इंडियन चूत चुदाई: फौजी अफसर की बदमाश बीवी-2

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इंडियन सेक्स: फौजी अफसर की बदमाश बीवी-1

पति के सामने अपने चोदू यार से चुदने इंडियन चूत चुदाई कहानी! राजे ने अगले दिन दोपहर 2.00-2.30 के बीच में आना था तो मैंने फरीदा को भी वही टाइम दिया.

लौड़े की प्यास से तड़पने वाली फरीदा तय समय से एक घंटा पहले ही हमारे घर आ गई. मैं सीधे उसको बेड रूम में ले गई. सुमित वहाँ पहले से था. तुरंत दोनों लिपट के लगे चूमा चाटी करने, जबकि मैं आराम से कुर्सी पर बैठ गई और लगी चुदाई का तमाशा देखने! शायद पराई लड़की को चोदने में कुछ ज़्यादा ही सुख मिलता है क्योंकि इतनी ज़ोरदार चुदाई सुमित ने मेरी कभी नहीं की. फरीदा को मस्त कर दिया. देख के मुझे तो कोई ख़ास आनन्द नहीं आया बल्कि गुस्सा आया कि जितने उत्साह से वो फरीद को चोद रहा है, वो उत्साह मुझे चोदने के टाइम कहाँ चला जाता है! खैर!

जो टाइम फिक्स हुआ था सही उस वक़्त राजे आ गया. मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि उसने यह शर्त रख दी थी कि जब वो मेरे साथ हो तब सुमित सिर्फ देखेगा, न तो छुएगा और न ही नज़दीक आने की चेष्टा करेगा.

अब देखिये आगे क्या हुआ.

ठीक दो बजे राजे ने घंटी बजाई. मैंने जाकर दरवाज़ा खोला तो उसने ऊँची आवाज़ में पूछा- मुझे मोना से मिलना है. मैंने कहा- मैं ही मोना हूँ! और एक आवाज़ सुमित को लगाई कि राज आ गया है. यह सब इसलिए ज़रूरी था जिससे सुमित को यह हवा भी न लगे कि मैं और राजे पहले भी मिल चुके हैं.

राजे कितना बड़ा बदमाश है इसका अंदाज़ इस बात से लगता है कि हरामज़ादे ने वहीं के वहीं दरवाज़े पे ही मुझे उठा लिया और कस के जकड़ते हुए मेरे होंठ से होंठ चिपका दिए. मेरी टाँगें हवा में लटकी हुई थीं जिनको सँभालने के लिए मैंने राजे की कमर से दोनों पैर ज़ोर से लपेट दिए और बाहें उसकी गर्दन में माला की तरह डाल दीं. उसने इतनी ताक़त से मुझे बाहुपाश में बांधा हुआ था जैसे ज़िन्दगी में पहली बार कोई लड़की मिली हो.

मर्दानी ताक़त से एक तगड़े मर्द के आलिंगन में बंधी होने का और उसके धारावाहिक चुम्बन का अलौकिक सुख मिल रहा था. वासना की बलशाली तरंगें मेरे शरीर में दौड़ने लगीं. चूत में अभी से सुरसुराहट होने लगी और चुचुक में तेज़ी से बढ़ती हुई अकड़न का अनुभव होने लगा. राजे मुझे उठाये उठाये बैडरूम में जा पहुंचा और मुझे बिस्तर पर पटक दिया. आज वो वहशियाना अंदाज़ में लगता था. पक्के से आज वो मुझे किसी जंगली जानवर की भांति चोदेगा. हाय राम आज तो बेहद मज़ा आएगा ! कितनी बुरी तरह से मसल कुचल के मेरी चुदाई होगी यह सोच के ही मेरा मन पुलकित हो उठा.

उन दोनों की चुदाई ख़त्म हो गई थी. फरीदा टाँगें चौड़ी किये पड़ी थी और सुमित बैठा हुआ गहरी गहरी सांसें ले रहा था. फरीदा की चूत के सब तरफ सुमित का वीर्य और चूत से निकला हुआ पानी फैला हुआ था, देख के मुझे घिन आने लगी, मैंने फ़ौरन मुंह दूसरी तरफ कर लिया.

