ममेरी बहन की और भाभी की चूत की चुदाई-1

दोस्तो, मैं कमल राज सिंह एक बार फिर अपनी एक मधुर यादगार लेकर हाज़िर हूँ। मैं 28 साल का हूँ ऊँचाई 5 फुट 10 इंच.. सुंदर हंसमुख मस्तमौला लड़का हूँ और चंडीगढ़ में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता हूँ।

बात आज से 4 साल पुरानी है, जब मैं 24 साल का था और इस कंपनी में जॉब शुरू ही किया था। उस समय मैं अपने मामा के घर में रहता था। मेरे मम्मी पापा हमारे फार्म हाउस, जो शिमला के पास था, में रहते थे और चंडीगढ़ में घर खरीदने के लिए तलाश कर रहे थे। उन दिनों ज़िन्दगी पर जैसे एक नशा था.. जवानी का नशा.. मस्ती का नशा… हर जगह लड़कियों की औरतों की सुंदरता दिखाई देती थी।

ऑफिस में मेरी बॉस 28 साल की शादीशुदा आशा जी मेरे ऊपर बहुत मेहरबान थी और मुझे उनको देख कर उनसे बातें करना बहुत अच्छा लगता था। जॉब नया था इसलिए बहुत मेहनत से लगन से काम करता था जो उनको बहुत पसंद था और वो हमेशा मेरी तारीफ करती रहती थी।

घर में माहौल और भी मदमस्त था, मामा मामी के अलावा मामा का बड़ा बेटा यानि मेरा बड़ा भाई विनोद और उनकी पत्नी नेहा और मामा की बेटी यानि मेरी एक बड़ी बहन पायल थे। मामा के बहुत बड़ा बिजनेस था और विनोद भाई उनके साथ ही काम करते थे।

घर काफी बड़ा दो मंज़िल का था, विनोद भाई और नेहा भाभी ऊपर एक कमरे में… मैं ऊपर दूसरे कमरे में… ऊपर का तीसरा कमरा गेस्ट रूम था। पायल नीचे एक कमरे में और मामा मामी दूसरे में और नीचे का तीसरा कमरा पूजा का कमरा था।

नेहा भाभी बहुत सुंदर 27 साल की दूध सी गोरी मलाई सी चिकनी बिंदास 36-30-36 की अति सुंदर फिगर वाली बहुत हंसमुख प्यार करने वाली औरत थी। पायल 22 साल की जवान भाभी की तरह सुंदर पढ़ी-लिखी लड़की थी और MBA करने के बाद अपनी ख़ुशी के लिए बैंक में नौकरी करती थी।

नेहा भाभी और पायल मुझे बहुत प्यार करते थी, मेरी हर जरूरत का ख्याल रखती थी, मैं भी बहुत खुश था। शाम को ऑफिस से आने के बाद मैं, पायल, नेहा भाभी और मामी साथ चाय पीते थे और खूब हंसी मजाक, छेड़छाड़ जोक्स चलते थे।

घर का माहौल काफी खुला था, नेहा भाभी और पायल के साथ काफी खुली बातें होती रहती थी। बातों के अलावा नेहा भाभी की साड़ी ब्लाउज में से मदमस्त गदराई गोरी चिकनी झाँकती जवानी देख कर और पायल की निकर और टीशर्ट में उछलती कसी जवानी और केले जैसी दूधिया चिकनी-चिकनी जांघों को देख कर बहुत मस्ती चढ़ जाती थी।

उन दोनों को मालूम था कि मैं उनकी मस्त जवानी देख कर मजा ले रहा हूँ.. पर कोई फर्क नहीं पड़ता था। कभी-कभी तो जब भाभी नीचे झुक कर काम करती होती और मुझे उसकी मस्त गोल-गोल मखमली चुची के दीदार हो जाते… और वो मुझे ऐसा करते पकड़ लेती तो जोर से हंस कर बोल देती थी- क्यों कमल राजा.. कुछ मजा आया या नहीं? बस अब और मत चालू हो जाना। पायल भी नेहा भाभी की बात सुन कर हंस पड़ती थी और बोल देती- भाभी, यह कमल तो बदमाश है ही… तू भी कम नहीं है। इस पर भाभी जवाब देती- कम क्यों.. मैं तो इससे एक कदम आगे हूँ.. इसीलिए तो तुझे इतना प्यार करती हूँ।

