हसीन भाभी के साथ सुहाना सफ़र और चोदा चोदी-1

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मैं जय अहमदाबाद का आज फिर से बहुत बरसों के बाद आपके सामने आया हूँ। अनजान भाभी की चोदा चोदी की यह कहानी मेरे जीवन की सुहानी यादगार घटना में से एक बन गई है, जो आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ।

मैं अहमदाबाद से रोज दूसरे शहर तक अपडाउन करता हूँ। मैं हर रोज गाड़ी (शेयर टैक्सी वाली जीप) में जाता हूँ.. और जब भी अपने बाजू वाली सीट में कोई सेक्सी भाभी या आंटी को देखता तो मेरी पास वाली सीट पर बैठा लेता।

एक दिन जब मैं गाड़ी में बैठा, तब एक मस्त भाभी आकर मेरे आगे वाली सीट पर बैठ गई। वो एक गोरी-चिट्टी बड़े खूबसूरत हुस्न की मालकिन थीं, उनको देखो तो ऐसा लगे की कोई अप्सरा आसमान से नीचे आ गई हो। वो 36-30-38 के मस्त फिगर वाली आइटम सी लग रही थीं। उनके होंठ गुलाब की पंखुड़ी की तरह लाल, नर्म और रसीले से लग रहे थे.. आँखें नशीली शराब की तरह लग रही थीं।

मैं मन में ही सोच रहा था कि काश ये भाभी मेरे पास आकर बैठ जाए, तो कुछ काम बन जाए।

गाड़ी थोड़ी देर में भरने लगी, तब ऐसा हुआ कि आगे एक कपल आकर बैठ गया तो वो भाभी को बैठने को नहीं भाया तो वो उठ गईं।

वो नीचे उतरीं तो मैंने फट से अपने साइड का गाड़ी का दरवाजा खोला और बोला- आप इधर आकर बैठ जाएं। उसने मेरी ओर घूर के देखा, फिर हल्की सी मुस्कान देकर बैठ गईं।

मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई हो.. मैं खुश हो गया। आप लोग को बता दूँ कि ये गाड़ी में आगे-पीछे सब जगह वो लोग 5-5 लोगों को बिठाते हैं.. जिससे अन्दर बैठे लोग आपसे एकदम पास-पास आ जाते हैं। मुझे तो ये ही चाहिए था कि ये भाभी मेरे से चिपक कर बैठ जाए।

फिर गाड़ी चल दी।

अभी आप ही सोचिए कि ऐसे लोग सट कर बैठे हों और रास्ते में गाड़ी कच्ची सड़क से निकले.. तो कैसा होगा।

मैं वैसे भी किसी के साथ भी बात करने में एक्सपर्ट हूँ। मैंने धीरे-धीरे उस भाभी से बात करनी चालू कर दी। उन्होंने जिस जगह के बारे में बताया, जहाँ वो जा रही थी.. तो मुझे समझ में आ गया कि वो जगह तो ठीक मेरे ऑफिस के सामने ही थी।

फिर मैंने उनको उस जगह का सही पता बताते हुए पूछा कि मतलब आपको इधर जाना हैं? तो वो बोलीं- हाँ वहीं!

मैंने उन्हें अपने साथ आने को बोला.. क्यूँकि वो मेरे ऑफिस के एकदम सामने ही था। वो तैयार हो गईं। अब वो सफ़र मुझे सुहाना लगने लगा क्यूँकि वो हुस्न की परी मेरे पास बैठी थी। वो भी मेरे साथ एकदम आराम से और हँस कर बात कर रही थीं।

मैंने देखा कि वो मेरे साथ कुछ ज़्यादा ही घुलमिल के बात कर रही थीं। मेरे मन में एक खयाल आया कि भाभी को कुछ गर्म करके अपने ऑफिस में ले जाऊँ, क्यूँकि आज ऑफिस में कोई नहीं आने वाला था।

फिर मैंने मेरा एक हाथ कुछ इस तरह रखा कि उसके चूचे मेरे हाथ की कोहनी से छूने लगे। गाड़ी वैसे भी कच्ची सड़क पर चल रही थी, तो मुझे कुछ ज़्यादा नहीं करना पड़ा। धीरे-धीरे मेरे हाथ उनके चूचे को दबाते हुए छूने लगे, लेकिन भाभी ने इस पर कुछ भी रिएक्ट नहीं किया। इससे मुझे थोड़ी हिम्मत आ गई।

