दोस्त की बहन और बुआ की चुदाई करके मजा दिया-4

दोस्त की बहन और बुआ की चुदाई करके मजा दिया-3 अब तक आपने इस चुदाई की कहानी में पढ़ा.. आंटी ने मुझे बाथरूम में पकड़ लिया था और समझ गई कि मैं और शालू यहां चुदाई के लिए आए हैं। वे मुझे और शालू को अपने गुस्से का शिकार बना रही थीं।

मैं बोला- आंटी ग़लती हो गई.. अब नहीं होगा। शालू का रोना बंद नहीं हो रहा था।

आंटी ने शालू से पूछा- यह सब कब से है? वो तब भी नहीं बोली, तो आंटी चिल्ला दीं। तब शालू ने बोला- दो साल हो गए हैं। इतने में जीजा ने आवाज लगा दी- शालू..! तब शालू बोली- आई जान आई..

मैं जाने लगा तो आंटी बोलीं- तू यहीं रुक! और आंटी शालू से बोलीं- जा, सुनील जी को लेकर निकल.. मैं इससे बात करके आती हूँ। फिर शालू और जीजा जी निकल गए।

अब आंटी बोलीं- हाँ तो राहुल अब तू मुझे पूरी बात बता.. तुम दोनों यहाँ कितनी देर से मज़े लूट रहे थे? तो मैं बोला- आंटी अभी थोड़ी देर ही हुई थी।

इतने मैं आंटी मेरे पास आईं और मेरे लंड को मुट्ठी में भर के दबाने लगीं और बोलीं- अच्छा तेरा ये तो बहुत मचल रहा है.. जो तू मेरी भतीजी को पेलने में लगा था।

यह कहते हुए आंटी ने मेरे लंड को और तेज दबा दिया। मेरे मुँह से कराह निकल गई- आह्ह.. आंटी प्लीज़ मत करो.. लगती है।

आंटी ने पकड़ ढीली की, तो मुझे आराम आया.. लेकिन इस दौरान आंटी मेरे बहुत पास आ गई थीं और उनके जिस्म की सुगन्ध मुझे मदहोश करने लगी।

उधर उनका हाथ मेरे लंड पर होने से लंड फिर से झटके देने लगा था.. लेकिन वो तो बोले जा रही थीं और मुझे धमकी दे रही थीं।

मेरा तो वैसे भी आधा काम हो पाया था तो आंटी के पास होने से मेरा तो मूड बनने लगा। मैं सोच रहा था कि आंटी को ही पकड़ लूँ.. लंड को तो सबकी चुत एक जैसी ही लगती है।

आंटी भी 40 साल की थीं, लेकिन अभी भी मस्त माल लगती हैं.. ऊपर से इस वक्त शादी का मेकअप था.. सो और भी झक्कास माल दिख रही थीं। उनके तने हुए चूचों और उठी गांड का तो पूछो ही मत.. देखने में ही मजा आ जाए।

मैं इस वक्त बस उनके मम्मों को देख कर उनको चोदने की सोचने लगा था।

उधर आंटी लंड को फूलता हुआ महसूस करके एकदम से बोलीं- क्यों रे, तू अभी भी नहीं मान रहा है? तब मुझे होश आया.. उस वक़्त मेरे मन में हवस भरी थी।

आंटी बोलीं- अब तो तेरा कुछ करना ही पड़ेगा। उन्होंने मुझे एक कस कर चांटा मार दिया और बोलीं- अब मैं तेरे पापा से बात करूँगी।

अब मेरी गांड फटी और मैंने सोचा अबे मादरचोद यह क्या कर दिया तूने.. अब तो तू गया काम से।

मैं आंटी से बोला- सॉरी आंटी.. बस एक बार माफ़ कर दो.. अब आगे से नहीं होगा प्लीज। लेकिन आंटी बोलीं- नहीं, अब तो तू गया समझ..