मुझे मालूम था कि नेहा भाभी और पायल के बीच में प्यार का खेल चल रहा है। मैंने भाभी के कमरे से उन दोनों की खुसर-पुसर सुनी थी। कभी-कभी तो मेरे सामने ही दोनों एक दूसरी को बाहों में लेकर खूब चूमा चाटी करती, एक दूसरी के सीने को दबा भी लेती थी।

मुझे यह देख कर खूब मजा आता था, मस्ती के इस माहौल में खूब गहमा गहमी रहती थी और जिंदगी बहुत सुंदर और नशीली नज़र आती थी… रसीली थी।

एक दिन शाम को चाय के बाद मैं, नेहा भाभी और पायल डाइनिंग टेबल पर बैठे ताश खेल रहे थे। मामी उस समय पूजा के कमरे में पूजा कर रही थी, हंसी मजाक चल रहा था। भाभी बार बार आगे झुक कर अपने मस्त गोरी चिकनी चुची को दिखा रही थी और मैं उनको देख कर मजा ले रहा था, मेरे पजामे में हलचल हो रही थी।

मैंने हंस कर नेहा भाभी को कहा- भाभी, आपकी गर्ल फ्रेंड तो पायल है.. पर फ़्लर्ट आप मेरे साथ करती हो? मेरी बात सुन कर भाभी हंस पड़ी- अरे मेरे कमल राजा.. यह तू नहीं समझेगा, तेरे जैसे लंबे चौड़े मस्त सुन्दर गबरु जवान के साथ फ्लर्ट करने में बहुत मजा आता है। करती तो सभी लड़कियाँ हैं पर वो छुप-छुप कर करती है पर मैं सरेआम बिन्दास फ़्लर्ट करती हूँ। क्यों पायल तू भी छुप छुप कर मजा तो लेती है। भाभी शरारत से मुस्करा रही थी।

‘अरे भाभी, मैं कहाँ कुछ करती हूँ?’ पायल भी शरारत में मूड में थी- यह तो यही कमल करता रहता है। कल जब मैं इसके साथ मोटर साइकिल पर वापिस आ रही थी तो ये बार बार ब्रेक लगा कर बहुत बदमाशी कर रहा था। पायल में मेरी तरफ देख कर आँख मारते हुए कहा।

‘हाय राम सच्ची? तूने कुछ नहीं किया पायल.. तुझे इतना सब सिखाया है पर कुछ फायदा नहीं… साले बदमाश का वहीं ब्रेक पकड़ कर लगा देती।’ भाभी ने जोर से हंस कर मेरे पजामे में खड़े पप्पू को पकड़ लिया। ‘हाय… उह… इसका ब्रेक तो बहुत हार्ड लगता है यार!’ भाभी ने मेरे लंड को मुट्ठी में कस लिया।

‘उह्ह्ह… यह क्या भाभी? इतनी जोर से ब्रेक नहीं लगाते, ज्यादा झटका लगता है!’ मैंने भी उसकी नंगी कमर पर चुटकी काट ली। ‘हाय राम… सी… ई… ई… तू बहुत जालिम है राजू.. ऐसे कोई मसलता है क्या?’ नेहा अपनी कमर सहलाते हुए बदमाश निगाहों से मुझे देख रही थी और टेबल के नीचे पप्पू को हिला रही थी।

पायल यह देखने के लिए कि भाभी क्या कर रही है, अपनी कुर्सी से उठ कर मेरे बराबर में आकर खड़ी हो गई और बोली- हाय राम, भाभी यहाँ तो सच में बहुत कड़क हो रहा है। ‘अरे मेरी जान, कड़क ही नहीं, गर्म भी खूब हो रहा है। पकड़ कर देख तो पता चलेगा।’ भाभी ने पायल का हाथ पकड़ कर मेरे पप्पू पर रख दिया।

