चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-3

चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-1 चूत में लंड भाभी की भाभी की चुदाई करके-2

मेरे होंठों को‌ चूसते चूसते ही संगीता भाभी का हाथ फिर से मेरे लंड पर जा पहुँचा जो‌ अब बेहोश सा होकर मेरी जांघों पर पड़ा हुआ था। मेरे लंड को हाथ में लेकर संगीता भाभी उसे धीरे धीरे सहलाने लगी, साथ ही उनके होंठ मेरे होंठों पर व जीभ मेरे मुँह में हरकत कर रहे थे। संगीता भाभी के मुँह से मेरे वीर्य का स्वाद अब खत्म हो गया था और उनके होंठों व जीभ से अब उनके मुँह का मीठा मीठा सा स्वाद आने लगा था। मैं भी अब मजा लेकर उनके होंठों व जीभ को चूसने लगा।

संगीता भाभी के सहलाने से मेरा लंड अब धीरे धीरे अपने होश में आने लगा था। वो पूरा होश में आकर अभी अपने पैरों पर तो खड़ा नहीं हुआ था मगर फिर भी वो अब कड़ा होकर संगीता भाभी के हाथ में हल्की हल्की ठुनकी‌ सी लेने लगा था।

तभी संगीता भाभी ने मेरे होंठों को छोड़कर हाथ से अपने पेटीकोट को पेट के ऊपर तक चढ़ा लिया और फिर धीरे धीरे मुझे दबाते हुए मेरे‌ ऊपर चढ़ने लगी… मैं अब ऐसे ही चुपचाप लेटा रहा और संगीता भाभी ने मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड को अपनी दोनों जांघों के बीच अपनी चूत से दबा लिया। मेरे लंड का अपनी‌ चूत पर स्पर्श पाते ही संगीता भाभी के बदन‌ ने एक बार हल्की झुरझुरी सी ली मगर फिर तभी मेरे होंठों पर मुझे कुछ गर्म‌ गर्म व गीला सा महसूस हुआ, वो संगीता भाभी की जीभ थी जिसको वो मेरे होंठों पर चला रही‌ थी, मैंने‌ अपना मुँह खोलकर उनकी जीभ‌ को‌ मुँह के खींच लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगा।

संगीता भाभी ने भी मेरे नीचे के होंठ को अपने मुँह में भर लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी। मेरे होंठ को चूसते चूसते ही संगीता भाभी धीरे धीरे आगे पीछे होकर अपनी गीली चूत को मेरे लंड पर घिसने लगी जिससे मुझे मजा आने लगा और मेरा लंड फिर से कड़क हो गया। मैंने अब भाभी को अपनी‌ बाँहों में भर लिया और आँखें बंद करके भाभी की चूत घिसाई का मजा लेने लगा। मेरा लंड अब पूरी तरह से उत्तेजित होकर बिल्कुल अकड़ गया था और संगीता भाभी की गीली चूत में लंड घुसने की कोशिश कर रहा था।

संगीता भाभी को इसका अहसास होते ही उनका हाथ नीचे अब मेरे तने हुए लंड पर जा‌‌ पहुँचा, उसने हाथ से सही से करके अपनी चूत में लंड की दोनों फांकों के बीच लगा लिया और फिर मेरे सीने पर अपनी चुची रगड़ते हुए धीरे धीरे अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाने लगी. भाभी की चूत गीली थी और मेरा लंड अब तन्नाया हुआ था तो जैसे ही वो पीछे की तरफ हुई भाभी की चूत में मेरे लंड का सुपारा हल्का सा घुस गया जिससे संगीता के मुँह से हल्की सी आह निकल गई और उसने जोर से मेरे कँधों को पकड़ लिया.

