कॉलेज की जूनियर गर्ल की चूत की चुदाई उसी के घर में

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हिंदी में चुदाई की कहानी की सबसे मस्त साईट अन्तर्वासना पढ़ने वाले मेरे प्यारे साथियो, आप सभी को मेरा नमस्कार!

मेरा नाम राजेश है.. मैं रतलाम (म.प्र.) का रहन वाला हूँ। मेरी उम्र लगभग 20 साल की है.. अभी मैं बी.ए. फाईनल का छात्र हूँ। मैं दिखने में एकदम गोरा हूँ.. लड़कियां मुझे देखते ही खुश हो जाती हैं। उन सभी लड़कियों के लिए मेरा 6 इंच का लंड हमेशा खड़ा रहता है।

करीब एक महीने पहले की बात है, जब मैं कॉलेज जा रहा था.. तो एक नई नवेली लड़की बस में पहली बार दिखी। उसको देखकर मैं ठगा सा रह गया। मैंने उसे देखकर पहले तो अनदेखा कर दिया। मैंने किसी साथी दोस्त को भी उसके बारे में नहीं बताया।

मैंने सोचा शायद कोई यह सामान्य यात्री है, कॉलेज की स्टूडेन्ट नहीं… इससे सिवाए चक्षु चोदन के और क्या कुछ हो पाएगा। यह सोच कर मैंने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया।

चूंकि मैं हर रोज बस से कॉलेज जाता था.. तो मैं सोचने लगा कि काश ये लड़की स्टूडेन्ट हो और मुझे रोज ही दिखने लगे। लेकिन दो-तीन दिन तक मैंने बहुत ध्यान किया, पर वो नहीं दिखी।

परंतु जब तीन दिन बाद उसी बस में जहाँ से मैं चढ़ा.. उसके तीन स्टॉप आगे से वो भी चढ़ी.. तो मैं उसे देख कर हैरान रह गया। आज वह अकेली कहीं जा रही थी। मैंने उस वक्त तो उससे कुछ नहीं कहा.. बस उसे देखता रहा। कुछ देर बाद उसकी नज़र अचानक मुझ पर पड़ गई, जिससे मैं उसे देखकर हल्का सा मुस्कुरा दिया। उसने उस वक्त मुँह घुमा लिया और सामने देखने लगी।

मेरे साथ मेरा एक दोस्त भी था, जिसका नाम पिंकेश था.. मैंने उससे पूछा- पिंकू जरा देख उस लड़की को.. जानता है कि कौन है? वो बोला- कौन सी? ‘जो येलो ड्रेस पहने खड़ी है..!’ उसने एकदम से कहा- अरे ये लड़की तो फस्ट ईयर की स्टूडेंट है.. इसने हमारे कॉलेज में न्यू एडमिशन लिया है।

मैंने सोचा वाह.. अब तो बात करने का बहुत ही अच्छा मौका मिल गया। फिर मैंने मेरे दोस्त से उस लड़की के बारे में बात करना छोड़ दिया।

एक-दो दिन निकलने के बाद जब मैं बस में बैठा तो वो सीट पूरी खाली थी। उस दिन बस में सवारियां भी कम थीं। बस चल पड़ी.. अगले स्टॉप से तो कोई नहीं बैठा, लेकिन दूसरे स्टॉप जाकर ही बस रुकी तो वहाँ से दो-तीन सवारियां चढ़ गईं.. इसमें से एक वो भी थी।

तभी एक व्यक्ति मेरे पास आकर बैठने लगा.. तो मैंने जानबूझ कर कह दिया- भाई साहब उन लेडीज को तो बैठने दो.. थोड़े दूर की तो बात है।

वह वहाँ से उठकर उस लड़की को कहने लगा कि आप बैठ जाओ..