यह कह कर आंटी जाने लगीं.. उधर मेरी गांड पूरी फट गई.. मैंने आंटी का हाथ पकड़ कर रोका, तो वो तो बस गुस्से से लाल हो गईं और मुड़ कर मुझे एक और थप्पड़ मार दिया, जिससे मुझे गुस्सा आ गया।

आज तक मेरे पापा ने मुझे नहीं मारा और इस साली ने मुझे दो झापड़ मार दिए। अब मैंने सोच लिया कि मरना तो है ही.. तो कुछ करके मरूं!

मैंने आंटी को कमर से पकड़ लिया, वो एकदम से चिल्लाईं- यह क्या कर रहा है तू? मैं कुछ नहीं बोला और आंटी को उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया। आंटी बोलीं- तू पागल हो गया क्या? ये सब क्या है? तो मैं बोला- चुप कर.. तूने मेरा लंड क्यों पकड़ा.. अब मैं तेरा ही मजा लूँगा। जाकर बोल देना सबको मैं किसी से नहीं डरता।

आंटी डर गईं और बोलीं- राहुल मत कर ऐसा प्लीज़.. मैं किसी को कुछ नहीं बोलूँगी। मैं बोला- नहीं.. अब तो तू सबको बोल साली.. मुझे चांटा मारती है.. मेरे बाप ने मुझे आज तक नहीं मारा, तू तो चीज ही क्या है! मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उनके हाथ पकड़ कर उनके होंठों को चूमने लगा।

वो मुँह घुमाने लगीं और हाथ पैर फटकने लगीं, लेकिन मैंने टाइट पकड़ रखा था.. तो वो कुछ नहीं कर पाईं।

अब मैं आंटी के होंठों को चूस रहा था। थोड़ी देर किस करने के बाद मैं हटा तो आंटी बोलीं- मत कर प्लीज.. मैं शादीशुदा हूँ। तो मैं बोला- अब चुपचाप सब करवा ले.. तुझे भी मजा मिलेगा और मेरा काम भी हो जाएगा। एक बार चुदवा ले, तू भी याद करेगी साली मुझे.. और बार-बार चुदवाएगी। आंटी बोलीं- मत कर राहुल.. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ। मैं बोला- कुछ भी कर तू आज.. पर तेरी चुत का भोसड़ा बना कर रहूँगा, सीधे से मान जा!

मैंने उनकी साड़ी हटा कर ब्लाउज को फाड़ दिया चिर्रर.. की आवाज आई और साथ में अन्दर की काली ब्रा भी आधी फट गई। आंटी के मस्त दूध थे।

अब मैं उनके मम्मों को फटी ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा और बोला- आंटी मान जाओ यार.. लंड तो तुमने भी टटोला था.. चुपचाप चोदने दो ना। तो आंटी धीमे स्वर में बोलीं- राहुल प्लीज़ मुझे छोड़ दे.. ये ठीक नहीं है। मैं बोला- आंटी मैं रिस्क नहीं ले सकता.. काम तो पूरा ही करूँगा.. इसलिए बोल रहा हूँ कि मान जाओ और तुम भी मजा लो।

आंटी कुछ सोचने लगीं और बोलीं- ठीक है बस आज कर ले.. फिर नहीं करना। तो मैं खुश होकर बोला- ठीक है आंटी.. आगे तो मेरी परफ़ॉर्मेंस बोलेगी।

अब मैं उनको किस करने लगा। कुछ ही पलों में वो मेरा साथ देने लगीं.. और मैं उनके रसीले होंठों को चूसने लगा था। कभी उनकी जीभ को चूसता तो कभी गालों को काटता।

अब मैं हटा और अपनी शर्ट उतार कर फिर से उनकी गरदन को चूमते हुए मम्मों पर आ गया। मैंने आंटी के एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दूसरे को उंगलियों से मींजने लगा।