तभी राजे ने बड़े आदेशात्मक अंदाज़ में कहा- मेजर साहिब… बिस्तर खाली करिये… मोना रानी को नंगी करके गोदी में उठाकर मेरी गोदी में पेश करिये… आपको उसकी चुदाई दर्शन करना है न इसलिए आपको ही अपनी पत्नी को नंगी करके मेरे सामने पेश करना होगा… और लौंडिया तू… उठ जा फटाफट… तेरा इस बिस्तर पे काम ख़त्म हुआ… अपनी चूत को पोंछ रंडी और तू भी अपने आशिक के साथ अपनी सहेली की चुदाई का नज़ारा देख….उठ जल्दी से कमीनी!

राजे की आवाज़ इतनी रौबदार थी कि फरीदा बेचारी तुरंत उठ कर बाथरूम की तरफ भाग ली.

सुमित को राजे का आर्डर सुन के बड़ा आनन्द आया, मुस्कुराते हुए कुत्ता मेरे पास आया और बिना एक भी पल गंवाए मादरचोद ने खींच खींच के मेरे कपड़े उतार डाले, मुझको पूरी नंगी करके मेरे महा चूतिया पति सुमित ने मुझको दोनों बाँहों पर उठा लिया और राजे के सामने सिर झुकाते हुए ऐसे प्रस्तुत किया जैसे मैं उसकी बीवी नहीं बल्कि कोई केक या पेस्ट्री हूँ जिसे वो अपने बॉस की सेवा में पेश कर रहा था. साला हरामी की औलाद कहीं का… बोला- लीजिये राज कुमार जी, मैंने मेरी बीवी आपको पेश की…अब इस कम्बख्त का चोद चोद के भुर्ता बना दीजिए.

राजे ने मुझे सुमित की बाँहों से अपनी बाँहों में ले लिया और हँसते हुए बोला- बेफिक्र रहो मेजर साहिब… आपकी पत्नी को ऐसा चोदूंगा कि इसकी तो आत्मा भी तृप्त हो जायगी और आपको देखने में बेहद मज़ा आएगा. आप भी देख देख के उस दूसरी वाली रंडी को चोदना… चल माँ की लौड़ी रंडी मोना रानी, हो जा तैयार… तेरी चूत का कचूमर बनेगा आज कि साली चार दिन खड़ी न हो पाएगी.

मैं भी चुदास की भीषण अग्नि में सुलगती हुई चिल्लाई- चोद दे मादरचोद चोद दे… दिखा दे मेजर साहिब को अपने लंड की पावर… ज्योति से बड़ा सुना तेरे चोदन का… आज देखूं तो सही कितनी जान है तेरे लौड़े में!

तब तक फरीदा भी बाथरूम से अपना चूतप्रदेश साफ करके आ गई थी और सुमित ने उसको अपनी जांघों पर बिठा लिया था. वो उसके मम्मों को सहला रहा था.

राजे मुझे बाँहों में उठाये उठाये फिर से चूमने लगा. इस बार उसने मेरे सिर को अपने सिर से ऊँचा कर लिया था जिसके कारण मेरे मुंह से तेज़ी से बहती हुई लार उसके मुंह में जा रही थी. जब चुदास परवान चढ़ी हुई हो तो मुंह में पानी आ ही जाता है. उसे रानियों का मुखरस चूसने का बड़ा शौक है. देखा जाए तो हरामी अपनी रानियों के बदन के हर द्रव को पीने का हमेशा इच्छुक रहता है. चाहे सुस्सू हो, चाहे मुंह की लार या माहवारी में चूत से निकलने वाला लहू… संभवतः यही वजह है कि इतनी बड़ी संख्या में रानियाँ उसकी दीवानी रहती हैं. इतना अधिक इतने जोश से कोई भी अपनी लौंडिया को मुहब्बत नहीं करता. मेरा यह मानना है कि स्त्री शरीर के हर किस्म के रसों को ख़ुशी ख़ुशी, बढ़ चढ़ के पीने के लिए लड़के के दिल में लड़की के लिए बेपनाह प्यार होना ज़रूरी है. प्यार के बदले में रानी भी प्यार देने के लिए मजबूर हो जाती है और राजे को भरपूर आनन्द देने की चेष्टा करती है.