वो लड़की शर्माते हुए बैठ गई और उसने धीरे से मुझे थैंक्यू बोल दिया।

उसकी सुरीली आवाज सुन कर एकदम से मेरे मन में तरंग सी दौड़ने लगी।

मैंने मुस्कुरा कर कहा- ओके कोई बात नहीं.. वैसे आप पढ़ाई करने आती हो ना? उसने दबे गले से आवाज निकाल कर कहा- हूँऊ.. मैंने पूछा- आपका नाम? तो उसने कहा- सोनम..

फिर मैंने उससे जानबूझ कर पूछा- कौन सी क्लास में हो और कौन सा सब्जेक्ट है? उसने बताया- मैं बी.ए. फस्ट ईयर की छात्रा हूँ और मेरा यहाँ न्यू एडमिशन है। मैंने भी बिना पूछे ही कह दिया- ओह मैं भी बी.ए. फाईनल ईयर का छात्र हूँ। अगर किसी भी विषय में कोई तकलीफ आए तो बेझिझक पूछ लेना। उसने हँस कर कहा- ओके।

इतने में हमारा कॉलेज आ गया.. फिर मैंने उससे कहा- ओके बाद में मिलते हैं। उसने भी कहा- ओके।

उसके पश्चात मैंने ध्यान दिया कि वो कॉलेज से जल्दी घर चली जाती थी, जिस वजह से मैं उससे मिल नहीं पाता था।

मैं दूसरे दिन भी उसी समय पर गया.. पर उस दिन मैंने पहले से ही सीट रोक ली थी और उसके बस में आने का इंतजार कर रहा था।

वह आई और उसने एकदम से मुझसे पूछा- क्यों मिस्टर.. यहाँ कोई आ रहा है? मैंने एकदम से कहा- नहीं नहीं.. तुम बैठ जाओ।

वह बैठ गई.. मैंने थोड़ी बहुत बात आगे बढ़ाई और बाद में मैंने उससे उसका नम्बर ले लिया।

फिर क्या था.. अब तो मैं उसे हर रोज कॉल करता और पूछता कि पढ़ाई में कोई दिक्कत तो नहीं है.. अगर हो तो बेशक बताना।

वो भी मुझसे बेझिझक होकर बात करने लगी थी। फिर कुछ दिन बाद उसे किसी विषय में कुछ दिक्कत आई.. तो उसने मुझे रात में करीब 10 बजे कॉल किया। मैं उस दिन जल्दी सो गया था तो आधी नींद में मैंने मोबाइल देखा और नम्बर देख कर मैं एकदम से सन्न रह गया।

मैंने एकदम से कॉल उठाया और कहा- हैलो.. इतनी रात गए.. सब ठीक तो है? वो कहने लगी- सॉरी.. लेकिन थोड़ी सी एक सवाल में प्रॉब्लम आ रही थी यार.. क्या आप मुझे बता दोगे? मैंने उसके मुँह से ‘यार..’ शब्द सुना तो मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने कहा- हाँ बिल्कुल बताओ क्या दिक्कत है?

फिर उसने कहा- लेकिन अब कल तो छुट्टी है.. और फोन पर कैसे बता सकती हूँ? मैंने कहा- अगर तुम्हें कुछ दिक्कत ना हो तो मैं कल तुम्हारे घर आ जाता हूँ। उसने कहा- नहीं यार, मेरे मम्मी-पापा यहीं हैं.. वो कुछ गलत सोचेंगे। मैंने कहा- फिर..? उसने कुछ पल सोचकर कहा- मैं तुम्हें अभी फोन करती हूँ। फोन कट गया तो मैं चुपचाप मोबाइल को घूरता रहा। तभी फिर से घन्टी बजी। मैंने तुरन्त हरा बटन दबाया तो उधर से उसकी आवाज आई- हाँ तुम कल मेरे घर आ सकते हो.. क्योंकि मेरे मम्मी-पापा कल बाहर जा रहे हैं। वे लोग परसों वापस लौटेंगे और मैं घर में अकेली ही रहूँगी। मैंने कहा- ठीक है मैं आ जाऊँगा.. लेकिन कितने बजे? उसने कहा- वही 11-12 बजे तक आ जाना। उसने मुझे अपने घर का पता बताया और एक बार फिर से जरूर आने के लिए कहा। मैंने कहा- ओके।

