भाभी के मनमोहक शरीर की मालिश फिर भाभी की चुदाई

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मेरी फुफेरी भाभी की चुदाई तब हो गई जब मुझे दो दिन अपने कजिन के घर रहना पड़ा. नंगी भाभी बाथरूम में फिसल पड़ी और मैंने उन्हें बाथरूम से नंगी उठा कर कमरे में लाया.

सभी लड़कियों और भाभियों को मेरे खड़े लंड का नमस्कार। मेरा नाम मीत है, मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल की है.. दिखने में ठीक-ठाक हूँ। मैं अपनी तारीफ ज़्यादा करना पसंद नहीं करता और लड़कियों की तारीफ में कोई कमी नहीं छोड़ता।

मेरे लंड का साइज़ 7 इंच लंबा है और ये किसी मोटी गाजर जैसा मोटा है.. जो किसी भी भाभी या लड़की की चुत फाड़ सकता है। जिसको भरोसा न हो वो अपने छेद में लेकर नाप सकती है।

मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैंने बहुत सी कहानियों से बहुत कुछ सीखा है.. उसी के आधार पर मैं भी अपनी एक सच्ची चुदाई की कहानी लिख रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि आपको ये भाभी की चुदाई की कहानी अच्छी लगेगी पसन्द आई या नहीं, जवाब जरूर करना.. सिर्फ मुठ मार कर हाथ मत पोंछ लेना।

बात उन दिनों की है, जब मैं अपने एग्जाम के लिए चंडीगढ़ आया हुआ था और एग्जाम के बाद वापिस जाने की प्लानिंग कर रहा था। तब मुझे अपनी दूर की बुआ के लड़के का फोन आया जो चंडीगढ़ में ही रहता था। मेरी और उसकी काफ़ी अच्छी बनती है। उसकी नई शादी हुई थी और उसकी वाइफ, जो रिश्ते में मेरी भाभी लगी, एकदम पटाखा आइटम थी, भाभी इतनी हॉट थी कि उसको देखते ही किसी भी मर्द का पानी निकल जाए। भाभी का फिगर करीब 32-30-32 के आस-पास का होगा। उसका रंग एकदम इंग्लिश.. दूध जैसा सफेद.. उस भाभी की जितनी तारीफ करो उतनी कम है। हालांकि भाभी मुझे उम्र में छोटी थी पर तब भी मैं उसको भाभी ही कहता था।

मेरे फुफेरे भाई ने मुझसे कहा- यार तुम चंडीगढ़ में हो.. तुमने मुझे बताया ही नहीं? मैंने कहा- अरे बहुत जल्दी में रहा तो कुछ कह ही नहीं पाया और अभी भी निकलने की जल्दी में हूँ..

अभी मैं अपनी पूरी बात भी नहीं कर पाया और उसने मेरी बात काटते हुए मुझे कहा- आज तुम मेरे घर आ रहे हो.. बस मुझे और कुछ नहीं सुनना..! इतना कह कर उसने फोन काट दिया.. मेरी एक ना सुनी।

मैं अपने घर वालों को फोन लगाकर परमीशन लेकर उसके घर चला गया। उसके घर गया और दरवाजा उसने खोला, हम दोनों ने एक-दूसरे को ‘हैलो..’ बोला और अन्दर आ गए।

सामने भाभी भी खड़ी थी.. वो लाल सलवार कमीज़ में एकदम पटाखा लग रही थी। मैंने उसे भी नमस्ते बोला और वो मुस्कुरा कर अन्दर चाय वगैरह लेने के लिए चली गई। हम दोनों ने चाय पीते हुए काफ़ी बातें की।

बातों के बाद हम दोनों काफ़ी सहज हो गए थे, भाभी भी मेरी बातों से कुछ इंप्रेस होने लगी थी। इस वक्त तक मेरे मन में भाभी की चुदाई जैसी कोई भावना नहीं थी।

रात को डिनर करते हुए मेरे भाई राहुल के पास एक कॉल आई कि उसे काम के चलते कल बहुत जरूरी में दो दिन के लिए बाहर जाना पड़ेगा।

