गे सेक्स स्टोरी: गांड मराने का मजा! लंड का मजा!

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मेरी गे सेक्स स्टोरीज आप पढ़ते रहे हैं, जिसे गांड मरवाने का शौक लग जाता है, तो मोटे लंड से गांड मराने के उत्साह में चीख निकल जाती है, गांड फट जाती है पर शौक नहीं छूटता! धकाधक धकाधक… धक्के पर धक्का… धक्के पर धक्का… वह लगा था! फक फक… फक फक… लग रहा था जैसे आज गांड फाड़ ही डालेगा! पूरा लंड पेले था, बहुत देर से अंदर बाहर… अंदर बाहर… कर रहा था. अब तो उसकी सांस फूल रही थी, हम्म हम्म… वह हांफ रहा था पर रुक नहीं रहा था. थक गया था बुरी तरह… पर दम नहीं ले रहा था! गांड बुरी तरह रगड़ डाली थी पर अभी भी छोड़ नहीं रहा था, लंड गांड में घुसा था, टाइट था पर धक्के कमजोर पड़ गए थे. फिर भी चिपटा था पूरी ताकत से… जोर लगा रहा था… जाने कब से चुदाई का मौका नहीं मिला था, इस अवसर का पूरा मजा लेना चाहता था.

फिर वह एकदम से मेरे ऊपर लेटा रह गया.

आधा घंटे से वह लगा था मेरी गांड में अपना लोहे जैसा टाइट मस्त लंबा मोटा काला भुजंग अंदर बाहर कर रहा था. कब तक मारता… मुझे भी बहुत दिनों बाद किसी का टाइट मस्त लंड नसीब हुआ था, इच्छा थी कि पेलता ही रहे! मैं भी, जब वह लंड पेल रहा था, अपनी गांड उचका उचका कर गांड बार बार ढीली टाइट करके उसका लंड मस्ती से अपनी गांड में झेल रहा था, मजा ले रहा था.

अब मैं भी गांड ढीली करके लेटा रह गया, गांड बुरी तरह चिनमिना रही थी, मीठा मीठा दर्द भी हो रहा था पर मजा भी आ रहा था, गर्म गर्म लंड गांड को एक अजीब सा आनन्द दे रहा था. दोस्तो, आपने मराई हो तो समझ सकते हैं गांड मराने का मजा! लंड का मजा!

कई बार तो हम ऐसे मोटे लंड के चक्कर में गांड मराने के उत्साह में आ जाते हैं कि जब थूक लगा कर गांड में धक्का देकर कोई लौंडेबाज गांड प्रेमी गांड में अपना मस्त मोटा गांड फाड़ू लंड डालता है तो चीख निकल जाती है, गांड फट जाती है पर शौक नहीं छूटता! अगले दिन हम उसी लौंडेबाज से गांड मरवाने को तैयार हो जाते हैं जबकि आज भी गांड दर्द कर रही होती है… पर दुबारा लंड पिलवा लेते हैं.

मैं जब स्कूल में था, मेरे एक दोस्त ने जो मास्टर साहब से खुद गांड मरवाता था मुझे पटा कर मेरी पहली बार गांड मारी थी. मेरे मुकाबले तो उसका लंड बहुत बड़ा था, मुझसे बोला- बहुत मजा आएगा. मैं उसके झांसे में आ गया. मैं गोरा चिकना लौंडा था

उसने जाडे़ के मौसम में एक रात लगभग नौ बजे एक सुनसान मंदिर में ले जाकर मेरी पैंट खोल दी और फर्श पर मुझे औंधा लिटा दिया, बोला- टांगें थोड़ी चौड़ी कर लो! फिर थूक लगा कर अपना लंड मेरी गांड पर टिका दिया. फिर जो उसने धक्का दिया तो मेरी चीख निकल गई… पर कौन छोड़ता है… मेरी अनचुदी गांड में उसने पूरा लंड पेल ही दिया… इस तरह मेरी गांड का उद्घाटन हो गया.

वह बार बार कह रहा था- बस बस थोड़ी तो लगती है, फिर मजा आएगा, थोड़ी ढीली कर लो, कसो मत. ज्यादा लगेगी!

