मेरी गांड का दीवाना और मेरी चुची चुदाई

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आप सभी पाठकों को प्यार भरा नमस्कार! मैं मधु आप सभी पाठको का तहे दिल से स्वागत करती हूँ। मैं आज बहुत खुश हूँ क्योंकि आप लोगों ने जो मेरी चूचियों को खूब मसला जिससे मैं काफी गर्म हो गई और उस रात अपने पति से भी जी भर के चुदाई करवाई।

लेकिन आपकी वजह से मेरे बेटे को डिब्बे वाला दूध पीना पड़ा, आज मैं आपको दूध पीने नहीं दूँगी, नहीं तो आज भी मेरा बेटा भूखा रह जाएगा।

अब मैं अपनी सच्ची आत्म कथा पर आती हूँ और अपनी आपबीती को आगे बढ़ाती हूँ। पिछली कहानी में बताया था मैंने कि किस तरह मैंने अपने बॉयफ्रेंड से इंस्टीट्यूट के छत पर गांड मरवाई और मेरे बॉयफ्रेंड ने किस तरह मेरी गांड में वीर्य की बाढ़ ला दी और सारा वीर्य मेरी व्हाइट लोअर में जा गिरा। जब मैं खड़ी हुई तो गांड तो दर्द से फटी जा रही थी, ठीक ढंग से खड़े भी नहीं हो पा रही थी तो घर कैसे जाती। मैं दर्द से कराह रही थी और संतोष ने मेरे गाल को चूमते हुए कहा- थैंक यू बेबी! तुम्हारी गांड मार कर मजा आ गया। तो मैं थोड़े गुस्से में बोली- तुम्हारे मजे के चक्कर में मेरी हाल ख़राब हो गई है, मैं अब ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही तो चल कर घर कैसे जाऊंगी। और तुमने सारा वीर्य मेरे लोअर में डाल दिया, अब मैं क्या पहन कर घर जाऊँगी।

संतोष ने मुझे अच्छे से लोअर पहनाया वीर्य सहित… मुझे बैठाया और बोला- तुम टेंशन मत लो, मैं अपने बाइक पर तुम्हें घर छोड़ दूँगा। फिर मैं बोली- क्यों नहीं, चलो, मेरे घर मेरे मम्मी पापा तुम्हें मार कर निकाल देंगे। तुम्हें पता है मैं अपने घर वालों की नज़र में एकदम शरीफ और संस्कारी लड़की हूँ। संतोष जोर से हँसा और बोला- संस्कारी और तुम? जो रोज कहीं भी चुद लेती हो। मैं भी हँस कर बोली- अच्छा ये बात हैं, तो कल से चोदते रहना!

फिर संतोष बोला- चलो आज तुम्हारे घर चलता हूँ और तुम्हारे मम्मी पापा को बताता हूँ कि किस तरह उसकी बेटी की गांड में मैंने अपना माल डाला।

ऐसे ही हँसी मजाक करते-करते 5 बज गये, अब घर जाने का टाइम हो गया था, बारिश भी रुक गई थी और गांड के दर्द में भी आराम लग रहा था लेकिन चलने में अभी भी दिक्कत हो रही थी, लंगड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। संतोष मजाक करते हुए बोला- बेबी, अभी भी दर्द हो रहा है क्या? मैं बोली- और नहीं तो क्या?

फिर मैं लंगड़ाते लंगड़ाते नीचे गई, तब एक लड़के की नज़र मुझपे पड़ी। वो शायद जब हम लोग चुद रहे थे, तब आया होगा। वो मेरी लोअर को घूरे जा रहा था, मैं समझ गई कि यह वीर्य के निशान को घूर रहा है।

मेरी गांड घूरते हुए वह संतोष को धीरे से बोला- लगता है कि आज आपने मैडम की पिछले खजाने पर ही हमला बोला है? फिर संतोष थोड़ा हँसा और बोला- क्या करूँ यार, मजबूरी इंसान से जो न करवाये। और दोनों हंसने लगे।

तभी संतोष के घर से फ़ोन आया कि उसकी माँ की तबियत खराब हो गई है तो वह मुझे छोड़कर चला गया। मैं भी अकेली घर जाने लगी, तभी अचानक वो लड़का बोला- मैडम आपको कोई ढूंढने आया था। मैं बोली- कौन था? वो बोला- पता नहीं, होगा कोई मेरे जैसा दीवाना! मैं बोली- तुम मेरे दीवाने कब से हो? तो वह बोला- आपका दीवाना तो सारा जमाना है।

मैं बोली- अच्छी तारीफ कर लेते हो। तब वह लड़का बोला- मैं तो बहुत कुछ अच्छा कर लेता हूँ, आप कभी मौका तो दो? तो मैं बोली- आज तो बहुत बोल रहे हो?

