बोरिंग दोपहर को रंगीन बनाया दो अंकल ने-4

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हमने बाथरूम में एक दूसरे को साफ़ किया फिर बैडरूम में आकर एक दूसरे की बांहों में सो गए। रात के नौ बजे मेरी नींद बेड पर हुई हलचल की वजह से टूटी, मैंने उठकर देखा तो आसिफ अंकल एक तरफ से मेरी चूची को चूस रहे थे, वो भी मेरी तरह बिल्कुल नंगे थे तो दूसरी तरफ सुनील अंकल मेरी दूसरी चूची को चूस रहे थे, सुनील अंकल ने अपने कपड़े पहन लिए थे।

जब मैं सो रही थी तब सुनील अंकल ने बाहर जाकर खाना लेकर के आये थे।

मैं भी बाथरूम मैं जाकर फ्रेश होकर नंगी ही डाइनिंग टेबल पर आ गई। सुनील अंकल भी अपने कपड़े उतार कर नंगे बैठे थे।

हमने बहुत मस्ती करते हुए खाना खत्म किया और सोफे पर बैठे थे. ‘यार आसिफ, अब कुछ नया करते हैं, रेगुलर तरह के सेक्स से बोर हो गया हूँ!’ सुनील अंकल बोले. ‘क्या नया करेंगे सुनील? सैंडविच करें, मैं आगे से डालता हूँ तुम पीछे से डालो। क्या कहती हो नीतू? तुम्हारे पीछे के छेद का भी उदघाटन कर देते हैं आज!’ आसिफ अंकल बोले। ‘बिल्कुल नहीं, बहुत दर्द होगा, मैं पीछे से नहीं करने दूंगी!’ मैंने उनको बोला तो वो दोनों नाराज हो गए।

पर एक काम कर सकते हैं, मैंने कभी खुले में सेक्स नहीं किया, क्यों ना आज रात टेरेस पे सेक्स करें! मैंने दोनों से पूछा. ‘हाँ यार, मैंने कभी टेरेस पे सेक्स नहीं किया!’ आसिफ अंकल बोले। ‘मैंने भी नहीं किया, चलो करते हैं.’ सुनील अंकल भी खुश होकर बोले।

हम तीनों सोफे से खड़े होकर ऊपर की तरफ जाने लगे। मैंने दोनों का लंड अपने हाथ मैं पकड़ कर दोनों के आगे चल रही थी और वो दोनों मेरी मटकती हुई गांड को देखते तो कभी गांड को सहला देते थे। हमारा टेरेस आजु बाजु के घरों से ऊँचा था इसलिए वहाँ पर क्या हो रहा है किसी को दिखाई नहीं देता था।

ऊपर जाने के बाद दोनों ने ऊपर के स्टोर रूम से दो गद्दे निकाल कर नीचे बिछा दिए और मुझे खींचते हुए दोनों के बीच में लेटा दिया। फिर दोनों अंकल मेरी दोनों चूचियों का दूध पीने लगे और हाथों से मेरे सारे बदन को सहला रहे थे। मैं भी अपने दोनों हाथों से उनके लंड पकड़ कर प्यार से सहला रही थी।

थोड़ी देर बाद की चुसाई से और बदन को छेड़ने की वजह से मैं बहुत गर्म हो गई थी, मुझे भी अब कुछ नया करने की सूझी और उन दोनों को धक्का देकर उनके बीच से हट गई। मैंने उन दोनों को नजदीक लेटने के लिए कहा, सुनील अंकल बाईं तरफ और आसिफ अंकल बाईं तरफ लेटे हुए थे।

अब मैंने सारे सूत्र अपने हाथों में ले लिए और दोनों के सीने पर बैठ गई। मैंने आसिफ अंकल के बालों में हाथ डाला और उनकी आंखों में देखते हुए नीचे झुकी और अपने होंठ उनके होंठों पे रखे। मिठाई खाने जैसा मैं उनके होंठों को चूस रही थी।

