नई जवानी की बुर की चुदाई-6

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पहले बुर की चुदाई… फिर गांड की चुदाई… दर्द तो होना ही था सुबह जब मेरी नींद खुली तो प्रिया रसोई में थी और लंगड़ाकर चल रही थी, मैंने शरारत में पूछा- क्या हुआ? तो उसने जोर से चिकुटी काटते हुए कहा- रात में (अपनी गांड की तरफ इशारा करते हुए) जो तुमने अपने इसको (मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए) डाला है, उसी का नतीजा है। मैंने उसे पीछे से चिपकाया और गर्दन को चूमते हुए कहा- डार्लिंग, बस पहली बार ही दर्द होता है, उसके बाद बहुत मजा आता है।

अपनी कोहनी को मेरे पेट पर मारते हुए बोली- मैं ही पागल थी कि तुम्हारी बातों में आ गई और अब दर्द बर्दाश्त कर रही हूँ। मैंने नीचे बैठते हुए बोला- लाओ देखूं तो अब क्या हालत है।

हालांकि वो इस समय गाउन पहने हुए थी लेकिन अन्दर कुछ भी नहीं पहने थी, मैंने उसके गाउन उठाते हुए और उसके कूल्हे को फैलाते हुए देखा- अरे अब तो सही हो रहा है। बहुत ज्यादा समय तक तुम नहीं लंगड़ाओगी।

तब तक चाय तैयार हो गई थी और हम दोनों ने चाय साथ पी, चाय पीने के बाद मैं उठा और बाथरूम की तरफ चलने लगा तो प्रिया बोली- कहाँ? मैंने उसे घड़ी दिखाते हुए कहा- देखो, जल्दी नहा धोकर तैयार होना है, नहीं तो ऑफिस की देर हो जायेगी। ‘मतलब मैं यहाँ चल नहीं पा रही हूँ और तुम्हें ऑफिस जाने की पड़ी है?’

मैंने उसके गालों को अपने हाथों के बीच लेते हुए कहा- नहीं जान, मैं तो नहीं जाना चाहता लेकिन अभी तुम ही कहती, इसलिये मैं तैयार होने जा रहा था, अब तुम मना करती हो तो नहीं जाता। ‘हाँ मत जाओ, आज तीसरा दिन है, मेरे घर के सभी लोग शाम तक आ जायेंगे और मैं चाहती हूँ कि भले ही कुछ घंटे और ही सही मैं तुम्हारी बांहों में बिताना चाहती हूँ।’

मैं खड़ा हो गया और अपनी बाहों को फैलाते हुए कहा- आओ, मैं भी बड़ी ही बेसब्री से अपनी बांहों में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। प्रिया मेरे से चिपक गई और थोड़ा इमोशनल होते हुए बोली- भले ही मुझे थोड़ा दर्द हुआ हो, लेकिन तुमने मुझे खुशियां बहुत दी हैं। तुमने तो मेरी भी बात मानी है।

मैं तो नंगा था ही, मैंने कहा- मेरे साथ नहाओगी? उसने सर हिलाकर सहमति दी। ‘ठीक है मैं पॉटी होकर आ रहा हूँ जब मैं आवाज दूं तो तुम आ जाना।’ ‘ठीक है।’

मैं चलने लगा तो उसके जिस्म पर पड़े हुए गाउन की तरफ मेरी नजर गई तो मैंने बोला- आज कपड़े कोई नहीं पहनेगा! उसने मुस्कुराते हुए अपना गाउन उतार दिया। मेरे मुंह से निकल पड़ा- हाय रे, मार डाला तुमने! प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा- मार-मार कर मेरा कचूमर तुमने निकाल दिया और इल्जाम भी हमी पर लगा रहे हो?