मैं भी मजे ले रही थी।

फिर वह लड़का बोला- मैडम, मेरी एक ख्वाहिश है, अगर आप चाहें तो आज मेरी ख्वाहिश पूरी हो सकती है। मैं बोली- क्या है? बताओ? तब वह बोला- बस एक बार मैं आपकी गांड को छूना चाहता हूँ! मैं तो सुनकर अवाक रह गई कि यह क्या बोल रहा है।

मैं गुस्से में बोली- तुम पागल हो गए क्या? अभी तुम्हारी उम्र पढ़ने की है, ये करने की नहीं, अभी पढ़ाई में ध्यान दो। फिर वो बोला- आपसे ध्यान हटेगा, तभी तो पढ़ाई पर ध्यान दूँगा। मैं बोली- अभी तुम बच्चे हो। यह बड़ों का काम है। वो बोला- एक बार मौका देकर देखो, संतोष भैया से ज्यादा खुश रखूँगा।

मैं तो ये सब बातें सुनकर ही दंग थी कि यह भी मेरे हुस्न का दीवाना है। मैं बोली- अच्छा कैसे खुश रखोगे? फिर वो अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- मुझे पता है कि आप कैसे खुश होती हो।

मैंने उसके पैंट के ऊपर देखा तो लंड एकदम भयानक रूप लिए था, मैंने सोचा कि यहाँ से निकल जाना अच्छा होगा, नहीं तो और दिक्कत हो जायेगी। इसलिए मैं निकलने लगी।

तो वो लड़का गिड़गिड़ाने लगा- प्लीज मैडम, बस एक बार अपनी गांड दिखा दो। मैं अनसुना करते हुए आगे निकल गई। तभी वो फिर मेरे आगे आया और बोला- मैडम प्लीज एक बार सिर्फ अपनी गांड दिखा दो। इसके बाद मैं कभी नहीं कुछ मांगूंगा। और वो गिड़गिड़ाने लगा।

फिर वो बोला- वैसे भी आप संतोष भैया से तो गांड मरवाई ही हो, मुझे सिर्फ एक बार दर्शन करवा दो। मैं बोली- तुम्हें कैसे पता कि मैंने संतोष से गांड मरवाई? तो वो बोला- मैडम, आपकी लोअर आपकी कहानी बयां कर रही है। मैं जान बूझ कर इतराते हुए बोली- मतलब? तो वो बोला- मैडम, भैया के वीर्य का निशान अभी भी आपकी लोअर में है। मैं बोली- तुम अब शादी कर लो। और मैं जाने लगी।

लेकिन उसने मुझे फिर रोक लिया, बोला- प्लीज मैडम, सिर्फ एक बार देखने दो। वो बहुत ज्यादा गिड़गिड़ाने लगा तो मैंने सोचा कि चलो दिखा देती हूँ, वैसे भी 2 अनजान लोगों से चुद चुकी हूँ। यह तो सिर्फ देखना चाहता है। मैं थोड़ी से नखरा करते हुए बोली- अगर संतोष को यह बात पता चल गई तो जानते हो क्या होगा? तब वो बोला- कुछ नहीं होगा मैडम, वो तो रोज आपको चोद कर आता है और हम लोगों को पूरी सेक्सी स्टोरी बताता है। मैं बोली- मुझे बेवकूफ समझते हो क्या, संतोष ऐसा नहीं है।

फिर वो मुझे 2-3 बातें ऐसी बताई जिन्हें सुनकर मेरे होश उड़ गए क्योंकि वो बातें सर्फ मुझे और संतोष को ही पता थी। मुझे यह सुन कर काफी दुखः हुआ। मैंने सोचा कि जब यह सब कुछ जानता ही है तो दिखा ही देती हूँ।

फिर वह बोला- मैडम, सिर्फ एक बार दिखा दो। मैं मान गई और बोली- ठीक है लेकिन किसी को बताना नहीं!

यह बात सुनते ही जैसे उसकी लॉटरी निकल गई, वो बोला- मैडम, मैं आपके बॉयफ्रेंड जैसा नहीं हूँ। और मुझे बड़े ही आदर से अंदर चलने को बोला। मैं बोली- यहाँ नहीं बच्चे… ऊपर चलो। वो बोला- मैडम मेरा नाम राजीव है, बच्चा मत बोलो!