खैर अब आगे जो हुआ वो बताती हूँ.

राजे मेरे होंठ से होंठ लगा के बिना रुके चूमे जा रहा था. मैंने पहले की तरह अपनी बाँहें उसकी गर्दन में और टाँगें उसके नितम्बों से लिपटा ली थीं. धीरे धीरे सरकता हुआ वो बिस्तर के पास आ गया था. यकायक उसने मेरे नीचे से बाहें हटा के निप्पल अंगूठे और उंगली में जकड़ लिए. उसके बाज़ुओं का सहारा हटते ही मैं गिरने को हुई. उसकी गर्दन से लिपटी हुई मेरी बाहें मेरा बोझ न संभल पाईं, उनकी पकड़ छूट गई और मैं बिस्तर पर जा पड़ी. मेरी टाँगें राजे की कमर से अभी भी लिपटी हुई थीं, मगर मेरा बाकी का बदन बिस्तर पे था. बड़ी अजीब सी स्थिति में थी मैं. कंधे और सिर बिस्तर पे, धड़ उठा हुआ और टाँगें राजे से उलझी हुई. सारा बोझ निप्पल्स पर आ गया और ऐसा लगा कि निप्पल चूची से अलग हो जायेंगे. बहुत तेज़ खिंचाव का अनुभव हुआ दोनों निप्पल्स में. ऐसा राजे ने पहले कभी नहीं किया था. अभी मैं चूची को सहला के नार्मल भी न हो पाई थी कि मुझे अपनी गांड बिस्तर से टिकती हुई महसूस हुई. पलक झपकते ही मेरी टाँगें चौड़ी हो गईं, मेरी चूत के होंठ राजे के अंगूठों ने फैला दिए और कमीना सुड़क सुड़क करके कुत्ते की तरह चूत में भरे हुए रस को पीने लगा. सुड़क सुड़क… सुड़क सुड़क… सुड़क सुड़क…

चूतरस पी राजे रहा था, हवस मेरी उड़ान भरने लगी थी, मज़े से मैं कांपने लगी थी. मैंने मुंह घुमा के सुमित की तरफ देखा तो मादरचोद मंत्रमुंग्ध सा टकटकी लगाए हमें देख रहा था जबकि उसके हाथ फरीदा के चूचुक से खेल रहे थे. फरीदा भी दीन दुनिया भूल के राजे और मोना का खेल पर आँखें गड़ाए थी.

तभी राजे ने एक अंगूठे से मेरी भगनासा को रगड़ना शुरू किया तो मैं सिहर उठी. क्लिटोरिस जिसे हिंदी में भगनासा कहते हैं एक लड़की की सबसे अधिक सेंसिटिव जगह होती है.

रगड़ खाते ही मेरा दिमाग फुर्र हो गया. मैं तेज़ तेज़ टाँगें इधर उधर हिलाने लगी. राजे की जीभ अब बिजली की गति से चल रही थी. साला सुड़क सुड़क भी किये जा रहा था और जीभ से चूत की दीवारों पर ठोकर भी मारता था. कभी कभी जीभ पूरी की पूरी चूत के भीतर घुसा के गोल गोल घुमा देता था, मैं हाय हाय हाय करने लगी. आनन्द अब मेरी सहनशक्ति की परीक्षा ले रहा था.

राजे ने एक हाथ चूत से हटा के अंगूठे और उँगलियों से मेरी जांघ को निचोड़ना शुरू किया. कभी दाईं वाली, कभी बाईं वाली. कभी जांघ के ऊपरी भाग पे तो कभी नीचे वाले भाग पे. सुड़क सुड़क… सुड़क सुड़क… सुड़क सुड़क…

राजे बहुत ज़ोर से निचोड़ता था जिसमें थोड़ा दर्द तो होता मगर मज़ा बहुत आ रहा था. लगने लगा था कि आज मेरी जांघों की खैर नहीं. यह चैंपियन चोदू राजे इंसान नहीं भूख से पागल भेड़िया था, जो अपने शिकार को भँभोङ भँभोङ के खाना चाहता था. नोच ले, बेटीचोद नोच ले मेरी बोटियाँ… बना दे मेरा मलीदा… इतना मज़ा पाने के लिए अगर कम्बख्त मुझे कुचल कुचल के जान भी निकाल डाले तो भी ग़म नहीं… आअह्ह… आअह्ह… आअह्ह… हाय मरजाने राजे… तेरी माँ की चूत… कमीने… आअह्ह्ह्ह… आअह्ह्ह्ह… आअह्ह्ह्ह मेरी सहनशक्ति का बांध टूट गया और मैं चरम सीमा के पार एक तूफान की तरह झड़ी.

