इन्दौर में दो लंड और तीन चुत का ग्रुप सेक्स-4

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बातें करते हुए आंचल बोली- बेचारी सारिका का नंबर नहीं लग पाया अच्छे से! तो मैंने कहा- अरे सारिका का नंबर अब लगायेंगे मैं और विनय दोनों मिल कर! निशु एकदम बोली- अरे एक साथ दोनों नंबर कैसे लगाओगे?

तभी सारिका ने सबकी बोलती बंद कर दी- अरे जब लगेगा तो देख लेना साली, जब नीचे पड़ी थी तब तो बात नहीं आ रही थी अब ज्यादा बातें सूझती हैं साली को! ऐसे हंसी मजाक में विनय ने सारिका को पीछे से जाकर पकड़ लिया और उसके गाउन के अंदर हाथ डालकर उसकी ब्रा के ऊपर से मम्मों को सहलाने लगा।

यहाँ एक बात बता दूँ कि खाना खाने से पहले जब हम सभी फ्रेश हुए थे तो सभी लड़कियों ने हल्के से गाउन पहन लिए और मैंने और विनय ओनली बनियान और अंडरवियर में थे। कुछ ही पलों में सारिका मस्त हो गई तो आंचल निशु को बोली- ले ये तो हो गये शुरू! अब देख लेना कैसे होती है!

मैं मुस्कराता हुआ निशु के पास गया, उसके गाउन की जिप खोल दी, निशु मेरे सीने से लग गई, मैं उसको सहला रहा था तो विनय सारिका को गर्म करने में लगा था।

ऐसे ही कुछ ही देर में सभी लड़कियों को हमने पूरी नंगी कर दिया और हमने भी जल्दी ही अपने अंडर गारमेंट्स उतार दिए, एक बार हम सभी फिर गर्म हो चुके थे।

मैं निशु को किस कर देता, मम्मो पे भी काट लेता और इसी तरह आंचल कभी मेरे से किस करती और कभी विनय के पास जाकर उस से किस करती परन्तु हम अपनी अपनी पार्टनर को गर्म करने में लगे हुए थे। कुछ ही देर में कमरे में फिर से मादक सिसकारियों का दौर शुरू हो चुका था।

तभी बीच में निशु बोली- अरे आप तो कहते थे आप दोनों एक साथ सारिका दीदी को…! कहती कहती वो रुक गई तो मैंने सारिका की तरफ देखा, वो मुस्करा पड़ी। मैंने निशु को कहा- ले फिर आज तुम्हें दिखा ही देते हैं साली कि एक साथ कैसे होता है।

मैंने विनय को इशारा किया, वह अपना लौड़ा सारिका को चुसवाने की तैयारी कर रहा था, तो मैंने निशु और आंचल को एक एक किस की और सारिका के पास चला गया, मैंने उसे उल्टा किया, विनय ने सारिका के मुंह में अपना लौड़ा डाल दिया, अब सारिका घोड़ी बन कर विनय का लौड़ा चूस रही थी, मैंने अपना लौड़ा उसकी गांड में ठोक दिया।

मेरा लौड़ा अपनी गांड में महसूस करके सारिका ने जोर से सिसकारी निकाली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसकी सिसकारी सुन कर पास बैठी आंचल बोली- अब अपनी बार पता चला, मेरी बारी तो बहुत जोक मारती थी…

विनय बहुत उत्तेजित हो गया था, उसने सारिका के मुंह से लौड़ा निकाला और उसके नीचे लेट गया, सारिका ने विनय का इशारा समझ लिया और और वो थोड़ा पीछे को हो गई, मेरा लंड सारिका की गांड के अंदर ही था, तभी विनय का लंड सारिका ने अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चुत पे रख कर बोली- अब यहाँ मजा ही मजा भर दो मेरे मर्दो!

सारिका ने अपना बैलंस बनाते हुए टांगों को थोड़ा चौड़ा किया, विनय ने हल्का सा झटका लगया और लौड़ा सारिका की चुत को चीरता हुआ उसे अंदर चला गया। मैंने सारिका को पीछे से पकड़ कर सम्भाल रखा था।

तभी विनय ने एक झटका और लगया और सारिका ने सीत्कार भरी ‘अस्स्सीईइ.. उई हां अह्ह्ह्ह मजा आ रहा है उई…’ विनय अब झटके पे झटका लगाने लगा था और उसका लौड़ा सारिका की चुत पे पूरी तरह अंदर जा चुका था। मैंने भी अब पीछे से सारिका की गांड में तेज तेज अपना लौड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।

पास बैठी निशु और आंचल ये सब देख रही थीं, निशु थोड़ा आगे बढ़ कर ध्यान से देख रही थी जैसे वो भी ऐसा करने की तमन्ना रखती हो! उसे ऐसे देख कर विनय ने कहा- कोई बात नहीं निशु डार्लिंग, कल का नंबर तेरा लगा देंगे! और हम सभी हंस पड़े।

सारिका की गांड और चुत एक साथ हम दोनों से चुद रही थी और सारिका उन्ह आह सी सी… करती हुई हमारे लंडों का मजा ले रही थी। उसने पीछे मुड़ कर मुझे कहा- आह उई रवि… आज तो मेरा अंग अंग चोद कर रख दिया! उफ़ आह सी… उई… आह चोदो ऐसे ही… हा फाड़ दो गांड आई.. उई…’ फिर आगे विनय को बोली- अह.. साले ..उई अह… मेरी बच्चेदानी को टकरा रहा है तेरा लौड़ा… उई उई आह इ…सी सी.सी. .सीसई… सिस उई उई चुद गई अज… उई अह आह मेरी बहन चुद… गई अ..ह… आज… आह आह उई..

