Ranjan Ki Vapasi, Chudai Ka Tufaan – Episode 4

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

हाजिर हूँ आपके लिए एक बार फिर अपनी इंडियन सेक्स हिन्दी स्टोरी का अगले एपिसोड लेकर! आगे पढ़िए..

मैं अपनी सुहागरात के लिए दुल्हन की तरह सज सवार कर तैयार हो रही थी. पुरे चेहरे के मेकअप के दौरान मेरे दोनों दूल्हे बाहर से दस्तक देते हुए अधीर हो रहे थे, कि मैं कब तैयार होउंगी और वो कब अंदर आ पायेंगे.

मुझे भी पता था कि जिस तरह से मैं दुल्हन बनी हूँ, मुझे वो लोग बुरी तरह से रगड़ने वाले हैं तो जितना देर कर सकती थी मैंने की. शायद ये गलत भी था, जितना वो तड़पेंगे मेरी उतनी बुरी खबर लेंगे.

अंत में मैं तैयार हो गयी. बैडरूम की कुंडी खोल उनको अंदर से ही आवाज लगा दी कि मैं तैयार हूँ. मैं अब आकर बिस्तर पर बैठ गयी और साड़ी से अपना चेहरा ढक घूँघट बना लिया. मैं अब इंतजार करने लगी अपनी खुद की बेंड बजवाने के लिए.

एक एक करके दोनों दूल्हों ने कमरे में प्रवेश किया. उन दोनों ने कुर्ता पायजामा पहन रखा था. एक मेरा पति और दूसरा शायद मेरे बच्चे का असली बाप था.

मेरे लिए तो वो असली सुहागरात के जैसा ही था. दोनों बिस्तर की ओर बढ़ने लगे और एक असली दुल्हन की तरह मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा.

वो दोनों मेरे सामने बिस्तर पर आकर बैठ गए. दोनों ने एक एक हाथ लगाया और मेरा घूँघट ऊपर उठाने लगे. मेरा दुल्हन की तरह सजा चेहरा देख कर दोनों की हवाइयां उड़ने लगी. एक अनार था और दो बीमार थे.

रंजन ने आगे बढ़ कर मेरे नीचे के होंठ को अपने होंठ के बीच फंसा चूसने लगा. मैं आँखें बंद कर उसको महसूस करने लगी.

दो मिनट तक चूसने के बाद उसने मुझे छोड़ा, तो अशोक ने आगे बढ़कर मेरे ऊपर के होंठ को चूसना शुरू कर दिया. उसके नीचे के होंठ मेरे मुँह में थे तो मैंने भी चूसना शुरू कर दिया, रंजन वैसे ही मेरे होंठ चूस थोड़ा मूड बना चूका था.

वो दोनों बिलकुल जल्दबाजी नहीं कर रहे थे. लग रहा था वो दोनों पुरे मूड में हैं और बहुत देर तक मेरे मजे लेने वाले हैं. अशोक ने मुझे चूसना छोड़ा और मैंने उनकी शकले देखि, दोनों के मुँह पर मेरी लिपिस्टिक लग चुकी थी.

वो दोनों मेरे आजु बाजु आकर खड़े हो गए और अपना पाजामा खोल कर नीचे कर दिया. दोनों के लंड कड़क होकर बिलकुल तैयार थे.

उन्होंने मुझे चूसने को कहा पर मेरा तो एक ही मुँह था. एक बार में मैंने एक एक का लंड अपने मुँह में ले चूसा तो दूसरे का अपने हाथ से रगड़ा.

दोनों में होड़ मची थी कि किसका लंड ज्यादा देर मेरे मुँह में रहेगा. मैंने दोनों दूल्हों से बराबर न्याय किया. कोई नहीं जीता तो कुछ मिनटों के बाद उन्होंने मुझे छोड़ दिया और नीचे लेटा दिया.