ज़ोर ज़ोर से किलकारियाँ, सीत्कारियाँ, सिसकियाँ, आहें और न जाने क्या क्या आवाज़ें मेरे मुंह से निकलीं. स्खलन के दबाब में राहत पाने हेतु मैंने टाँगें राजे की गर्दन पे इतने ज़ोर से टाइट करीं कि शर्तिया साले का दम घुट गया होगा. मुझे महसूस हो रहा था कि चूत में बहुत अधिक मात्रा में जूस फुव्वारे की तरह निकल रहा है. राजे कमीना अभी भी सुड़क सुड़क करता हुआ उस फुव्वारे से जो निकलता वो पी जाता. उसकी जीभ की टुकुर टुकुर मेरे तन बदन में आग लगा रही थी.

एक बार के ज़बरदस्त स्खलन के बाद भी मैं फिर से तीव्र काम आवेग में आ गई थी. राजे की सांप की तरह टुकटुकाती हुई जीभ मुझे पागल बनाये जा रही थी. और साथ में मेरी जांघों का मर्दन. हे भगवन !!! जीवन में इतना आनन्द यूँ छप्पर फाड़ के नहीं बरसा था. राजे माँ का लौड़ा आज बहुत मस्त फॉर्म में था. हवस की आग में झुलसती हुई मैं ज़ोर से चिल्लाई- हरामी कुत्ते आज दम निकालेगा मेरा कमीने… चोद जल्दी से… उठ भोसड़ी वाले, चोद मेजर साहिब की बीवी को… हाय हाय हाय कोई बचाओ इस जंगली से… अहःअहःअहःअहः… चोद मादरचोद… फ़ौरन उठ जा साले!

मैं तेज़ तेज़ अपनी टाँगें लहरा रही थी. मेरे हाथों में बिस्तर पे बिछी चद्दर मुट्ठियों में जकड़ रखी थी. चुदास से बेचैन होकर मैं अपना सिर कभी इधर घुमाती कभी उधर. राजे ने आखिर मुझ पर रहम कर ही लिया और उठ ही गया मुनमुनाते हुए कि हरामज़ादी जी भर के चूत चूसने भी नहीं देती.

राजे छलांग लगा के बिस्तर पर चढ़ गया. मेरे चुचुक पकड़ के मुझे उठाकर औंधे मुंह कर दिया. शायद कमीना आज चूचे उखाड़ के ही दम लेगा. उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं, एक तकिया मेरे पेट के नीचे लगा दिया और मेरे चूतड़ थोड़े से ऊपर उठाये. अगले ही क्षण उसका फौलादी लौड़ा दनदनाता हुआ मेरी चूत में घुस गया, घुसा क्या घुसता ही चला गया मानो बच्चेदानी को मेरी छाती तक धकेल के ही रुकेगा.

एक मस्ती भरी चीख मेरे मुंह से निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और मैंने चूत को कस लिया ताकि लंड को फंसा फंसा महसूस कर सकूँ.

परन्तु चूत अधिक देर कसी न रह सकी. अगले ही पल राजे ने एक ज़ोरदार हुंकार भरी और मेरे कटिप्रदेश को जकड़ के बीस पच्चीस इतने ज़बरदस्त पावर वाले शॉट ठोके कि मुझे लगा मेरे शरीर के भीतर सब अंग अस्त व्यस्त हो जायेंगे. अपने प्यारे लौड़े का स्वागत करने चूत खुद ब खुद खुल गई. बड़ी ज़ोर से उसके लंड का सुपारा चूत को भेदता हुआ बच्चेदानी में ठुकता और मेरी सीत्कार निकल जाती ;आहा आहा आहा आहा आहा करती हुई मैं मदमस्त होकर किलकारियाँ मार रही थी, चिल्ला रही थी- चोद चोद राजे… माँ के लौड़े… और ज़ोर से चोद कुत्ते… आहा आहा आहा… हाँ हाँ मेरी जान… फाड़ के रख दे इस हरामज़ादी चूत को…आहा आहा आहा.

