भाई की साली को गर्लफ्रेंड बना कर बुर चुदाई की

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हैलो फ्रेंड्स, मैं पहली बार अपनी रियल सेक्स स्टोरी आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। मेरा नाम उजाला है.. उम्र 22 साल है। मेरी गर्लफ्रेंड यानि की मेरे भाई की साली का नाम प्रिया है। उसकी उम्र 19 साल है। इस वक्त उसकी साइज़ 34-30-34 की है। हम दोनों बचपन से ही एक-दूसरे को जानते हैं।

भैया के शादी के वक्त से ही हम एक-दूसरे को चाहने लगे थे। भैया के घर में जिस दिन पूजा थी, उस दिन वो तख्त पर मेरे तरफ सिर करके सोई थी। उस वक्त उसकी चुची ज़्यादा बड़ी नहीं थीं लेकिन कुछ आकर्षण बन गया था।

मैंने उससे कहा- मेरे हाथ में कच्चा धागा बाँध दो ना। उसने मुझसे हाथ आगे करने को कहा तो मैंने उसके आगे अपना हाथ कर दिया। वो मेरे हाथ में धागा बाँधने लगी। धागा बांधते समय मेरा हाथ उसकी छाती से सट जाता था.. लेकिन मैं बहुत शरीफ़ था.. इसलिए मैंने कोई हरकत नहीं की।

लेकिन उसकी चुची को टच करते ही मेरे अन्दर बिजली सी दौड़ गई। मुझे नहीं पता था कि मेरे जिस्म में ऐसा क्यों हुआ, क्योंकि उस वक्त तक मुझे सेक्स के बारे में कुछ मालूम नहीं था।

मैं बता दूँ कि हम दोनों का घर पास के गाँव में ही है। फिर दो दिन के बाद हम अपने-अपने घर आ गए।

अब जब भी मेरा मन नहीं लगता तो मैं उसके घर चला जाता था और वो भी मुझे देखकर बहुत खुश होती थी। उसके घर वाले भी मेरे बारे में कभी कोई ग़लत नहीं सोचते थे, क्योंकि उनकी नजर में हम दोनों अभी बच्चे ही थे। कभी-कभी रात को हम साथ में सो भी जाते थे और रात भर हम एक-दूसरे के शरीर को चूमते-चाटते और छूते रहते थे।

फिर कुछ समय बाद वो मस्त लगने लगी थी। मैं उसे चोदने के लिए सोचने लगा था। लेकिन अब वो पहले की तरह मुझसे बात नहीं करती थी और छूने भी नहीं देती थी।

जब मैं उसके घर जाता था तो वो मेरे सामने बिना दुपट्टे के रहती थी। उसकी चुची देख कर लगता था कि कुर्ती से बाहर निकलने के लिए बेताब हैं। जब वो झुक कर झाड़ू लगाती थी तो उसकी चुची देखकर मैं पागल हो जाता था।

उसके कमरे में एक खिड़की है, जिससे बरामदे की ओर का सब साफ दिखाई देता है। मैं वहीं बरामदे से उसको देखता था। वहीं साइड में पोलीथिन के अन्दर उसकी पेंटी रखी थी, मैं उसकी पेंटी निकाल कर अपने लंड में लगाकर उसकी बुर समझकर चोदने लगा और सारा माल उसकी पेंटी पर ही गिरा दिया।

कुछ दिन बाद मैं पटना में एक कम्पनी में जॉब करने लगा और वो भी शहर में रह कर पढ़ाई करने लगी। अब वो मुझसे धीरे-धीरे हर तरह की बात करने लगी, हम दोनों अब चुदाई की भी बातें करने लगे थे।

एक बार मैं उसके शहर में आया.. तो मैं उसके साथ घूमा। फिर रात को उसके कमरे पर ही रुका आया। और धीरे-धीरे बात करते हुए हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए। उसकी चुची मेरी छाती से चिपक गईं।

मैं उसके मदमस्त जवान शरीर की महक से एकदम पागल सा हो गया और उसके होंठों को चूसने लगा.. साथ ही उसकी पीठ और गांड को हाथों से मसलने लगा। उसका शरीर भी पूरा गर्म हो गया था। फिर मैं ऊपर से ही उसके मम्मों पर अपना मुँह लगाकर चूसने लगा। उसने भी मुझे कसके पकड़ लिया और वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी।

उसके बाद मैं अपने हाथों से धीरे-धीरे उसकी चुची दबाने लगा। कुछ ही पलों के बाद मैंने उसका कुरता मम्मों से ऊपर करके उसकी मस्त चुची चूसने लगा और अपने हाथों से दबाने लगा

फिर मैंने अपना लंड उसके हाथों में थमा दिया। कुछ देर यूं ही प्रेम रस में गोते लगाने के बाद मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया। अब मैं अपने लंड को उसकी चुची में फंसा कर चुची चोदने लगा।

कुछ देर बाद चुदास बढ़ी तो मैंने उसे खड़ा कर दिया और पजामे के ऊपर से ही उसकी बुर को मसलने लगा। फिर मैंने उसके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी नंगी बुर को मसलने लगा। उसकी बुर में बाल बहुत थे, साथ ही मैंने महसूस किया कि उसकी बुर में बहुत गीलापन आ गया था, जिससे मुझे जन्नत का मजा आ रहा था। शायद उसे भी बहुत मजा आ रहा था।

फिर मैंने अपनी उंगली को उसकी बुर के छेद में डाल दिया.. शायद पहली बार था इसलिए उसे बहुत दर्द हुआ, वो हल्के स्वर में ‘आह उह..’ कर रही थी। उसकी बुर के अन्दर मुझे कुछ गर्म गर्म जैसा महसूस हुआ.. ऐसा लगा कि उसकी बुर में अन्दर आग लगी हो।

मैंने उससे पूछा- ये इतनी गर्म क्यों है? वो बोली- मुझे नहीं मालूम। मैं- एक बात पूछूँ… तुम्हें कैसा लग रहा है? वो बोली- कुछ मत पूछो और ये बताओ कि तुम्हारी उंगली और अन्दर नहीं जा सकती है?

