पहली चुदाई मैंने अपनी टीचर के साथ की-1

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दोस्तो, मैं जयदीप फिर से आप के लिए एक सच्ची कहानी लेकर आया हूँ। मेरी दिवाली की ट्रिप की कहानी दीवाली के बाद रसभरी चुदाई की कुछ यादें को आप सबने खूब सराहा, ढेर सारे इमेल्स आये और उसने मुझे अपने जीवन का पहला सेक्स अनुभव, पहली चूत चुदाई लिखने को उत्साहित किया। उम्मीद करता हूँ कि इस बार भी आप लोग मुठ मारते और चूत में उंगली करते हुए नहीं थकेंगे।

मेरे बारे में जानने के लिए आप मेरी पिछली कहानियाँ पढ़ सकते हैं।

मेरी सेक्स कहानी में मैं अब अपने जीवन की पहली चूत चुदाई, पहला सेक्स अनुभव लिख रहा हूँ जो मेरी इंग्लिश टीचर के साथ हुआ था। उस वक्त मैं 18 का था पर 20-21 का दीखता था। मेरी टीचर का नाम रुखसाना था, उनकी फिगर 34-30-38 थी। वो इतनी गोरी नहीं थी पर प्यारी बहुत थी। जब वो चलती थी तो उसकी गांड देखने में बहुत मजा आता था और चुची तो एकदम टाइट थी। मैडम की अदा कोई देख ले तो वहीं पर अपना कच्छा गीला कर दे! मैडम के इस अंदाज़ से तो मैं भी घायल था।

मेरी मैडम की उम्र 25 के आसपास होगी पर कोई नहीं कह सकता कि वो 25 की होंगी, वो तो 20-22 की लगती थी। अपना फिगर भी मेन्टेन करके रखा था। रुखसाना की क्लास सब अटेंड करते थे। और क्यों… यह तो आप समझ ही गए होंगे दोस्तो!

मैं पढ़ने में होशियार था पर इंग्लिश के साथ मेरा 36 का आंकड़ा था। उनके लेक्चर में सबसे आगे बैठता था क्योंकि उसकी चुची और खूबसूरती देख सकूँ।

वो गांधीनगर में अपने पति के साथ रहती थी। उसके पति आर्मी में थे जो गांधीनगर के हैडक्वाटर में ड्यूटी करते थे। मैं क्लास के कुछ स्टूडेंट्स के साथ एक फ्लैट किराये पर लेकर रहता था।

शुरू में मैं और रुखसाना कम बात करते थे। एक बार इंग्लिश का टस्ट लिया गया जिसमें मुझे 50 में से सिर्फ 18 मार्क्स मिले जो क्लास में सबसे कम थे। तो रुखसाना ने मुझे क्लास में थोड़ा डांट दिया।

फिर क्लास ख़त्म होने के बाद मुझे मिली- इतने कम मार्क्स क्यों आये तुम्हारे? लगता है पढ़ाई में ध्यान नहीं है तुम्हारा? मैं- नहीं मैम, मैं सारे विषय में टॉप करता हूँ पर इंग्लिश ही रिजल्ट बिगाड़ देता है। वो- तो फिर इंग्लिश में ध्यान दो, एक्स्ट्रा कोचिंग क्लास ज्वाइन कर लो। मैं- काश मैं कर पाता मैम!

वो- क्या मतलब है तुम्हारा? मैं- मैम, मेरा मनी प्रॉब्लम है, ट्यूशन नहीं जा सकता।

उसे मुझ पे दया आ गई और वो सही थी। मेरे पास उस वक्त वाकयी पैसा नहीं था। उसने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा- मैं पढ़ा दूंगी। जब वो झुकी तो उसकी थोड़ी क्लीवेज के दर्शन हुए और मेरा लंड खड़ा हो गया पर मैंने अपने आप पे काबू रख लिया।

फिर रोज उसके घर पर एक घण्टा मेरी ट्यूशन होती थी। ऐसे ही एक महीना बीत गया। फिर उसके पति को 2 माह के लिए मसूरी जाना पड़ा, फिर वो अकेली हो गई और वो आलसी भी थी, देरी से उठती थी वगैरा!