आसिफ अंकल ने उत्तेजित होकर अपने हाथ मेरे मम्मों पर रखे और मम्मों को मसलने लगे तो मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर के उनके हाथों पे रखे और उनके हाथों को मेरे मम्मों पर से हटाया। आसिफ अंकल ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया और अपना हाथ मेरे मम्मों पर से हटा कर मेरी कमर पर रखना चाहा पर मैंने अपना हाथ वहाँ पर से भी हटा दिया।

मैंने अब उनके होंठों को चूसने की स्पीड बढ़ा दी. धीरे धीरे मेरे अंदर का शैतान जागने लगा था। मैंने अब किसिंग की हद कर दी, बहुत देर तक मैं उनको किस करती रही।

सुनील अंकल लगातार मेरा यह राक्षसी अवतार देखते रहे। उत्तेजना में आकर उन्होंने अपना हाथ उनके लंड पर रखने की कोशिश की पर मैंने उनको ऐसा करने नहीं दिया और उनके बालों को पकड़ कर उनके होंठों का रस पीने लगी, बीच बीच में मैं उनके होंठों को दांतों में पकड़ कर खींच देती तब उनके मुँह से दर्द के और मादक सिसकारियाँ निकलती!

मैंने सुनील अंकल के होंठों को कस के काट दिया तो उन्होंने मेरी गांड को जोर से भींच दिया। मैं झट से उनके होंठों पे अपनी जीभ घुमाने लगी। उनको मौका मिलते ही मेरी जीभ को होंठों में पकड़ कर मुँह में खींची और चूसने लगे। मैंने उनका कान पकड़ कर जोर से खींचा। सुनील अंकल ने दर्द से मेरी जीभ छोड़ दी और मैंने झट से उनके जीभ को दांतों में पकड़ कर मेरे मुँह में खींच लिया और उसे चूसने लगी।

मैं दोनों के सीने पर बैठी थी, उस वजह से उनके हाथ लंड तक नहीं पहुँच रहे थे, उत्तेजना में वो अपनी कमर को उठा रहे थे पर मुझे उनकी कुछ भी परवाह नहीं थी।

थोड़ी देर बाद मैंने उनके होंठों को छोड़ दिया और नीचे सरकते हुए उनके लंड पर बैठ गई उनके लंड मेरे दोनों जाँघों के नीचे दबे हुए थे। मैंने आसिफ अंकल के बालों से भरे सीने पर से हाथ घुमाया और उनका एक निप्पल को दांतों में पकड़ कर दबाया। उनके मुँह से मादक सिसकी निकली। उन्होंने फिर से अपने हाथ मेरे मम्मों पर रखने की कोशिश की पर मैंने उनके हाथों पर जोर से मारा और उनका हाथ को बाजु कर दिया।

उन दोनों के चारों निप्पल चूसने काटने की वजह से दर्द करने लगे थे पर मुझे उस बात की कोई परवाह नहीं थी। थोड़ी देर बाद मैं और नीचे गई और उनके घुटनों पर बैठ गई, मैंने उन दोनों के लंड को हाथों में पकड़ कर करीब लाई और दोनों के सुपारे पर जीभ घूमने लगी। फिर दोनों के लंड बारी बारी चूसने लगी, पहले तो धीरे धीरे चूस रही थी लेकिन बाद मैं मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई।

जब मेरी स्पीड कम थी तब दोनों मजे से सिसकारियाँ ले रहे थे पर मेरे स्पीड बढ़ाने से मेरे दाँत उन लंड को चुभने लगे, उनको दर्द हो रहा था पर उनका लंड नीचे बैठने का नाम नहीं ले रहा था, मैं दोनों हाथों से उनके टट्टे दबा रही थी।

बहुत देर लंड चूसने के बाद मैं ऊपर की तरफ गई, सुनील अंकल का लंड हाथ में पकड़ा और उस पे बैठने की तैयारी करने लगी। मैं अपनी चुत को उनके लंड के पास ले जाकर उनके लंड को मेरी चुत पर दो तीन बार घिसा। उनका लंड मेरी चुत के दाने से रगड़ खाया तो मेरे मुँह से आहहहहह कर सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने उनका लंड मेरी चुत के मुँह पर रखा और धीरे धीरे नीचे होने लगी।