इस फोन कॉल से वो तनिक परेशान सा हो गया.. और उसने मुझसे बोला- यार मीत तू रुक जा.. मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं है, तेरी भाभी अकेली रह जाएगी। मुझे रुकना पड़ गया.. मैंने उससे हामी भरी, तो वो दूसरे दिन बड़े सुबह चला गया।

अगले दिन उसके जाने के बाद मैं सुबह उठा और नहाने के बाद मैंने और भाभी ने साथ में ही नाश्ता किया। इसके बाद भाभी कपड़े धोने लगी और बाकी के काम करने लगी। घर का पूरा काम करने के बाद भाभी करीब 12:30 पर फ्री हुई और नहाने की तैयारी करने लगी।

भाभी बाथरूम में जाकर नहाने लगी। कुछ देर बाद उसके फिसल कर गिरने की वजह से चिल्लाने की आवाज़ आई, तो मैं दौड़ कर गया और पूछा- भाभी सब ठीक है ना? उसकी कोई आवाज़ नहीं आई। मैंने फिर आवाज़ लगाई, तब दबी सी आवाज़ में भाभी ने कहा- ओह.. मीत मुझसे उठा नहीं जा रहा है.. मैं गिर गई हूँ। वो किसी तरह उठ कर दरवाजे के पास आई। मैंने बोला- भाभी मैं अन्दर आऊँ क्या? भाभी ने कहा- एक मिनट रूको।

अब भाभी ने अपने ऊपर तौलिया रखा और जैसे-तैसे कुण्डी खोल दी।

मैं जल्दी से अन्दर गया तो अन्दर का नज़ारा में देखता ही रह गया। भाभी मेरे सामने बिना कपड़ों के सिर्फ़ तौलिया में पड़ी हुई थी। मैं चूतियों सी पलकें झपका कर उसे निहार रहा था। तभी भाभी ने कहा- क्या देख रहे हो.. मेरी उठने में मदद करो!

तो मैंने भाभी को सहारा दिया.. लेकिन वो एकदम से लड़खड़ाई.. जिससे उसका तौलिया नीचे गिर गया और भाभी पूरी नंगी हो गई।

मैं भी शर्म से लाल हो गया था। अब परेशानी ये थी तौलिया उठाई जाए.. या भाभी को सम्भालूँ!

मैंने पहले नंगी भाभी को उठाया और उसे अपनी गोद में लेकर उसके बेडरूम ले जाकर लेटा दिया। भाभी मेरे सामने एकदम नंगी लेटी थी और मेरा हथियार एकदम टाइट हो गया था.. जिसे भाभी ने भाँप लिया था।

मैंने बोला- भाभी क्या हुआ था? तो बोली- साबुन पर पैर आ गया.. सो फिसल गई और कमर के नीचे बहुत जोर से लग गई है.. बहुत तेज दर्द हो रहा है। मैंने उसकी तनी हुई चूचियों को देख रहा था। अपनी चुत पर वो हाथ रखे हुई थी।

भाभी ने मुझसे तेल लाने को बोला और जगह बताई। मैं झट से तेल ले आया और पूछा- कहाँ लगाऊँ? तो भाभी पलट गई और बोली- कमर पर लगाओ।

मैंने थोड़ा आयल कमर पर लगाया और मसलने लगा। मेरा लंड पूरा टाइट था और भाभी को चोदने के ख्याल मन में आने लगे। दोस्तो, आप शायद सोच भी नहीं सकते कि मेरा उस टाइम क्या हाल रहा होगा।

मैं तेल से भाभी की कमर की मालिश करने लगा और वो भी हौले से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी। फिर भाभी ने कहा- थोड़ा नीचे मसलो ना। मैं नीचे चूतड़ों को मसलने लगा.. गांड के थोड़ा ऊपर धीरे-धीरे मसला तो भाभी को मजा आने लगा।

अब मैंने जानबूझ कर थोड़ा तेल भाभी की गांड के छेद में डाल दिया तो भाभी एकदम से चिहुंक गई.. तो मैं फट से बोला- सॉरी भाभी ग़लती से गिर गया। भाभी हंस कर बोली- ठीक है..