एक बार वो मुझे पढ़ा रही थी, तो वो मुझे थोड़ा वर्क देकर तैयार होने गई। मैंने सोचा कि मैम के पीछे जाकर उसे देखूं, आज मौका मिल सकता है मैम को नंगी देखने का! वो रूम में गई, दरवाजा बंद किया पर एक खिड़की थोड़ी खुली रह गई।

मैंने उस खिड़की से देखा तो नज़ारा देखता ही रह गया।

उसने पहले अपनी गाउन उतारी और पेटीकोट भी… अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। फिर वो ब्रा भी उतार कर अपनी चुची को मसलने लगी और सिसकारियां निकालने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

फिर वो बेड पर लेट गई, क्या नज़ारा था… सूरज की रोशनी में उसका शरीर सोने की तरह चमक रहा था और दो बड़े निप्पल तो और नज़ारा बढ़ा रहे थे। ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने अपने हाथ में ले लिया।

वो अब अपनी चूत में उंगली करने लगी और मैं अपना लंड हिलाने लगा। वो आह आह जैसी आवाजे निकाल ने लगी थी और में झड़ने वाला था।

थोड़ी देर में मैं झड़ गया और मेरा माल वही खिड़की के पास ही गिर गया। तभी मुझे भान हुआ कि मैंने ये क्या किया उसके घर में!

ये सब 5-7 मिनट में ही हो गया। फिर वो उठी और साड़ी पहनने लगी। मैंने पास में पड़े एक कपड़े से अपना माल साफ़ किया और फिर से किताब लेकर बैठ गया। इसके बाद वो 2 मिनट में तैयार होकर आ गई।

मैं- बहुत खूबसूरत लग रही हो मैम! आज स्कूल नहीं आना क्या? वो- थैंक्स जयदीप, आज स्कूल के स्टाफ के साथ एक शादी में जाना है इसलिए स्कूल में भी छुट्टी रखी गई है। इतना सुन कर मैं बहुत खुश हुआ।

अब तो मेरी आँखों से उनका नंगा जिस्म हट ही नहीं रहा था। ऐसी स्थिति आ गई थी कि दिन में 2 बार मुठ मारनी पड़ती थी। मैंने ठान लिया कि रुखसाना को तो चोद कर ही दम लूंगा और मैं इसके लिए प्लानिंग करने लगा।

दूसरे दिन मैं ट्यूशन गया तो वो मुझे लेसन देकर नहाने चली गई पर टॉवल भूल गई होगी इसलिए उसने मुझसे टॉवल माँगा।तो मैंने टॉवल दिया। मैम ने जल्दी से तौलिया लेकर दरवाजा बंद किया तो मेरी उंगली बीच में आ गई और मैं चीख पड़ा।

वो- सॉरी जय, तुम बैठो, मैं ड्रेसिंग कर देती हूँ। में चीखते हुए- यस मेम!

वो जल्द ही आधा गीला बदन लिए टॉवल पहन के बाहर आई। टॉवल थोड़ा छोटा था, नीचे उसकी आधी जांघों तक और ऊपर आधे चुची ढके हुए थे और आधे दिख रहे थे। बाल भी गीले थे तो काफी सेक्सी लग रही थी, मन कर रहा था कि वहीं पटक दूँ! पर मैं मजबूर था। वो मेरी उंगली में ड्रेसिंग कर रही थी और मैं उसके चुची को देखे जा रहा था। शायद उसे पता चल गया पर वो कुछ नहीं बोली क्योंकि गलती उसकी थी। पर मैंने भी मौके का फायदा उठाना सही समझा।

में- मैडम आप आज तो बहुत खूबसूरत और सेक्सी लग रही हो। वो- थैंक्स मेरी तारीफ़ करने के लिए! पर ये मत भूलो कि मैं तुम्हारी टीचर हूँ। मैं- नहीं मेम, आप जितनी खूबसूरत हो, उतनी ही मस्त मेरी ड्रेसिंग कर दी है, फिर खूबसूरत की तारीफ़ करने में गलत क्या है?