चूत से रस यूँ बहने लगा था जैसे किसी ने फव्वारा चला दिया हो. लंड जब भीतर जाता तो फच्च फच्च फच्च की मस्तानी ध्वनि होती. दे धक्के पे धक्का, दे धक्के पे धक्का… बेटीचोद राजे… फच्च फच्च फच्च… फच्च फच्च फच्च

यह चुदाई की फच्च फच्च फच्च वाली ध्वनि से मस्ती का खुमार और भी तेज़ी से बढ़ने लगा था. चुदाई का यह आलम था कि हम दोनों के लिए वक़्त का पहिया थम गया था. उस समय संसार में केवल दो ही लोग बचे थे. राजे और मैं राजे की रानी मोना….

तभी राजे ने पैंतरा बदला, अचानक से मैंने स्वयं को ऊपर उठता हुआ अनुभव किया, चूचुक में एक तेज़ खिंचाव हुआ और राजे ने बैठी हुई पोजीशन में आकर मुझे लंड पर बिठा दिया था, मेरी पीठ उसकी तरफ थी और उसने मुझे चूचियों से थाम रखा था. तत्पश्चात उसने चुचुक से ही मुझे उछाल उछाल के चोदना शुरू किया ‘धमाधम धम धमाधम धम्म धम्म धम्म! फच्च फच्च फच्च! राजे का लौड़ा पूरा सख्त होकर गर्म गर्म लोहे के मोटे से डंडे जैसा हो चुका था.

हर धक्के में मेरा दिल, फेफड़े, जिगर, दिमाग सब हिल जाते. न जाने क्या क्या बोलियाँ मेरे मुंह से निकल रही थीं. कुछ याद नहीं अब. उधर राजे भी अब चिल्लाने कगा था, भारी से भारी गालियाँ देकर चुदाई कर रहा था. धक्के के साथ एक मोटी सी गाली सुन के बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी मस्ती अब सातवें आसमान तक जा पहुंची थी. मैं बहुत तेज़ गति से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी. जितनी रफ़्तार से मेरे बदन में न जाने कैसी नशेवाली तरंगे उछल कूद मचा रही थीं, मैं स्खलन से बहुत नज़दीक थी. मेरे सिर में लगता था कोई बवंडर घुमड़ घुमड़ घुमड़ कर रहा है. उधर राजे जुटा था दनादन शॉट पे शॉट मारने में. उसके मुंह से भी अब भैं भैं भैं जैसी कुछ आवाज़ आने लगी थी. साँस फूल गई थी और गालियों की बौछार बहुत तेज़.

अचानक मुझे यूँ लगा कि मेरे सिर के बवंडर में विस्फोट सा हुआ, एक करंट सा मेरे बदन में ऊपर से नीचे को दौड़ा और एक आआआहहहह भर के मैं ज़ोर से झड़ी. चूत में झरना सा फूटता महसूस हुआ. मेरे हाथ पैर ढीले पड़ गए, शरीर पसीना पसीना हो गया. हर एक दो पलों में बार बार मेरे भीतर कहीं कोई पटाखा सा फूटता और मैं झड़ती. अनेकों बार मैं चरम आनन्द को प्राप्त हुई.

तभी राजे ने हुम्म्म हुम्म्म हुम्म्म करके पूरी ताक़त से अंधाधुंध धक्के टिकाये. न जाने कितने अब कुछ याद नहीं. लेकिन धक्के थे तोप के गोले सरीखे. राजे ने ऊँची आवाज़ में मोनारानी मोनारानी पुकारा और वो भी झड़ गया. आहें भरते हुए मेरा नाम बार बार पुकारते हुए राजे का लंड फुदक फुदक के अपना लावा चूत में उगल रहा था. भल्ल भल्ल भल्ल…फिर चार पांच धक्के और भल्ल भल्ल भल्ल. गरम गरम वीर्य चूत में गिरते ही मेरा भी स्खलित होने का एक और दौर शुरू हो गया.

