सगी बहन की सौतन रेखा रानी

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पाठक पाठिकाओं की सेवा में चूत निवास के खड़े लौड़े का इकतीस बार तुनके मार के सलाम!

मेरी और फौजी अफसर की बीवी मोना रानी द्वारा लिखी कई कहानियाँ अन्तर्वासना में छप चुकी हैं. यह भी मेरी रखैल मोना रानी ने लिखी है. मेरी साली रेखा रानी जिसके साथ मेरे बाईस वर्षों से शारीरिक सम्बन्ध हैं ने एक ऐसा कारनामा किया जिसे पाठकों को विस्तार से बताकर मज़ा देना मुझे आवश्यक लगा.

जब यह किस्सा मैंने मोनारानी को सुनाया तो वो बड़ी उत्साहित हुई और उसने तुरंत रेखा रानी को फोन पर कहा- तू दो चार दिन मेरे घर पे ही आ जा, तू कहानी सुनाती जाना और मैं कंप्यूटर पर टाइप करती जाऊँगी. रेखा रानी की भी चूत में सुरसुरी हुई कि उसकी हरामज़दगी की कहानी छपेगी तो वो फ़ौरन मान गई.

शनिवार इतवार की छुट्टी में दोनों रखैलों का कहानी लिखने का तय हुआ और शुक्रवार को रेखा रानी तीन दिन के कपड़े लेकर मोना रानी के घर चली गई. बच्चों को रीना रानी के साथ मेरे घर भेज दिया. आगे क्या क्या और कैसे हुआ यह पूरा किस्सा आप मोनारानी के शब्दों में ही सुनिए. मोना रानी के शब्द आरम्भ:

पाठकों की सेवा में मोना का नमस्कार! यह कहानी रेखा की है इसलिए वही इसकी हेरोइन है. मैंने तो केवल कंप्यूटर पर टाइप करके संपादन किया है. इसलिए जो आप पढ़ने जा रहे हैं वे रेखा की भाषा है मेरी नहीं.

जो रेखा ने सुनाया: पढ़ने वालों को याद होगा कि मोना ने होली वाले दिन अपने पति को पटा लिया था कि वो मोना को किसी ग़ैर मर्द से चुदाई करते हुए देखे. जब से मुझे इस घटना का मालूम हुआ तब से मैं सोचने लगी कि मोना कितनी साहसी लड़की है. हरामज़ादी ने पहले तो अपने पति को किसी दूसरी लड़की को चोदने के लिए उकसाया, फिर उसके दिल में ख्वाहिश जगाई कि वो भी मोना को ग़ैर मर्द से चुदवाते हुए देखे.

और एक बहनचोद मैं हूँ. बाईस साल से राजे से चुद रही हूँ मगर अब भी उस पर मेरा कोई हक़ नहीं, जब मैं उसके घर जाती हूँ तो पहले मेरी सगी बहन जूसी की चुदाई होती है, फिर मैं जूसी के सो जाने का इंतज़ार करती हूँ. उसकी नींद गहरी होने तक चूत को रगड़ रगड़ के ही तसल्ली करती हूँ. क्यों न मैं भी कुछ ऐसा करूँ कि जूसी और मैं आमने सामने चुद सकें!

इस ख्याल ने मेरे दिल ओ दिमाग को ऐसा जकड़ लिया था कि चौबीसों घंटे मुझे कुछ और नहीं सूझता था. बस इसी जोड़ तोड़ में लगी रहती थी कि कैसे अपने मनमुराद पूरी करूँ! दिक्कत यह थी कि जूसी सती सावित्री टाइप की थी और राजे से बेपनाह प्यार करती थी. क्यों न करे, जिसका आदमी रोज़ दो तीन बार चोदे, दबा के चूत चूसे, गांड चाटे और इसके साथ साथ जूसी रानी जूसी रानी करता हुआ उसका कुत्ता बन के उसके आगे पीछे दुम हिलाता घूमता फ़िरे, ऐसी लड़की को सती सावित्री बनी रहने में क्या प्रॉब्लम है. न ही ऐसे आदमी से बेपनाह मुहब्बत करने में कोई प्रॉब्लम है जो हैंडसम हो, हट्टा कट्टा हो, अच्छे खासे पैसे कमाता हो और उसके चुदक्कड़पन को चोद चोद के शांत रखता हो.

एक मैं हूँ बदकिस्मत… जिसके नसीब में मेरे स्वर्गीय पति सरीखा चूतिया लिखा था. राजे उसको छिपकला कहा करता था और सही भी था. उसे देख के मुझे घिन आने लगती थी, जैसे छिपकली को देख के आती है. हरामज़ादे ने मुझ से शादी करके मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी थी. भला तीन इंच के पतले से लौड़े से मुझे जैसे महा चुदक्कड़ लौंडिया की तसल्ली हो सकती थी? अच्छा ही हुआ कम्बख्त जल्दी ही चल बसा वर्ना किसी दिन मेरा गुस्सा फूट पड़ता और मैं ही उसका क़त्ल कर देती.