रंजन मेरी जांघो पर बैठ गया और मेरी साड़ी को पेट से हटा दिया. फिर दोनों हाथों से मेरी पतली कमर पकड़ कर आगे झुक कर मेरा पेट चूमने लगा.

वो अपने गीले गीले होंठ मेरे पेट पर घुमा मुझे चूमते हुए गुदगुदी कर रहा था और मुझे मजे आ रहे थे, जिससे हलकी सिसकिया निकलने लगी.

दूसरा दूल्हा कहा पीछे रहने वाला था. अशोक ने साड़ी को मेरे सीने से हटा दिया और मेरी चोली के ऊपर से झांकते हुए मेरे मम्मो को अपनी गीली जबान से चाटने लगा.

इस दोहरे आक्रमण से मुझे और नशा चढ़ने लगा. मेरी आहें और सिसकियाँ जारी थी और ये कह पाना मुश्किल था कि कौन सा दूल्हा ज्यादा मजे दिला रहा था.

उन लोगो ने भी थोड़ी देर चाटते चूमते हुए मेरी सिसकियों का आनंद लिया. मुकाबला अभी भी बराबर पर था, तो उन्होंने अगला कदम बढ़ाने की सोची.

उन्होंने मेरी साड़ी निकाल कर अलग कर दी. अशोक मेरी लम्बी गरदन को चुमने लगा, तो रंजन ने मेरे लहंगे के नीचे हाथ डाल मेरी पैंटी निकाल दी.

रंजन ने लहंगा थोड़ा ऊपर उठाया और अपना सर अंदर घुसा दिया. मैंने उसको जगह देने के लिए अपने पैर चौड़े कर दिए और मेरे घुटनो को मोड़ दिया और वो अब मेरी चूत चाटने लगा.

रंजन के मेरी चूत चाटना शुरू करते ही मैं अनियंत्रित होने लगी और जोर जोर से सिसकिया भरते हुए रंजन को रुकने को बोल रही थी, कि मुझे बहुत गुदगुदी हो रही हैं वो ऐसा ना करे.

पर इसमें तो उसकी जीत थी, वो अपनी जबान मेरी चूत की दरार में और भी अंदर घुसा कर लपलपाने लगा और मैं और जोर से आहें भरने लगी.

अशोक ने मेरी गरदन चूमना छोड़ अपना कुर्ता भी निकाल पूरा नंगा हो गया. मेरे चेहरे के ऊपर लगभग बैठते हुए उसने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया. मैंने उसका कड़क हो चूका लंड अपने मुँह में ले चूसने लगी.

रह रह कर मुझे उसका लंड मुँह से निकालना पड़ रहा था, क्यू कि मेरी चूत को रंजन बहुत मादक तरीके से चूस रहा था और सिसकिया निकालने के लिए मुझे मुँह खाली चाहिए था.

रंजन ने मेरे पाँव खिंच कर मुझे पूरा लेटा दिया. अशोक मेरे ऊपर से हट गया था. रंजन ने मेरे पांवो को मुड़ाते हुए मुझे उल्टा लेटा दिया. अशोक ने मेरी चोली को बंधी डोरिया खोल दी. अशोक ने मेरी चोली पूरी निकाल दी तब तक रंजन ने अपना कुर्ता खोल पूरा नंगा हो गया.

रंजन ने मेरी कमर को पकड़ अपनी तरफ खिंचा और मुझे घुटनो के बल आधा लेटा दिया. मेरे लहंगे को ऊपर उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल धक्के मारना शुरू कर दिया. अशोक नीचे से हाथ डाल मेरी चूंचिया दबाता रहा.

मेरी सिसकिया निकल रही थी. रंजन भी जोर की आवाजे निकालते हुए मुझे चोदता रहा.

अशोक ने अपना हाथ चूंचियो से थोड़ा नीचे ले जाकर मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया. रंजन ने मुझे चोदना छोड़ा और मेरा एक हाथ पकड़ लिया तो अशोक ने दूसरा.

फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर खडी होने को बोला. उन दोनों का हाथ पकड़े मैं जैसे ही खड़ी हुई, मेरा नाड़ा खुला हुआ लहंगा कमर से गिर कर मेरे कदमो में जा गिरा.

इतने भारी लहंगे से पता ही नहीं चला कब उसने मेरा नाड़ा खोल दिया था. मैं शरमा रही थी और दोनों ने मेरी शर्म मिटाने के लिए थोड़ी देर मुझे उसी हालत में खडी रखा. इस बीच कोई मेरा मम्मा दबा देता तो कोई मेरी चूत को सहला देता.

जैसे ही उन्होंने मुझे छोड़ा, तो मैं अपने घुटनो से अपना सीना छिपाये बैठ गयी. रंजन लेट गया और मुझे उस पर चढ़ने को बोला.

उन दोनों ने मुझे जबरदस्ती रंजन पर लेटा दिया. मैं जोंक की तरह उस से लिपट गयी. मेरे मम्मे उसके सीने से दब गए. उसने अपना लंड एक बार फिर मेरी चूत में घुसा अंदर बाहर रगड़ मारते हुए चोदने लगा.

थोड़ी देर में मेरे अंदर भी कुछ कुछ होने लगा, तो मैं भी आगे पीछे हिलते हुए चुदने लगी.

तभी अशोक आकर मेरे ऊपर चढ़ गया. वो अपना लंड ले मेरी गांड में घुसाने की कोशिश करने लगा. मैं उस पर चीखी कि उसने मुझे मना किया था एक साथ करने से.

उसने मुझसे कहा कि मैं दो मिनट लेकर देखु, अगर अच्छा नहीं लगेगा तो वो निकाल देगा. ये कहते हुए उसने अपना लंड मेरी गांड में घुसा धक्के मारना शुरू कर दिया.

एक बार तो मुझे दर्द हुआ, फिर अच्छा लगने लगा. कुछ सप्ताह पहले ही डीपू ने अपने लंबे चौड़े लंड से मेरी गांड का छेद बड़ा कर दिया था तो अभी इतनी तकलीफ नहीं हुई.

मोहित ने कैसे मंजू मोगे वाली की चुदाई करी और उसके मजे लिए. यह तो आप उसकी सची इंडियन सेक्स हिन्दी स्टोरी में जान पायेगे.

आगे पीछे दोनों छेदो से एक साथ चुदते हुए मुझे भी मजा आने लगा, तो मैं भी कराहने लगी और आहहह आहह्ह करते मजे लेने लगी.

रंजन हम दोनों के बोझ के तले दब गया, तो उसने अशोक को उठने के लिए कहा. कुदरत का कैसा मजाक था कि एक पराया मर्द दूसरे को अपनी बीवी को ही चोदने से मना कर रहा था, ताकि वो खुद उसकी बीवी को चोद पाए.

अशोक मेरे ऊपर से हट गया पर अपना लंड बिना बाहर निकाले पाँव झुकाये खड़े खड़े ही मेरी गांड चोदता रहा.

दो लोगो से चुदने की ख़ुशी से ज्यादा इस बात कि ख़ुशी थी, कि जिस चीज को लेकर तीन सप्ताह से परेशान थी अब मेरे पास खुला लाइसेंस था बच्चा पैदा करने का.

अशोक के मेरी गांड में पड़ते हर धक्के के साथ, मैं भी साथ ही साथ रंजन को धक्के मार उसके लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रगड़ रही थी.

वो सुहागरात का माहौल था या दो मर्दो से एक साथ चुदाई का प्रभाव कि मेरी चूत ने अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. मैंने अब रंजन के लंड को अपनीं चूत की और भी गहराई में घुसाना शुरू कर दिया. मेरी चूत की गहराइयों में उसके लंड के उतरते ही मेरे साथ रंजन की हालत भी ख़राब होने लगी.

हम दोनों मुँह खुला रख जोर से चीखते हुए आहें भर रहे थे.

