मेरी सेक्सी बिंदास भाभी ने मेरे लंड की सील तोड़ी-6

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भाभी की चुदाई के बाद भाभी ने मुझसे पूछा कि अब से पहले मैंने कोई चूत नहीं चोदी। फिर भाभी हल्के फुल्के मजाक करने लगी। उनके मजाक से मेरे अन्दर की हिम्मत फिर से खुलने लगी।

मजाक करते करते भाभी अचानक मुझसे बोली- अमित, कभी किसी लड़की को मूतते देखा है? ‘नहीं भाभी, कभी नहीं!’ ‘चल मैं तुझे दिखाती हूँ कि किसी लड़की की चूत के किस हिस्से से मूत निकलता है!’ कहकर उठ खड़ी हुई, मैं भी पीछे-पीछे चलने लगा । भाभी फिर बोली- भोसड़ी के… कम से कम अपनी भाभी को गोद में उठा कर ले तो चल! मैंने तुरन्त भाभी को गोद में उठाया और बाथरूम की ओर चल दिया।

गोदी में उनको लिये ही पूछ बैठा- भाभी, आप गाली बहुत बकती हो? वो हल्की सी मुस्कुराई और बोली- ये सब तेरे भाई के कारण है। उस भोसड़ी वाले को गाली देने और सुनने में बहुत मजा आता है। खास कर जब वो मेरे साथ चुदाई का खेल खेलता है।

बाथरूम पहुँच कर मैंने भाभी को गोद से उतारा और फिर अपनी चूत के फांकों को फैलाते हुए बोली- आ मेरे राजा, देख तेरी भाभी कहाँ से मूतती है। मेरी नजर भाभी की चूत में जम चुकी थी, भाभी अपनी चूत को फैलाते हुए किसी एक हिस्से को कुरेदने लगी और मुझे दिखाते हुए बोली- देख अमित, इसको क्लिट कहते हैं। इसके नीचे यहाँ से लड़की औरतें मूतती हैं। कहकर भाभी उस जगह को कुरेद रही थी। भाभी की क्लिट बिल्कुल नुन्नी के समान थी और वो लगातार अपने अंगूठे से उसको कुरेदे जा रही थी। फिर अचानक उससे नीचे से पेशाब निकलने लगी, चूंकि भाभी अपनी क्लिट को लगातार कुरेदे जा रही थी, इसी वजह से उनकी पेशाब के कुछ बूंदें मेरे चेहरे पर पड़ गई।

पेशाब करने के बाद भाभी ने मेरे सर को पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया और बोली- अमित, तुम मेरे गुलाम हो, जो मैं कहूंगी, वो तू करेगा। चल एक बार फिर मेरी चूत को चाट कुत्ते! भाभी अपनी चूत को वो कस कर मेरे होंठों से रगड़े जा रही थी। मेरी जीभ उनकी चूत में चल रही थी और मेरा हाथ मेरे लंड को हिला रहा था।

कुछ देर तक वो उसी प्रकार अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ रही थी, फिर उन्होंने मुझे छोड़ा, मैं हाँफ रहा था- भाभी, तुम बहुत बड़ी कुतिया हो, मेरी जान निकाल कर रख दी। यह हिंदी सेक्सी स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

‘अबे लौड़े के… जब तू मेरा कुत्ता है तो मैं तेरी कुतिया हो हूँगी ना! चल जल्दी आ, अपनी इस कुतिया को जल्दी से चोद दे ताकि इसकी चूत की गर्मी निकल सके!’ ‘चलो, मैं भी पेशाब करके आता हूँ।’ ‘करके क्या आता है? चल जल्दी से कर ले!’

मैंने अपने लंड को संभाल लिया और मूतने लगा कि भाभी ने पीछे से मुझे पकड़ लिया और मेरे दोनों निप्पल को अपनी उंगलियों से मसलने लगी। फिर झटके से अपनी हथेली से मेरे सुपारे को ढक दिया। मेरी धार निकलना बंद हो गई। फिर झटके से अपनी हथेली को हटा लिया तो मेरी धार अनियंत्रित होकर इधर उधर गिरने लगी। फिर वही अपनी गीली हथेली मेरे सीने पर मलने लगी।

मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और गोदी में उठा कर पलंग पर लाकर पटक दिया। मैं उसके दोनों पैरों की उंगलियों को मुंह के अन्दर भरकर चूसने लगा। मैं उनके दोनों पैरों की उंगलियों को बारी-बारी अपने मुंह में भरकर आईसक्रीम की तरह चूसता तो कभी उनके तालू को चाटता!

