लैला की सुरमयी दास्तान

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दोस्तो आज यौवन की कहानी एक नये अंदाज में लाया हूँ, आप लोगों का प्यार पाकर ही मैं ये हिम्मत कर पाया हूँ।

चूत चूदाई के किस्से, अन्तर्वासना में हर कोई सुनाता है, पर सबसे हटकर किस्सा ये संदीप ही लेकर आता है।

ये एक कामुक बदन की यौवना की मदमस्त कहानी है, कविता बना कर परोस रहा हूँ, हर शब्द में ही जवानी है।

शाम का वक्त, सन्नाटा भरा माहौल और चौराहा था, दूर खड़ी लडकी को देख मैंने उसकी हिम्मत सराहा था।

अट्ठारह बरस की लड़की सूनी सड़क पर खड़ी थी, हर मुसाफिर की नजर उसकी जवानी पर ही गड़ी थी।

वह सफेद दुपट्टे काली कुरती में मम्मों को कसी थी, शायद बस के इंतजार में वो घंटों से यहाँ फंसी थी।

नितम्ब उभरे केश छोटे और सैंडिल हाई हील थी, मासूम अदा छरहरा बदन शायद चूत बंद सील थी।

आँखों पे काजल लिपिस्टिक वाले होंठों पे स्माईल थी, कांधे पर लाल बैग और हाथ में ऊंची मोबाईल थी।

कुछ देर में सामने आकर एक नीली कार रुकी, लड़की लिफ्ट मांगने लचक कर खिड़की पर झुकी।

कार में दो काले अमीर मुस्टंडे चश्मा लगाये बैठे थे, झुकी लड़की के मम्में देख दोनों ने ही मूँछें ऐंठे थे।

लड़की चोदेंगे सोचकर दोनों ने चश्मा उतार दिया। उसके लिफ्ट का आग्रह बड़े खुशी से स्वीकार किया।

लड़की को कार में बैठा कर नाम पता पूछना चाहा, बहला फुसला कर उस मासूम कली को चोदना चाहा।

चौंतीस छब्बीस चौंतीस की परफेक्ट साईज है मेरी, एक आदमी एक रात, दस हजार नेट प्राईज है मेरी।

मुंह में लूँगी, चढ़ कर कूदूँगी पर गांड ना फड़वाऊंगी, जितना दम हो चोदना मैं तुम्हें कई बार झड़वाऊंगी।

मेरा नाम है लैला सेठ, कसी संकरी सी है मेरी गेट, सीधे-सीधे बात करो, कितना बड़ा है तुम्हारा जेट।

लड़की की बात सुनकर दोनों ने कहा ये तो रांड है, चल अब मस्त लौड़े खाना हम दोनों भी तो सांड हैं।

तुम्हारे जिस्म की कीमत, तुम्हारी शर्त हमें मंजूर है, कमरे में चलकर देखना लंड हमारा पेड़ खजूर है।

कार एक सूनी आलीशान हवेली में जाकर रुकी, लैला की नजर लाल कोट दरबानों पे जाकर टिकी।

काले आदमी हवेली के मालिक, बाकी नौकर चाकर थे, दोनों ने पहले से पी रखी थी, बक रहे आदर-मादर थे।

लैला को बड़े से कमरे के बिस्तर में बिठाया गया, नौकरों ने जलपान कराया फिर उन्हें भगाया गया।

टेबल पर विहस्की सोडा फल काजू बादाम रखा था, इसी हवेली में मुस्टंडों ने कितनों ही चूत चखा था।

ये उनके अकूत सम्पत्ति का एक छोटा सा हिस्सा था, परिवार अलग थे, यहाँ उनकी अय्याशी का किस्सा था।

पैग पर पैग बनने लगे, नशे में सभी झूमने लगे, लैला को जांघों पर बिठाया, गालों को चूमने लगे।

लैला ने कम पी, फिर भी गाने पर पांव थिरकने लगे, मुस्टंडे उससे चिपक, कसे मम्मों को पिचकने लगे।

लैला ने थिरक कर, अपनी पजामी कुरती उतार दी, कपड़ों को समेटा और मुस्टंडों के मुंह पर मार दी।

मुस्टंडों ने अब नशे में अपना परिचय जाहिर किया, एक मंत्री वाहिद था, एक विधायक ताहिर मिया।

दोनों ने झटके से कपड़े उतारे, लंड को लहरा दिया, बड़े लौड़ों ने खुद पर लैला की नजरों को ठहरा दिया।

लैला ने मचल कर अपनी सफेद पेंटी में हाथ डाली, वाहिद ने लंड पकड़ा, और कहा चल इसे चूस साली।

लौड़ा आठ इंच का था, स्वाद उसका लैला को लगा मीठा था, तभी ताहिर आया, और काले लौड़े से लैला को पीटा था।

लैला ने शानदार लौड़ा देख अपने मुंह में डाल लिया, सुपारा चूसा शिद्दत से, आगे पीछे उसका खाल किया।

दो-दो तगड़े लौड़े पाकर लैला खुशी से निढाल थी, चूत रस बह निकला, योनि लंड लेने को बेहाल थी।

