Chamatkaari Baba, Ek Number Ka Chodu – Part 3

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गीता का पति नाश्ता करके 7 नदियों का पानी लेने के लिये घर से निकल जाता है.

अब आगे..

सुबह के 8 बज चुके थे.

गीता ने मुझसे पुछा – महाराज जी आपके स्नान के लिये पानी गर्म कर दिया है आप स्नान कर लीजिए मै आप का नाश्ता लगा देती हुं.

मै बाथरूम मे जा कर स्नान करने लगा, गीता ने मेरे लिये जिस धोती और गंजी का प्रबंध किया था, उनको पहनकर बाहर आ गया.

गीता ने मेरा नाश्ता लगा दिया, मेरी नज़र जैसे ही गीता पर पड़ी मेरा रोमरोम मोहित हो गया. गीता ने गुलाबी रंग की साड़ी पहन रखी थी जिसमे वो कयामत ढा रही थी, लेकिन जब मेरी नजर गीता के सीने पर गई, तो कुछ साफ से दिखाई नही दे रहा था.

मैने गीता से कहा – मैने कहा था न जब तक पुजा चलेगी तब तक केवल साडी ही पहननी है.

गीता – पर महाराज पुजा अभी तो समाप्त हुई है और आप अभी नाश्ता कर रहे है.

मैने कहा – वो पहली पुजा थी, ये पुजा अलग है आपके पति जब से घर से जल लेने के लिये निकले है तब से लेकर जब तक वो 7 नदियों का जल लेकर नही आ जाते, तब तक आपको हर नियम का पालन करना पडेगा. अगर कोई विघ्न पड़ा तो आपके पति की जान भी जा सकती है.

गीता बोली – आपने बताया नही था गलती हो गई माफ कर दीजिए महाराज.

गीता अगले ही पल केवल साडी मे मेरे सामने आ गई, मैने नाश्ता करना शुरू कर दिया वो पंखा हिला रही थी.

नाश्ता करते वक्त मेरी नजर गीता पर ही टीकी थी, उसके उरोज पूरी तरह से निवस्त्र थे, बीच बीच मे उसकी साडी भी सरक कर नीचे हो जाती थी.

नाश्ता करने के बाद मैने गीता से कहा – गीता जी हम थोडी देर आराम करेंगे.

गीता ने एक पलंग पर बिस्तर लगा दिया, मै जा कर उस पर लेट गया. क्योकि पूरी रात सब लोग जागे थे, गीता मेरे लेटते ही मेरे पैर दबाने लगी.

वो मेरी सेवा मे कोई कसर नही छोड रही थी.

मैं धोती पहन कर लेटा था और गीता सिर्फ साडी मे थी, जिसे देख देख कर मेरा लन्ड खडा हो चुका था, जिसके दर्शन गीता को भी हो रहे थे.

पैर दबाते हुये गीता ने पुछा – महाराज पुजा कितनी देर मे शुरू होगी?

मैने कहा – अब पुजा के अगले चरण के लिये हम पहले समाधी लगायेंगे, फिर आपको सारी विधि बता देंगे.

मैने थोडी देर के लिये ऑखे बंद कर ली. और जब ऑखे खोली तो कुछ विचित्र ढंग से चहरे बनाने लगा.

गीता ने डरते हुये पुछा – क्या हुआ महाराज?

मैने कहा – आपके पति का पैर किसी टोटके पर पड गया है, उनके साथ कुछ बुरा होने वाला है.

गीता ने पुछा – कोई उपाय तो होगा?

मैने कहा – उपाय तो एक ही है हमे आपके शरीर से किय्रा करनी पडेगी, क्योकि आप उनकी अर्धांगनी हो तभी ये विघ्न दूर होगा.

गीता ने कहा – और कोई रास्ता नही है?

मैने कहा – नही है अगर जल्दी नही किया तो सब बेकार हो जायेगा, आप अपनी बेटी और पति दोनों से हाथ धो बैठेंगी.

मेरी बात सुन गीता तुरंत मान गई.

पहले तो मैने गीता के साथ जो कुछ भी किया तब वो नशे मे थी, लेकिन अब की बार मै उसके साथ सब कुछ उसे होश मे रखकर करने वाला था.

मैने गीता को पलंग पर लिटा दिया और मै उसके पास ऑख बंद करके बैठ गया.

बैठे बैठे ही मैने मंत्रों का उचारण शुरू कर दिया और फिर हिलने लगा, ताकि गीता को लगे के गुरूजी फिर आ गये.

गीता ने गुरू जी को प्रणाम किया.

मैने सिर्फ सर हिलाया और अपना हाथ गीता के पेट पर फेरने लगा, मैं गीता के पेट पर हाथ ऐसे फेर रहा था मानो कुछ लिख रहा हुं.

