आधी हकीकत आधा फसाना-5

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अब तक किमी अपनी शादी, सेक्स लाईफ और अपने साथ हुए धोखे को बता रही थी और मैं सारी बातें चुपचाप सुन रहा था। मैंने किमी से कहा- और दूसरी बार तुमने आत्महत्या का प्रयास क्यों किया? किमी ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा- अकेलेपन का दर्द तुम नहीं समझ सकते संदीप..!

किमी अपनी आँखों के आँसू पोंछते हुए बाहर चली गई। उसके अकेलेपन का दर्द मैं समझूँ या ना समझूं, पर मैं उसकी भरी हुई आवाज, उदास चेहरे को जरूर समझ रहा था क्योंकि उसके इस एक वाक्य ने मुझे अन्दर तक झकझोर दिया था।

उसके बाहर चले जाने के बाद मैं अकेला बैठकर बहुत कुछ सोचता रहा, उसकी मन:स्थिति को समझने का प्रयास करता रहा, पर सब कुछ मेरे मस्तिष्क की सीमाओं से परे था और जो कुछ समझ आया, वह यह था कि सेक्स की सही समझ, फोरप्ले और शारीरिक क्षमताओं के साथ ही सही पार्टनर भी मनुष्य के जीवन में बहुत अहमियत रखते हैं।

अब मैं इस बात से भी इंकार नहीं कर सकता कि किमी की कामक्रीड़ा की कहानी सुन कर मेरे लिंग में तनाव आया और प्रीकम की बूँदें भी चमक उठीं। किमी के लिए मेरा नजरिया बदल गया, लेकिन मैंने जल्दबाजी के बजाए समझदारी से काम लिया।

मैंने किमी की परेशानी का हल और अपनी अन्तर्वासना पूर्ति के लिए एक अनोखा उपाय किया, जिससे सांप भी मर गई और लाठी भी नहीं टूटे।

लेकिन मैं जो चाहता था.. अब उसके लिए मुझे लंबा परिश्रम करना और करवाना था। मैं किमी का खोया हुआ आत्मविश्वास लौटाना चाहता था, उसे हॉट और खूबसूरत बनाना चाहता था, सेक्स के प्रति उसकी रुचि फिर से जागृत करना चाहता था। अंत में उसके साथ कामक्रीड़ा की पराकाष्ठा को पार करना चाहता था.. और इस सबके लिए मुझे बहुत सी प्लानिंग करनी थी।

पहले तो मैं कुछ दिन सोचता ही रहा कि मुझे क्या-क्या करना है। मैं किमी को सारी चीजें सीधे-सीधे बता भी नहीं सकता था क्योंकि फिर वो मेरा साथ नहीं देती, या यूं कहो कि मेरी तरकीबों का असर नहीं होता।

सबसे पहले मैं खुद सुबह जौगिंग के लिए जाने लगा, तीन दिन बाद किमी को भी चलने को कहा, उसने मना किया तो मैंने दोस्ती का वास्ता दे दिया। किमी की जिन्दगी में अरसे बाद कोई अपना लगने वाला सच्चा दोस्त मिला था, इसलिए वो मुझे कभी भी नाराज नहीं करना चाहती थी और अभी तो मैंने उसे दोस्ती का वास्ता दे दिया तो ‘नहीं’ कहने का तो सवाल ही नहीं था।

अब वो मेरे साथ सुबह सैर पर जाने लगी और मैं उसे खूब दौड़ाने लगा।

मेरा मानना है कि सांवली लड़कियां भी अगर फिट हों.. तो खूबसूरत लगती हैं। अगर किसी के चेहरे पर अन्दर से की खुशी नजर आने लगे.. तो फिर बदसूरती कोसों दूर भाग जाती है। मैं सबसे पहले किमी के अन्दर यही चीजें लाना चाहता था।

हम पहले हफ्ते लगभग आधा कि.मी. फिर एक कि.मी. फिर दो कि.मी. दौड़ लगते रहे। ऐसे करते-करते एक महीने में हम दोनों धीरे धीरे चार कि.मी. तक की दौड़ लगाने लगे, इससे ज्यादा ना ही वो दौड़ सकती थी और ना ही मैं उसे दौड़ाना चाहता था।

हम दौड़ने के बाद एक जिम स्टाइल गार्डन में जाते थे, जहाँ थोड़ी देर आराम करने के बाद बहुत सी आधुनिक झूले टाईप के व्यायाम मशीनों में कसरत किया करते थे।

इन सबमें मेरा जिम का पुराना अनुभव काम आ रहा था, मेरा पूरा फोकस किमी को सुडौल बनाने का था।

आप सोच रहे होंगे डॉक्टरी ट्रीटमेंट, या दवाई का भी सहारा तो लिया जा सकता था, तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि पहली बात तो ऐसी सारी चीजें या तो असर नहीं करतीं, यदि करती भी हैं तो साईड इफेक्ट भी हो सकते हैं।