मैं उसकी ये बात सुनकर और जोश में आ गया.. और ज़ोर-ज़ोर से अपनी उंगली उसकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ ही पलों बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसका पजामा नीचे को कर दिया और उसे फिर से ज़मीन पर लिटा दिया।

मजे की बात ये थी कि उस वक्त तक मुझे ये मालूम नहीं था कि सील पैक की चुदाई कैसे की जाती है।

मैंने उसकी पेंटी थोड़ी नीचे सरका दी। अब मैं उसके ऊपर लेट कर उसकी बुर में अपना लंड घुसड़ने की कोशिश करने लगा.. लेकिन उसकी पेंटी साली बीच में दीवार बन रही थी, इसलिए पेंटी को हटा दिया।

अब मेरा लंड उसकी बुर से टच हो रहा था.. लेकिन धक्का देने पर भी लंड उसकी बुर के अन्दर नहीं गया। उसे डर था कि कहीं कोई घर से बाहर ना आ जाए।

कुछ देर में जब लंड नहीं घुसा तो वो खड़ी हो गई। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर-नीचे करवाने लगा.. वो लंड हिलाने में शर्मा रही थी।

कुछ देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसके हाथ में छोड़ दिया.. और मैं शांत हो गया। ये किसी लड़की को बिना चोदे मेरा पहला स्खलन था।

इसके कुछ दिन बाद मेरी बहन का एग्जाम था शहर में.. तो मैंने अपनी बहन को प्रिया के रूम में ही ठहरा दिया। रात में मेरी बहन और प्रिया तख्त पर सो गईं और मैं नीचे चादर बिछाकर सो गया।

प्रिया मेरी तरफ ही ऊपर तख्त पर सोई हुई थी.. मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके करीब होकर उसके शरीर को टच करने लगा। कुछ ही पलों में मैंने उसकी बुर के अन्दर हाथ लगा दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।

मैंने किसी तरह चुदाई की स्थिति बनाई और लंड लगा कर उसे चोदने की कोशिश करने लगा।

वो धीरे से बोली- इधर तुम्हारी बहन जाग जाएगी।

मैंने उसको तुरंत नीचे फर्श पर लिटा दिया.. और उसका पजामा और पेंटी दोनों को पूरा नीचे कर दिया। फिर उसकी दोनों टांगों के बीच में आकर उसकी रसभरी बुर में अपना लंड घुसाने लगा।

लेकिन मेरा लंड बार-बार बुर के छेद से फिसल जा रहा था.. इसलिए मैंने पहले अपनी उंगली घुसाकर देखी कि छेद कैसा है। इसके बाद फिर से लंड को बुर की फांकों के बीच में फंसा कर कोशिश की तो इस बार मेरा लंड थोड़ी अन्दर घुस गया।

लंड क्या घुसा.. वो एकदम से चिहुंक गई और थोड़ी सी चिल्ला दी।

मैंने जल्दी से अपने हाथों से उसका मुँह बंद कर दिया और उसकी बुर में ज़ोर से धक्का मार दिया, वो दर्द से तड़फने लगी। इस तगड़े प्रहार से मेरा पूरा लंड उसकी बुर में चला गया था। कुछ देर तक दर्द बना रहा, फिर उसे भी मजा आने लगा।

अब मैं उसे धकापेल चोदते जा रहा था और वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर रही थी। उस वक्त मेरा पहली बार था.. इसलिए मैं जल्दी ही झड़ गया और सारा वीर्य उसकी बुर में ही छोड़ दिया।

चोदने के बाद मैंने उससे पूछा- कैसा लगा.. एक बार और करूँ? वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ..

फिर मैं अपने हाथों से अपने लंड को सहला कर खड़ा करने लगा और कुछ देर में खड़ा हो गया। मैंने फिर से उसकी बुर की मस्त चुदाई की और उसकी बुर में ही झड़ गया।

इसके कुछ मिनट बाद मैं उठकर बाथरूम में गया और पेशाब करके फिर सो गया।

कुछ देर बाद कुछ देर बाद वो भी बाथरूम गई.. तो मैं उसे मूतते हुए देखने की इच्छा से उठा। बाथरूम के दरवाजे के नीचे एक इंच की झिरी है.. मैं उस झिरी से अन्दर झाँकने लगा। उसने पहले अपना पजामा उतारा और मेरी तरफ बुर करके बैठ गई। अन्दर लाइट जल रही थी.. इसलिए उसकी चुत साफ-साफ दिख रही थी। उसके बुर में घने बाल के अन्दर से पेशाब निकल रही थी। मुझे इस सीन में चोदने से ज्यादा मजा आ रहा था।

उस दिन से लेकर आज तक मैं उसकी चुदाई कर रहा हूँ।

यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है, आपको मेरी सेक्स स्टोरी अच्छी लगी? ज़रूर रिप्लाई कीजिएगा। [email protected]

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