हाथ फेरते हुये मैने गीता की साडी़ की गांठ खोल दी और गीता से कहा – बेटा तुमको अपने पति के प्राणों की खातिर 6 दिन तक नग्न रहना होगा, रह पाओगी? बोलो जबाब दो!

गीता बोली- जी बाबा जी.

मैने कहा – तुम्हारी पुत्री को भी 6 दिन तक इसी व्रत का पालन करना होगा, जाओ नग्न होकर उसे भी ऩग्न कर के हमारे समीप लेकर आओ.

गीता नंगी होकर दुसरे कमरे मे गई और रजनी को भी नंगी करके ले आई.

मैने रजनी को जमीन पर ऑख बांध बैठा दिया और गीता को पलंग पर लिटा दिया.

गीता को लिटाने के बाद मै उसके सारे शरीर पर मंत्र पढ कर हाथ फेरने लगा और गीता के मांथे पर हाथ रख कर उसे आख बंद करने के लिये कहा.

गीता के ऑखें बंद करते ही मैने उसे वस मे करने के लिए उससे कहा – गीता कलपना करो की हम तुम्हारे पति है और अब तुम को पुरे दिल से हमारी सेवा करनी है – ये कह कर मैं गीता के बगल मे लेट गया.

गीता मेरी बातों मे मंत्र मुग्थ हो चुकी थी, अब वो वैसा ही कर रही थी जैसा मै उससे कह रहा था.

रजनी को तो मैं पहले ही अपने वश मे कर चुका था.

मैने अपनी धोती की गांढ खोल दी और अपना 9 इंच का लंड गीता के हाथ मे दे दिया और गीता बडे़ ही प्यार से मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी.

मैने अपने होठ गीता की गर्म चुत पर रख दिये, जिसने लावा उगलना शुरू कर दिया था.

गीता पूरी तरह से चुदाई के लिये तडफ रही थी.

मैने गीता को ऑखे बंद करने के लिये कहा.

गीता ने ऑखे बंद कर ली.

अब गीता की चुत चाटते हुये मै बिस्तर से नीचे उतर गया और रजनी को एक हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खीच लिया और रजनी के मुह मे अपना लंड दे दिया और एक हाथ से रजनी और दुसरे से गीता की चुची दबाने लगा.

अब दोनों माँ बेटी गरम हो चुकी थीं. अब मुझे चुनाव करना था कि पहले किसको चोदुं?

इस चुनाव मे गीता जीत गई, मैने अब रजनी को खडा़ कर दिया और अपना लंड गीता की चुत पर रख दिया.

गीता की चुत मे लंड घुसाने के बाद मैं ऱजनी की चुत को चाटने लगा, गीता की चुत पूरी तरह से गीली थी, इस लिये लंड असानी से चला गया.

गीता अब गांड उठा कर चुदाई का मजा ले रही थी, और मै इधर रजनी की चुत मे अंगुली डाल कर खेल रहा था, बड़ा मजा आ रहा था माँ बेटी की चुदाई एक साथ करने में.

आधे घन्टे तक चुदाई का ये खेल युं ही चलता रहा, अब ऱजनी भी ससकी लेने लगी.

मैने कहा – गीता कुछ सुनाई दे रहा है?

गीता – जी बाबा रजनी रो रही है.

मैने कहा – ये उन बुरी शक्तियों का असर है जिन्होने ये विघन पैदा किया है, तुम आँख मत खोलना, मैं ऱजनी को शांत करके आता हुं.

मैं गीता पर से हटा और रजनी को जमीन पर लिटा कर लंड धीरे धीरे रजनी की चुत मे डालने लगा, आपको तो पता है कि मै शिलाजित खाता हुँ मेरे आगे अगर 4 लडकीयां भी हो तो वो थक जायेंगी, पर मैं नही.

30 मिनट तक रजनी की चुत मरने के बाद जब वो शांत हो गई, तब फिर से मैं गीता के पास लेट गया. गीता को अब मैने अपने ऊपर ले लिया और गीता की चुत मे लंड डाल कर उसकी कमर पकड कर उसे अपने लंड पर ऊपर ऩीचे करने लगा.

अब गीता भी पुरे जोश मे आ चुकी थी, वो पुरे जोश के साथ चुदाई का मजा ले रही थी.

थोडी देर बाद मैने गीता को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर अपना लंड गीता के मुहं मे दे दिया. कयोकि गीता 2′-3 बार झड कर थक चुकी थी.

मैने भी गीता के मुह मे 8-9 धक्के लगाये और अपना सार रस गीता के मुह मे भर दिया और कहा – बेटा बाबा का प्रसाद है पी जा सब कष्ट मुक्त हो जायेगी.

गीता सारा लंड रस पी गई.