मैंने देखा कि आगे एक बंप आ रहा है। तो मैं करतब करने के लिए तैयार हो गया। जैसे ही बंप आया कि मैंने हाथ से पूरे चूचे को दबा दिया, लेकिन मैंने जो सोचा था, उससे विपरीत हुआ।

मुझे लगा था कि ये कुछ गुस्सा करेगीं, लेकिन इसके उलट भाभी ने मेरी ओर देख कर एक प्यारी सी स्माइल दी.. तो मैं तो समझो जन्नत में पहुँच गया।

फिर तो क्या था.. मैंने किसी और को पता ना चले.. उस तरह से उसके चूचे पर अपनी हथेली रख दी और चूचे को मसलने लगा। वो भी मेरी हथेली से अपने चूचे को मस्ती दबवाने लगीं। मुझे इतना मजा आ रहा था कि आप इसे सच नहीं मानोगे। मैं उनके साथ चोदा चोदी करने को भी तैयार हो उठा था।

मैंने भाभी का नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम ‘सुहाना’ बताया। यह नाम सुनते ही मुझे सुहाने सफ़र में और मजा आ गया।

फिर मैंने कुछ ऐसा किया कि सुहाना भाभी ने सोचा भी नहीं था। मैं जिस हाथ से उनके चूचे दबा रहा था.. वही हाथ मैंने उनके टॉप के अन्दर डाल दिया और उनकी ब्रा थोड़ी ऊपर करके उनके निप्पलों को सहलाने लगा। वो धीरे-धीरे गर्म होने लगी थीं और कच्ची सड़क मेरा साथ देने लगी थीं।

मैंने धीरे से हाथ नीचे को किया, मेरा मन भाभी की लैगीज में हाथ डालने का था, तो हाथ को नीचे सरकाया। तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और इशारे से मना कर दिया.. लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था।

मैंने अपने हाथ को धीरे से जोर देकर अन्दर डाल दिया।

उफफ्फ़.. क्या बताऊँ दोस्तो.. चूत के इलाके में वो एक भठ्ठी की तरह से तप रही थी। मैं पेंटी के ऊपर से ही भाभी की प्यारी सी चूत को परेशान करने लगा। भाभी कुछ बोलना चाह रही थीं.. लेकिन बोल नहीं पा रही थी। मेरे हाथ की उंगलियां उनकी प्यारी सी चूत के दाने को ऊपर-नीचे कर रही थी और भाभी अपना आपा खो रही थीं।

मुझे मेरा ये सफ़र सुहाना भाभी की वजह से बड़ा ही सुहाना लग रहा था।

इतने में भाभी का एक हाथ जो मेरी ओर था.. वो कब मेरी पैंट के ऊपर आया और मेरे लंड को सहलाने लगा, मुझे पता ही नहीं चला। लेकिन मुझे भी इतना मजा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ आ रहा था कि क्या बताऊँ!

मैंने धीरे से भाभी के कान में पूछा- भाभी आपको कैसा लग रहा है? तो उनके मुँह से ‘आअह..’ की प्यारी सी आवाज बाहर आई। मैंने सोचा कि भाभी गर्म हो ही गई हैं.. तो आज मैं उन्हें अपने ऑफिस में ले ही जाता हूँ।

हम अपने गंतव्य पर पहुँचने वाले ही थे। इसलिए मैंने धीरे से अपना हाथ चूत से बाहर निकाल लिया। मैंने उंगली को अपनी नाक पर लाया, तो मेरे हाथ की उंगली में से इतनी मादक स्मेल आ रही थी कि मैं बिना शराब पिए ही नशे में हो गया।

मैं वो उंगली अपने मुँह में लेकर धीरे-धीरे चूसने लगा। यह देख कर भाभी बोलीं- तुम तो बहुत ही गंदे हो। मैंने बोला- ऐसा आम रस अब तक कहीं नहीं मिला। वो बोलीं- चल झूठे..! यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

फिर हम गाड़ी में से उतरने लगे। मैं और भाभी एक ऑटो लेकर मेरे ऑफिस पहुँचे.. अब मुझे अपनी प्लानिंग को अंजाम देना था।