वह लंड जोर से गांड में अंदर बाहर कर रहा था, पूरा डाल रहा था और कह रहा था- बस हो गया… थोड़ा सा और… सर पर हाथ फेर रहा था, बार बार मुंह चूम रहा था, गालों पर हाथ फेरता था.

मैं कराह रहा था, चूतड़ सिकोड़ता था पर लंड अंदर हो तो गांड सिकोड़ें या फैलाएं, क्या फर्क पड़ता है. मैं उसके लंड की चोटें झेलने के अलावा क्या कर सकता था. बाद में उस लौंडे ने ही कई बार मार मार कर मेरी गांड सही कर दी.

दोस्तो, आपको भी पहली बार की गांड मराई याद होगी! वैसे तो हर बार की गांड मराई याद रहती है, मजा याद रहता है, दर्द याद रहता है.

अब मैं चौबीस साल का एक मजबूत गठीले शरीर का पांच फीट सात इंच लम्बा नौजवान हूँ, रोज अब भी कसरत करता हूँ, मेरे ऊपर कई लौंडियां मरती हैं, मैं एक अफसर हूँ, कॉलेज में मैंने कई लौंडों की गांड मारी. मेरा भी अब सात इंची का मस्त लम्बा मोटा लंड है जिसे देख कर मेरे कॅालेज के दोस्त ईर्ष्या करते हैं. जब हम सब मिल कर हाथ से हैंड प्रेक्टिस करते तो सब साथियों के सबसे बाद पहले या दूसरे नम्बर पर मैं ही झड़ता हूँ, वे मेरा मस्त लंड ईर्ष्या से देखते!

एक दिन मैं फील्ड से लौट कर कमरे में बैठा था कि मेरा एक साथी रोमेश आया जो एक हैंडसम स्मार्ट यंग मैन है, मेरी ही उमर का है, मेरा जूनियर है, बोला- सर! आज मैं अपने घर नहीं जा पाया… यहीं सो जाऊं? मैंने कहा- कोई बात नहीं!

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हम दोनों एक साथ लेट गए. मेरा सिंगल बेड ही था, एक सादा पलंग… हम सट कर लेटे. रात में लगा कि मेरी जांघों पर दोस्त हाथ फेर रहा है… फिर उसने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगा. मुझे मजा आया, मैंने भी उसका लंड उसके अंडरवियर में हाथ डाल कर पकड़ लिया. अब हम दोनों एक दूसरे का लंड सहला रहे थे.

थोड़ी देर बाद उसने करवट बदल ली अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी उसने मेरा लंड भी छोड़ दिया मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा जो अब मेरी तरफ थे. मैंने उसके अंडरवियर को थोड़ा खिसकाया, उसने स्वयं अंडरवियर नीचा कर लिया, अब उसके नंगे चूतड़ मेरी तरफ थे गोल गोल… मेरी तबीयत मचलने लगी, मेरा लंड बुरी तरह सनसना रहा था, मैंने थूक लगा कर उसकी गांड के छेद पर रखा, धक्का दिया और लंड गांड के अंदर धकेला.

अब मैंने उसे औंधा कर दिया, उसके ऊपर चढ़ बैठा, उसने अपनी टांगें चौड़ी कर ली… पूरा लंड अंदर जाते ही वह गांड चलाने लगा, बार बार कसी ढीली कर रहा था, चूतड़ उचका रहा था. मैं थोड़ी देर रूका, लंड उसकी गांड में था, उसने गांड टाइट कर ली.

जब धक्के लगाए तो ढीली की, मैंने पूछा- लग तो नहीं रही? तो रोमेश बोला- डिस्टर्ब मत करो, लगे रहो। मैंने उसका एक चुम्बन लिया, वह मुस्करा रहा था. इतने प्रेम से मराने वाले मुझे कम मिले, अधिकतर लौंडे मराते तो हैं पर नखरे बहुत करते हैं. दोस्तो, क्या मैं गलत कह रहा हूँ? माशूक लौंडा पटाने में बहुत मक्खन लगाना पड़ता है।

सुबह हम दोनों तैयार हो रहे थे, वह शीशे के सामने बाल संवार रहा था कि मैंने पीछे से पकड़ लिया, एक चुम्बन लिया, वह बोला- अभी मन नहीं भरा तो एक बार और हो जाए? और उसने अपनी पैंट उतार दी. हम दोनों खड़े खड़े ही निपट लिए थे.