अब मेरी वो रात कैसे कटी थी.. सिर्फ मैं ही जान सकता हूँ। मैं कल आने वाले मजे के बारे में सोच रहा था।

सुबह होते ही मैंने उसे मैसेज किया कि मैंने घर पर कह दिया है कि मैं फ्रेण्ड की शादी में जा रहा हूँ.. खाना मत बनाना.. और इसी के साथ उससे भी कह दिया कि आज अपन दोनों साथ में खाना खाएंगे।

तो उसने तुरन्त मैसेज का जबाव दिया- ओके जी.. मैं आपका खाना भी बना कर रख लूँगी।

करीब 11 बजते ही मैं तैयार होकर घर से निकल गया और बस में बैठ कर चल दिया। उसके घर का पता मैंने पहले से ही देखा हुआ था.. मेन रोड से लगा हुआ ही था। उधर जाते ही मैंने उसका घर ढूँढा और दरवाजा बजाया और हल्का सा धक्का भी दे दिया। दरवाजा खुला हुआ मिला.. मैंने बाहर से आवाज भी लगाई लेकिन शायद अन्दर कोई नहीं था, तो मैं चुपचाप अन्दर चला गया।

मैं समझ गया था कि उसे पता लग गया होगा कि मैं आ गया हूँ, तो शायद वह छुप गई होगी।

लेकिन जैसा सोचा था उसका पूरा विपरीत हो गया था। मैंने अन्दर जाते ही उसे देखा तो दरवाजा पूरा खुला हुआ था और वह पूरी नंगी होकर बाथरूम में शावर के नीचे बैठकर अपनी चूत को मसल रही थी।

उसको नंगी देख कर मेरा दिमाग जाने कहाँ खो चुका था.. उफ़.. क्या बड़े मस्त बड़े खरबूजे जैसे दोनों चूतड़ चमक रहे थे और क्या मुलायम कमर.. नीचे मस्ती से भरी हुई पॉवरोटी जैसी चुत.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसे नंगी देखकर मेरे चेहरे पर पसीना आ गया। फिर एकदम से मैंने थोड़ा सा खांसा।

वो एकदम से मुड़ी और मुझे देखकर चौंक गई और अपने शरीर को अपने हाथों से ढकने की कोशिश करने लगी।

मैंने कहा- सॉरी यार.. ‘कोई बात नहीं..’ उसने भी कहा- मी टू सॉरी.. मैं दरवाजा लगाना भूल गई थी।

मैं वहीं खड़ा रहा.. उसने घबराहट के मारे किसी तरह कपड़े पहने.. वो शर्मा रही थी।

मैंने कहा- शर्माओ मत यार.. कोई बात नहीं.. मैं किसी को भी नहीं कहूँगा। तो उसने कुछ नहीं कहा बस ‘हम्म..’ करके रह गई। फिर उसने बाहर आते हुए कहा- चलो पहले खाना खा लेते हैं। मैंने बैठते हुए कहा- ठीक है।

वह खाना लेकर आई, इतने समय में ही मेरे मन में उसको चोदने के और.. सिर्फ चोदने के विचार बनने लगे।

वो आई और टेबल पर खाना रख कर बैठ गई.. उसका बदन गीला होने से उसके पजामा में से चूतड़ साफ नजर आ रहे थे। ऊपर टॉप में उसके उभरे हुए निप्पल भी साफ़ दिख रहे थे।

ये देखकर मैं मदहोश होता जा रहा था.. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके करीब जाकर उसे कसके पकड़ लिया। वो एकदम से बोली- ये क्या है? मैंने कहा- प्लीज आज मुझे मत रोको बहुत दिनों बाद तुम मुझे अकेली मिली हो.. सिर्फ एक बार मुझे प्यार करने दो।

उसके हाथ-पाँव भी फूल गए कि ये क्या हो रहा है। मैंने कहा- तुम घबराओ नहीं.. मैं किसी को नहीं कहूँगा.. प्लीज। कुछ देर तक कहने पर वह मान गई और कहने लगी- तुम किसी को कुछ मत बताना प्लीज़। मैंने भी कह दिया- हाँ नहीं कहूँगा।