मुझसे अब सब्र नहीं हुआ, मैंने करवट बदलकर संगीता भाभी को‌ नीचे गिरा लिया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा. सारे बटन खोलकर मैंने ब्लाउज को पकड़ कर साइड में कर दिया और उनकी ब्रा से ढकी दोनों चुची पर मुँह रख दिया… संगीता भाभी ने भी अब मेरे सिर को अपनी चुची पर दबा दिया और बोली- ये पैकेट नहीं खोलोगे क्या? उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था।

मैंने तुंरत उन्हें उठाया और उनके ब्लाउज और ब्रा को बदन से अलग कर दिया साथ ही उनके पेटिकोट का नाड़ा भी खींच दिया जिससे संगीता भाभी भी अब बिल्कुल नंगी हो गई। मैं अब संगीता भाभी को फिर से नीचे गिरा कर उनके ऊपर लेट गया और उनकी दोनों चुची को बदल बदल कर चूमने चाटने लगा‌. संगीता भाभी ने मेरे‌ सिर को‌ पकड़ लिया और वो धीरे धीरे मेरे सिर पर हाथ फिराते हुए मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकालने लगी।

कुछ देर उनकी मदमस्त चुची का मजा लेने के बाद मैं उनके पेट पर से चूमते हुए नीचे उनकी चूत पर आ गया और धीरे धीरे उनकी‌ चूत की दोनों फांकों को चूमते हुए नीचे जन्नत के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा जिससे भाभी के मुँह से सिसकारियाँ फूटनी शुरु हो गई।

संगीता भाभी के दोनों हाथ अब भी मेरे सिर पर ही थे और वो इईईई… श्श्शशश… अआआ… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्ह्हहह… अब बस्सस.. ऊपर… आ..जाओ… इईईई… श्श्शशश… अआआ… ह्ह्हहह… बस्सस… मेरे ऊपर आ जा..ना… कहते हुए मुझे अपने ऊपर खींचने की कोशिश कर रही थी, मगर मेरे होंठ अब चूत की फांकों को चूमते हुए उनके प्रेमद्वार तक पहुँच गये जो कामरस से भीगकर तरबतर हो रहा था।

मैंने अपनी जीभ को निकाल कर उस रस को चाट लिया जिससे संगीता भाभी ने एक‌ बार मीठी‌ सी आह भरी‌ और फिर उन्होंने मेरे सिर को पकड़कर मुझे अपनी चूत पर से हटा दिया. मैंने उनकी चूत को चाटने के लिये एक बार फिर से अपने सिर को‌ उनकी ‌जांघों के बीच घुसाया मगर ‘इईईई…श्श्शशश… अब..बस्सस… अब क्या ऐसे ही‌ तड़पाता रहेगा? कहते हुए संगीता भाभी ने मेरे बालों को मुट्ठी में भर लिया और उन्हें जोर से खींचते हुए मुझे अपने ऊपर खींचने लगी.

बालों के खिंचने से मैं खिंचता हुआ संगीता भाभी के ऊपर आ गया। संगीता भाभी का नंगा मखमली बदन अब मेरे नीचे था। उनके ऊपर आते ही मैंने अब उनके होंठों को मुँह में भर लिया और उन्हें जोर से चूसने लगा। भाभी ने भी अब मुझे अपनी दोनों जांघों के बीच में ले लिया और जल्दी से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी… दरअसल वो कोशिश तो मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाने के लिये कर रही थी मगर एक तो चूत की चिकनाई की वजह से और दूसरा मैं भी उनके होंठों को चूमते हुए हिल ‌रहा था जिसके कारण बार बार मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर फिसल रहा था.

संगीता भाभी से अब सब्र नहीं हुआ, उन्होंने खीजते हुए मेरे नीचे के होंठ को अपने दाँतों के बीच जोर से दबाया जिससे मुझे दर्द होने लगा और मैं स्थिर हो गया… मेरे लंड को तो हाथ से पकड़ कर उन्होंने पहले ही चूत के मुहाने पर लगा रखा था और अब उन्होंने अपने पैरों को उठाकर इस तरह से मेरे पैरों में फँसा लिया कि जैसे ही उन्होंने अपने पैरों का मेरे पैरों पर दबाव डाला, मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत की गहराई में उतर गया।

संगीता भाभी के इस चालाकी से मैं हैरान सा रह गया, मैं सोचता था कि इन सब कामों में मैं ही निपुण हूँ मगर संगीता भाभी की चालाकी ने मेरा दिल‌ जीत लिया था। मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और एक जोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा आधे से ज्यादा लंड उनकी चूत की गहराई मापने लगा और संगीता भाभी अआहः.. एऐऐ… कह कर कराह उठी।