मेरे और रंजन के सीने चिपके रहने से वहा पसीना पसीना हो गया. हमारी आहें सुन अशोक ने मेरी गांड मारना बंद कर दिया और अलग हो गया.

मैं भी पसीने से बचने के लिए अब बैठे बैठे ही ऊपर नीचे हो चुदने लगी, जैसे घुडसवारी कर रही हो. रंजन ने दोनो हाथो से मेरे मम्मो को मसलना शुरू कर दिया.

मजा तो बहुत आ रहा था, पर इसी स्थिति में इतनी देर तक करने से पाँव अकड़ने लगे थे. मैं ना चाहते खड़ी हुई ताकि पाँव सीधे कर सकू.

कुछ सेकण्ड्स के बाद ही मैं एक बार फिर बैठने लगी, तो रंजन ने उल्टी बैठने को बोला. मैं उसकी तरफ पीठ कर उसके लंड पर बैठ गयी.

मैंने रंजन का लंड एक बार फिर अपनी चूत में घुसा चोदना शुरू कर दिया. मैं अब ऊपर नीचे फुदकते हुए रंजन को चोद रही थी.

अशोक ने अपना लंड थोड़ा रगड़ा और मेरे मुँह में भर दिया. मैं उछलते हुए रंजन को चोद भी रही थी और अशोक का लंड चूस भी रही थी.

मेरा मुँह तो बंद था पर मेरे उस रात के दोनों पतियों की सिसकियाँ गूंज रही थी. इधर अशोक ने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ना शुरू किया और दूसरी तरफ रंजन और मैंने अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया.

अशोक अपना लंड मेरे मुँह में ही रखने की कोशिश कर रहा था, ताकि पानी ना छलके पर मेरी चूत से पानी रिसना शुरू हो गया.

अशोक ने झड़ने के बाद अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल दिया, पर उसका पानी अभी भी मैंने अपने मुँह में भर रखा था. रंजन से निपटु तो बाथरूम में जाकर वो पानी थूंक आऊ, पर रंजन अपनी पहली सुहागरात को इतना जल्दी ख़त्म नहीं करना चाहता था.

मैंने नीचे देखा तो उसका लंड मेरी चूत से निकले पानी से पूरा भर चूका था था. नीचे दबी दो चार लाल गुलाब की पंखुडिया पर सफ़ेद पानी से भर दागदार हो चुकी थी. मुझे उन गुलाब की पंखुड़िया अपने जैसी लगी, मेरी तरह वो भी दागदार हो चुकी थी.

फिर मैंने अपने मुँह में अशोक का छोड़ा पानी अपमान के घूंट की तरह पी लिया. रंजन के कहने पर मैं उसके ऊपर पीठ के बल लेट गयी. उसने मेरे दोनों मम्मे दबोच लिए और मसलना शुरू कर दिया.

अब मैंने धक्के मारना बंद कर दिया था. मैंने अपने दोनों पाँव मोड़ दिए और अपनी चूत उसके लिए पूरी खोल दी और रंजन अपने घुटने मोड़ कर धक्के मारता हुआ मुझे चोदना जारी रखे हुए था.

इस बीच अशोक ने पास बैठे हुए मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. मेरी चुदाने की इच्छा फिर से जाग गयी. अंदर एक झुरझुरी सी होने लगी. रंजन के लंड की रगड़ के साथ मेरी आहें फिर से चालू हो गयी थी. हम दोनों अपने चरम की तरफ बढ़ने लगे.

रंजन: “बोल, ज्यादा अच्छा कौन चोदता हैं?”

मैं: “तुम..”

रंजन ने एक और जोर का झटका मारा बोला: “जोर से बोलो.”

मैं: “आहह्ह, रंजन ज्यादा अच्छा चोदता हैं.”

रंजन: “अब जब तक ख़त्म न हो मेरी तारीफे करती रहो.”