फिर वो कुछ नहीं बोली और वो दिन ऐसे ही बीत गया, पर मेरा तीर निशाने पे लगा था, मुझे उनकी कमज़ोरी का पता चल गया था। उस दिन शाम को उसका कॉल आया, बोली- अब से ट्यूशन में मत आना! मैंने कारण पूछा तो उसने बताया नहीं और फोन काट दिया।

फिर एक सप्ताह तक वो स्कूल भी नहीं आई। मैंने सोचा कि कुछ तो है, मुझे देखना पड़ेगा और मैं उनके घर गया, डोरबेल बजाई। थोड़ी देर बाद उसने दरवाजा खोला और जब मैंने उसे देखा तो बहुत बुरा लगा उसकी हालत देख कर! उसके गाल पर और जिस्म पे चोट के निशान दिख रहे थे।

मैं अंदर जाकर सोफे पर बैठा और इन सब के बारे में पूछा तो वो रोने लगी। मैं- ये क्या हुआ और कैसे हुआ मेम? वो रोते रोते- रफीक(उनके पति) आये थे बीच में 3-4 दिन के लिए, उसने मुझे बहुत पीटा। मैं- पर क्यों मेम? उनकी पीठ सहलाते हुए! वो- तुम को नहीं बता सकती, अभी तुम छोटे हो। और ये हमारा घरेलू मामला है।

मैं- बताओ रुखसाना, तुम मुझे बता सकती हो, मैं किसी को नहीं बताऊंगा। मैं उसके सर पे हाथ फेरते बोला। वो- मेरे शौहर मनमानी करते हैं। पहले हम खुशी से रह रहे थे। पर एक दिन मेरी कजिन नाज़िया यहाँ पर हमसे मिलने लन्दन से आई और सब कुछ बदल गया।

मैं- क्या बदल गया मेम? वो- रफीक उनसे बहुत बातें करने लगे और वो भी रफीक पर मेहरबान होने लगी। मैं स्कूल को पढ़ाने जाती और वो दोनों घरपे मिलते

मैं- फिर? वो- एक दिन मेरी तबीयत खराब थी और मैं स्कूल से जल्दी घर आ गई। घर आकर देखा तो नाज़िया के सेंडल बाहर थे। मैंने अंदर जाकर देखा तो वो दोनों एक दूसरे को प्यार कर रहे थे, मुझे देख कर उनकी आँखें शर्म से झुक गई। फिर मुझसे बात किये बिना वो मसूरी चले गए।

मैंने उनके सर को छाती से लगाकर कहा- ये बहुत बुरा हुआ! पर उसने आप को मारा क्यों? वो तो मसूरी गए थे। वो- उनके जाने के बाद मैंने नाज़िया को बहुत डांटा और उसने रफीक को ये बता दिया। वो वपिस आया और मुझे धमका कर पीटा।

इतना कहकर वो और जोर से रोने लगी, मैंने बहुत कोशिश की पर वो शांत नहीं हुई। फिर मैंने उसके सर को पकड़ के एक किस किया। अचानक उसे क्या हुआ कि मुझे अलग कर दिया और कहा- शर्म नहीं आती तुम्हें? ये क्या कर रहे हो?

मैं- आप रोना बंद ही नहीं कर रही थी इसलिए मुझे ये करना पड़ा मेम! वो कुछ नहीं बोली अब मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने उनकी पीठ पर ब्लाउज में हाथ डाल के फेरने लगा और कहा- मैडम, सब कुछ ठीक हो जाएगा, डोन्ट वरी, आप इतनी सुन्दर और अच्छी हो तो फिर वो हाथ कैसे उठा सकता है आप पे मैडम!