मैंने अब फिर अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा और उसी तरह‌ फिर एक जोर का धक्का मारा… इस बार… इस बार मेरा पूरा लंड उनकी‌ चूत में समा गया जिससे संगीता भाभी पहले तो इई… श्शशश… अआहः.. आ ए… कहकर हल्का सा कराही और फिर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर कर बड़े ही प्यार से मेरे गाल को चूम लिया।

मैंने भी एक बार उनके गालों को ‌चूमा और फिर नीचे से धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे संगीता भाभी इईई…श्श्शशश… अआआ… ह्हहाहा… इईई…श्श्शशश… अआआ… ह्हहाहा… करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी।

भाभी ने मुझे अपनी बांहों में जोर से भींच रखा था और मेरी गर्दन व गालों को चूमे जा‌ रही‌ थी मगर अब उन्होंने भी अपने पैरों को मेरी जांघों के ऊपर चढ़ाकर अपने पैरों को मेरे पैरों में फँसा लिया और वो भी नीचे से धीरे धीरे अपने कूल्हे उचकाकर धक्के लगाने लगी।

संगीता भाभी का साथ देने के लिये मैंने भी अब उनके होंठों को मुँह में भर लिया और धक्के लगाते हुए धीरे धीरे उनके होंठों को चूसने लगा। संगीता भाभी के होंठों चूसते चूसते पता नहीं कब उनकी जीभ मेरे मुँह में आ गई जिसे मैं चूसने लगा.

संगीता भाभी की‌ रसीली‌ जीभ को‌ चूसने में मैं इतना मशगूल हो‌ गया कि धक्के लगाना ही‌ भूल गया, मैं बस कुछ देर के लिये ही रुका था कि‌ तड़प कर संगीता भाभी ने अपनी जीभ को‌ मुझसे छुड़वा लिया और वो खुद ही अपने हाथों व पैरों से मेरे कूल्हों पर दबाव डालकर मुझे हिलाने लगी. संगीता भाभी ने अपने पैर इस तरह से मेरे पैरों में फँसा रखे थे कि वो खुद अपने पैरों को हिलाकर मुझसे धक्के लगवा रही थी.

भाभी की बेताबी देखकर मैंने उन्हें तड़पाने की सोची… और उनको तड़पाने के लिये मैं अब उनके होंठों को चूसने लगा मगर मैं खुद धक्के अब भी नहीं ‌लगा रहा था। उनके रसीले होंठों को चूसते हुए मैं अब संगीता भाभी धक्के लगवाने का मजा ले रहा था।

कुछ देर तो संगीता भाभी मेरे कूल्हों को‌ दबाकर‌ मुझे हिलाती रही मगर फिर वो भी मेरी चालाकी को समझ‌ गई और ‘शैतान कहीं के… ठहर… अभी बताती हूँ तुझे… ज्यादा चालाक बनता है ना… ठहर!’ कहते हुए मुझे धकेल कर नीचे गिरा लिया और खुद मेरे ऊपर चढ़कर मेरे दोनों तरफ पैर करके अपने घुटनों पर खड़ी हो गई।

इसके बाद उन्होंने पहले तो एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर सीधा खड़ा कर लिया और फिर अपनी चूत को मेरे लंड पर लगाकर उस पर बैठने लगी. मेरा लंड उनकी चूत में हल्का सा घुसा ही था कि भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर से हटा लिया और वो उनकी चूत में लंड घुसने की बजाय फिसल कर मेरी नाभि से जा टकराया।

भाभी भी कहाँ मानने वाली थी, उन्होंने फिर से मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत के मुँह पर लगा कर फिर से उस पर बैठने लगी… मगर अबकी‌ बार उन्होंने मेरे लंड को छोड़ा नहीं बल्कि उसे पकड़े रही… उनकी चूत पहले से ही गीली और खुली हुई थी तो अबकी बार मेरा सुपारा आसानी से उसकी चूत के अन्दर प्रवेश कर गया। सुपारा घुसने के बाद उन्होंने लंड को हाथ से छोड़ दिया और ‘अब बोल… अब दिखा अपनी चालाकी‌…’ कहते हुए अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर एकदम से बैठकर मेरे पूरे लंड को अपनी चूत से खा गई।