मैंने सोचा कि हरी झंडी मिल गई है.. अब आगे का काम शुरू किया जाए।

मैं भी भाभी की पिछाड़ी मसलते-मसलते गांड तक पहुँच गया। मैंने एक उंगली भाभी की गांड में डाल दी, तो भाभी चिहुंक गई.. बोली- अह.. ये क्या कर रहे हो.. शर्म नहीं आती क्या.. मैं तेरी भाभी हूँ। मैंने बोला- भाभी आप इस तरह पूरी नंगी मेरे सामने, मतलब एक जवान मर्द के आगे लेटी हो.. तो सोचो मेरी क्या हालत हो रही होगी?

भाभी मस्त अंदाज़ में इठला कर पलट कर बोली- अच्छा.. इस मर्द की कैसी हालत हो रही है ज़रा मैं भी सुनूँ?

मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसकी चुत में उंगली डाल दी और चुत का दाना मसल दिया। भाभी फिर से चिहुंक उठी.. मैंने भाभी के पैरों को फैला कर लेटाया और उसकी चुत चाटने लगा।

भाभी भी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मस्त आवाज़ में ‘आअहह.. ओहह..’ की सिसकारियां भरने लगी। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

उसकी कामुक सिसकारियों से सारा रूम गूंजने लगा। मेरे दोनों हाथ भाभी की चुची पर चलने लगे। उसे अभी भी थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा था.. जिससे थोड़ी परेशानी हो रही थी। तभी मैंने महसूस किया कि उसका हाथ मेरे लंड पर आ रहा है तो मैंने भी झट से अपने कपड़े निकाल दिए।

मेरा 7 इंच का मोटा लंड देख कर वो बोली- इतना टाइट लंड..! उसके मुँह से ‘लंड’ सुन कर अजीब भी लगा और अच्छा भी लगा।

तभी भाभी ने लंड को अपने मुँह में लेने का इशारा किया और हम दोनों ने 69 की पोज़िशन बना ली। थोड़ी देर बाद भाभी और मैं लंड चुत को चूसते हुए दोनों झड़ गए। हम दोनों ने एक-दूसरे का कामरस पी लिया।

तभी भाभी ने फिर से मेरा लंड मुँह में भर लिया और चूसने लगी.. तो मैंने भी उसकी चुत चाटना चालू कर दिया।

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से टाइट हो गया था और भाभी भी गर्म हो उठी थी। अब भाभी बोली- बस यार अब नहीं रहा जाता.. तुम डाल दो अपने हथियार को मेरे अन्दर..!

और मैंने भी देर ना करते हुए एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी गुलाबी चुत में उतार दिया।

वो थोड़ा सा चिल्लाई भी.. पर मैंने उसके होंठ बंद कर रखे थे। मैं भाभी की चुची दबाता रहा, जिससे उसको मजा आने लगा और वो मेरा पूरा साथ देने लगी। भाभी नीचे से अपनी गांड को भी हिलाने लगी।

अभी भी उसका कमर दर्द था.. जो झटकों में देखा जा सकता था। लेकिन भाभी ने इस मज़े में अपने दर्द की परवाह नहीं की.. उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर टाइट कर दीं, जिससे मुझे पता चल गया कि वो झड़ने वाली है। ये समझते ही मैं कभी अपनी स्पीड तेज़ करता.. कभी स्लो कर लेता।

फिर कुछ ही झटकों में भाभी झड़ने को मचलने लगी और मैं फुल स्पीड के साथ चुदाई में लग गया.. अब मेरा भी झड़ने वाला था। तभी भाभी बोली- तुम झड़ो.. तो मेरे अन्दर ही झड़ना।

इतना कहते ही हम दोनों साथ में झड़ गए और मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे किस करते हुए बोला- भाभी, आप बहुत नमकीन हो। भाभी बोली- आप भी बहुत तीखे हो।

हम दोनों हंसने लगे।

उस दिन मैंने चार बार भाभी की चुदाई की.. और अगले दो दिन तक मैंने उसकी जवानी का रस खूब चखा। इसके बाद कभी मिलना ही नहीं हुआ.. अब भी जब उसकी याद आती है, तो मुठ मार कर शांत हो जाता हूँ।

दोस्तो, आपको भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी.. जवाब जरूर देना। [email protected]

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