थोड़ी बहुत डॉक्टरी ट्रीटमेंट के लिए तो मैं खुद ही कहता हूँ, पर किमी को तो मुझे पूरा का पूरा बदलना था और सबसे बड़ी बात, इससे किमी का आत्मविश्वास नहीं लौटता। इसलिए मैं उसको नेचुरल तरीके से ही ट्रीट कर रहा था।

किमी हार्ड वर्क करके बहुत ज्यादा थक जाती थी, तो मैं घर आने पर उसके हाथ पैर दबा दिया करता था, हालांकि उसने शुरू शुरू में मुझे मना किया, पर अब हम इतने करीब आ चुके थे कि उसकी ना-नुकुर मेरी जिद के सामने फीकी पड़ गई।

मैंने इन सब चीजों के साथ ही उसके शरीर के रंग को भी ठीक करने के लिए घरेलू नुस्खे अपनाने को कहा। वो खुद से तो कुछ करने से रही.. तो मुझे ही मुलतानी मिट्टी, ऐलोवेरा लाना पड़ता था और आटा, बेसन, गुलाबजल, हल्दी को मिक्स करके एक लेप बनाना पड़ता था। आप भी ट्राई कीजिएगा..

पहले तो मैं ये लेप उसके चेहरे और हाथों में लगवाता था और कुछ देर रखने के बाद नहाने को कहता, ये सब उसने कुछ दिन ही किए होंगे और असर दिखने लगा।

किमी भी अब पहले की तुलना में खुश रहने लगी, पर असली परिश्रम अभी बाकी था, क्योंकि थोड़े से बदलाव से काम नहीं चलना था और अभी तो उसे सेक्सी डॉल, अप्सरा, मॉडल बनाना था। उसे नार्मल लड़कियों से भी ज्यादा खूबसूरत और हॉट बनाना था।

इन सबके लिए मैंने उसे स्वीमिंग, साईकिलिंग और डांसिंग करवाने की सोची। पर इनमें टाइम भी बहुत लगता था, इसलिए मैंने ऑफिस से तीन महीने की छुट्टी ले ली और किमी से भी छुट्टी के लिए लेने को कहा।

किमी बड़ी मुश्किल से तैयार हुई, क्योंकि अब वो भी जान गई थी कि उसके ना कहने से मैं मानने वाला तो हूँ नहीं.. और हम दोनों को ‘नो वर्क.. नो पेमेंट’ पर और ऑफिस के हेड से किमी की जान-पहचान की वजह से छुट्टी मिल गई।

अब किमी यंत्रवत मेरी बात मानने लगी क्योंकि वो भी समझती थी कि ये सारे उपक्रम उसी के लिए ही हैं। मैं उसे डांस क्लास अकेले जाने को कहता और साईकिलिंग और स्वीमिंग के वक्त साथ जाता। किमी को शार्ट ड्रेस में स्वीमिंग करते हुए देख कर मेरा तो लिंग अकड़ जाता था, क्योंकि किमी का शरीर अब सुडौल हो रहा था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैं कभी कंट्रोल कर लेता था और कभी घर आकर हाथों से ही हल्का हो जाता था।

लेकिन किमी के शरीर का रंग अभी भी ज्यादा नहीं बदला था, इसलिए अब मैंने उसे पूरी बाडी पर लेप लगाने को कहा। जाहिर सी बात है.. उससे खुद लगाते तो बनता नहीं और थकान की वजह से उसे रोज-रोज खुद से लगाने का मन भी नहीं करता, इसलिए उसने मुझे लगाने को कहा।

मैंने तभी कहा- सोच लो मेरे सामने पूरे कपड़े उतारने पड़ेंगे.. तभी लगाते बनेगा! वो सोच में पड़ गई.. और चुप ही रही। फिर मैंने बात को संवारते हुए कहा- अब मुझसे शर्माने झिझकने की जरूरत नहीं है.. और मुझे अपनी हद का पता है, तुम निश्चिंत होकर कपड़े उतारो और लेट जाओ।

मैंने लेप और मालिश के लिए एक अच्छा सा टेबल लगा रखा था, जिसमें अभी तक किमी लेट कर मुझसे पैर, सर और हाथों की मालिश करवाया करती थी। उस टेबल पर आज पहली बार वो सिर्फ अंतर्वस्त्र में लेटी हुई थी। उसने कपड़े बहुत संकोच करते हुए उतारे थे, इसलिए मेरा एकदम खुला व्यवहार किमी को नाराज कर सकता था। उसे बिना कपड़ों के या कम कपड़ों में मैंने स्वीमिंग के वक्त ही देखा था, उस वक्त भी पहली बार मेरा रोम-रोम झंकरित हो उठा था। अब इतने करीब से ऐसी हालत में किमी को देखना मेरे सब्र का इम्तिहान था।