फ्रेश होने के बाद मैंने प्रिया को आवाज दी, फिर हम दोनों मिलकर नहाने लगे, मैंने उसे नहलाया और उसने मुझे नहलाया।

हालांकि उसकी लम्बाई काफी छोटी थी, इसलिये मेरा लंड उसके पेट में लड़ रहा था और वो आसानी से मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर मसल रही थी। मैंने प्रिया को गोद में उठाया उसने अपने पैरों की कैंची मेरी कमर पर लगा दी और अपनी बांहों का हार मुझे पहना दिया. शॉवर का पानी हम दोनों के ऊपर गिर रहा था… मेरे होंठ प्रिया के होंठों से मिल रहे थे, दोनों जोर-जोर से एक दूसरे के होंठ को चूम रहे थे, मैं अपनी जीभ उसके मुंह में डाल रहा था और वो बड़े ही प्यार से मेरी जीभ को लॉली पॉप समझ कर चूसती और फिर वो अपनी जीभ मेरे मुंह के अन्दर भर देती।

मैंने इसी बीच पूछ लिया- अब तुम्हें उल्टी तो नहीं होती? वो बोली- मतलब? मैंने कहा- मेरा रस पीने के बाद जो तुम्हें उल्टी महसूस होती है वो अब होती है या नहीं? बड़ी ही मासूमियत से वो बोली- अब चाहे रस किसी का भी हो, अब मुझे मजा आता है।

हम लोग नहा चुके थे, प्रिया और मैं रसोई में नाश्ता कर रहे थे। अभी भी हम दोनों नंगे थे और एक-दूसरे में समा जाना चाहते थे।

प्रिया कमरे में आकर जमीन पर पाल्थी मार कर बैठ गई और मैंने उसकी गोदी पर सर रख दिया, प्रिया मेरे बाल सहलाने लगी, लेकिन मेरे नथूने में उसकी बुर की महक घुसती जा रही थी, मेरे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, मैं पट लेट गया और उसकी बुर पर अपनी लपलपाती हुई जीभ को चलाने लगा।

थोड़ी देर तो प्रिया इसी तरह से अपनी बुर चटवाती रही, लेकिन कुछ देर बाद ही उसने अपने पैरों को फैला दिया। मैं बुर चाट रहा था और वो मेरी पीठ और बालों को सहला रही थी। थोड़ी देर बाद हम दोनों एक बार 69 की अवस्था में आ गये। 69 वाली अवस्था निपटाने के बाद मैंने प्रिया से सेन्डिल पहनने को कहा, उसने सेन्डिल पहनी और मेरे बताने के अनुसार उसने अपने दोनों हाथ को बेड के पायदान पर टिका दिया, लेकिन पूछ ही बैठी- अब क्या करने वाले हो? ‘अब तुम्हारी बुर की चुदाई पीछे से करूंगा।’

इतना कहने के बाद मैंने प्रिया की टांगों को हल्का सा फैलाया और अपने लंड पर थूक लपेटने के बाद उसकी बुर पर भी थूक लपेट दिया और एक हल्का सा धक्का दिया, लंड मेरा उसकी बुर को आधा कवर कर चुका था। चूंकि लगातार चुदाई चलने से उसकी बुर खुल चुकी थी, इसलिये ज्यादा कोई परेशानी नहीं हुई। मैंने एक बार लंड को थोड़ा बाहर निकाला और दूसरा झटका दिया, उम्म्ह… अहह… हय… याह… इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर जा चुका था।

प्रिया के दोनों सन्तरे मेरे हाथ में थे। उसकी बुर को चोदने के साथ-साथ उसकी चूची को दबाने का मजा भी आ रहा था। प्रिया भी मजे से आह-ओह करके चुदाई का आनन्द ले रही थी। अब उसकी बुर ढीली पड़ रही थी और थोड़ा बहुत गीलापन लेने लगी थी, क्योंकि अब लंड और बुर के मिलन से फच-फच की आवाज आ रही थी। थोड़ी देर इस अवस्था में करने के बाद, मैंने प्रिया को पलंग पर चित किया और उसकी टांगों को हवा में उठाकर अपनी तरफ खींचा, प्रिया का जिस्म आधा हवा में लटक गया और उसकी बुर मेरे लंड से टकराने लगी, अब लंड उसकी बुर में आसानी से जा रहा था। एक बार मेरा लंड फिर युद्ध भूमि में चला गया था।

उसका जिस्म आधा हवा में था, उसने अपने दोनों हाथ गद्दे पर टिका दिये और ओह-ओह करके मजा लेने लगी. मैंने प्रिया से कहा- चिल्लाना हो तो खुलकर चिल्ला सकती हो।