मैंने भाभी से बोला- भाभीजी आपको जहाँ जाना था.. वो जगह ये सामने रही और इसके सामने ही ये मेरा ऑफिस है। आपको देर ना हो रही हो तो कुछ पल मुझे आपकी सेवा करने का मौका दीजिए। भाभी मेरा इशारा समझ गईं- अरे आपने तो मुझे पूरा खुश कर दिया है.. लेकिन मुझे देर हो रही है, तो अभी मैं जा रही हूँ। मैंने कहा- आपकी अभी तक सेवा की ही कहाँ है.. थोड़ा सा समय तो निकाल कर आइए ना प्लीज..! भाभी- यहाँ पर एक डॉक्टर से समय तय है, अभी मुझे बहुत देर हो रही है। फिर कभी समय मिला तो आपके यहाँ आऊँगी.. लेकिन आज नहीं हो सकता।

मैं- चलो अच्छा तो नेक्स्ट टाइम आप जब भी आएं तो मुझे कॉल करके आना.. आपके साथ सफ़र में फिर से मजा आ जाएगा। मैंने अपना एक कार्ड उनको दे दिया। भाभी ने मुझसे हाथ मिलाया और हाथ दबाते हुए कहा- जरूर.. आपको कॉल करके ही आऊँगी और आपके साथ ही आऊँगी।

मेरे मन में अभी भी भाभी को कैसे करके रोक कर ऑफिस में ले जाकर भाभी की चोदा चोदी करके इस सफ़र को यादगार बनाने की जुगत चल रही थी।

मैंने उनको बताया कि आज ऑफिस में मैं अकेला हूँ और कुछ खास काम भी नहीं हैं.. आप जल्दी फ्री हो जाओ तो आ जाना।

वो ‘हाँ’ बोल कर मुस्कुराई और गांड मटकाते हुए चली गईं, मैं उनकी गांड को लटकते-मटकते हुए देख रहा था।

मैं अपने ऑफिस में आकर इस सुहाने सफ़र की सुहानी को याद कर रहा था कि मेरा लंड खड़ा हो गया।

आप ही सोचिए कि जिसके बारे में सोचने से ही ये हो रहा है, तो वो मेरे पास बैठी थीं.. तो मेरा क्या हाल हुआ होगा!

मैं उसके ख्यालों में खोया हुआ था कि अचानक मेरे ऑफिस की दरवाजे की घंटी बजी। मैंने सोचा कि कोरियर बॉय होगा। मैंने जब दरवाजा खोला तो मेरे होश उड़ गए। मेरे सुहाने सफ़र की सुहाना मेरे सामने खड़ी थी, वो भी प्यारी सी स्माइल के साथ। मुझे लगा कि ये कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ।

तब भाभी बोलीं- अन्दर नहीं बुलाओगे?

मैं वहीं बुत होके खड़ा था कि भाभी ने हल्के से मेरे गाल पर चपत लगा कर मुझे सपनों से बाहर खींचा। मैंने उनको अन्दर बुलाया और दरवाजा बंद करके भाभी को अपने केबिन में लाकर बैठ गया, फिर मैंने पूछा- क्या हुआ..?

भाभी ने बताया कि वो जिस डॉक्टर से मिलने आई थी.. वो आज लेट आने वाले हैं। इस वजह से वो वहाँ बैठने के बदले मुझसे मिलने चली आई। मैं तो मन ही मन में सोच रहा थी कि मिलने नहीं.. भाभी तुम खुद चोदा चोदी करने आई हो।

मैंने कहा- अच्छा किया आपने, जो यहाँ आ गईं.. मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैंने उनके लिए शरबत और कुछ खाने का ऑर्डर किया। थोड़ी देर में वो सब कुछ आ गया।

हम दोनों थोड़ी देर बात करने लगे। मैं बात कम और उनको घूर ज़्यादा रहा था। इतने में वो बोलीं- आप मुझे एसे क्यूँ देख रहे हो? तो मैंने बताया- आपके खूबसूरत होंठों को देख रहा हूँ, आपकी ये नशीली आँखों में जो नशा है.. वो देख रहा हूँ। तो भाभी बोलीं- झूठ मत बोलो यार, हर आदमी ऐसा ही बोलता है, लेकिन प्यार कोई नहीं करता। मैं उठ कर उनके पास गया.. उनके हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला- मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ।

मेरे करीब आने से वो थोड़ी डरी हुई सी लग रही थीं।

मुझे उम्मीद है कि आप सबको सुहाना भाभी संग इस चोदा चोदी की कहानी में मजा आ रहा होगा, मुझे मेल कीजिए। कहानी जारी है। [email protected]

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