फिर 6 दिनों तक युं ही मै माँ बेटी को अलग अलग मुद्रा मे चोदता रहा, तरह तरह की पुजा के नाम पर, सबसे ज्यादा गीता को क्योकि गीता रात भर मेरी सेवा करती, जब लंड खडा होता तभी बाबा आ कर गीता की चुत चटका जाते.

गीता को भी मुझसे चुदने मै ज्यादा मजा आता.

7 वें दिन रजनी का बाप 7 ऩदियों का पानी लेकर आ गया, मैनें मंत्र पढ कर पानी रजनी पर गीता पर घर मे सभी जगह छिडक दिया. अब रजनी पुरी तरह ठीक हो चुकी थी, वो सब से हंस कर बोल रही थी.

रजनी का बाप बहुत खुश था.

मैने जाने की बात कही तो उसने मुझे ये कह कर एक दिन के लिये और रोक लिया की प्रभु एक दिन और आप हमें अपनी सेवा का मौक दे दीजिये, वैसे भी अपने हमसे कुछ नही लिया, हम आपके गुलाम हैं जो आपने हमारे लिये किया है हम पर आप का कर्ज है – सबसे जादा गीता जिद करने लगी.

उधर पूरे गॉव मे ऱजनी के ठीक होने की खबर आग की तरह फैल चुकी थी. ये खबर मुखिया को जब पता चली, तो उसकी खुशी का ठीकाना नही रहा, वो खुश ये सोच कर था कि अब उसकी समस्या का भी समाधान निकल जायेगा.

मुखिया की इकलोती बेटी जिसका नाम अंजली था को उसकी सुसराल वालों ने बांझ कह कर निकाल दिया था और मुखिया हर जगह से ईलाज करके थक गया था.

और इधर गीता ने मेरे लिये सभी प्रकार के पकवान तैयार किये पूरे दिन दोनों पति पत्नी ने मेरी सेवा की.

रात होने पर जब मैं कमरे में सो रहा था, अभी कुछ देर पहले ही तो रजनी का बाप मेरे पैर दबा कर गया था और उसके जाते ही गीता मेरे पैरों में आ कर बैठ गई.

गीता मेरे पैरों को पकड़ कर रोनें लगी – महाराज मेरा हमारा बस चले तो हम आप को यहां से जाने न दें, आप भगवान है आपका हम पर उपकार है हमारा जो कुछ भी है वो सब आपका है.

मैने कहा – ऐसा मत कहो मैने तो कुछ भी नही किया, जो कुछ भी हुआ है आपकी भक्ति और गुरूजी की शक्ति की बजह से हुआ है मै तो बस माध्यम हुं.

गीता ने अन्दर आते ही दरवाजा बंद कर दिया था, वो बैठ कर मेरे पैर दबा रही थी और गीता फिर बोली – आप महान है जो ऐसा कह रहे है, लेकिन मै भी आपको खुश करना चाहती हुं.

ये कहकर गीता ने एक ही पल मे अपनी साडी उतार फैंकी.

मैने भी बनते हुये कहा – ये आप क्या कर रहीं है? ये सब गलत है.

गीता बोली – महाराज हम आपके भक्त है और भगवान को भक्त की हर भेट स्वीकार करनी पडती है, वैसे भी मेरे पास जो है मै खुशी से आपको दे रही हुँ, प्रभु मुझे अपनी सेवा का अवसर प्रदान कीजिये.

ये कहते हुये गीता ने आगे बढ कर मेरे लंड के धोती से ऩिकाल कर गप से अपने मुह मे भर लिया.

मैने कहा – गीता कोई देख लेगा.

इस पर गीता कुछ नही बोली.

अब मै भी बेबस था और जो हो रहा था होने दिया न रोका न अपनी तरफ से साथ दिया.

7 दिनों तक मैने गुरू जी के नाम पर उसकी चुदाई की, लेकिन वो आज खुद मुझ से चुदने के लिये आई थी.

मेरे लंड को चुस कर खडा करने के बाद उसने मेरे लंड पर अपनी चुत रख दी और उठ बैठ करने लगी, थोडी देर मे ही मै उसकी चुत में झड गया,

अब उसे यकीन था कि 7 दिनों तक उसकी चुदाई गुरू ने की थी, पर उसे क्या पता सब शिलाजित का कमाल था.

अगली सुबह मैं ऱजनी के घर से जाने लगा तो मुखिया मेरे पैरों मे गिर गया.

मुखिया – महाराजजी आप मेरे घर चलने की कृपया कीजिये मै आपका अति आभारी रहुंगा.

आगे की कहानी अगले भाग में, तब तक के लिए अलविदा!

अगर मेरी कहानी पसंद आये तो लाईक जरुर करना!

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