अब उनकी चूत में लंड मेरा पूरा जड़ तक का उतर गया था। मेरे पूरा लंड के अन्दर जाते ही एक बार तो संगीता भाभी के हाथ मेरे सीने पर कस गये थे और वो हल्का सा कराह भी दी… मगर फिर वो आराम ‌से बैठ गई।

मैंने अब अपने हाथ बढ़ा कर संगीता भाभी की कोमल चुची को थाम लिया… जैसे ही मैंने उनकी चूची पकड़ीं, संगीता भाभी ने अपनी कमर को थोड़ी गति दी और ‘अब बोल… अब दिखा ना अपनी चालाकी‌…’ कहते हुए वो धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी जिससे उनकी‌ चूत की दीवारें मेरे लंड पर घिसने लगी।

संगीता की चूत ने मेरे पूरे लंड को अब अपनी गिरफ्त में ले रखा था और उनकी चूत मेरे लंड पूरा घर्षण प्रदान कर रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि उनकी चूत मेरे लंड को चूस रही हो।‌ कोई औरत खुद ही अपनी चूत को चुदवा सकती है, अभी तक मुझे यह मालूम‌ नहीं था, मेरे लिये इस खेल का यह एक और नया अनुभव था। अगर मैं ऊपर‌ होकर धक्के लगाता तो बस मेरा लंड ही उनकी चूत में घिसता मगर इस तरह संगीता भाभी के मेरे ऊपर बैठकर आगे पीछे होने से उनकी‌ पूरी की पूरी गर्म चूत साथ ही उनकी भरी हुई मखमली‌ जाँघें व नर्म मुलायम कूल्हे भी मेरी जांघों से चिपक कर मुझे परम आनन्द प्रदान कर रहे थे।

संगीता भाभी इस खेल की कुशल खिलाड़ी थी, मुझे भी उनसे काफ़ी कुछ सीखने को मिल ‌रहा था। मैंने अब आनन्द से अपनी‌ आँखें बन्द कर ली और संगीता भाभी की चुची दबाते हुए उनकी चूत घिसाई के मज़े लेने लगा।

धीरे धीरे अब संगीता भाभी की कमर की हरकत तेज होने लगी और वो अब जल्दी जल्दी अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी चूत से चूसने लगी। चूत में लंड की यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैं भी अब थोड़ा सा उठ गया और संगीता भाभी की एक चुची को अपने मुँह में भरकर उसे चूसने लगा… उनकी चूची को चूसते चूसते उत्तेजना व आनन्द के कारण अपने आप ही मेरे हाथ अब उनके कूल्हों पर चले गये‌। मैंने उनके कूल्हों को पकड़कर उनकी गर्म चूत को अपने लंड पर और भी जोरों से चिपका लिया और उनकी गर्म चूत को व उनकी‌ मखमली चमड़ी को अपनी चमड़ी के साथ जोर से घिसवाने लगा‌‌‌.

संगीता भाभी की कमर की हरकत धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी‌ जिससे उनकी साँस फूलने लगी और मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ फूटनी शुरु हो‌ गई। कुछ देर ‌तो‌ संगीता भाभी ऐसे मुझे अपनी चुची ‌चूसवाती रही‌ मगर फिर उन्होंने मुझे धकेलकर फिर से बिस्तर पर पटक दिया और सिसकारियाँ भरते हुए ‘अब.. बोल… ना… ह्हुं… ह्हुं.. अब कर के दिखा… चालाकी… ह्हुं..’ अपनी फूलती हुई साँसों से फिर से कहा और फिर मेरे कँधों पर अपने दोनों हाथ रखकर तेजी अपनी कमर को चलाने लगी।

मैं अब भी अपने दोनों हाथों से संगीता भाभी के कूल्हों को पकड़े हुए था इसलिये मैं भी दोनों हाथों से उनके कूल्हों को पकड़ कर उनकी चूत को अपने लंड पर जल्दी जल्दी‌ और जोरों से घिसवाने लगा जिससे संगीता भाभी और भी जोरों से सिसकारियाँ लेने लगी और ‘बोल.. ह्हुंआआ… इईई… श्शश… अआआ…ह्हहा..हा… अब बोल… ना… अआआ… ह्हहा..हा… इईई… श्शश… अआआ… ह्हहा..हा…’ की आवाजें निकालते हुए अपनी चूत को तेजी से मेरे लंड पर घिसने लगी।