उसने मुझे ये बात रटते को बोली कि मेरा नया पति रंजन मुझे ज्यादा अच्छा चोदता हैं. मैं भी चूदने के आधे नशे में थी तो मैं भी ये बात जोर जोर से रटने लगी.

अशोक को तो अच्छा नहीं लगा होगा वो उसके चेहरे से पता चल गया, पर रंजन पर मर्दानगी का ज्यादा नशा चढ़ने लगा.

वो नीचे से अपनी गांड पटक पटक कर मुझे झटके मारता रहा. रंजन अब मुझे जो बोलने को कहता मैं वो बोलती, रंजन का मकसद खुद को उकसा कर ज्यादा मजे लेना था.

हम दोनों को कोई चिंता ही नहीं थी कि अशोक पर क्या बीतेगी. रंजन ने मुझे ये सब बातें बोलने को बोली और मैंने भी आधी मज़बूरी में ये सब बोला:

“आह्हह रंजन क्या चोदते हो तुम. उई माँ, आज तक तुम्हारे जैसा किसी ने नहीं चोदा. रंजन आज चोद चोद कर मेरी भौसड़ी फाड़ दो. रंजन अपना लंड और जोर से अंदर डाल कर हिलाओ. हां, ये वाला, आहह्ह्हह मेरी चूत, अपना पानी भर दो रंजन मेरी चूत में.”

रंजन अपनी तारीफे सुन सुनकर पागलो की तरह चोदे जा रहा था. दूसरी तरफ अशोक गुस्से में अपना लंड रगड़े जा रहा था.

फिर रंजन ने जोर जोर से आहह्ह्ह आहह्ह्ह करते हुए अपनी हर एक आहह्ह्ह के साथ अपने लंड से अपना पानी मेरी चूत में थूंक रहा था. अपनी आठ दस आहों के साथ ही उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में उतार दिया. साथ ही साथ मैं भी झड़ गयी.

रंजन घायल शेर की तरह वही ढेर हो गया. मैं उस पर से उठी और मेरी चूत से जैसे सफ़ेद पानी की हलकी बौछार हुई और रंजन के लंड और गोटियो को नहला दिया.

मैं अपने आप को संभालती उसके पहले ही अशोक जो गुस्से में भरा बैठा था मेरे ऊपर टूट पड़ा. उसने मुझे वही बिस्तर पर उल्टी गिरा दिया और अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया. मैं तो वैसे ही थकी और भरी हुई थी तो बिना हरकत के लेटी रही.

अशोक मेरी गांड को जोर जोर से थाप थप की आवाज निकाले मारते हुए अपनी मर्दानगी साबित कर रहा था. अगर मैं चीखती तो शायद उसकी मर्दानगी साबित हो जाती.

जहा वो चोद रहा था वहा मजे से आहें तो आना मुश्किल था, पर हलके दर्द से कराह जरूर शुरू हो गयी. उसको इसी में संतोष मिल गया.

दोनों पतियों की असली मर्द होने की होड़ में मैं पीस गयी थी. उसने अगले पांच दस मिनट तक मेरी गांड मार कर अपनी भड़ास मिटाई और मैं कराहते हुए उसकी मर्दानगी को संतुष्ट करती रही.

उसके मेरी गांड में झड़ने के बाद ही उसने मुझे छोड़ा. मेरे में अब हिम्मत नहीं बची थी कि मैं उठ कर चल भी पाऊ. उन्ही दोनों ने मिल कर जितनी साफ़ सफाई करनी थी उतनी की.

मैं वही लेटी रही और मेरे दोनों पतियो ने मुझे बीच बिस्तर में लेटा मेरे आजु बाजू आकर लेट गए. इतनी मेहनत करने के बाद हम तीनो ने चैन की नींद ली.

अगली सुबह क्या मेरा एक दिन का पति रंजन मुझे इतनी आसानी से छोड़ देगा या और मजे लेगा? ये इस इंडियन सेक्स हिन्दी स्टोरी में जल्द ही पता चलेगा.

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000