आखिरकार राजे का खज़ाना खाली हो गया, लौड़ा मुरझा गया और फिसल के चूत के बाहर आ गया, जिसका पता मुझे चूत में खालीपन सा प्रतीत होने पर चला. मुझे लिए लिए राजे पीछे को लुढ़क गया और मैं उसके ऊपर आ गिरी.

राजे का बदन भी ढीला पड़ चुका था. उसने हौले से मुझे अपने ऊपर से खिसका के अपनी बगल में कर दिया. हम दोनों अपनी अपनी फूली हुई सांसें सही करने में लगे थे.

थोड़ी देर के बाद राजे ने करवट मेरी तरफ लेकर मेरा चेहरा प्यार से थाम लिया और फुसफुसाया- मोना रानी तूने बहुत मज़ा दिया चुदाई में… तू तो मेरी जान है मोनारानी… बहुत इश्क़ करता हूँ तेरे से! और फिर उसने मेरे होंठ चूम लिए. यह सुन के मेरे दिल में भी उसके लिए मोहब्बत की तेज़ लहर झूम गई. मैंने उसकी चुम्मे का आनन्द लेते हुए उसके बालों में उंगलियाँ फिराई.

फिर मैंने भी अपने चोदू राजा राजे के कान में कहा- राजे मेरी जान… तूने आज जैसे चुदाई की न, मज़े का तूफान ला दिया… अंग अंग की तृप्ति हो गई… लेकिन यह बता साले कुत्ते जो इतना दर्द मेरे चूचों में और जांघों में हो रहा उसका क्या….कोई ऐसे कुचलता क्या?

राजे मुस्कुरा के बोला- बहनचोद, चूचियाँ बहुत सख्त हो रही थीं इसलिए उनको पीसना पड़ा… सच बोल राहत लग रही है न चूचुक में…ऐसा कह रही जैसे जांघें मसली तो क्या मज़ा नहीं आया रंडी? मैं बोली- सच्ची राजे बेहद मज़ा आया… दर्द है कोई नहीं ठीक हो जायगा कुछ देर में… लड़की पता है क्या चाहे है? एक जंगली जानवर जैसा चोदू… बस और कुछ नहीं!

फिर मैं उठी और हमेशा की तरह राजे के लंड को चाट के साफ किया. अपनी चूत राजे के मुंह के पास ले आई जिससे वो भी सफाई कर दे. साले ने कुत्ते की तरह मेरे चूत प्रदेश को खूब चाटा और भली भांति साफ कर दिया.

राजे ने मेरे पति की तरफ देख के पूछा- क्यों मेजर साहिब… आ गया मज़ा अपनी वाइफ को मुझसे चुदवाती देख के? कोई कसर तो नहीं न रह गई? सुमित और फरीदा की आँखें हमारी तरफ ही लगी थीं, सुमित का लौड़ा खड़ा था और फरीदा उसे सहला रही थी.

सुमित- वाह वाह वाह क्या बात है राज जी… आनन्द आ गया… क्या मस्त चुदाई करते हैं आप… आज आपको चोदते देख के कई बातें सीखने को मिल गईं… अब मेरी बारी है चुदाई की! इतना बोल के सुमित ने फरीदा को पकड़ लिया और दोनों के दोनों वहीं फर्श पर लिपट गए. राजे ने तो ध्यान दिया नहीं और झट से सो गया. मैंने देखी पूरी चुदाई.

सुमित राजे और मेरी चुदाई का पूरा दृश्य देखकर सचमुच बहुत ज़्यादा उत्तेजना का शिकार हो गया था और शायद फरीदा भी चुदासी हो गई थी. दोनों ने वहीं लिपट लिपट कर खूब चुदाई की. चलो अच्छा है सुमित को भी उसके मतलब की फरीदा मिल गई. अब मुझे ज़्यादा नहीं चोदा करेगा. मुझे कौन सा प्यार है उससे. मेरा प्यार तो राजे और सिर्फ राजे है. सुमित फरीदा को चोद के खुश रहेगा यह मेरे लिए भी बढ़िया ही है.