हम और ज्यादा तेज तेज उसकी गांड और चुत चोदने लगे, वो हम दोनों मर्दों के बीच सैंडविच बन कर चुद रही थी। मैं उसकी गांड लगातार चोदे जा रहा था- ले साली कुतिया उई आह ले मादरचोद.. अबी फट रही है तेरी गांड ले अपनी बहन चुदा… साली रांड … …अ.ब.. तेरी ब…ह..न चुद रही है कुतिया आह उई आ…ह उई सी… सी सी कुतिया… ले हमारे… लौड़े… ही आह..आह सी.. सी… सी…

उधर आगे से विनय जोर जोर से उसकी चुत चोदता हुआ बोले जा रहा था- उई आह सी सी कुतिया ले अपनी बच्चेदानी ठुकवा इस लौड़े से मेरी बिच… बहन की लौड़ी साली.. देख मेरे टट्टे तेरी चुत में नहा रहे हैं साली मादरचोद… कुतिया… आज तेरी चुत और गांड फाड़ कर छोड़ेंगे… देखते हैं कौन बस बोलता है पहले कुतिया आह आह उई सी सी सी… यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

तभी सारिका ने विनय को कस कर पकड़ लिया और ऐसा लगा जैसे सारिका का शरीर अकड़ गया हो- उई आह अह सी सी मैं आई… गई आह… आ.ह ..उ.ई ब.स. .बस…झड गई …आह …मेरी चुत तुम्हारे… लंडों …पे झड़ गई! मेरी जवानी… का रस निकल गया तुम्हारे जवान लंडो के… आगे आई उई… बस ब…स. ब…स. ..चु.द.. .गई. चु.द.. गई.. .उई. .उई.. उ.ई .आ.हा. हा! आ.हा. हा.. अह… सम्भाल लो… मुझे… बचा… लो आ…ई… उई…

मैंने भी पीछे से पूरा लौड़ा उसकी गांड में आगे पीछे तेज तेज और स्पीड से करना शुरू कर दिया ताकि वो अपने झड़ने का पूरा मजा ले सके। आगे से विनय भी बिना रुके उसे चोदे जा रहा था।

सारिका के झड़ने के बाद हमने पुजिशन बदल ली, अब मैंने अपना लंड सारिका की चुत में डाला और विनय ने उसकी गांड में! जैसे ही हमने सारिका की चुत और गांड में अपने लंडों से झटके लगाना शुरू किया तो सारिका बोली- अह सी सी रवि अब बिना रुके मेरी चुत और गांड की बहन चोद दो सालों, अब मुझे बहुत मजा लेना है!

पीछे गांड चोद रहा विनय बोला- ओह तो ये बात है साली कुतिया, तेरी माँ की चुत तो मैं चोदता हूँ साली, अब देख! यह कहकर विनय बहुत तेज तेज उसकी गांड में झटके लगाने लगा।

मैं बोला- साली ये ले… उन्ह मेरा लौड़ा अपनी बच्चेदानी में महसूस कर कुतिया आह आह सी सी! ये ले और मेरी डर्टी रांड अपनी जवानी संभाल कर रखना मेरे लौड़े से! सारिका बोली- तू चोद तो सही मेरे कमीने राजा, फाड़ मेरी चुत और गांड को… उई आह हाँ ऐसे ही चोदो मेरी बच्चेदानी तक आ रहा है तुम्हारा लौड़ा साले! हाँ ऐसे ही आह आह उई सी सी सी सी धीरे बस बस… अब सारिका बहुत उत्तेजित होकर हम दोनों के लंडों से खूब डर्टी बातें करती हुई चुद रही थी।

मैंने विनय को आँख मारी, हम दोनों एक ही पोजिशन में एक साथ उसकी चुत और गांड से लौड़े पीछे खींचते और एक साथ दोनों लौड़े उसकी चुत और गांड के अंदर डाल देते!