हम दोनों बहनें बला की गर्म हैं. दिन में दस बार चुद जाएँ तो भी ग्यारहवीं चुदाई को आनाकानी न करें. दोनों बहुत खूबसूरत भी हैं, खूब बड़े बड़े, मर्दों को पागल कर देने वाले चूचों की मालकिन हैं, शक्ल भी काफी मिलती है, एक बड़ा फर्क है और वो है हमारी चूत से निकलने वाले रस… दोनों चूतें बेहिसाब रस निकालती हैं, परन्तु मेरा रस बहुत गाढ़ा है. पहली बार देखने में ऐसा लगेगा जैसे किसी मर्द के लौड़े का लावा हो. राजे ही नहीं, सब रानियाँ इस स्पेशल रस की दीवानी हैं और इसे मधु कहती हैं.

देखिये न अब ये कम्बख्त मोना कहानी टाइप करना रोक के मेरी चूत चूसने लगी है. कहानी सुनते हुए मैं उत्तेजित हो गई तो जूस फफक फफक के आने लगा. फिर ये मोना कहाँ रुक सकती थी. आधा घंटे तक मधु का लुत्फ़ लेकर बड़ी मुश्किल से दुबारा बैठी है. हम दोनों नंगी हैं…. यार मोना ऐसे तो हो गई कहानी पूरी!

खैर इस मादरचोद मोना ने बेमन से कहानी लिखनी शुरू तो की. चिंता न कर मोना, शाम को दो घंटे चूसियो मेरी चूत का मधु! मेरे दिमाग में आखिरकार एक विचार आया कि क्यों न मैं जूसी को भावनात्मक ब्लैकमेल करूँ… शायद बात बन जाए. पूरे हफ्ते तक मैं जूसी से क्या बोलूंगी उसका अभ्यास करती रही. जो जो उसके जवाब हो सकते थे उन सबकी काट के भी डायलॉग सोच लिए!

शुक्रवार को जब मैं राजे के घर रीना के साथ गई तो समय मिलते ही मैंने अपना इरादा राजे को बता दिया. राजे ने साफ बोल दिया- रंडी तू ये असंभव सा आईडिया को दिमाग से निकाल दे, कहीं ऐसा न हो तेरे जूसी रानी से सम्बन्ध ही टूट जाएँ, तेरा यहाँ आना जाना ही बंद हो जाए और जितनी चुदाई मिल रही है, तू उसे भी खो बैठे. मैंने कहा- एक बार कोशिश तो मैं ज़रूर करुँगी, नहीं तो मुझे चैन नहीं मिलेगा. अगर जूसी भड़की तो मैं माफ़ी मांग के उसे मना लूंगी.

इस पर राजे ने चिढ़ के कहा- ठीक है रंडी, तू माँ चुदा अपनी, मेरी बला से!

शुक्रवार रात को तो हमेशा कि तरह मैंने और रीना ने जूसी की चुदाई का दृश्य बाहर बालकनी में बैठ कर देखा. उसके बाद जूसी की नींद गहरी हो जाने की प्रतीक्षा की. फिर रीना पहले चुदी और आखिर में रात के डेढ़ बजे मेरी चुदाई की बारी आई.

महारानी अंजलि जी का हुक्म है कि रीना की चुदाई पहले होनी चाहिए तो महारानी साहिबा के गुलाम राजे ने उनके आदेश का पालन करते हुए उसे ही मुझसे पहले चोदा.

शनिवार को दोपहर में राजे तो अपने काम से कहीं चला गया और रीना मेरे बच्चों के साथ राजे की कार और ड्राइवर को लेकर अम्बिएंस मॉल में घूमने चली गई. जूसी और मैं आराम करने के लिए लेट गए.

तब मैंने जूसी से कहा- किरण, सुन, मुझ तेरे से एक ज़रूरी बात करनी है… तुझे अच्छी नहीं लगेगी इसलिए पहले से ही माफ़ी मांग रही हूँ… अगर तुझे मेरी बात सही न लगे तो दिल पर न लगाइयो… हम दोनों भूल जायेंगे कि वो बात कभी हुई भी थी… बहुत परेशानी में हूँ इसलिए बोल रही हूँ. जूसी- बोल न रेखा क्या हुआ? रूपए पैसे की ज़रूरत हो तो बोल न? मैं- नहीं किरण… पैसों की ज़रूरत नहीं है… देख तू तो जानती ही है मेरा पति को गुज़रे दस साल हो गए… इस भरपूर जवानी में मैं अकेली पड़ गई… जैसे सब लड़कियों की शारीरिक ज़रूरतें होती हैं मेरी भी हैं… लेकिन वो ज़रूरतें पूरी नहीं हो सकतीं… सेक्स के बिना इतने सालों में मेरी हालत बिगड़ गई है… अब ये हाल है कि हर समय मुझे सेक्स ही सूझता है… कहीं मेरे कदम बहक के गलत रास्ते पे न चले जाएँ… इस बात से डरती हूँ. जूसी- हाँ मैं समझती हूँ रेखा कि तू कैसे समय गुज़ार रही है यह देख के मुझे भी दुःख होता है… परन्तु मैं क्या कर सकती हूँ.