फिर भी मैंने मन ही मन भगवान से प्राथना की कि हे प्रभु मुझे खुद पर काबू पाने की शक्ति दें। क्योंकि जवान लड़का निर्वस्त्र लड़की को देख कर खुद को कैसे संभालेगा.. आप सोच सकते हैं।

अब सबसे पहले मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा और लेप उसके पैरों से होते हुए जांघों तक और गर्दन से होते हुए कमर तक लगाया। इस बीच ब्रा की परेशानी तो आई, पर अभी उसे उतारने को कहना उचित नहीं था।

मैंने अब किमी को सीधा किया और उसके पेट, चेहरे, कंधे में अच्छी तरह से लेप लगाया। शायद किमी के शरीर में झुरझुरी सी हुई होगी, क्योंकि ऐसा करते हुए मेरे रोंये तो खड़े हो गए थे.. लिंग भी अकड़ गया था।

मैंने लेप के सूखने तक उसे ऐसे ही लेटे रहने को कहा और मैं बाथरूम में जाकर फिर हल्का हो आया। यह सिलसिला तीन-चार दिन ही चला था कि अब मैंने किमी को ब्रा उतारने को भी कह दिया। वो मुझे चौंक कर देखने लगी.. पर उसने मना नहीं किया, लेकिन उतारी भी नहीं।

मैं समझ गया कि मुझे ही कुछ करना होगा, मैंने आज लेप लगाते वक्त ब्रा का हुक खोल दिया। किमी- संदीप नहीं.. रुक जाओ.. अभी उसने इतना ही कहा, पर उसके कहने से पहले हुक खुल चुका था। अभी उसके शरीर में पेंटी बाक़ी थी, लेकिन उसके लिए जल्दबाजी करना उचित नहीं था।

मैंने बैक साईड पर लेप लगाया, आज उसकी चिकनी आजाद पीठ पर लेप लगाने का अलग ही आनन्द आ रहा था। फिर मैंने किमी को सीधा किया, अब जैसे ही मैंने ब्रा को शरीर से अलग करने की कोशिश की, किमी ने मेरा हाथ झट से पकड़ लिया।

मैंने किमी की आँखों में.. और किमी ने मेरी आँखों में देखा.. हम दोनों ने आँखों ही आँखों में बातें की, उसने अपना सर ‘नहीं’ में हिलाया और मैंने ‘हाँ’ में, फिर मैंने थोड़ा जोर लगा कर ब्रा हटा दी।

उस वक्त उसने भी अपने हाथों की पकड़ ढीली कर दी, पर आँखें बहुत जोर से बंद कर लीं। इस वक्त उसकी धड़कनें बहुत तेज हो गई थीं, क्योंकि पर्वत मालाओं में भूकंप जैसा कंपन साफ नजर आ रहा था।

फिर मैंने लेप को उसके पेट और गले के अलावा उसके उरोजों पर लगाना शुरू किया।

किमी के मम्में भारी तो पहले से ही थे और अब इतने दिनों की मेहनत से वो बहुत सुडौल भी हो गए थे, शायद अब किमी की मरी हुई सेक्स भावना भी जागने लगी थी।

मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उसके चूचुक कड़क होकर आसमान की ओर उठ गए थे, छूने पर सख्ती का भी एहसास हो रहा था।

मैंने पहले किमी के मम्मों के चारों ओर लेप को लगाते हुए हाथों को चूचुक की ओर आहिस्ते से बढ़ाया और ऐसी ही प्रक्रिया हर दिशा से की, शायद उसे सहलाने वाला एहसास हुआ हो।

क्योंकि मैं चाहता भी यही था, इसलिए जानबूझ कर मैं अपने तजुर्बे का इस्तेमाल कर रहा था।

फिर मैंने बहुत ही तन्मयता से उसके पूरे शरीर में लेप लगाया, लेकिन आज मेरा लिंग ज्यादा ही अकड़ने लगा और उम्म्ह… अहह… हय… याह… एक बार तो उसे बिना छुए ही मेरी निक्कर चिपचिपे द्रव्य से भीग गई।

इतने के बाद भी कुछ ही पलों में मेरा लिंग पुनः फुंफकारने लगा था। मैं नहीं चाहता था कि किमी को मेरी हालत का पता चले और मुझे यकीन था कि किमी ने भी अपने आपको बड़ी मुश्किल से ही संभाला होगा।

फिर मैंने एक जुगत लगाई ताकि बाथरूम में जाकर हल्का होने की जरूरत ना पड़े।

साथियो, अभी बहुत से रहस्यों से पर्दे उठना बाक़ी है। इस सेक्स कहानी पर आप अपने विचार इस पते पर भेजें। [email protected] कहानी जारी रहेगी।

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