़ आ गई हो और अब मैं भी गिरने वाला था।

मैंने उनकी बुर में आठ-दस धक्के न्यूक्लियर बम जैसे गिराए.. और फिर हम दोनों लगभग दो मिनट तक झड़ने का मजा लेते रहे।

हम दोनों के जिस्म जोर-जोर से झटके खा रहे थे और साँसें राजधानी एक्सप्रेस की तरह चल रही थीं।

फिर हम अलग हुए तो दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार भरी निगाहों से देख रहे थे। मामी ने कहा- राकेश जो आज तुमने मुझे दिया है.. मैं इसका एहसान कभी नहीं चुका सकती। मैंने कहा- ये मेरा एहसान नहीं है.. ये मेरा प्यार है तुम्हारे लिए। अगर बदले में तुम मुझे कुछ देना चाहती हो, तो बस वादा करो कि कभी किसी भी वजह से अपनी आँखों में आंसू नहीं लाओगी। चाहे जो भी वजह हो और आज से मैं हमेशा तुम्हें हद से ज्यादा प्यार करूँगा। चाहे जितना भी वक़्त गुजर जाए।

यह सुनकर उनकी आँखों में आंसू आ गए, मैंने उनके गाल पर हल्की सी चपत लगाई और उन आसुओं को अपने होंठों से पोंछ डाला। वो बस किसी बच्ची की तरह मेरी बांहों में समा गईं। हमने उस रात बार-बार चुदाई की।

अभी उनके पति जेल से वापस आ चुके हैं। उस दिन के बाद कभी हमारे बीच दोबारा वैसा नहीं हुआ। पर आज भी हम जब एक-दूसरे के सामने होते हैं.. तो आँखों ही आँखों में एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं।

हम दोनों के मन में ये उम्मीद अभी भी है कि वैसी रात दोबारा हमारी जिंदगी में जरूर आएगी।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. इसके लिए अपने सुझाव इस एड्रेस पर मेल कर सकते हैं। ये मेरी पहली कहानी है.. तो गलतियों को लिए मुझे माफ़ कर दीजिएगा। मैं कोशिश करूँगा कि अगली बार से कोई गलती न करूँ। [email protected]