मैं भी अपना हाथ भाभी की कमर से हटा कर पायल की नंगी चिकनी जांघों पर सहलाने लगा।

‘ओह माय गॉड! भाभी देख तो क्या बड़ा सा है राजू का ब्रेक का हैंडल… तेरे और मेरे हाथ के भी बाहर निकल रहा है।’ पायल ने आगे झुक कर भाभी के हाथ के आगे अपना हाथ रख कर कहा। ‘पायल… हां… बहुत बड़ा और कड़क है यार!’ भाभी मेरे पप्पू को जड़ से पकड़े दबा रही थी।

मुझे भी खूब मस्ती चढ़ रही थी, मैंने भी पायल की टीशर्ट में लटकी 34 साइज की गोल-गोल चुची को दबा दिया। उफ़… क्या रुई सी मुलायम थी। पायल बिदक गई… सिसकार उठी- हाय… ई… ईईए… उई… क्या रे… मसल डाला… उई छोड़ दे कमल.. मम्मी आ जाएँगी। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

‘वाह… तुम दोनों ने मेरा पकड़ रखा है तो कुछ नहीं… मैंने जरा सा दबा दिया तो मम्मी याद आ गई?’ मैंने पायल की जांघों पर चुम कर कहा। पायल झट अपना हाथ हटा कर पीछे हट गई पर भाभी अभी तक पप्पू को दबा रही थी।

मैंने उसकी ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुची को मसल दिया और गाल पर चूम लिया। उफ़… ओह… गॉड कमल… आज तुझे क्या हो रहा है? बहुत मस्ती में है?’ भाभी ने जोर से दबा कर कहा।

मेरे पजामे के आगे कुछ गीला गीला हो गया था। ‘ओह गॉड… कमल तेरा तो निकल भी रहा है।’ ‘अगर अंदर माल है तो निकलेगा भी भाभी.. क्यों तेरा भी निकल रहा है क्या? जरा देखने दे ना! मैंने भाभी की जांघों के बीच हाथ डालने की कोशिश करते हुए कहा।

भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरा पप्पू छोड़ पीछे हट गई- सच में कमल राजा… अब तो तेरा… मस्त राम नंगा देखने का मन कर रहा है। नेहा ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपनी साड़ी के ऊपर से जांघों के बीच दबा लिया। ‘हां भाभी यह तो है।’ पायल ने भी मस्ती में हंस कर मेरी तरफ आँख मार कर कहा जैसे मुझे चिढ़ा रही हो।

‘ठीक है भाभी, चल तेरे कमरे में चलते हैं। मैं अपना मस्त राम दिखा दूँगा.. पर आप दोनों को भी अपनी मुनिया दिखानी पड़ेगी।’ मैंने हंस कर नेहा के ब्लाउज के ऊपर से ही चुची सहलाते हुए उसको चूम कर कहा।

‘नहीं रे… हम सब मेरे कमरे में चले जाएँगे तो मम्मी को शक हो जाएगा। अभी तुम दोनों कमल के कमरे में चले जाओ, मैं बाद में आती हूँ। ऐसे भी मेरी देख कर क्या करेगा.. बहुत काली-काली हो चुकी है.. पायल की देख.. खूब गोरी-गोरी चिकनी-चिकनी है।’ नेहा ने पायल की जांघों पर हाथ फेरते हुए कहा।

‘अरे भाभी यह गोरी और काली से क्या मतलब.. मुनिया तो मुनिया है.. मस्ती और प्यार का द्वार.. जिसमें आप दोनों एक दूसरे के साथ खूब मजा करती हैं।’ ‘हां करती हैं.. तुझे क्यों जलन हो रही है?’ पायल ने शरारत से हंस कर जवाब दिया। ‘मुझे जलन नहीं… मस्ती चढ़ जाती है।’

मैं कुर्सी से खड़ा हो गया और पायल का हाथ पकड़ कर पजामे में बने तम्बू पर रख दिया- और यह हो जाता है। ‘हाय सच.. यह तो बहुत अच्छा है राज.. तू बिना कुछ किए ही मजा ले लेता है।’ नेहा हंस रही थी। पायल ने मेरा लंड कस के पकड़ रखा था, मैं भी उसके बूब्स टीशर्ट के ऊपर से हक्के हल्के हल्के दबा रहा था।