वाहिद बिस्तर पर लेट गया, लैला लंड चूसने लगी, ताहिर ने पीछे से लौड़ा पेला, लैला रानी ठुकने लगी।

हालांकि लैला थी चुदी हुई, फिर भी लौड़ा बहुत बड़ा था, लैला जोरों से चीख पड़ी, ताहिर लौड़ा घुसाये खड़ा था।

वाहिद ने कहा ताहिर से, लौड़ा निकाल चूत में जीभ डाल, ताहिर मियां भी माहिर थे, लैला के जोर से खींचे बाल।

लैला ने कहा जैसे चोदना है चोदो आज तो चूत फड़वाऊंगी, तुम दोनों को खुश करूंगी, भले ही मैं मर जाऊंगी।

लैला की इन बातों पर ताहिर मियां को प्यार आया, चूत से लौड़ा निकाला और अपना जीभ घुसाया।

लैला मस्त होने लगी, वाहिद का लौड़ा जोर से चूसने लगी, ताहिर के मुंह पर ही लैला की पिचकारी छुटने लगी।

ताहिर ने कहा मादरचोद अभी से पानी छोड़ती है, लंड लेने में फटती है तो अपने पैरों को जोड़ती है।

चल रे रंडी साली पैरों को फैला, योनि में रेल चलवा, अपनी असली औकात दिखा मेरा लंड चूत में डलवा।

लैला ने पैर फैला कर ताहिर मियां को नेवता दिया, लंड खुद योनि में सेट किया, और पीछे झटका दिया।

ताहिर ने लंड जड़ में बिठा दिया, लैला को रुला दिया, मम्मों को झटका ऐसे दिये कि पूरा बिस्तर हिला दिया।

अब वाहिद का लंड भी तैयार था, क्या गजब हथियार था, अब क्या करें एक चूत के लिए दो हब्शी लंड बेकरार था।

वाहिद ने कहा चल कुतिया मुझ पर चढ़ के चोद जरा, अपनी शर्तें वर्तें छोड़ और ताहिर से अपनी गांड मरा।

उनका जोश देखकर, लैला ने हाँ कहने में भलाई समझी, खुद तो चुदने आई थी, यहाँ आना ही थी उसकी नासमझी,

मैं पैसे मुंह मांगी लूंगी, फिर गांड फटे तो भी सह लूंगी, जब चाहे चोदना चुदवाना, मैं मुंह ना कहीं खोलूंगी।

ठीक है रे कुतिया, तू जितना चाहे उतना लेने पैसे, तू खुद पोजिशन बना और बता लंड डालें हम कैसे।

वाहिद को नीचे लेटा कर, लैला खुद ऊपर चढ़ गई, पीछे से ताहिर की सुपारी गांड में एक इंच गड़ गई।

खून निकला लैला चीख पड़ी क्या तुम चोदोगे ऐसे, जान निकाल दी बच्ची की चोद रहे हो दो-दो भैंसे।

दोनों ने लैला की चीख पुकार को अनसुनी किया, एक दूसरे को आंख मारी और लौड़ों पर जोर दिया।

लैला अचेत होने लगी, फिर भी नशे में खोने लगी, लंडों की मार से खुशी में बकने लगी और रोने लगी।

बड़ा ही कामुक मंजर, वासना भरा वह तूफान था, लैला थरथराने लगी, घमासान चुदाई का अंजाम था।

दोनों ने तनिक भी रहम ना किया नवयौवना बाला पर, पलट कर विभिन्न आसनों में चोदा लैला की टांगें फैला कर।

अब रात बीत रही थी, लैला कई बार ही झड़ चुकी थी, अब छोड़ भी दो कमीनो… कहकर लैला पांव पड़ चुकी थी।

तभी वाहिद अकड़ने लगा, मम्मों को पकड़ने लगा, ताहिर भी झड़ने ही वाला था, लैला को जकड़ने लगा।

दोनों उठ कर खड़े हो गये, लैला को सामने बिठा लिया, हाथों में लौड़े थाम लिये, मुंह पर उसके हिला दिया।

चंद ही झटकों में बारी-बारी दोनों ने पिचकारी छोड़ी थी, ज्यादा माल लैला पी गई, चेहरे मम्मों पर लगी थोड़ी थी।

रात बाकी थी, चुदाई के दौर और भी कई चले, लैला ने भी साथ दिया रौंदी गई उनके लौड़ों तले।

लैला ने मदमस्त चुदाई से उनका दिल जीत लिया, अपने पूरे पैसे लिये और बहुत सा बख्शीश लिया।

लैला को फिर मिलने का वादा लेकर वापस भिजवाया, लैला बड़ी कमीनी थी, रास्ते में ड्राइवर से भी ठुकवाया।

अब खत्म हुई चुदाई, आप सबको मेरा नमस्कार है, आपने जो कविता पढ़ी, वो संदीप साहू का चमत्कार है।

आपको ये कविता कैसी लगी, मुझे जरूर मेल कीजिए, लंड खड़ा हो गया होगा अब, चलो चुदाई का खेल कीजिए।

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