जब एक साथ दो दो लंड सारिका की चुत और गांड में घुसते तो सारिका को भी बहुत मजा आता, वो बहुत तेज तेज सिसकारियाँ लेने लग गई- उई आह आह सी सी सी चोदो चोदो चोद चोदो आह आह आह सी सी सी ऐसे ही चोदो चोदो सीए ही आह आह उई उई सी सी सी सी… मैं चुद गई आह गई चुद… सिसिसी सिसीई उई उइउ ई ईईई…

ऐसे अस्पष्ट शब्द बोलती हुई सारिका की चुत ने फिर से पानी छोड़ दिया, अब सारिका के जिस्म से जैसे जान सी ख़त्म हो गई हो, परन्तु वो फिर भी चुदते जा रही थी, कराहती हुई सारिका अपनी चुदाई का असली मजा ले रही थी।

हमारे पास बैठीं निशु और आंचल ऐसी चुदाई देख कर अपनी अपनी चुतों पे हाथ फेरने लग गई थीं, निशु ने तो एक बार अपनी चुत मेरे होंठों के पास भी कर दी थी और मैंने उस पे एक किस करके उसे छोड़ दिया और पूरा ध्यान सारिका को चोदने पे लगा दिया।

अब मैंने एकदम उसकी चुत से अपना लंड बाहर खींचा और उसके मुंह में दे दिया, मेरी जगह विनय ने सम्भाल ली। सारिका गुं गुं करके मेरा लौड़ा अपने मुंह में आगे पीछे करके चूस रही थी।

तभी विनय बोला- रवि… उई.. अह्ह्ह लौंडी.. का मुंह.. भरो.. अपने रस से… मैं भी आने वाला हूँ… उई!

सारिका ने मेरा लौड़ा मुंह से निकाला और विनय की तरफ देखती हुई बोली- आह्ह्ह सी सी ईई… आपकी.. पहली.. धार मैं अपनी बच्चेदानी में चाहती हूँ और दूसरी निशु के मुंह में डाल देना… और तुम रवि अभी टेस्ट करवाओ मुझे अपनी जवानी का रस! वो मेरा लौड़ा फिर चूसने लगी और अपना हाथ आगे पीछे तेज तेज चलाने लगी।

तभी उसने अपनी जीभ मेरे लंड की नोक पे लगाई और मेरी आंखों में आँखें डाल कर आँख मार दी, मेरे लौड़े से भी इतनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई, मेरे लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी, सारिका मेरे लौड़े पे हाथ को और तेजी से चलाने लगी, मैं झड़ता रहा और सारिका अपनी जीभ और मुंह में रस लेती रही।

तभी नीचे उसकी चुत चोद रहा विनय बोला- उई आह साली ये ले मादरचोद… चोद दिया अपने यार के लौड़े को साली कुतिया अह अह अ ह अह उई सी सीसी.. उई!

कहता हुआ विनय अपनी पिचकारी उसकी चुत में छोड़ने लगा, विनय की पहली पिचकारी सारिका की चुत के अंदर गई और साथ ही विनय ने अपना लौड़ा बाहर खींचा और झड़ रहा लौड़ा पास बैठी निशु के मुंह में डाल दिया।

निशु ने बड़े प्यार से, ज़ल्दी से विनय के लंड को अपने मुंह में लिया, जैसे वो भी काफी देर से यही इंतजार में थी कि कब उसका लौड़ा फ्री हो।

विनय के लौड़े की वीर्य की धार निशु के मुंह में गिरने लगी, उसने लौड़े को अपने होंठों में भींच लिया और उसके झड़ रहे लंड की घूंटें भरने लगी। विनय का लौड़ा निशु के मुंह में अपनी बरसात कर रहा था। जैसे ही विनय के लौड़े ने अपनी बरसात कम की तो निशु ने उसका लौड़ा अपने मुंह से निकाला और अपने भरे मुंह से सारा रस सारिका के मम्मों पर डाल दिया, फिर आंचल और निशु दोनों सारिका के मम्मों से विनय का वो रस चाटने लगी।

सारिका के मुंह में जो मेरे लंड का रस था, वो सारिका ने निशु के मम्मों पे डाल दिया, अब वो दोनों एक दूसरी के मम्मे चाट चाट कर रस साफ़ कर रही थीं।

ऐसे उन्होंने कुछ ही देर में सारा रस चाट लिया और फिर हमने एक एक किस तीनों को की और ऐसी चुदाई की बधाई दी।

हम वहाँ चार दिन रहे और चार दिन कई बार अलग अलग पार्टनर बदल कर चुदाई की, सभी को बहुत मजा आया।

आखिर मैंने अपना जो काम करना था, वो भी किया और हमने उनसे विदा ली और मैं और आंचल वापिस आ गये।

दोस्तो, अगली कहानी लेकर फिर आपके पास हाज़िर हूँगा। मुझे आप सभी दोस्तों की ईमेल का इंतज़ार रहेगा। मेरी पाठक पाठिकाएँ जो मेरी कहानियों का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, उन्हें पढ़ते हैं और मुझे मेल्स करते हैं, उनका बहुत बहुत धन्यवाद।

इस कहानी को पढ़ने के बाद भी इमेल्स पे बताना किन किन दोस्तों के लंड या चुतों ने पानी छोड़ा या चुदाई की। [email protected]

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