मैं बोली- अच्छा तो बच्चे नहीं हो? तो वह बोला- यह बच्चा 18 का हो चुका है, कभी इस बच्चे को एक मौका देकर देखो, अपने बॉयफ्रेंड को भूल जाओगी। मैं हँसती हुई बोली- अच्छा ऐसी बात है? तब तो एक बार ट्राई करना पड़ेगा इस बच्चे को!

वो बोला- एक मौका दो मैडम, पूरी तरह से खुश कर दूँगा। मैं बोली- ठीक है, सोचूँगी! तब तक हम लोग ऊपर के कमरे में पहुँच गए।

मैं बोली- इससे पहले भी किसी के साथ ये सब किया है? वो बोला- मैडम, 2 को चोद चुका हूँ। मैं बोली- क्या बात है! इतनी छोटी उम्र में 2 की ले ली? वो बोला- मैडम 2 की ले ली और तीसरी की तैयारी कर रहा हूँ। और हँसने लगा।

फिर बोला- मैडम, आप बुरा न मानें तो एक बात बोलूँ? मैं बोली- बिल्कुल बोलो? मुझे भी अब उससे बात करने में मजा आने लगा। ‘आप अगर आज्ञा दें तो ये बच्चा आपके शरीर से 2 कपड़े हटाना चाहता है।

मैंने सोचा कि लोअर और पेंटी सोच रहा होगा तो मैंने भी 2 कपड़े खोलने की आज्ञा दे दी और बोली- जल्दी खोल के देख लो, मुझे देर हो रही है। और मैं बोली- मुझे मैडम मत बोलो, मेरा नाम मधु है। वो बोला- मैं आपसे छोटा हूँ, नाम से कैसे बुला सकता हूँ? मैं बोली- काम तो बड़े वाले कर रहे हो… और छोटे हो? फिर वो बोला- मैं आपको जानू बुलाऊँ? मैं बोली- काफी बड़े हो गए हो। मैं बोली- जो बोलना है बोलो लेकिन जल्दी करो। वो बोला- जो आज्ञा जानू!

वह मेरे पास आ गया और मेरा टॉप खोलने लगा। मैं बोली- यह क्या कर रहे हो? गांड देखने को कहा था ना, तो टॉप क्यूँ खोलने की कोशिश कर रहे हो? राजीव बोला- जानू, मैंने बोला था ना, 2 कपड़े खोलूँगा और तुमने आज्ञा भी दी थी, मुझे उतारने दो। मैं बोली- ठीक है लेकिन सर्फ 2 कपड़े… अगर ये उतारने के बाद गांड नहीं दिखी तो फिर मैं नहीं दिखाऊंगी। फिर वो बोला- मेरी जान, तुम मुझे 2 कपड़े उतारने तो दो।

मैं आज्ञा देकर तो फंस गई थी क्योंकि मैंने तो कुछ और समझ कर हाँ कर दी थी। उसे क्या पता मेरे तन पर सिर्फ 2 ही कपड़े थे। लेकिन शायद वो पहले से जानता था कि मैं सिर्फ लोअर और टॉप ही पहने हूँ। तभी उसने मेरे से ऐसी रिक्वेस्ट की। खैर अब सोचने का क्या फायदा… जो बोलना था वो तो बोल दिया, अब तो सिर्फ होना बाकी था। वो बोला- अब मैं उतार लूँ आपके 2 कपड़े?

मैंने सर हिला कर सहमति दे दी।

फिर उसने मेरी टॉप को नीचे से पकड़ा, एक झटके में उतार दिया और मेरी दोनों जख्मी और रसभरी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई जिन्हें देखकर उसकी आँखें चौन्धिया गई और वो मसलने के लिए आगे बढ़ा। मैंने उसे रोका, बोली- नहीं… छूने की बात नहीं हुई थी, सिर्फ नयन सुख लो। वो भी अपना मन ममोस कर रह गया- कोई बात नहीं, मेरे लिए यही बहुत है कि मैं अपनी ड्रीम गर्ल को इस रूप में देख रहा हूँ।

फिर वो नीचे बैठ गया और मेरी लोअर खोल कर नीचे करने लगा। मैं बोली- रहने दो, गांड तो नंगी हो गई। फिर वो बोला- मैं 2 कपड़े बोला हूँ, मुझे 2 कपड़े पूरी तरह से खोलने दो। मैं कुछ नहीं बोली।