यह तो मैं सभी कहानियों में बता ही चुकी हूँ कि राजे कैसा चैंपियन चोदू है. दोपहर दो बजे से लेकर अगले रोज़ सुबह ग्यारह बजे तक रहा. चोद चोद के मेरी आत्मा तक तृप्त कर दी. सुमित भी उसकी चुदाई में न थकने वाली ऊर्जा देखकर आश्चर्यचकित रह गया. किन्तु उसको मज़ा बहुत बहुत ज़्यादा आया. शायद इन उन्नीस बीस घंटों में मैं पांच या छह बार चुदी. ठीक से याद भी नहीं. चुदाई, फिर थोड़ा रेस्ट, फिर चुदाई. बस यही सिलसिला धारावाहिक रूप से चलता रहा. शायद दो तीन बार मेरी गांड भी मारी हो. शायद नहीं पक्के से दो बार तो गांड ली ही थी.

उसी शाम सुमित चला गया वापिस जम्मू कश्मीर अपनी ड्यूटी पर!

बस यही विवरण है इस प्रकरण का. फायदा ये हुआ कि अब राजे कभी भी घर आ सकता है, चाहे सुमित ड्यूटी पर हो या छुट्टी पर… मुझे मज़ा भी बेहद आया कि मैं चुद रही हूँ और सुमित देख रहा है. बड़ी पुरानी इच्छा थी जो पूरी हुई.

मित्रो, इसका एक और फायदा भी हुआ राजे की साली रेखा को… जब ये सारी बातें मैंने उसको बताई तो उसने मुझे मेरी हिम्मत पर खूब शाबाशी दी और बोली कि मोना तेरी इस कारस्तानी से मेरे दिल में भी हिम्मत जग उठी है कि मैं भी राजे की वाइफ को तैयार करूँ कि मैं राजे से तेरी तरह खुल के चुदाई कर सकूँ. मैंने कहा- हरामज़ादी चुदक्कड़ रांड, तू तो बाईस सालों से चोद रही है उसको और इससे ज़्यादा खुल के चुदाई क्या बहनचोद बीच बाजार में करेगी? तो रेखा ने कहा- नहीं मोना, अब तक तो मैं छिप छिप के चुदा करती थी. अगर मेरी बहन किरण तैयार हो जाए तो छुपने की ज़रूरत नहीं न पड़ेगी और फिर दोनों बहनें आमने सामने चुदा करेंगी. अब तक तो मेरी किरण से यह बात छेड़ने की हिम्मत ही नहीं हुई थी लेकिन अब हिम्मत आ गई है. कुछ न कुछ सोच के उसको पटाने की कोशिश करूंगी.

मित्रो समाचार यह है कि रेखा ने राजे की वाइफ किरण यानि जूसी को पटा लिया और दोनों लंड खोर बहनें अब एक दूसरी के सामने चुदाई करती हैं. रेखा मेरे पीछे पड़ी थी कि मोना प्लीज मेरी भी कहानी लिख दे. मैंने उसे कहा कि तू दो दिन मेरे घर पर रुक जा. तू शुरू से आखिर तक सब बातें विस्तार से बोलती जाना और मैं कंप्यूटर पर टाइप करती जाउंगी. ऐसा ही किया उस रंडी ने… कहानी लगभग तैयार है, मुझे सिर्फ उसको एक बार पढ़ के उसका संपादन करना है ताकि कोई त्रुटि न रह जाए. जल्दी ही आपकी सेवा में रेखा की कहानी प्रस्तुत करूंगी.

यह कहानी मैं पूज्य महारानी अंजलि जी को समर्पित करती हूँ. महारानी जी आप महान हैं. आपकी जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है. मोना के शब्दकोष में इतनी गहराई नहीं है कि आपका वर्णन भली भांति कर सके. इसके लिए आपसे क्षमा प्रार्थी हूँ. नमस्कार

मोना रानी के शब्द समाप्त

तो पाठक पाठिकाओ, आपने इस इंडियन चूत चुदाई कहानी में पढ़ा कि कैसे इस बदमाश मोनारानी ने अपने पति के सामने मुझसे चुदाई का सपना पूरा किया. आशा है आपको यह विवरण पसंद आया होगा. जैसा मोनारानी ने लिखा है उसने रेखारानी की बदमाशी की कहानी पूरी कर ली है. शीघ्र ही वह कहानी भी आपको मिल जाएगी.

अब चूत निवास को आज्ञा दें! [email protected]

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