मेरी लवलीन कामुक है कामान्ध नहीं-2

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लेखक: नामित जैन सम्पादक: सिद्धार्थ वर्मा शाम को मैं लवलीन के पापा को बाईक से स्टेशन ले गया और गाड़ी पर चढ़ा कर घर आया। वापिस आने के बाद मैंने देखा कि दीदी तैयार होकर अपने बॉयफ्रेंड से मिलने के लिए बाहर चली गई थी और माँ रसोई काम कर रही थी।

मैंने लीना को दीदी के कमरे में बैठे देखा तो काफी देर तक उसके साथ बातें करता रहा और फिर वहां से उठ कर ऊपर छत पर चला गया। मुझे छत पर आये दस मिनट ही हुए थे कि लीना भी छत पर आ कर एक छोर से दूसरे छोर तक टहलने लगी और मैं मुंडेर पर बैठा उसे निहारता रहा। जब वह मेरे सामने की ओर से आ रही होती थी तब उसकी चूचियों की और जब वह वापिस जा रही होती थी तब उसके नितम्बों की बनावट निहारने को मिल जाती थी।

मैं उस नज़ारे को देखने में मग्न था, जब माँ की आवाज़ आई- लीना, ताज़ा पानी आ गया है और बाथरूम भी खाली है इसलिए तुम जल्दी से जा कर नहा लो। माँ की आवाज़ सुन कर लीना नीचे चली गई और मैं छत की मुंडेर पर बैठा कुछ देर पहले के बीते लम्हों को याद करने लगा।

लगभग पांच मिनट के बाद माँ ने मुझे आवाज़ दे कर कहा- नामित, मैं तरकारी भाजी लेने के लिए बाज़ार जा रही हूँ, तुम बाहर का दरवाज़ा बंद का लो। ‘अच्छा माँ… कहता हुआ मैं भाग कर नीचे गया और बाहर का दरवाज़ा बंद कर के नहाती हुई लीना को देखने के लिए सीधा बाथरूम के बाहर पहुँचा।

शायद उस दिन मेरा भाग्य बहुत ही बलवान था क्योंकि मैंने देखा का बाथरूम का दरवाज़ा आधा खुला हुआ था। हमारे बाथरूम के दरवाज़े को चिटकनी बहुत सख्त होने के कारण शायद लीना उसे ठीक से लगा नहीं सकी होगी इसलिए वह खुला रह गया था।

मैंने थोड़ा ओट में होकर बाथरूम में झाँका तो देखा कि उस आधे खुले दरवाज़े से अनभिज्ञ नग्न लीना आँखें बंद किये एक हाथ से अपने स्तनों को मसल एवं दूसरे हाथ से अपने योनि की भगनासा को सहला रही थी।

मैंने तुरंत अपना मोबाइल फ़ोन निकाला और उस आनन्दायक, आकर्षक तथा महत्वपूर्ण दृश्य की वीडियो बनाने लगा। वीडियो बनाते हुए मैं मन्त्रमुग्ध लीना के नग्न शरीर की सुन्दरता एवं उसके द्वारा की जा रही क्रिया को देख रहा था, तभी उसके मुहं से एक सिसकारी निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

उसने अपनी टांगें आगे की ओर फैलाते एवं अकड़ाते हुए अपने हाथ को बहुत तीव्रता से हिलाते हुए अपनी भगनासा को सहलाने लगी। दो मिनट की इस क्रिया के बाद उसके मुँह से एक लम्बी सिसकारी निकली और उसने अपनी टाँगें भींच कर कुछ क्षणों के लिए स्थिर हो गई। उसका शरीर पसीने से भीग गया और टांगें निढाल हो कर फ़ैल गई तथा उसकी योनि में से उसके रस की बूँदें बाथरूम के फर्श पर टपकने लगी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

जैसे ही उसके शरीर में जान आई तब उसने जल्दी से एक मग में पानी ले कर अपनी योनि को अच्छे से मल कर धोया और बाथरूम के फर्श पर गिरे रस पर पानी डाल कर नाली में बहा दिया। फिर लीना ने अपने बाल समेट का सिर के ऊपर जूड़ा बना दिया और उठ कर शावर चला कर नहाने लगी।