आंटी भी अब पूरी गर्म हो गई थीं, वो मेरे सिर में हाथ घुमा रही थीं और मैं उनके निप्पलों को कसके चूस रहा था। मैं बीच-बीच में उनके मम्मों पर किस भी कर रहा था।

कुछ ही देर में आंटी पूरी मस्त हो गई थीं। अब मैं आंटी के ऊपर से हटा और अपनी जीन्स खोलने लगा.. उधर आंटी भी पूरी नंगी होकर मेरे मूसल लंड को घूरने लगीं। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैं लंड हिला कर बोला- आंटी, क्या हुआ कैसा लगा मेरा लंड? आंटी बोलीं- तभी मैं सोचूँ कि शालू तुझसे क्यों चुदवा रही थी। मैं हँस कर बोला- और क्या तुमने क्या समझा.. वो कोई लुल्ली से चुदवा रही थी?

आंटी बोलीं- हाँ सच में तेरा तो मूसल है.. देख तो कैसा फनफना रहा है! तो मैं बोला- आंटी इसे केला समझ कर मुँह में तो लो.. फिर देखना इसका कमाल। तो बोलीं- हाँ अभी लेती हूँ.. इतना बड़ा तो पहली बार मुँह में लूंगी।

आंटी ने लपक कर मेरे सुपारे को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगीं। आंटी लौड़े को पूरा स्वाद लेकर चूस रही थीं। मैं भी मस्त होकर लंड चुसाता हुआ बोला- आंटी आप अपनी चुत भी तो मुझे चूसने दो। उन्होंने हंसते हुए लेट कर चुत पसार दी हम दोनों 69 में आ गए।

उनकी भोसड़ी देख कर मेरा मन थोड़ा खराब सा हो गया.. क्योंकि आंटी की चुत पर बाल बहुत थे। मन मार कर मैंने अपना काम चालू कर दिया और अपनी जीभ से उनकी चुत को चोदने लगा।

वो भी मेरे लंड को चूस रही थीं और मस्ती में अपनी चुत को मेरे मुँह पर दबा रही थीं। कुछ देर में हम दोनों अलग हुए।

आंटी बोलीं- राहुल.. तू सच बोल रहा था रे.. मस्त कर दिया तूने! मैं बोला- अभी कहाँ आंटी.. अभी तो मजा बाकी है। आंटी बोलीं- अब तो मैं तेरी हूँ.. जो करना हो कर ले।

मैं बोला- आंटी आपकी गांड को देख कर मैं तो पागल हो गया हूँ। आंटी बोलीं- क्या मतलब? तो मैं बोला- पीछे डाल दूँ क्या? वो एकदम से चिहुंक कर बोलीं- नहींईई.. मैंने आज तक तेरे अंकल से भी पीछे से नहीं डलवाया और फिर तेरा तो घोड़े जैसा है.. इससे तो बिल्कुल भी नहीं। तो मैं बोला- आंटी मैं आराम से करूँगा प्लीज़.. करवा के तो देखो।

कुछ देर बाद बहुत मनाने के बाद वो मानीं। उन्होंने गांड में लंड लेने से पहले क्रीम निकाल कर मेरे लंड पर लगा दी और थोड़ी खुद की गांड पर मल ली।

अब आंटी डॉगी स्टाइल में आ गईं। अब मैंने लंड को आंटी की गांड के अन्दर पुश किया तो थोड़ा सा अन्दर घुसा। आंटी इतने में ही चीख पड़ीं- अहह राहुल.. धीरे कर.. मुझे दर्द हो रहा है।

तभी मुझे उनका चांटा याद आया और मैंने सोचा इस साली आंटी को अब बताता हूँ। जितना लंड अभी उनकी गांड के अन्दर था, उसे निकाल कर एक जोरदार शॉट दे मारा।

इस बार साली आंटी की गांड में मैंने आधे से ज़्यादा लंड घुसा दिया था। क्या चीख निकली उसकी.. कि पूरे कमरे में तो क्या.. बाहर मोहल्ले में भी सुनाई दी होगी।

आंटी की गांड से खून भी निकलने लगा था.. वो एकदम से नीचे पसर कर रोने लगीं। आंटी बोलीं- आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… कुत्ते मादरचोद.. निकाल इसको.. यह तेरी माँ का भोसड़ा नहीं है.. मेरी गांड है भोसड़ी के.. मार दिया कमीने ने अह..