संगीता भाभी इतनी जोरों से अपनी‌ कमर को‌ हिला ‌हिलाकर मेरे लंड से अपनी‌ चूत को‌ घिस रही‌ थी कि पता ही नहीं चल रहा था, वो मुझे चोद रही थी या फिर मैं उनको‌ चोद रहा था? शायद वो चरमोत्कर्ष के करीब ही‌ थी, समय तो अब मेरा भी आ गया था इसलिये मैं भी‌ उनके कूल्हों को पकड़ कर जोरों से उनकी‌ चूत को‌ अपने लंड पर घिसवाने लगा.

तभी संगीता भाभी का बदन अकड़ने लगा… और बेहद ही गर्म गर्म अहसास के साथ उनकी चूत में संकुचन सा होने लगा, मुझे ऐसा लगने लगा जैसे उनकी‌ चूत अन्दर से सुलग उठी हो और मेरे लंड को वो अन्दर ही अन्दर भींच रही हो। उन्होंने ‘इई श्शश.. बोल. अआहाँ… इई.श्शश.. ह्हहाँ… अआआह… इई.श्शश.. बोल. अआहाँ… इई.श्शश.. ह्हहाँ… अआआह…’ कहते हुए अपना पूरा जोर लगाकर अपनी चूत को तीन चार बार मेरे लंड पर घिसा और फिर उनके हाथ मेरे कँधों‌ पर कसते चले गये‌.

संगीता भाभी चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई थी इसलिये उनकी कमर की हरकत‌ अब स्थिर पड़ने लगी थी मगर मैं अब भी प्यासा ही था और उनके कूल्हों को पकड़कर उनकी चूत को अपने लंड पर घिसे जा रहा था. भाभी को शायद अब दिक्कत होने लगी‌ थी इसलिये वो कराहने लगी और मेरे लंड पर से भी उठने की‌ कोशिश करने लगी… भाभी मेरे लंड पर से थोड़ा सा उठी ही थी कि मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और मैंने अब नीचे पड़े पड़े ही धक्के लगाने शुरु कर दिये‌.

भाभी के थोड़ा सा उठ जाने की वजह से मेर लंड व उनकी चूत में थोड़ा सा फासला हो गया था और अब मेरे धक्के लगाने से मेरा लंड उनकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा‌। संगीता अब भी कराह रही थी, उन्होंने मेरे कंधों को जोरों भींच रखा था और मेरे धक्को के साथ साथ वो ‘अआहँ… बस्सस… इई… श्शश… अआहँ… इई…श्शश…अआहँ…’ की आवाज कर रही थी मगर मैं रुका नहीं और नीचे से अपने कूल्हे तेजी से उचका उचका धक्के लगाता रहा.

संगीता भाभी की चूत में मेरे लंड के अन्दर बाहर होने से उनकी चूत का रस अब मेरे लंड के सहारे उनकी चूत से रिस कर मेरी जांघों पर फैलने लगा। उनकी चूत के रस से भीग कर मेरा लंड अब और भी चपल‌ हो गया और उनकी चूत तो पहले ही भीगी हुई थी जिसमे अब मेरे लंड के अन्दर बाहर होने से फच्च… फच्च… की आवाज आने लगी, साथ ही मेरी जाँघें भी उनके नर्म कूल्हों से टकरा रही थी जिससे पट…पट… की आवाज भी आ रही थी।

संगीता भाभी की कराहों के साथ फच्च… पट… फच्च… पट… फच्च… पट… फच्च… फच्च… पट.. की आवाजों से अब पूरा कमरा गूंजने लगा था… मगर मैं किसी की भी परवाह किये बगैर लगातार धक्के लगाता रहा क्योंकि मैं भी अब अपनी मंजिल के करीब ही था… फिर चार पाँच वार के बाद मैंने भी हथियार डाल दिये और संगीता भाभी को जोरों से अपनी बांहों में भींच कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।

‘हहाँ…हहाँ… जान…ही‌… निकाल‌ दी… हहाँ… मेरी‌… हहाँ… हहाँ…’ संगीता भाभी ने कराहते हुए व लम्बी लम्बी साँसें लेते हुए कहा और फिर मुझ पर ऐसे ही लेट गई। कुछ देर तक‌ हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में समाये पड़े रहे… मेरा लंड मूर्छित सा होकर अब भी उनकी चूत में ही घुसा हुआ था.