बाथरूम की दूधिया रोशनी में उसका पानी से भीगा शरीर बिल्कुल एक सफ़ेद संगमरमर की तराशी हुई मूरत की तरह चमक रहा था। मैं नग्न लीना को देखने एवं वीडियो बनाने में इतना मग्न हो गया था कि मुझे पता ही नहीं लगा कि मैं कब बाथरूम के दरवाज़े की ओट से निकल कर उसके सामने पहुँच गया था।

नहाने के बाद लीना शावर बंद कर के दरवाजे के पीछे टंगे तौलिये को लेने के लिए जैसे ही घूमी और मुझे देखा तो एक चीख मार कर अपने गुप्तांगों को छुपाती हुई फर्श पर बैठ गई। लीना की चीख सुन कर मैंने चौंकते हुए तुरंत अपना मोबाइल फ़ोन अपनी जेब में छुपा लिया और दरवाज़े के पीछे टंगे तौलिये को उतार कर उसके शरीर पर डाल कर बाथरूम से बाहर निकल गया।

बाथरूम से निकल कर मैं सीधा अपने कमरे में गया और अपने मोबाइल को अपने लैपटॉप से जोड़ कर लीना के उस वीडियो को उस पर स्थानांतरित कर के अपने मोबाइल फ़ोन को खाली कर दिया।

मुझे आशा थी कि उस घटना के बाद लीना कपड़े बदल कर मुझसे झगड़ा करने के लिए मेरे कमरे में आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कुछ देर के बाद ही माँ तरकारी ले कर वापिस आ गई थी।

उसके बाद घर में सब समान्य ही चलता रहा और रात दस बजे घर के सभी सदस्य तो घोड़े बेच कर सो गए लेकिन मैं सो नहीं सका क्योंकि नग्न लीना के दृश्य मेरी आँखों के आगे घूम रहे थे।

मैं सुबह देर से उठ कर बैठक में गया तो देखा कि पापा और दीदी काम पर जा चुके थे और लीना रसोई के काम में माँ का हाथ बटा रही थी। मैं माँ को पुकारता हुआ जब रसोई में घुसा तब मुझे देखते ही लीना चुपचाप रसोई से बाहर चली गई।

मुझे रसोई में देखते ही माँ बोली- बेटा, क्या बात है तबियत तो ठीक है? आज बहुत देर से उठा है। मैंने कहा- मैं ठीक हूँ माँ, रात नींद देर से आई थी इसलिए उठने में थोड़ी देर हो गई। मेरी बात सुन कर माँ ने कहा- चल जल्दी से मुहं हाथ धो ले और दांत साफ़ कर के आजा। मैं तब तक तुम्हारे लिए चाय नाश्ता बना देती हूँ।

मैं उन्हें ‘अच्छा’ कह कर रसोई से बाहर आया और बाथरूम से जा कर दांत साफ़ किये, हाथ मुंह धोकर तरोताज़ा होकर जब बैठक में आया तो लीना को बैठक में खड़े देखा। मेरे डाइनिंग टेबल पर बैठते ही माँ चाय नाश्ता दे गई और जब मैं नाश्ता कर रहा था तब मुझे महसूस हुआ कि शायद लीना मुझ से कुछ कहना चाहती है। इस जिज्ञासा से की वह मुझे क्या कहती है, मैंने उसकी ओर देखा लेकिन वह हल्का सा मुस्करा कर बैठक से बाहर दीदी के कमरे में चली गई।

मैं असमंजस में चाय नाश्ता करके जब अपने कमरे में जाने लगा तब देखा कि माँ कपड़े धोने और नहाने के लिए बाथरूम में जा रही थी। मेरे अनुभव के अनुसार माँ एक घंटे के बाद ही बाथरूम से नहा कर ही निकलेगी इसलिए अपने कमरे में जाने के बजाये दीदी के कमरे में चला गया।

वहां एक बिस्तर पर लीना आधी लेटी तथा आधी बैठी कुछ सोच रही थी और मुझे कमरे में प्रवेश करते देख कर वह उठ कर बैठ गई। मुझे उसके चेहरे पर संकोच का आभास हो रहा था क्योंकि शर्म से चेहरा लाल हो रहा था लेकिन उसकी झुकी हुई नज़रें मुझे कुछ कहने की कोशिश कर रही थी।