वह शाम फिर मेरे साथ ही सोया, उस रात भी मैंने उसकी गांड मारी. मस्त लौंडा था।

फिर मैंने अपना अंडरवीयर उतार कर फेंक दिया, मैं औंधा लेट गया, उसका लंड पकड़ कर कहा- अब तुम करो! उसने बहुत न नुकर की- सर, आप बहुत बडे़ हो! मैंने उसे मनाया, उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूसा, सहलाया, उसका मुंह चूमा, गांड चाटी, कहा- तेरी भी मारेंगे! पर कह रहा था- मेरी मार लो! रोमेश बड़ी मुश्किल से मेरी गांड मारने को तैयार हुआ.

वह मेरे ऊपर बैठ गया, अपने लंड पर थूक लगा कर मेरी गांड पर टिकाया, मैंने ही गांड उचका कर उसका लंड गपक लिया. वह शुरू हो गया. मुझे बहुत दिनों बाद लंड का मजा मिला… एक मस्त लंड! मैं गांड ढीली किए लेटा रहा।

दोस्तो जब तक मैं एक माशूक लौंडा था, तब तक लौंडेबाज जिन्हें माशूक लौंडों की गांड मारने का शौक था, मेरे ऊपर मरते थे, मुझे पटाते थे, कई बार तो एक दिन में दो दो बार गांड मराना पड़ती थी, मोटे मोटे लंड झेलना पड़ते थे. यह माशूकी की मजबूरी है.

तब मैं नखरे करता था, मना करता था और लौंडेबाज मक्खन लगाते थे, पटाते थे, धमकाते थे, लंड हाथ में पकड़ा देते, जबरदस्ती मुंह में ठूंस देते… चूसने को मजबूर करते! पर अब मैं एक जवान मर्द ऊपर से लम्बा हट्टा कट्टा अफसर… फिर नया शहर जहां पुराने दोस्त भी नहीं… अब जब मुझे मराने की आदत पड़ गई तो कोई मिलता नहीं अब… मेरे लिए एक मस्त लंड बड़ी नियामत है… कैसे भी मिले। जैसे तैसे एक तैयार वह भी मराने को तो राजी है पर मारने में नखरे करता है.

इस तरह मैंने मराई… हर बार ही वह मारने में बडे़ नखरे करता है, वह भी मेरे जैसा ही मराने का शौकीन जवान मर्द जिस पर लौंडिया मरती हैं, मर्द जिसकी जवानी पर ईर्ष्या करते हैं, खूबसूरत स्मार्ट लम्बा हट्टा कट्टा… जबकि अधिकतर लौंडे गांड मरवाने में नखरे करते हैं, पर वह उल्टा है, मेरे से मराने को तैयार रहता है, खुश रहता है, मेरा लंड पकड़ लेता है, लिपटता है मेरे लंड से अपनी गांड रगड़ता है।

आपके दोस्त कैसे हैं? क्या आपको भी मेरी और मेरे दोस्त की तरह मराने में मजा आता है?

एक दिन मेरे ऑफिस का सुपरवाइजर बोला- सर, मेरा एक भतीजा है उसे ऑफिस में डेली वेजेज पर रख लें, कृपा होगी! मैंने कहा- ले आना, कुछ दिन काम करवा कर देखेंगे। वह बोला- ठीक है, मैं ले आऊंगा।

अगले दिन वह अपने भतीजे को ले आया, वह एक उन्नीस बीस साल का एक स्मार्ट गोरा छरहरे बदन का लड़का था. पूछा ‘कितना पढे़ हो?’ बताया- मैं बारहवीं पास हूँ, कम्प्यूटर कोर्स कर रहा हूँ. कॉलेज में भी एडमीशन ले लिया है, अभी कहीं काम नहीं किया है।

सुपर वाइजर के कहने से रख लिया गया। वह ऑफिस में आ गया… नाम था सुदेश! काम करने लगा.