करीब 20-25 धक्के इस तरह मारने के बाद मैंने प्रिया को पूरी तरह से हवा में कर दिया, मतलब मैंने प्रिया के आधे लटके हुए जिस्म को बहुत ही प्यार से पलंग से हटाकर हवा में लटका दिया, और उसके बाद अपने जिस्म से चिपका लिया। उसके बाद प्रिया ने मुझे पलंग पर लेटने को कहा और खुद मेरे लंड की सवारी करने लगी। वो उछल रही थी, उसकी चूची भी उछल रही थी। प्रिया अपनी आँखें बन्द किये हुए उछालें भर रही थी। मैंने प्रिया से कहा- प्रिया, एक बार फिर पहले वाली अवस्था में आ जाओ! ‘क्यों?’ उसने हाथ मटका कर प्रश्न पूछा. ‘तुम्हारी गांड मारनी है।’

बिना कुछ कहे वो मेरे ऊपर से उतर गई और उसी तरह खड़ी हो गई। मैंने अपनी हथेली प्रिया की तरफ करके उस पर थूकने उड़ेलने के लिये कहा, उसने मेरे कहे अनुसार किया, फिर मैंने भी उस थूक में अपने थूक को मिलाया और प्रिया की गांड में लगा दिया और फिर थोड़ा बहुत मेरी जीभ ने उसकी गांड को गीला कर दिया, उसके बाद उंगली अन्दर डालकर उसे खोलने का प्रयास कर रहा था, जब समझ में आ गया कि अब लंड अन्दर जा सकता है तो मैंने अपना सुपारा प्रिया की गांड में सेट किया और हल्का सा धक्का दिया. ‘आह…’ बस इतना ही बोल पाई थी.

दो-तीन बार ऐसा दोहराने के बाद लंड करीब आधा से ज्यादा अन्दर चला गया था, मैं अब धीरे-धीरे अन्दर बाहर कर रहा था। इस तरह करते-करते लंड अपनी जगह बना चुका था, प्रिया को भी मजा आने लगा था, वो एक हाथ से अपनी बुर को सहलाती जाती और बीच-बीच में थूक भी अपनी बुर में लगाती जाती, शायद उसकी बुर में खुजली बढ़ रही थी.

मैंने भी उसकी बुर और गांड की खुजली एक साथ मिटाने की तैयारी की और उसकी बुर और गांड को एक साथ चोदने लगा। अब मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी और उधर प्रिया भी अपने एक्शन से बता रही थी कि वो भी चरम पर पहुंच चुकी है।

इधर मुझे भी एहसास हो रहा था कि मेरा माल भी बाहर आने को तैयार है, मैंने प्रिया की बुर से लंड निकाला और लंड को उसके मुंह की तरफ ले गया, प्रिया किसी मंझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरे लंड को चूसने लगी और लंड से निकलते हुए रस को पीने लगी. जब उसने मेरे लंड का रस पूरी तरह से पी लिया तो मैंने प्रिया को एक बार फिर पलंग पर लेटाया और उसकी टांग को हवा में उठाकर उसकी बुर पर अपनी जीभ लगा दी और उसके बुर से बहते हुए रस का सेवन करने लगा।

एक दौर खत्म हो चुका था… मेरा लंड मुरझा चुका था और प्रिया भी सुस्त हो चुकी थी। बुर की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

प्रिया उठकर बैठ चुकी थी लेकिन इतनी सुस्ती छाने के बाद भी मुझे उसके मम्मे आकर्षित कर रहे थे, खासतौर पर उसके मम्मों के बीचोबीच भूरे-काले रंग के बिन्दी, जो तने हुए थे और मुझे बताने की कोशिश कर रहे थे कि प्रिया अभी भी चाह रही है कि मैं उसके मम्मो को पियूं।

प्रिया शायद मेरे मन के भाव को समझ गई थी, इसलिये अपने मम्मे को पकड़कर मेरे मुंह में डालते हुए बोली- मेरे प्रियतम, लो इसको पियो! मैं बारी-बारी से उसके दोनों निप्पल को चूसने लगा। मैं उसके दूध को पीने का मजा ले रहा था और प्रिया अपने कोमल हाथों से मेरे जिस्म को सहला रही थी खासतौर से जांघ और लंड के आस पास की जगह को! लेकिन लंड महराज अभी मूड में नहीं थे.