‘आहहहह… नीतू… मेरी रानी… कितनी गर्म है तेरी चुत… मेरा लंड पिंघल जाएगा…’ सुनील अंकल चिल्लाने लगे।

मेरी चुत का रस उनके लंड से होते हुए लंड के जड़ पर जमा हो रहा था. दो तीन धक्के देने के बाद मुझे फिर से शैतानियत सूझी, मैं उनके लंड पर से उठी और ऊपर जाकर उन दोनों के सर पर खड़ी हो गई। फिर मैं सुनील अंकल के मुँह पर बैठ गई, उनके मुँह और मेरी चुत के बीच दो इंच का अंतर था। फिर मैंने अपनी कमर को पीछे लिया और उनके मुँह पर थूका।

अब मैंने अपनी कमर की आगे ले जाते हुए मेरी चुत को उनके होंठों पर रख दी और मेरी कमर हिलाते हुए उनके मुँह को चोदने लगी। मैंने उनके सर को अपने हाथों से पकड़ रखा था। मेरे इस दरिंदेपन को देखते हुए वो बिल्कुल शांत पड़े रहे। वो अपनी जीभ से और होंठों से कुछ भी हरकत नहीं कर रहे थे। मैं उन पर जबरदस्ती करते हुए मेरी चुत उनके होंठों पर, नाक पर, ठोड़ी पर, कभी कभी माथे पर रगड़ रही थी। उनकी मूँछों के स्पर्श से मेरी चुत में गुदगुदी हो जाती थी।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पागलों की तरह उनके मुँह पर चुत घिसने लगी। बीच में मैं अपनी चुत को उनके नाक पर दबाकर रखती तो उनको सांस लेने में तकलीफ हो जाती थी। मैं थोड़ी देर रूकती और फिर से शुरू हो जाती थी। उनके नाक, होंठ दुखने लगे थे, उनके कान लाल हो गए थे।

थोड़ी देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं जोर से उनके मुँह में झड़ गई और मेरा सारा पानी उनको जबरन पिलाया। मैं एक बार झड़ गई थी फिर भी मेरा जोर कम नहीं हुआ था। अब मैं आसिफ अंकल के मुँह पर बैठ गई और अपनी चुत को उनके मुँह पर घिसने लगी।

थोड़ी देर बाद उनका मुँह भी दर्द करने लगा था, मेरा शरीर भी अकड़ने लगा और मैं उनके मुँह मैं झड़ गई।

अब मैं बहुत थक गई थी, मैं थकान के मारे गद्दे पर लेट गई।

सुनील अंकल ने पहल की और मुझे नीचे खींचते हुए मेरे दोनों टांगों को उनके कंधे पे रखा और अपना लंड मेरी चुत के छेद पर रखा। जिस प्रकार मेरे उनके मुँह को चोदा था मुझे लगा कि वो भी बदला लेने के लिए अपना लंड जोर से मेरी चूत में पेलेंगे, पर उन्होंने बड़े ही प्यार से अपना लंड मेरी चुत में डाल दिया। मैंने आंखों से ही उनको थैंक्स बोला।

मैंने अपना सर आसिफ अंकल की जाँघों पर रख कर अंकल का लंड मुँह में लिया और बड़े प्यार से चूसने लगी।

मेरे अंदर का हैवान अब शांत हो गया था, लड़कों के ऊपर जोर आजमाइश करने की इच्छा अब पूरी हो गई थी, वो भी एक नहीं एक साथ दो आदमियों के साथ। अब मैं एक प्रेमिका की तरह दोनों को साथ दे रही थी।

सुनील अंकल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पन्द्रह बीस धक्कों के बाद मेरी चुत में ही झड़ गए और मेरे पास लेट गए।