फिर वो बोला- देखा जानू, 2 कपड़े ही उतार कर मैंने तुम्हें पूरी नंगी देख लिया। यह बोलने के साथ ही उसने मेरे लोअर को मेरे पैरों से निकाल दिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैं बोली- तुम जानते थे कि मैं ब्रा पेंटी नहीं पहने हूँ। तो वो बोला- बिल्कुल जानता थाजानू… मैं तुम्हें रोज देखता हूँ और तुम कभी कभी ही ब्रा पेंटी पहनकर आती हो।

अब मैं ऐसे इंसान के सामने एकदम नंगी खड़ी थी जिसे मैं 1 घंटे पहले तक जानती भी नहीं थी… वो मुझे खा जाने वाली नज़र से घूरे जा रहा था। मैं बोली- यार, मुझे तो तुमने नंगी कर के मेरी चुची, चुत, गांड सब देख लिए। अब जरा अपना भी तो लंड दिखाओ। मैं भी तो देखूँ कि मैं जिसके लिए नंगी हुई, उसकी बन्दूक में जान है या नहीं?

मेरे इतना बोलते ही वो तुरन्त पूरी तरह से नंगा हो गया, उसका लंड वाकयी में उसकी उम्र से बहुत बड़ा था, एकदम संतोष की तरह था 7-8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा! मैं तो देखती ही रह गई।

वो बोला- क्या हुआ जानू, भूल गई न अपने बॉयफ्रेंड का लंड? एक बार अगर तुम मौका दो तो ऐसे चोदूँगा कि उस संतोष की याद कभी नहीं आने दूँगा। मैं भी अंदर से मचल रही थी पर मैं अपने आपको कंट्रोल करके बोली- अब हो गया, अब जाऊं? तो वो बोला- सिर्फ 10 मिनट और… मैं तुम्हारे हुस्न की खुशबू लेना चाहता हूँ। टच नहीं करूँगा।

मुझे भी मजा आ रहा था, मैं बोली- जल्दी करो जो भी करना है। वो नीचे बैठ गया, मेरे पैरों को सूंघने लगा और धीरे धीरे ऊपर आने लगा। जैसे ही जांघ को सूंघने के लिये आया, मैं मदहोश होने लगी क्योंकि वो गरमागरम साँसें छोड़ रहा था।

फिर वह चुत पर आया और तेज साँसें छोड़ने लगा। मेरी तो आँखें बंद हो गई… ऐसा आज तक किसी ने नहीं किया था। वो बोला- क्या मदहोश करने वाली खुशबू है। और सूँघते-सूँघते गांड पर चला गया, बोला- अभी भी वीर्य की खुशबू है। फिर वो पीठ से होते हुए मेरी चूचियों पर आ गया और मुझे गर्माने लगा था।

मैं तो एकदम पागल हो गई थी, अब मुझे बस एक ही फीलिंग आ रही थी कि बस यह मेरी जोरदार चुदाई कर दे। अब वो सूँघते सूँघते मेरी गर्दन से होते हुए मेरे लबों पर आ गया। मुझे अब अपने आप पर कॉन्ट्रल नहीं हो रहा था, मेरी आँखें बंद थी।

फिर वो मेरे कान के पास गया और धीरे से बोला- मजा आया मेरी जान? मैंने सुनते ही आँख खोली और एक्टिंग करते हुए बोली- मुझे या तुम्हें? वो बोला- मैं तो स्वर्ग की सैर कर रहा था। मैं कैसे बताऊँ कि मैं उससे ज्यादा एन्जॉय कर रही थी।

फिर वह बोला- अगर तुम आर्डर दो तो एक बार तुम्हारे गले लगाना चाहता हूँ। मैं भी पूरे मूड में आ चुकी थी तो हाँ कर दी।

मेरे हाँ करते ही वो मेरे से फेविकॉल की तरह चिपक गया और उसका लंड इतना कड़क हो गया था कि बार बार मेरी चुत में ठोकर मार रहा था। वो गले लगते ही मेरी चुची, बूब्स, पीठ, गांड सब मसलने लगा, गर्दन पर गरमागरम साँस छोड़ रहा था तो मैं एकदम मदहोश हो गई थी।

पता नहीं वो कब मेरे गालों पर चुम्मी करने लगा। अब वो मुझे बुरी तरह मसलने लगा, मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया और जोर से मसलने लगी। वो अब मेरे लबों को चूसने लगा, वो बार बार मेरी चुत में लंड से धक्का मार रहा था। लेकिन मैं अपने चुत को बचा रही थी।