मैंने खाने को एक तरफ खिसका कर कहा- आओ.. कमरे में बैठ कर बात करते हैं। वह राजी हो गई.. फिर क्या था मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और ले जाकर उसके कमरे में उसके बिस्तर पर लुड़का दिया।

वो मुझे पूरा सहयोग कर रही थी। मैंने अपने हाथों से ही उसके कपड़े उतार दिए और उसे केवल ब्रा और चड्डी में ही ला दिया। वो ऐसी मस्त माल लग रही थी जैसे कोई जन्नत की हूर सामने खड़ी हो। फिर मैंने उसे बिस्तर पर सीधा चित किया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बोबों को दबाने लगा। धीरे-धीरे वो भी गर्म होने लगी थी।

मैंने कहा- क्या हुआ मजा नहीं आ रहा है क्या? उसने मुझे कस कर पकड़ कर कहा- बहुत मजा आ रहा है।

मैंने उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसके स्तनों को आजाद कर दिया।

हय.. क्या जबरदस्त मम्मे थे उसके..!

मैंने भी अपने भी सारे कपड़े उतार कर फेंक डाले और पूरा नंगा होकर उसके सामने खड़ा हो गया।

मैंने लंड हिलाते हुए कहा- ले लंड चूस ले..!

उसने भी मेरे लंड का सुपारा मुँह में ले लिया और अन्दर-बाहर करने लगी।

कुछ ही देर में मैं झड़ गया और उसके साथ बिस्तर में लेट गया।

उसने मेरा लंड सहलाते हुए कहा- अब मेरी चूत की आग भी बुझा दो.. मैं बहुत तड़प रही हूँ। मेरी चूत में अपना पूरा लंड पेल दो।

तो मैंने भी अपने हाथ से लंड को सहलाया और उसकी चूचियों क चूस कर खुद को दुबारा से रेडी किया। फिर मैंने अपने पोजीशन में आकार अपने हाथ से अपने लंड को पकड़कर उसकी मुलायम चूत पर रख दिया और धीरे से सुपारा चूत की फांकों में फंसा दिया। चूत के अन्दर लंड पेलते ही उसके मुँह से थोड़ी जोर से ‘आहहह..’ निकल गया।

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबाते हुए आवाज को रोका। एक पल खुद को रोक कर उसकी आँखों में एक बार देखा और उसकी सहमति पाते ही फिर से थोड़ा जोर से धक्का मार दिया।

उसकी चीख फिर से निकलने को हुई और इस बार तो उसकी आँखें बाहर को आ गईं। तब भी मैंने उसे चीखने नहीं दिया। मैंने कहा- बस अब दर्द नहीं होगा जानू.. यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

उसने भी दर्द को झेल लिया और मैं धीरे धीरे चूत को मनाता रहा, कुछ देर बाद चूत भी लंड से चुदने को राजी हो गई।

अब चूत रसीली होने लगी और उसको भी मजा आने लगा। वो खुद ही लंड को अन्दर तक डलवाने में मेरी मदद करने लगी।

वो कहने लगी- हय.. थोड़ा और जोर से.. और जोर से.. आज तो फाड़ ही दो इसे.. साली बहुत तड़फाती है। मैंने भी खूब चोदा।

उस दिन घर पर कोई नहीं था, तो मैंने खुल कर चोदा और उसको कई पोजिशन में लेकर चोदा.. उसने भी बहुत मजे लिए।

इसके बाद तो हम दोनों की चुदाई जब मौक़ा मिलता तो हो जाती थी। जब कभी भी वो घर पर अकेली रहती है, तो मुझे बुला लेती है.. और हम दोनों नंगे होकर खूब मस्ती करते हैं।

आपको मेरी हिंदी में चुदाई की कहानी कैसी लगी.. प्लीज़ कमेंट जरूर लिखें। [email protected]

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