मुझे ऐसा करते देख भाभी बोली- मेरी जान तूने ये सब कहाँ से सीखा? ‘कहीं नहीं भाभी, बस मेरा मन कर रहा था कि आपके जिस्म का एक-एक अंग का स्वाद चखूँ! तो मैं यह कर रहा था।’

‘आह… जानू, बहुत अच्छा कर रहे हो, लो मेरे जान, जहाँ-जहाँ चाहो तुम मुझे चूम सकते हो।’ धीरे धीरे मैं उनके दोनों पैरों को चूमते हुए उनकी जांघ के पास पहुंच गया और जांघों को मेरी जीभ चाट रही थी जबकि उनकी चिकनी चूत को मेरे हाथ सहला रहे थे।

मैं उनकी चूत को सहलाते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और नाभि को टच करते हुए उनकी चुची के पास पहुंच चुका था। मेरे हाथ अभी भी भाभी की चूत को सहला रहे थे। भाभी उम्म्ह… अहह… हय… याह… किये जा रही थी, बोले जा रही थी- वाह मेरे राजा, बहुत मजा आ रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत मैं पहुंच गई हूँ।

अब मेरा मुंह उनकी चुची की तनी हुई निप्पल के भर चुका था और चूस रहा था। पता नहीं कब मेरी उंगली उनकी चूत के अन्दर चली गई और उस खोल के अन्दर कुछ खोजने लगी। इधर भाभी की चूत में उंगली घुसी तो भाभी ने अपनी गांड को ऊपर उठा ली।

उनकी आंखें बन्द थी और बहुत ही आनन्दित महसूस कर रही थी- मेरे राजा, मेरी चूत भी चाट ले, मेरी चूत तेरी जीभ को अपने अन्दर महसूस करना चाह रही है। चाट मेरे राजा, अब और न तड़पा!

मैं एक बार फिर ऊपर से नीचे की ओर आ रहा था। भाभी मेरे सर को सहलाते हुए बोली- राजा मत तड़पा… जा और नीचे जा! मैं धीरे-धीरे अपनी मस्ती से अपना काम किये जा रहा था, बीच-बीच में मेरी नजर भाभी पर जा रही थी, जो अपनी आँखें बन्द किए हुए अपने होंठों को काट रही थी और बहुत तेज तेज सांसें ले रही थी, ऐसा लग रहा था कि उनका गला सूख रहा हो।

मेरी उंगली जो भाभी की चूत में थी, वो अब गीली हो चुकी थी।

मैंने अपनी उंगली बाहर निकाली, भाभी की चूत से उंगली साफ की और उनकी चूत को सूंघने लगा, सूंघते-सूंघते स्वतः ही मेरी जीभ उनकी चूत के ऊपर चलने लगी। ‘ओफ… बस राजा तड़प मिटा दे। तूने मुझे मस्त कर दिया है, अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर डाल दे।’

मेरा लंड भी काफी तन चुका था, फिर भी मैंने भाभी की बात को रखते हुए उनकी चूत की फांकों को फैलाया और उसमें अपनी जीभ लगा दी। उनकी क्लिट में भी मेरी जीभ चल रही थी।

लंड महाराज भी काफी फड़फड़ा रहे थे और मुझे मेरे सुपारे में अजीब मीठी खुजली सी लग रही थी। मैं भाभी के पैरों के बीच आ गया, उनकी टांगों को थोड़ा फैलाया और लंड को एक झटके से अन्दर डाल दिया।

भाभी को उम्मीद नहीं थी, उनकी आंखें खुली, मेरी तरफ देखा और हल्की सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाती हुई अपनी आंखें बन्द कर ली।

मैंने धक्के मारने शुरू किए, भाभी भी अपनी कमर मटकाते हुए मेरा साथ देने लगी और हम्म हम्म की आवाज निकालती गई। जब मेरे 10-20 धक्के हो गये तो मुझे एक आत्मविश्वास सा मिला कि मैं जल्दी झड़ नहीं सकता हूँ और मेरा लंड और भी जोश में आ गया।

भाभी अभी भी अपनी आंख बन्द किये हुए थी।

तभी मैंने अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और भाभी की कमर को पकड़कर पलटने लगा, उनकी आँखें खुल गई, मेरी ओर देखा, लेकिन बिना कुछ पूछे वो पीछे घूम गई और घोड़ी की पोजिशन में आ गई। लेकिन मैंने उनकी टांगों को खींच कर सीधा किया, उसके बाद मैंने फिर से उनकी टांग के नीचे से चाटना शुरू किया किया और बारी बारी से दोनों टांगों को चाटने लगा।

भाभी एक बार फिर बोली- वाह अमित, तुमने तो चटाई में सबकी गांड की हवा निकाल दी। बहुत अच्छा चाट रहे हो, मजा आ गया। लेकिन मैं उनकी बातों का ध्यान नहीं दे रहा था और अपना काम किये जा रहा था।