तभी प्रिया ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर लेट गई और मेरे हाथों को पकड़ कर अपने मम्मों के ऊपर रख दिए। मेरे लिये आसान था, वो ऊपर से मेरे लंड को किसी तरह से अपनी बुर पर टच करने की कोशिश करती, इधर मैं उसकी चूची को मसलने के साथ-साथ उसके मुलायम बुर को भी सहला रहा था, उसकी दोनों फांकों को मल रहा था और दाने को अपनी उंगलियों के बीच लेकर उसे बड़ी ही बेदर्दी के साथ मसल रहा था। जबकि प्रिया मेरे लंड के सुपारे को अपने नाखून से रगड़ रही थी.

धीरे धीरे लंड टाइट होने लगा और उसकी बुर से टकराने लगा। अब प्रिया एकदम से पल्टी और मेरे जिस्म से खेलने लगी, वो मेरे निप्पल को अपने दांतों से काट रही थी तो कभी उसके ऊपर अपनी जीभ चला रही थी। धीरे-धीरे वो अपनी जीभ को मेरे पूरे जिस्म पर चलाती जा रही थी, वो नाभि तक पहुंच चुकी थी, मेरे दोनों पैरों के एड़ी कूल्हों से टच करने लगी।

प्रिया अब मेरे पैरों के बीच में आ चुकी थी और वो मेरे लंड को अपने मुंह के अन्दर लेकर मेरे अंडों के मसल रही थी, हालांकि अंडे दबने के कारण मुझे कुछ दर्द से महसूस होने लगा था, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था. फिर वो मेरे अण्डों को अपने मुंह में भरकर अपनी एक उंगली को मेरे गांड के अन्दर डालने लगी.

मैं कुछ चिहुंका, लेकिन सोचकर कि मैंने भी इसकी गांड में उंगली भी की थी और गांड मारी भी थी, मैंने अपनी कमर थोड़ा सा हवा में उठा लिया ताकि उसको आसानी हो जाये। फिर प्रिया ने मेरे कूल्हे को अच्छे से फैलाया और अपनी जीभ लगा दी। मैंने पूछा- प्रिया यह क्या कर रही हो? वो कुछ बोली नहीं और अपना काम जारी रखा.

जब फोर प्ले से वो फुर्सत पा गई तो वो नीचे से ऊपर की तरफ बड़े ही अदा से आने लगी और एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गई और इस बार मेरे लंड को अपनी बुर के अन्दर भर लिया और लेटे ही लेटे वो अपनी कमर चलाने लगी, मेरा लंड उसकी बुर के अन्दर इधर से उधर टहलने लगा।

वो लगातार ऐसा ही करती जा रही थी, मैंने पूछा- अगर थक गई हो तो नीचे आ जाओ? वो बोली- नहीं, मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैं बोला- जब मेरा निकलने वाला होगा और तुम समय से नहीं हटी तो मेरा पूरा माल तुम्हारे अन्दर ही चला जायेगा। ‘नहीं, मैं समय से हट जाऊंगी।’

काफी देर तक वो इस अवस्था में करती रही, मेरा माल निकलने को था, मैंने प्रिया को बताया तो वाकयी में वो हट गई और उसके हटते ही मेरा माल मेरे जांघ के आसपास गिरने लगा। प्रिया निःसंकोच उस वीर्य को चाटने लगी।

वास्तव में हम दोनों थक चुके थे। प्रिया मेरे सीने से लगकर लेट गई, थोड़ी देर तक वो मेरे सीने के बालों से खेलती रही और मैं उसके सर को सहलाता रहा। फिर वो उठी और टॉयलेट चली गई, उसके लौटने के बाद मैं भी फ्रेश होने चल दिया।