वो थोड़ा मदहोश हो रही थी क्योंकि मैं अभी भी उनकी पीठ को बड़े प्यार से सहला रहा था और वो उनका मजा ले रही थी पर जाहिर नहीं कर रही थी।

फिर मैंने उनको दोबारा किस किया तो वो मेरा विरोध करने लगी पर मैंने उनको छोड़ा नहीं। मैंने उनको अपने से अलग किया तो उसने अपनी आँखें झुका दी। मैंने फिर से किस किया और इस बार वो मेरा साथ देने लगी, मेरे जिस्म में करंट दौड़ रहा था क्योंकि यह मेरे लिए पहली बार था। थोड़ा डर भी लग रहा था।

वो मेरा अच्छा साथ दे रही थी। करीब 5 मिनट तक हम किस करते रहे, फिर हम अलग हुए और वो बोली- यह गलत है, मैं तुम्हारी टीचर हूँ। मैं उनके पीछे जाकर उनकी गर्दन पर चूमने लगा और कान के नीचे भी किस किया और बोला- कुछ गलत नहीं है रुखसाना… जो हो रहा है, उसे होने दो। वो- मेरा खुद पे काबू नहीं रहता जयदीप, रहने दो। मैं- मेरा भी नहीं रहता रुखसाना, तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी हो मैं क्या करूँ। तुम भी भूल जाओ कि तुम मेडम हो… सिर्फ मजा लो।

फिर मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया और उनको किस करते हुए उनके 34 के चुची दबाने लगा और वो भी अब पूरी गर्म हो चुकी थी। और आहें भर रही थी। मैंने उनके ब्रा के हुक को खोल दिया और उनकी चुची को आज़ाद कर दिया। मेरी आँखें चमक उठी और मैं उनकी चुची पर टूट पड़ा। उनकी एक चुची को मैं दबाने लगा और दूसरी को चूसने लगा। वो काफी बड़ी थी, सॉफ्ट और कसी हुई भी।

मैं- तुम्हारी चुची बहुत मस्त हैं रुखसाना। मन ही नहीं करता छोड़ने को! वो- आह आह… तो फिर चूसते रह ना मैंने थोड़ी रोका जय! मैंने उनके निप्पल को काटा तो वो बोली- आउच… बड़े बेशर्म हो तुम जय!

फिर मैंने चुची दबाते हुए मैम के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसको उतार दिया। उसने मेरी शर्ट को भी उतार दिया। मेरा लंड कब से खड़ा होकर सलामी दे रहा था। अब उनके पीछे जाकर मैंने उनको गोद में बिठाया और उनकी चुची दबाने लगा और उनकी गांड पर मेरे लंड का उभार महसूस हो रहा था उनको।

फिर वो मुझसे अलग हुई, मेरा पैंट उतार दिया और मेरी चड्डी में से मेरे लंड को निकाल कर अपने मुंह में रखते हुए बोली- ये तो काफी बड़ा है, मजा आएगा। यह कहकर वो उसको चूसने लगी।

मेरे मुँह से आह आह की आवाज़ निकल रही थी, मैम ऐसे चूस रही थी जैसे उसको इसमें महारथ हासिल हो। मैंने उनका सर पकड़ा और स्पीड बढ़ा दी। मुझे काफी मजा आ रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।

मैं झड़ने वाला था तो उसे बोला, तो उसने मुँह में ही झड़ने को बोला। और मैं झड़ गया, वो मेरा माल पी गई, मेरे लंड को चाट चाट के साफ़ कर दिया।

मैं- तुम तो बहुत अच्छा चूसती हो मैडम, मजा आ गया! वो- अब तुम मुझे सिर्फ रुखसाना ही कहो क्योंकि अब हम दोनों के बीच टीचर स्टूडेंट की सीमा टूट गई है। और तुम्हारा लंड काफी बड़ा है। इतना तो मेरे शौहर का भी नहीं है। आज लंड चूसने का मजा आया।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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