करीब 10-15 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा, हम दोनों पूरी मदहोशी में खोये हुए थे, तभी मुझे अचानक महसूस हुआ कि मैं यह क्या कर रही हूँ और मैं जबर्दस्ती उससे अलग हुई तो देखा कि उसका लंड एकदम लाल किला बना हुआ है। मैं लंड देखकर चुदने के मूड में आ गई थी लेकिन अपने आप को सम्भाला और बोली- तुम यह क्या कर रहे थे? तो राजीव बोला- सॉरी… पता ही नहीं चला कब यहाँ पहुँच गए। प्लीज माफ़ कर दो।

मैंने सोचा कि यह माफ़ी मांग रहा है, यही बहुत है, नहीं तो कोई और होता तो अभी तक तो मेरी चुदाई कर चुका होता। इसलिए मैं बोली- इट्स ओके… अब जल्दी चलो। तो राजीव अपने लंड की ओर इशारा करते हुए बोला- मैडम, मैं इसका क्या करूँ। मैं हँसती हुई बोली- काट दो!

फिर वो बोला- मैडम, एक बात बोलूँ? मैं बोली- बोलो? तो वो बोला- जब इतना हो ही गया है तो इस लंड को भी शांत कर दो। मैं बोली- यह मुमकिन नहीं है, मैं जा रही हूँ। तो वो बोला- मैडम, मेरी पूरी बात तो सुन लो। मैं चुत या गांड में बिना आपके परमिशन के नहीं डालूँगा। मैं तो बस कह रहा हूँ कि आप अपने हाथों से हिलाकर झार देती तो इस बालक का भला हो जाता। मैं बोली- छी… मेरे हाथ में वीर्य लग जाएगा। और मैं बोली- तुम बालक हो? अगर तुम्हारा बस चलता तो अभी तुम मुझे अपने बच्चे की माँ बना देते! तो वो बोला- प्लीज मैम!

फिर वो बोला- मेरे पास एक और आईडिया है। मैं बोली- क्या? वो बोला- आपकी चुची को चोद कर ठंडा हो जाता हूँ। मैं बोली- चुची को कैसे? तो वो बोला- आप घुटनों पर बैठ जाओ और दोनों हाथों से चुची को चिपकाओ।

मैं मान गई, उसने अपना गरमागरम लंड मेरी दोनों चूचियों के बीच घुसा दीया और आगे पीछे करने लगा और अपने मुंह से आवाज़ निकालने लगा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… और तेजी से मेरी चुची की चुदाई करने लगा। मैं ऐसे पहली बार चुद रही थी इसलिए यह पहला अनुभव था और बहुत सुखदाई अनुभव था। मैं भी अपनी चुची की चुदाई को पूरी तरीके से एन्जॉय कर रही थी। चुची पर लंड की चुदाई से मैं फिर से गर्म होने लगी थी। वो भी मेरी चुची को चुत समझकर चोदे जा रहा था और अलग-अलग आवाजें निकाल रहा था। मैं भी वासना में खोती जा रही थी।

तभी उसके लंड से जोरदार पिचकारी निकली और मेरी गर्दन पर वीर्य की बरसात कर दी। मैं अभी पूरी तरीके से गरमाई ही थी कि वो खल्लास हो गया और उसका सारा वीर्य मेरी गर्दन, चुची और पेट पर बिखर गया, मेरे नाक में वीर्य की मादक खुशबू जाने लगी जिससे मैं और मदहोश हो रही थी.

तभी वो बोला- सॉरी मैडम, मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया इसलिए आपकी चुची पर ही झड़ गया, मैं अभी साफ कर देता हूँ, आप टेंशन मत लो। और वो अपने पैंट की जेब से रुमाल निकालने लगा। मैं बोली- रहने दो, बहुत देर हो गई है। तो वो बोला- ऐसे ही आप घर जाओगी? मैं बोली- तो क्या हुआ… आज तो मेरे लिए वीर्य दिवस है। थोड़ी देर पहले मेरे बॉयफ्रेंड ने मेरी गांड को वीर्य से स्नान करवाया और अब तुमने मेरी चुची को वीर्य स्नान करवायाहै। मेरी लोअर में मेरे बॉयफ्रेंड का वीर्य है और मेरे टॉप में तुम्हारा वीर्य रहेगा।