वह मेरे जूनियर रोमेश के सुपुर्द हो गया।

एक दिन मैं अपने साथी के चेम्बर में किसी काम से गया, मैं चूंकि जल्दी में था मैंने धीरे से दरवाजा खोला तो क्या देखता हूँ कि मेरा दोस्त उस नए लड़के सुदेश को अपनी सीट के बगल में दीवाल से चिपकाये खड़ा किए है उसका चेहरा दीवाल की तरफ है मैंने फर्श पर निगाह दौड़ाई तो देखा लड़के का पेंट उसकी टांगों पर खुला पड़ा है, अंडरवियर भी उतर चुका है, ध्यान से देखा तो सुदेश के नंगे चूतड़ों की झलक नजर आ रही थी गोल गोल गोरे गोरे जो किसी भी लौंडेबाज को ललचायें… देख कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया.

देखा कि मेरा साथी उसके पीछे चिपका खड़े खड़े ही धक्के लगा रहा था, पीछे से उसका लंड तेा नहीं दिख रहा था पर कमर जोर जोर से हिल रही थी, वह मस्ती से चुदाई कर रहा था. लौंडा चिल्लाया- सर जी! धीरे थोड़ा धीरे… उम्म्ह… अहह… हय… याह… गांड दर्द कर रही है, लगता है फट न जाए। रोमेश बोला- अरे जोश में झटके थोड़े ज्यादा जोर से हो गए थे, अब धीरे किए देता हूँ. और एक जोरदार धक्के के साथ चिपक गया.

लड़का फिर चिल्लाया- सर जी! आ आ आ… आपने तो लगता है फाड़ ही डाली। सर जी थोड़ा रुकें। रोमेश- अरे यार, तुम नखरे कर रहे हो, छोटे बच्चे थोड़े ही हो, ठीक है, मेरे से पहली बार करा रहे हो, पर पहले भी तो कराई होगी? अब तो बस झड़ने ही वाला हूँ, सबर करो जरा, बस सहयोग करो तुम्हें भी तो मजा आ रहा होगा। और उसका एक जोरदार चुम्बन ले लिया और उसकी कमर में हाथ डाल कर चिपक गया, पूरा पेल दिया. लड़का फिर चिल्लाया।

यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! तब रोमेश ने उसकी गांड से अपना लंड निकाल लिया. तब मैंने उसका फनफनाता मस्त लंड देखा, वह अब भी उचक रहा था.

फिर रोमेश ने अलमारी के ऊपर रखी वेसलीन की शीशी देखी, उसने लेकर उसमें से वैसलीन अपनी उंगली पर लगा ली और फिर एक उंगली लौंडे की गांड में डाल दी, अंदर बाहर करता रहा, फिर गोल गोल घुमाने लगा. फिर दो उंगली डालीं, उनके साथ भी ऐसा ही किया और पूछा- अब दर्द कुछ कम हुआ?

फिर एकदम घुटने के बल बैठ गया और लौंडे का लंड मुंह में लेकर चूसने लगा, फिर खड़ा होकर उसके दो तीन जोरदार चुम्बन ले लिये, लिपट कर कान में बोला- अब डाल लूं? लड़का शरमा कर मुस्कराया।

फिर रोमेश ने अपने लंड पर खूब सारी वेसलीन लगाई, बड़ी देर हाथ से मलता रहा और लौंडे की गांड पर टिका दिया और धक्का दिया अब लंड अंदर था। थोड़ी देर तो धक्के धीरे धीरे लगाए, फिर अपनी पर आ गया और धक्के गांड फाड़ू हो गए, लड़का फिर हाय हाय करने लगा. एक तो जबरदस्त लंड, फिर भयंकर चोटें… लड़का तड़प उठा पर अब वह सुन नहीं रहा था, उसकी कमर पकड़ कर चिपट गया, फिर चिपक कर रह गया, शायद अब झड़ गया था.

उसे देख कर मेरा भी मन खुश हो गया, अब मेरा दोस्त अनाड़ी से खिलाड़ी हो गया था।

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