तभी पूजा रूम से आवाज़ आई.. हम सब ठीक होकर अलग अलग हो गए।

मामी को देख कर मैंने कहा- अच्छा भाभी, मैं अपने कमरे में चलता हूँ.. क्यों पायल तू आ रही है किताब लेने के लिए या तू भी बाद में लेगी? मेरी बात सुन कर नेहा और पायल नीचे मुंह करके मुस्कराने लगी।

‘नहीं… मैं चल रही हूँ।’ पायल ने कहा और मेरे साथ ऊपर चल दी।

हम दोनों हँसते हुए ऊपर मेरे कमरे में आ गए और पायल ने दरवाज़ा बंद कर के मुझे दरवाज़े के ऊपर अपने बदन से धकेल कर दबा लिया। उसकी बिना ब्रा की गोल-गोल रूई सी मुलायम चुची मेरे सीने में दब रही थी।

उसने एक हाथ से मेरा पजामा नीचे खिसका कर पप्पू बाहर निकाल हाथ में पकड़ लिया- .उह… उह… राज बहुत तगड़ा हो गया है तेरा? ‘तू भी तो इतनी बड़ी हो गई है। याद है पायल बचपन में जब हम छुपम-छुपाई खेलते थे तू इसी तरह अपना रोब दिखा कर मुझे ऐसे ही पकड़ कर मेरी लुल्ली से खेलती थी।’

मैंने अपना एक हाथ उसकी टीशर्ट में नीचे से डाल उसकी रूई सी मुलायम चुची पकड़ ली और दूसरा हाथ उसकी निकर में डाल उसके रेशमी चूतड़ मसलने लगा। वो मस्ती भरी बड़ी-बड़ी आँखों से मुझे देख रही थी- उस समय तेरा कितना छोटा सा प्यारा प्यारा था। वो मुस्कराने लगी- अब तो कितना बड़ा हो गया है… दो मुट्ठी से भी बड़ा हो गया है। उस समय तू मेरी छातियों को कैसा चाटता था। ‘उस समय वहाँ पर कुछ था ही नहीं… बस छोटे-छोटे नींबू थे.. अब तो क्या सुन्दर मुलायम-मुलायम माल हो गए हैं।

‘तू भी तो अपनी पेंटी में मेरा हाथ घुसा कर क्या जोर से रगड़ती थी। उस समय वहाँ बाल भी नहीं थे.. अब तो पूरा जंगल उग गया होगा? मैंने उसकी निकर खोलते हुए उसको चूम कर कहा। ‘हट पागल.. मैं क्या जंगल उगा कर रखूंगी… भाभी ने कहा है.. हर समय उसको साफ करके रखती हूँ.. देख ले चाहे!’ पायल ने प्यार से अपनी निकर नीचे खिसका कर अपनी गोरी-गोरी चिकनी-चिकनी बंद फुद्दी दिखाते हुए कहा।

उसकी यह मासूमियत देख कर मैं हंस पड़ा- वाह पायल, अब तो बहुत सुन्दर मुनिया हो रही है। मैंने अपनी उंगली से उसके बाहर झांकते दाने को दबा कर कहा। पायल सिसकार उठी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और उसने अपनी जांघ के ऊपर जांघ रख कर भींच ली। मेरी उंगली अंदर दबी थी।

वो मेरे पप्पू को गौर से देख रही थी- तूने भी तो अपना जंगल साफ़ करके रखा है… क्या सुन्दर गोरा-गोरा चिकना-चिकना लग रहा है तेरा पप्पू!

पायल मेरे नज़दीक आकर मेरे होठों को चूमने लगी और नीचे पप्पू को अपनी जांघों पर और मुनिया पर छू रही थी.. दबा रही थी। मैंने एक हाथ से उसके मखमली चूतड़ दबा रखे थे और दूसरे से टी शर्ट के अंदर रूई से मुलायम बूब्स को सहला रहा था।

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई…

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