मैं बोली- जल्दी कपड़े पहन लो, निकलते हैं। और मैं लोअर पहनने लगी तो देखा कि मेरी पूरी लोअर पर वीर्य के निशान साफ साफ दिख रहे थे, फिर भी मैंने पहन लिया। जब मैंने वीर्य के ऊपर टॉप पहनी तो टॉप मेरी चुची पर चिपक गया और वीर्य की खुशबू मेरी नाक में पहुँच कर मेरे अन्दर की वासना को भड़का रही थी।

तभी मेरी मॉम का फ़ोन आया- अभी तक कहाँ हो? मैं बोली- एक्स्ट्रा क्लास ले रही थी। उन्हें क्या पता कि मैं एक्स्ट्रा क्लास नहीं, एक्स्ट्रा लंड ले रही थी।

तभी हम इंस्टिट्यूट से निकल गए और वो बाहर आकर बोला- थैंक यू मैडम, आपने मेरे सपने को साकार किया। मैं बोली- इट्स ओके! फिर वो बोला- अगर आपका दिल करे तो एक रात के लिए मुझे अपना बॉयफ्रेंड बनने का मौका दें। मैं बोली- सोचूँगी… अब जाओ!

और मैं बाय बाय….बोल कर घर की ओर चल दी।

शाम के 6 बजने वाले थे। थोड़ी देर बाद मैं घर पहुंचने वाली थी, तभी 4-5 लड़के मेरे आगे पीछे आ गए। ये सारे लड़के मेरे मोहल्ले के ही थे जो रोज मुझे ऐसे ही छेड़ते और गन्दे कमेन्ट करते। अब तो मुझे इसकी आदत सी पड़ गई थी या यों कहें कि मुझे भी अपने ऊपर कमेन्ट सुनने में अच्छे लगते थे।

तभी एक लड़के ने कमेन्ट किया- इतना देर कहाँ लगा दी मेरी जान, तुम्हारे दीवाने कब से इंतज़ार कर रहे हैं। मैं आगे बढ़ी जा रही थी। तभी दूसरे ने बोला- कर रही होगी किसी का बिस्तर गर्म!

तभी उनमें से एक ने मेरी लोअर पर वीर्य की निशान देख लिया और बोला- यार, यह तो अभी गांड मरवा कर आई है। देख अभी भी दाग है। सब मेरी गांड देखने लगे।

एक ने तो आज हद पार कर दी, मेरी गांड दबा दी। मैं थोड़ी सी गुस्सा हुई लेकिन उन पर कोई असर नहीं पड़ा और मेरी गांड को सूंघने लगे।

मैं तो पहले से ही गर्माई थी। तभी एक ने मेरी चुची की ओर देखा और बोला- लगता है साली आज पूरे कॉलेज से चुदवा कर आई है। ये देख, चुची पर भी वीर्य है। यह सुनते ही सबने मुझे घेर लिया और बोले- आज हमें भी खुश कर दो।

मैं भी अपने आप को सम्भाल नहीं पा रही थी, बस दिल कर रहा था कि सब मिलकर मेरी तबीयत से चुदाई कर दें। तभी मुझे होश आया और अपने आप को सम्भाल कर बोली- छोड़ो मुझे!

लेकिन सब मूड में आ गए थे, एक ने तो मेरे टॉप में हाथ डालने की कोशिश की, मुझे बहुत तेज गुस्सा आया और मैंने चिल्ला कर डाँट दिया तो सारे भाग गए। मुझे यकीन नहीं था कि ये लड़के इतने डरपोक हैं।

मैं अपनी सहेली सुलेखा के यहाँ कपड़े बदलने गई, उसने जैसे ही मेरा यह हाल देखा, वो समझ गई कि मैं आज फिर से चुदवा कर आई हूँ। जब मैं टॉप निकाल रही थी तो वीर्य से टॉप चिपक गई थी। जैसे ही टॉप निकाली तो पूरे तन पर वीर्य के निशान पड़े हुए थे।

सुलेखा बोली- यार, ये सब क्या है? मैंने पूरी कहानी बताई।

तो वो बोली- साली तू तो मेरे से भी ज्यादा चुदक्कड हो गई? मैं बोली- क्या करूँ यार, यह जवानी क्या न करवाये! और हम दोनों सहेलियां हँसने लगी। फिर मैं सलवार सूट पहनकर घर चली गई।

आज के लिए इतना ही… इसके आगे की कहानी जल्दी ही आप लोगों को बताऊंगी। तब तक के लिए आप लोगों को प्यार भरा नमस्कार! उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी सच्ची आत्मकथा पसंद आई होगी। आप मुझे कमेंट्स करके बता सकते हैं।

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