मैंने दूसरे बिस्तर पर बैठते हुए उससे पूछा- तुम यहाँ कमरे में अकेले बैठे क्या कर रही हो? मुझे तुम कुछ चिंतित दिख रही हो, क्या बात है? उसने बहुत ही दबी आवाज़ में मुझसे कहा- कृपया कल वाली घटना किसी को बताना नहीं और आपने जो वीडियो बनाई है वह अपने फ़ोन से मिटा दीजिये।

मैंने बिना उसके ओर देखे कहा- किसी भी मूल्यवान वस्तु या दस्तावेज़ को नष्ट नहीं किया जाता बल्कि उसे सुरक्षित रखने के लिए उसे बैंक के लॉकर में रखते है। मेरा सुझाव है कि तुम्हें भी तुम्हारी कल शाम की बाथरूम में क्रिया की मूल्यवान यादें एवं उनकी छवि को नष्ट नहीं करना चाहिए तथा उसे सुरक्षित रखना चाहिए।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मैंने कहा- मैं तुम्हारी उन मूल्यवान यादों एवं उनकी छवि को नष्ट नहीं करके अपने बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखने के लिए तैयार हूँ। इस के एवज में जैसे बैंक हर सुरक्षित लॉकर के लिए थोड़ा किराया लेता है मुझे भी उसी प्रकार तुमसे कुछ किराया मिलने की आशा है।

मेरी बात सुन कर लीना कुछ देर के लिए चुप रही और फिर बोली- तुम कैसी बात कर रहे हो? अभी तो मेरी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है और ना ही मैं कोई नौकरी करती हूँ। इन हालत में मैं तुम्हें किराया कैसे दे सकती हूँ?

लीना की बात सुन कर मैंने कहा- बैंक के लॉकर का तो मैंने सिर्फ तुम्हें एक उद्धारण दिया था। मैंने तुम्हें किराया चुकाने के लिए धन देने के लिए नहीं कह रहा हूँ। मेरा उत्तर सुन कर लीना ने असमंजस में पूछा- तो फिर तुम क्या कहना चाहते हो? अगर किराया धन में नहीं तो मैं तुम्हें किराए में क्या चाहिए?

मैंने झट से कह दिया- मैं तुम्हें एक बार फिर से उसी रूप में पूर्णतः निर्वस्त्र देखना चाहता हूँ जैसी तुम बाथरूम में थी। क्या तुम किराये में मेरी यह इच्छा पूर्ण करोगी?

मेरी बात सुन कर लीना कुछ क्षणों के लिए स्तब्ध हो गई और फिर अपने को नियंत्रण में करती हुई कहा- तुम यह क्या कह रहे हो? क्या तुम मुझे ब्लैक मेल कर रहे हो?

मैंने तुरंत उत्तर दिया- मैं तुम्हें ब्लैक मेल नहीं कर रहा हूँ। ना ही मैंने तुमसे पैसों की मांग करी है और ना ही कोई जोर ज़बरदस्ती की है तथा ना ही कोई धमकी दी है। तुम्हें मेरी आवशयकता है इसीलिए तुमने मुझसे उस मूल्यवान वस्तु को नष्ट करने की मांग करी है।

मेरी बात सुन कर वह चुप हो गई और आँखें निकाल कर मुझे घूर कर देखने लगी, तब मैंने उससे पूछा- क्या मैं जान सकता हूँ कि जिस बात को तुम गुप्त रखने के लिए कह रही हो वह क्रिया तुम बाथरूम में क्यों कर रही थी?

मेरा प्रश्न सुन कर लीना सकपका गई और बोली- तुम्हें उस बारे में कुछ भी जानने की ज़रुरत नहीं है। तुम सिर्फ इतना बताओ कि मेरे राज़ को गुप्त रखने और उस वीडियो को मिटाने के लिए तुम्हें क्या चाहिए? मैंने फिर अपनी मांग दोहरा दी- मैं तुम्हें एक बार फिर से उसी रूप में पूर्णतः निर्वस्त्र देखना चाहता हूँ जैसी की तुम बाथरूम में थी। क्या तुम किराये में मेरी यह इच्छा पूर्ण करोगी?