अब भूख लगने लगी थी, ऑर्डर पर खाना मँगाया गया। खाना खत्म-खत्म होने तक प्रिया के जाने का टाईम हो चला था, वो जाने की तैयारी कर रही थी, हालांकि वो अभी पेंटी और ब्रा में ही थी और वो मुझे इतनी सेक्सी लग रही थी, खासतौर से उसकी गांड कि मेरा लंड एक बार फिर टनटना गया और मैंने पीछे से उसको कस कर जकड़ लिया, उसके गालों और गले को बेतहाशा चूमने लगा. वो मेरे गालों को सहलाते हुए बोली- क्या हुआ? ‘कुछ नहीं, इस ब्रा और पेंटी में तुम मुझे बहुत सेक्सी लग रही हो, इन कपड़ों में तुम्हारा जिस्म मेरे दिमाग में हावी होता जा रहा था और मेरा लंड भी टनटना गया।’ मैंने सोच लिया था कि मैं इन शब्दों को खुलकर बोलूंगा इसलिये मैं बिना रूके प्रिया से बोलता जा रहा था कि और सोच रहा हूँ कि तुम्हारी गांड और बुर की चुदाई एक बार और कर लूं।

वो मेरी तरफ घूमी और मेरी आंखों में आंखें डालकर देखते हुए बोली- तो साहब आपको मैं पेंटी और ब्रा में गजब की सेक्सी दिख रही हूँ और आपका लंड टनटना गया है, इसलिये आप मेरे गांड और बुर में अपना लंड डालना चाहते है। देखूं तो मैं भी जरा आपके लंड को? कह कर नीचे बैठ गई और मेरे टनटनाये हुए लंड पर अपनी उंगलियों को नचाते हुए बोली- वास्तव में मेरे साहब का लंड टनटना गया है। अपनी उंगली मेरे लंड पर चलाते हुए बोली- मेरी बुर और गांड में आपको तभी जाने दूंगी, जब आप मेरी शर्त मानेंगे? मैंने पूछा- क्या?

तो मुझे चुप कराते हुए बोली- मैं आपसे नहीं, आपके लंड से बात कर रही हूँ। मेरा लंड तो टाईट था ही और झटके भी खा रहा था। मेरा लंड प्रिया की बात पर ऊपर नीचे की ओर झटका खा रहा था, ऐसा लगा कि वो अपनी सहमति दे रहा हो। प्रिया बोली- हाँ ये हुई न बात! तो शर्त यह है कि इसके बाद आप मुझसे मेरी बुर और गांड की डिमांड नहीं करेंगे।

लंड ने एक बार फिर अपनी सहमति दे दी। प्यार से लंड को चपत लगाते हुए बोली- ये हुई न बात! कहकर लंड को अपने मुंह में भर लिया और आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।

कुछ देर चूसने के बाद प्रिया खड़ी हुई और अपनी पेंटी उतारने लगी, मैंने उसे रोकते हुए कहा- नहीं इस बार तुम पेंटी पहने ही रहो, बस थोड़ा झुक जाओ! वो झुक गई। मैंने उसकी पेंटी को एक किनारे किया और उसकी गांड और बुर को थोड़ा सा चाटकर गीला किया। उसके बाद लंड महराज को अन्दर प्रवेश करा दिया।

चुदाई का दौर शुरू हो चुका था। मैं उसकी गांड और बुर को बारी-बारी से चोद रहा था और वो भी आह-ओह करके मेरा उत्साह बढ़ा रही थी।

8-10 मिनट तक मेरे लंड और उसकी बुर और गांड के बीच चोदा चोदी होती रही कि अचानक प्रिया चिल्लाई- शक्ति, मेरे अन्दर से कुछ निकल रहा है! इतना कहकर वो ढीली पड़ गई।

अंत में मैं जब झड़ने को हुआ तो एक बार फिर प्रिया ने अपने मुंह में मेरा पूरा माल ले लिया। फिर दोनों लोग अपने आपको साफ किये और प्रिया घर जाने के लिये तैयार हुई। मेरे होंठों को चूमते हुए बोली- इन तीन दिनों को मैं भूल नहीं सकती। जिन्दगी भर मेरे अहसास में यह दिन रहेगा।

उसके बाद वो चली गई। हालांकि उसके बाद प्रिया से मिलना केवल ऑफिस में होता है। अब प्रिया में इतना बदलाव मेरे प्रति आया है कि वो अब मेरा ध्यान ऑफिस में रखती है और मैं यह ध्यान रखता हूँ कि मेरी वजह से वो दूसरों के सामने रूसवा न हो।

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