मैं उनको देख कर हंसने लगा और बचा हुआ लौड़ा भी आंटी की गांड में फिट कर दिया, आंटी बिस्तर नोचती रह गईं। अब मैं रुका और आंटी के मम्मों को दबाने लगा.. थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल हो गईं।

अब मैंने स्ट्रोक देने चालू किए.. आंटी को भी मजा आने लगा था और मुझे तो आने ही था, आंटी की कसी हुई गांड जो बजा रहा था।

कुछ मिनट तक गांड मारने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और एकदम से आंटी की चुत में फिट कर दिया। आंटी- आहह मादरचोद.. पहले बोलता तो सही.. चुत फाड़ दी साले। मैं बोला- आंटी सॉरी..

अब मैं चुत को चोदने लगा।

आंटी- आहह राहुल्ल.. अह.. ऐसे ही चोद इसको मजा आ रहा है.. ऊहह और तेज चोद.. मजा आ गया.. मैं जाने वाली हूँ., आह.. बस आंटी झड़ गईं।

अब मैंने स्पीड बढ़ा दी और बिना रुके देर तक उनकी चुत को चोद कर भोसड़ा बना दिया।

मैं उनकी चुत में ही झड़ गया और साइड में आकर लेट गया। आंटी और मेरी साँसें तेज चल रही थीं। हम दोनों थोड़ी देर लेटे रहे। फिर मैं अपने कपड़े पहनने लगा।

आंटी ऐसे ही पड़ी हुई मुझे देख कर बोलीं- राहुल तू तो बड़ा एक्सपर्ट है, तभी शालू तुझसे चुदती है। तूने मुझे मज़े करवा दिए यार, अब से मुझे भी मिलते रहना। मैंने कहा- मैंने कहा था ना आंटी एक बार लोगी तो बार-बार याद करोगी। आंटी मुस्कुरा कर बोलीं- लेकिन तू बड़ा मतलबी है.. मेरी हालत देखे बिना चल दिया।

मैं बोला- आंटी क्या हुआ आपको? वो बोलीं- मुझे उठा कर बाथरूम में तो ले चल।

कुछ देर बाथरूम में हम दोनों रहे और अब आंटी भी तैयार हो कर मेरे साथ ही होटल चल दीं।

शालू हम दोनों को अन्दर आते देख कर मेरे तरफ आई और आंटी से बोली- क्या हुआ.. आप ऐसे क्यों चल रही हैं?

तो आंटी मेरी तरफ देख कर हँसती हुई निकल गईं। तो शालू ने मुझसे पूछा- क्या हुआ राहुल और आंटी गिर गई क्या? मानी की नहीं? मैं बोला- तू चुप रह और सुन.. आंटी मान गई हैं।

शालू खुश हो गई और बोली- यह ठीक रहा। मैं बोला- आंटी ने बोल दिया है, जो करना हो कर लो। तो शालू बोली- आंटी कहाँ गिरीं? मैं हँसने लगा.. तो बोली- हँस क्यों रहा है? तो मैं बोला- अरे पागल मैंने आंटी को भी मस्त कर दिया है। उसके तो होश उड़ गए और बोली- कैसे? तब मैंने बोला- चल रात को अकेले में बताऊँगा।

फिर रात को मौका देख कर मैंने शालू को पूरी स्टोरी बता दी और शालू को भी चोद दिया।

इसके बाद शालू मुझे दो और सेक्स बॉम्ब का मजा दिलवाया.. वो सब बाद में लिखूंगा।

आपको आंटी चुदाई की कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे मेल कीजिएगा। [email protected]