इस बार लीना बोली- इस बारे में सोच कर ही उत्तर दूंगी लेकिन आशा रखती हूँ कि जब तक मैं उत्तर नहीं दे देती तब तक तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे जिससे मेरे लिए कोई दुविधा खड़ी हो जाए। मैंने उत्तर में कहा- ठीक है, मैं आश्वासन देता हूँ कि मेरे अनुरोध का तुम्हारे द्वारा उत्तर देने तक मैं इस बारे में किसी से भी बात नहीं करूँगा।

अगले दो दिनों तक घर में जब भी मेरा सामना लीना से होता तो वह कन्नी काट कर माँ के पास या दीदी के पास भाग जाती।

तीसरे दिन सुबह लीना को कॉलेज में दाखिले के परिणाम के बारे में पता करने जाना था तब माँ ने मुझे उसके साथ जाने के लिए कहा। मैं माँ के आदेश सुन कर बहुत ही आनन्दित हो उठा और लीना को अपनी बाइक पर बिठा कर कॉलेजों में गया।

लीना को तीनों कॉलेज में दाखिला मिल गया था इसलिए वह बहुत खुश थी और उस ख़ुशी को मनाने के लिए मैंने उसे यूनिवर्सिटी के कॉफ़ी हाउस चलने के लिए कहा तो वह मान गई।

कॉफ़ी हाउस के एक कोने की मेज़ पर बैठ कर हम दोनों जब कॉफ़ी का मजा ले रहे थे, तब मैंने लीना की आँखों में आँखें डाल कर पूछा– लीना, दो दिन से ऊपर हो गए है लकिन तुमने अभी तक मेरे अनुरोध का कोई उत्तर नहीं दिया?

लीना ने मेरे प्रश्न के उत्तर में कहा- देखो मैं अभी अपने दाखिले को ले कर बहुत चिंचित थी इसलिए तुम्हारे किसी भी अनुरोध पर कोई विचार ही नहीं किया है। अब क्योंकि मेरी चिंता दूर हो गई है इसलिए अब मैं घर चल कर विचार करके तुम्हें उत्तर दे दूंगी। मैंने उत्सुकता से पूछा- तुम्हारा उत्तर कब मिलेगा? लीना ने भोला सा चेहरा बनाते हुए कहा- मैं रास्ते में सोच कर निर्णय ले लूंगी और घर पहुँचते ही तुम्हें बता दूंगी।

उसकी बात सुनते ही मेरे मुहं से निकला- क्यों मज़ाक कर रही हो? लेकिन लीना ने मेरी बात का कोई उत्तर नहीं दिया और मुस्कराते हुए अपनी कॉफ़ी समाप्त करके घर चलने के लिए उठ खड़ी हुई।

घर पहुँचने पर बाहर के दरवाज़े पर ताला लटका देख कर लीना परेशान हो गई लेकिन मैंने तुरंत बाइक की चाबियों के गुच्छे में उस ताले की अतिरिक्त चाबी से द्वार खोल दिया।

घर के अंदर जाकर जब मैंने माँ से फोन पर बात करी तब उन्होंने बताया कि उन्हें अचानक ही साथ के घर वाली आंटी के साथ हॉस्पिटल में आना पड़ा था। माँ ने यह भी बताया कि उन्होंने मुझे फोन किया था पर उन्हें मेरा फोन बंद मिला इसलिए बात नहीं हो सकी और उन्हें वापिस आने में लगभग दो घंटे लग सकते हैं।

मैं उस सुनहरे अवसर का एक क्षण भी व्यर्थ नहीं करना चाहते था इसलिए तुरंत दीदी के कमरे में पहुँच गया। वहाँ देखा कि लीना कपड़े बदल कर हलके नीले रंग की टी-शर्ट और गहरे नीले रंग के लोवर पहने बिस्तर पर लेटी कॉलेज से मिले परिणामों के बारे में अपने पापा को बता रही थी।

मैंने कुछ देर तक प्रतीक्षा की और जैसे ही लीना ने फ़ोन बंद किया मैं उसके पास जा कर बैठ गया और उसकी आँखों में आँखें डाल कर पूछा- लीना, मुझे आशा है कि रास्ते में तुमने मेरे अनुरोध पर विचार कर लिया होगा। तो बताओ तुम्हारा उत्तर क्या है?