अब आसिफ अंकल मेरे ऊपर आये, मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों पर किस करने लगे. धीरे धीरे मेरी नाक गालों पे किस करते हुए मेरी गर्दन पर किस करने लगे। धीरे धीरे नीचे होते हुए मेरी एक चूची को मुँह में लिया और बड़े प्यार से चूसने लगे।

फिर उन्होंने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरी पीठ, कमर पर मालिश करने लगे। मुझे इससे बहुत राहत मिली और मैं भी मालिश एन्जॉय करने लगी। थोड़ी देर बाद वो कमर के साथ मेरी गांड भी मसलने लगे।

मेरी चुत अब फिर से पानी पानी होने लगी थी.

फिर उन्होंने पीछे से ही अपना लंड मेरी चुत के छेद पर रखा और मुझे देखने लगे। मैंने अपने पैर फैलाये और उनको गर्दन हिला के धक्का देने को कहा। आसिफ अंकल मेरे शरीर पर लेट गए और एक ही झटके में अपना लंड मेरी बच्चेदानी तक पेल दिया।

मैं उम्म्ह… अहह… हय… याह… कर चिल्लाई.. उन्होंने फिर से अपना लंड पूरा मेरी चुत के बाहर निकाला और फिर से पेल दिया। अब वो उत्तेजना में जोर से धक्के देने लगे। उनके लंड के नीचे के बॉल्स हर धक्के के साथ मेरी चुत के दाने को रगड़ रहे थे। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे बदन के नीचे ले जाते हुए मेरे मम्मों को पकड़ लिया और राजधानी एक्सप्रेस की तरह धक्के देने शुरू कर दिए।

दस बारह धक्के देने के बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चुत के जड़ तक डाल दिया और मेरी बच्चेदानी को अपने बीज से भिगोने लगे। गर्म गर्म पिचकारियाँ मेरी चुत में पड़ते ही मेरी चुत ने जवाब दे दिया और मेरी चुत भी उनके लंड को भिगोने लगी।

आसिफ अंकल थोड़ी देर वैसे ही मेरे शरीर पर पड़े रहे फिर थोड़ी देर बाद नीचे गद्दे पे लेट गए। मैं अभी भी उनकी बांहों में सिमटी पड़ी थी। मेरी चुत ने पांच छह बार पानी छोड़ा था। थकान की वजह से हमें कब नींद आई, पता भी नहीं चला।

रात को तीन चार बजे ठण्ड की वजह से मेरी नींद खुली, मैंने उन दोनों को उठाया और नीचे बैडरूम में चले गए, बैडरूम में जाकर भी हमने एक बार सेक्स किया और सो गए।

सुबह मेरी नींद नौ बजे खुली तो बेड़ पर कोई नहीं था। मैंने रोब पहन कर बाथरूम में देखा, फिर हॉल में देखा पर कोई नहीं था। बाहर चेक किया तो उनकी कार भी नहीं थी, वो दोनों बिना बताये ही चले गए थे।

मेरी थकान अभी तक नहीं गई थी तो मैं वापिस बैडरूम में गई। अचानक मेरी नजर बेड़ के पास के टेबल पर पड़ी तो वहाँ पर एक कागज पड़ा था, उस कागज पर उन दोनों के मोबाइल नंबर लिखे हुए थे और कागज पर एक सोने की चैन थी जो आसिफ अंकल ने पहनी हुई थी।

मैंने उनके नंबर्स की पर्ची को अपने पर्स में रखा वो चैन पहन कर सो गई।

बारह बजे उठकर मैं फ्रेश हुई और खाना खाया। मेरा बदन दर्द भी काफी कम हो गया था।

लगभग तीन बजे अंकल और आंटी वापस आ गए।

उसके बाद लाइफ सामान्य हो गई पर वो चुदाई कभी नहीं भूली।

छुट्टियाँ खत्म होने तक हम तीनों और दो-तीन बार मिले और अंकल से चुदाई खूब एन्जॉय किया।

बाद में मैं अपने घर चली गई।

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