तभी संगीता भाभी को मजाक सूझ गई, उन्होंने अपने कूल्हों को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया… और जैसे ही उन्होंने अपने कूल्हों को उँचा किया, हल्की फच्च… की सी आवाज के साथ उनकी चूत में लंड निकल कर मेरी नाभि पर आ गिरा और मेरे लंड के निकलते ही उनकी चूत से गर्म गर्म द्रव सा निकल कर मेरे पेट पर गिरने लगा जो संगीता भाभी की चूत के रस व मेरे वीर्य का संगम था।

‘ये ले सम्भाल अपने माल को…’ संगीता भाभी ने हंसते हुए कहा और फिर अपनी चूत को भी मेरे पेट पर ही रगड़ कर साफ करके खड़ी हो गई। मैं अब भी ऐसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा मगर संगीता भाभी बिस्तर से उठ कर अब अपने कपड़े पहने लगी, मैंने उनको फिर से पकड़ लिया और पूछा- कहाँ जा रही हो? ‘छोड़ मुझे… मरवायेगा क्या अब? बाहर देख… ‌दिन निकल‌ आया है कोई‌ आ गया तो?’ संगीता भाभी ने मुझसे छुड़वाते हुए कहा‌ और फिर से अपने कपड़े पहनने लगी।

‘इतनी जल्दी…’ मैंने खिड़की की तरफ देखते हुए कहा। बाहर हल्की ‌सी रोशनी ‌दिखाई दे रही थी, शायद उजाला हो गया था।

संगीता भाभी के कपड़े पहन लेने के बाद मैंने एक बार फिर उनका हाथ पकड़ कर अपनी‌ तरफ खींच लिया जिससे वो मुझ‌ पर झुक गई… मैंने उनके गालों को चूमते हुए शिकायत के लहजे में कहा- आप रात में पहले क्यों ‌नहीं आई? ‘अच्छा… अब मुझे ही उलाहना दे रहे हो.. मैं तो कब से सब कुछ निकाल कर तुम्हारे पास सो रही हूँ मगर तुम्हारी ही नींद कुम्भकर्ण की सी है जो खुलती‌ ही नहीं, आखिर में मुझे ही तुम्हें जगाना‌ पड़ा, पता है तुम्हारी वजह से मैं रात भर सो‌ई भी ‌नहीं…’ संगीता भाभी ने कहा और फिर मुझ पर‌ झुके हुए ही अपने ने तकिये के नीचे से कुछ निकाल‌ लिया वो शायद उनकी‌ पेंटी थी जो‌‌ रात में उन्होंने खुद ही ‌निकाल कर अपने तकिये के नीचे रख‌ ली‌ थी।

भाभी ने अब अपनी पेंटी से मेरे पेट पर गिरे हुए हम दोनों के कामरस को साफ‌ कर दिया और मुझसे कहा- अब तुम भी कपड़े पहन लो, नहीं तो तेरी पायल भाभी ऊपर आती ही होगी… और हाँ, ये सब पायल‌ को मत बता देना, नहीं तो वो मुझे जीने नहीं देगी! अपनी‌ पेंटी से मेरे पेट को ‌साफ‌ करके संगीता भाभी ने पेंटी को‌ बैड के नीचे छुपा दिया और फिर दरवाजा खोलकर पहले तो दरवाजे के बाहर दोनों तरफ देखा और फिर जल्दी से बाहर चली गई।

मैं भी अब अपने कपड़े पहन कर फिर से बिस्तर पर लेट गया… और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

करीब दस बजे मेरी पायल भाभी ने मुझे जगाया। इसके बाद मैं और मेरी पायल भाभी वापस अपने घर आ गये मगर उस रात को मेरे जो संगीता भाभी की चुदाई हुई, वो आज भी चालू है, मैं जब कभी भी उनके यहाँ जाता हूँ तो भाभी की चुदाई हो ही जाती है। [email protected]