लीना ने मेरे प्रश्न का उत्तर देने के बजाय अपना फ़ोन उठा कर उसमे कुछ देर बटन दबाती रही और फिर मुझे थमा दिया।

मैंने जब उसके फ़ोन में देखा तो भौंचक्का सा रह गया क्योंकि उसमें एक वीडियो चल रहा था जिसमें मैं बाथरूम में नग्न खड़ा माँ, दीदी एवं लीना की ब्रा और पैंटी को बारी बारी से सूंघ रहा था।

कुछ देर उन कपड़ों को सूंघने के बाद मैंने दीदी और लीना की ब्रा पहनने की कोशिश करी लेकिन छोटी होने के कारण उतार कर एक ओर रख दी। फिर मैंने माँ की ब्रा को पहना जो मुझे फिट आ गई और तब उसी अवस्था में हस्तमैथुन करते हुए अपने वीर्य को तीनों की पेंटी में गिरा दिया। उसके बाद मैं माँ की ब्रा उतार को दिया और अपने लिंग पर लगे वीर्य को दीदी एवं लीना तथा माँ की ब्रा से पौंछ कर नहाने लगा।

वीडियो के समाप्त होते ही मैंने विस्मय से लीना को देखा और पूछा- यह क्या है? इससे पहले कि मैं उस वीडियो को फ़ोन से मिटाता, लीना ने शेरनी की तरह झपटा मारते हुए मेरे हाथ से अपना फ़ोन छीन लिया और बोली- यह तुम्हारे अनुरोध का उत्तर है।

मैंने फिर प्रश्न किया- तुम कहना क्या चाहती हो? लीना ने उत्तर दिया- मैं तुम्हारी किस भी बात को मानने को तैयार नहीं हूँ और तुम्हारे अनुरोध को एक सिरे से ठुकराती हूँ। मैं तुम्हें चेतावनी भी देती हूँ कि अगर तुमने मेरी वीडियो का कोई गलत प्रयोग किया तो मैं तुम्हारी यह वीडियो तुम्हारी माँ, पापा और दीदी को दिखा दूंगी।

लीना की चेतावनी सुनने के बाद मैं उसे बिना कुछ कहे वहां से सिर झुकाए अपनी हार पर झल्लाता हुआ अपने कमरे में चला गया।

अगले दिन रमन जी आये और कॉलेज में दाखिले की प्रक्रिया को पूरा करके लीना को अपने साथ ले कर चले गए और मैं अपने खाली हाथ मलता रह गया।

मेरे प्रिय अन्तर्वासना के पाठको, यह थी मेरे एवं लीना के जीवन में घटी वह सत्य घटना जिसे मैंने आपके इसलिए साझा करी है ताकि लीना के बारे में बनी आपकी धारणा बदल सकूँ। मेरी लीना कामुक अवश्य है लेकिन कामान्ध लीनू बिल्कुल नहीं है और उसकी कामुकता मुझे बहुत प्यारी लगती है तथा मुझे उसकी बुद्धिमता एवं साहस पर बहुत गर्व भी है।


ऊपर लिखी घटना घटने के चार वर्ष बाद जब नामित इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करके भोपाल में नौकरी करने लगा तब उसके मम्मी पापा ने लवलीन के माता पिता के आग्रह एवं अनुरोध पर उसकी शादी लवलीन कर दी। मैं पिछले चार वर्ष से उन दोनों के संपर्क में हूँ और दावे के साथ कह सकता हूँ कि लवलीन भाभी कामुक ज़रूर हैं लेकिन वह कामान्ध लीनू तो बिल्कुल नहीं है। उन दोनों की जोड़ी एक आदर्श जोड़ी है और वे दोनों एक दूसरे के प्रति वफादार एवं निष्ठावान भी हैं।

प्रिय अन्तर्वासना के पाठको, मुझे आशा है कि आपको नामित जैन की यह पहली साहसिक रचना अवश्य पसंद आई होगी। इस रचना पर आपके विचार एवं टिप्पणियों का मेरी ई-मेल आई डी [email protected] पर स्वागत है।

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