जब मैं उनकी टांगों को चाटते हुए भाभी की गांड के पास पहुँचा तो मुझे उनकी गांड बड़ी ही आकर्षक लगी और मेरे दोनों हाथ उनके कूल्हे को दबाने लगे। क्या मुलायम चूतड़ थे, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कोई रबड़ की गेंद को दबा रहा हूँ। जब मैं भाभी के चूतड़ दबाता तो गांड की दरार फैल जाती जिससे उनके गांड की छेद खुल जाती।

दोस्तो, मैं आपको अपने मन की बात बता रहा हूँ कि उनके छेद को देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया और मेरा मन दिमाग पर हावी होने लगा। मन बोल रहा था ‘अमित देख कितनी बढ़िया गांड का छेद है। चाट… इसको भी चाट! बहुत आनन्द आयेगा।’

इसी उपापोह में मैं भाभी के चूतड़ को बहुत कस कर मसलने लगा। भाभी चिल्लाई- अमित भोसड़ी के क्या कर रहा है? ‘स अ अ अ…ऑरी भाभी, कहकर उनके कूल्हे को देखा तो काफी लाल हो चुके थे।

तभी मेरे मुंह की लार थूक के रूप में उस छेद पर टपक गई और जीभ की टिप उस टपके हुए थूक को उस छेद के आस-पास फैलाने लगा। कुल मिलाकर मेरी जीभ भाभी की गांड के छेद को चाट रही थी।

तभी भाभी आह-ओह के साथ बोली- अबे अमित, क्या मस्त चाट रहा है। चाट और चाट… आज अपनी भाभी को मस्त कर दे, चाहे अपने लंड से… चाहे अपने मुंह से… बहुत मजा आ रहा है।

फिर भाभी अपने ही आप घोड़ी की पोजिशन में आ गई और मेरे सामने दोनों छेद साथ साथ थे। मैं कभी गांड चाटता तो कभी उनकी चूत और फिर बीच-बीच में बुर को चोद भी देता था। और जब मुझे मेरा लंड चटवाने का मन करता तो मैं भाभी के मुंह में अपना लंड डाल देता जिसको भाभी बड़े मजे से चूसती। इस तरह से हम दोनों के बीच काफी देर तक यही खेल चलता रहा।

अब मुझे अहसास हो रहा था कि अब मेरा लंड ज्यादा देर तक मैदान में नहीं रह सकता तो मैंने भाभी को गोद में उठाया और टेबल के ऊपर बैठाकर उनकी चूत में लंड पेल दिया और लगा धक्के पे धक्के मारने! भाभी और मेरा चेहरा एक दूसरे के सामने था, भाभी अपने होंठ काटे जा रही थी और ‘शाबाश अमित… और तेज… और तेज चोद…’ बोल कर मेरा उत्साह बढ़ा रही थी।

‘मैं झड़ रही हूँ…’ अचानक भाभी चिल्लाई और फिर ढीली पड़ गई, मैं अभी भी धक्के मारे जा रहा था।

फिर मुझे भी लगा तो मुझे वीडियो याद आया जिसमे भाई जब झड़ने वाला था तो उसने भाभी की चूत से लंड बाहर किया और फिर भाभी की तरफ अपने लंड को चूसने के लिये बढ़ा दिया, लंड दो-चार चुसाई के बाद ही पानी छोड़ दिया था और भाभी ने उस पानी को पूरा गटक लिया था। बस यही बात दिमाग में आते ही मैं भी अपने लंड को भाभी के मुंह के पास ले गया, भाभी बड़ी ही कुशलता के साथ मेरे लंड को चूसने लगी थी और साथ ही मेरे अंडे को दबाये जा रही थी।

बस आठ दस चुसाई के बाद मैंने भी पानी छोड़ दिया, भाभी बिना किसी संकोच के पूरा पानी पी गई। मेरा माल पीने के बाद वो खड़ी हुई और बोली- अमित, आज तुमने मुझे बहुत मजा दिया, चल आ एक एक पैग पीते हैं!

इतना कहने के साथ ही वो अपनी उंगली अपनी चूत में ले गई और अन्दर डालकर फिर बाहर निकाल लिया और वही उंगली मेरे मुंह में डाल दी। फिर दो पैग बनाए और फिर हम दोनों बारी बारी एक दूसरे के गिलास में पड़ी हुई वाईन को पीने लगे।

दो पैग पीने के बाद भाभी बोली- चल अब चल कर सो जाते हैं, सुबह ऑफिस भी जाना है।

मैं भी भाभी के साथ भाभी के बिस्तर पर उनसे चिपक कर सो गया।

भाभी की चूत चुदाई की यह सेक्सी स्टोरी जारी रहेगी। [email protected]

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