चुदाई की प्यासी आंटी ने चूत चुदाई के लिए मुझे फ़ंसाया

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हिंदी में चुदाई की कहानी की इस मस्त साईट अन्तर्वासना में मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ। मैं अपने बारे में बता दूँ मेरा नाम निहाल है। मेरी उम्र 21 वर्ष, हाइट 5 फुट 9 इंच है.. दिखने में मैं स्मार्ट हूँ और मेरे लंड का साइज औसत से काफी लम्बा व मोटा है।

यह बात करीब एक साल पहले की है.. जब से मैं दिल्ली में ही हूँ। मैं यहाँ कोचिंग ले रहा हूँ और किराये के मकान में रहता हूँ।

मेरे मकान के पास ही एक आंटी भी रहती हैं, जो दिखने में बहुत सेक्सी हैं.. बस थोड़ा रंग सांवला है। उनके पति अक्सर काम के सिलसिले में घर से बाहर ही रहते हैं, जिसकी वजह से आंटी थोड़ी उदास भी रहती थीं।

एक दिन आंटी की तबियत खराब थी, तो वो मेरी मकान-मालकिन से पेन किलर लेने आईं.. लेकिन पेन किलर मकान-मालकिन के पास भी न होने की वजह से उन्होंने मुझे लाने के लिए बोला। मैंने पूछा- क्या हुआ? इस पर मेरी मकान-मालकिन ने मुझे पड़ोस वाली आंटी से मिलवाया और बताया कि इनकी तबियत खराब है।

फिर उन आंटी से ‘हाय हैलो..’ के बाद मैं मेडिकल शॉप से पेन किलर ले आया। लेकिन तब तक आंटी वहाँ से जा चुकी थीं।

मेरी मकान-मालकिन ने मुझसे कहा- उनके सर में ज्यादा दर्द था इसलिए वो अपने घर चली गई हैं.. तुम ये दवाई उनके घर पर ही दे आओ। वो आराम करने की बोल कर गई हैं। मैंने कहा- आप दे आओ। उन्होंने कहा- प्लीज तुम दे आओ मुझे नहाना है।

थोड़े से संकोच के बाद मैं चला गया तो आंटी लेटी हुई थीं। वो जिस तरह से लेटी थीं, उससे उनके चूचे थोड़े बाहर को निकलते दिख रहे थे।

मैं अभी उन मम्मों की छटा को और निहारता कि आंटी मुझे देखकर उठ गईं। उन्होंने मुझसे दवाई लेकर ‘थैंक्स..’ बोला और मैं वापिस आ गया। लेकिन मेरे मन में अभी भी आंटी की वही मम्मों की छटा घूम रही थी।

मैंने पहली बार किसी के चूचे इस तरह से देखे थे। मैं बहुत गरमा गया और मैंने उनके नाम की मुठ मारी और सो गया।

फिर 4-5 दिन बाद मुझे वही आंटी मार्किट में मिलीं.. तो ‘हाय-हैलो..’ हुई। आंटी ने मुझे घर तक लिफ्ट ऑफर की तो मैंने ‘हाँ’ बोल दी।

यहाँ मैं आपको बता दूँ कि आंटी के पति अच्छी खासी तनख्वाह पाते हैं.. जिसके कारण वे बहुत रईस हैं।

आंटी के पास स्विफ्ट कार है.. जिसमें उन्होंने मुझे लिफ्ट दी। कुछ दूर तक हम दोनों बिल्कुल खामोश रहे.. फिर मैंने चुप्पी तोड़ते हुए बात शुरू की।

इससे पता चला कि आंटी का नाम रीमा है। हम दोनों एक ही बार की मुलाक़ात में काफी घुलमिल गए।

आंटी ने मुझे छोड़ने से पहले डिनर पर बुलाया। मैं हामी भरते हुए पहले अपने रूम पर आया और फिर नहा-धोकर अच्छा सा परफ्यूम लगाकर 9 बजते ही आंटी के घर पहुँच गया।

आंटी ने वेलकम किया और अन्दर आने के लिए बोला। आंटी ने काले रंग की जालीदार नाइटी पहनी हुई थी, जिसमें वो और भी मादक लग रही थीं।

मुझे बैठने को कहकर आंटी ने खाना लगा दिया, अब हम दोनों साथ बैठकर खाने के साथ हम बात कर रहे थे।

आंटी मेरी कोचिंग के बारे में पूछ रही थीं। इसी के साथ और भी बातें चलने लगीं, जिनमें मेरी गर्ल फ्रेंड होने की बात भी आंटी ने की।

मैंने आंटी को बताया कि मैं एक लड़की को पसंद करता हूँ.. लेकिन कभी उससे बोल नहीं पाया।

आंटी ने अब मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी.. तो मैं थोड़ा सहम गया।

तभी आंटी ने कहा- मेरी आँखों में देखो निहाल! मैंने देखा तो लगा मानो वो मुझसे कुछ मांग रही हों। मैंने शरमाते हुए पूछा- क्या हुआ?

आंटी मुझसे लिपटकर ‘सिसक-सिसक कर रोने लगीं.. मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि वो 34 साल की हो गई हैं, लेकिन अभी तक उनके पति उन्हें बच्चा नहीं दे पाए।

मैंने उन्हें हिम्मत बंधाई तो उन्होंने मुझे और जोर से पकड़ लिया। अब तो मेरा लंड खड़ा होकर उनकी जांघों को छूने लगा।

आंटी ने मेरे लंड को महसूस किया लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं.. तो मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उन्हें एक ज़ोरदार किस कर दिया और कहा- रीमा डार्लिंग..

मेरे डार्लिंग कहने पर तो मानो उन्होंने आत्मसमर्पण ही कर दिया। मैं उन्हें गोद में उठा कर रूम में ले गया और किस पर किस करने लगा, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं।

मैंने उन्हें बिस्तर पर पटक दिया और उनकी नाइटी उतार दी। नाइटी उतरते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। क्या मस्त फिगर था यार.. शायद 34-30-36 का रहा होगा, आंटी एकदम माल लग रही थीं।

वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैंटी में थीं उनके उरोज ब्रा से बाहर आने को बेताब थे। मैंने ऊपर से ही उन्हें पागलों की तरह दबाए जा रहा था। मैंने एक हाथ उनकी ब्रा खोल दी और मम्मों को चूसने लगा। थोड़ी देर तक चूचियां चूसने के बाद मैंने अचनाक एक झटके में उनकी पैंटी खींच कर निकाल दी।

वाह क्या नज़ारा था.. उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे।

वास्तविकता में मैं पहली बार किसी की चूत देख रहा था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और आंटी की चूत में उंगली करने लगा। उम्म्ह… अहह… हय… याह… आंटी गर्म होने लगीं।

अगले ही पल मैंने अपने लंड को आंटी की तरफ बढ़ाया तो आंटी ने दो मिनट लंड चूसा और चूत खोल कर चित लेट गईं। मैंने भी उनका इशारा समझ लिया कि पहली बार में चुदास शांत कर लो। बाकी मजा तो अगली बार भी लिया जा सकता है।

बस धकापेल चुदाई हुई.. बाद में मालूम हुआ कि मेरी मकान मालकिन और आंटी की मिली भगत से मेरे लंड का शिकार किया गया था।

दोस्तो, मैं अब मकान-मालकिन की चूत की चुदाई की कहानी को भी लिखूंगा.. पर पहले आप अपने मेल लिखिएगा। [email protected]

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