मैं- किरण, अगर तू थोड़ा सा अपना दिल बड़ा कर ले तो मेरी समस्या का समाधान हो सकता है. जूसी- मैं समझी नहीं तू क्या कहना चाहती है? मैंने डरते डरते बोल ही दिया- देख मैं फिर से बोल रही हूँ कि अगर मेरी बात तुझे ख़राब लगे तो हम दोनों इसको हमेशा के लिए भूल जायेंगे. जूसी- कुछ कहेगी भी या भूमिका ही बांधे जाएगी?

मैं- मैं यह सोच रही थी कि क्यों न राज जी मेरे साथ सेक्स कर लिया करें. मेरी प्यास भी शांत रहेगी और घर घर में बात भी छुपी रहेगी. अगर तेरी इजाज़त हो तो ही. तू नहीं चाहेगी तो कुछ नहीं. जूसी भड़क के उठ पड़ी और तमतमाते हुए मेरे कंधे ज़ोरों से हिलाते हिलाते चिल्लाई- तू मेरी बहन है या दुश्मन? हैं? मेरे ही पति पास डाका डालने का मुझी से पूछ रही है… बेशर्म कहीं की! मेरी सगी बहन होकर मेरी ही सौतन बनेगी दुष्टा! मैंने उसको शांत करने का प्रयास करने की कोशिश की- नहीं किरण, न मैं तेरे पति डाका डालना चाहती न तेरी सौत बनना चाहती… मैं तो सिर्फ कभी कभी तेरे पति से सेक्स करना चाहती… इतना गुस्सा न खा… मैंने तो शुरू से ही बोला था कि तेरी इजाज़त होगी तभी आगे बढ़ेंगे… तू नहीं चाहती न सही… मैं ढूंढ लूंगी कोई और सेक्स पार्टनर!

जूसी- फिर तूने ये बात छेड़ी ही क्यों? कोई मानेगी क्या अपने पति को किसी से बाँटने के लिए… हाँ, ठीक है तू ढूंढ ले कोई और सेक्स पार्टनर… मुझे और मेरी गृहस्थी पर ग्रहण मत लगा! मैं- ओके किरण तू चिंता न कर… मेरा क्या है मेरे स्कूल में पचासों नौजवान लड़के पढ़ते हैं मेरी क्लास में… उनमें से किसी को फंसा लूंगी… मैंने तुझ से यह बात सिर्फ इसलिए छेड़ी थी कि यूँही किसी को पटा के पार्टनर बनाने में कुछ खतरे हैं… कोई बदमाश फितरत का मिल गया तो… मेरी नंगी या सेक्स करते हुए फोटो या वीडियो ले लिए तो बात जग ज़ाहिर हो सकती है… हमारी तरफ के खानदान की बड़ी बदनामी हो सकती है… यहाँ तक कि मुझे ख़ुदकुशी करने तक की नौबत आ सकती है… बच्चे अब छोटे नहीं रहे… उनको मालूम होगा तो क्या सोचेंगे अपनी माँ के बारे में? राज जी के साथ यह सब रिस्क नहीं थे… बस यही कारण था जो मैंने राज जी के लिए सोचा… सिर्फ और सिर्फ अपने खानदान की इज़्ज़त में कोई दाग़ न आये… देखा जायगा… मैं अब अपनी सेक्स की भूख बर्दाश्त नहीं कर सकती.

जूसी- क्यों वेश्याओं जैसी बातें करती है रेखा… क्या और हज़ारों लड़कियाँ जिनके पति नहीं होते वो यूँ इधर उधर मुंह मारती फिरती हैं? हर किसी के भाग्य में जो लिखा होता वो तो झेलना ही पड़ता. चाहे तू हो चाहे कोई और. मैंने तिलमिलाते हुए सख्त लहज़े में कहा- बात ख़त्म हो गई न… अब फालतू बातें क्यों कर रही है… मैं कर लूंगी किसी न किसी से सेक्स… जो होगा देखा जायगा… परिवार की इज़्ज़त जाए भाड़ में मेरी बला से… अगर मुझे आत्महत्या भी करनी पड़ी तो भी मुझे कोई ग़म नहीं… अच्छे से जीवन का आनन्द उठाकर तो मरूंगी… जो चल रहा है उसमें तो प्यासी की प्यासी ही बुढ़िया होकर मर जाऊंगी… क्या फायदा ऐसे जीवन का? मुझे तो चार दिन भी सेक्स मिल जाए तो मैं पांचवे दिन अपनी जान दे दूंगी… लेकिन तुझे क्या… ये सब डायलॉग तू इसलिए मार रही है कि तुझे तो कोई दिक्कत है नहीं… तेरे पास तो पति है जो तुझ पर लट्टू है… तू अपनी खैर कर मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर! मैं उठ के दूसरे कमरे में जाकर लेट गई.

दिल दिल में मेरी गांड फट रही थी कि कहीं राजे की बात ही सच न हो जाए… कहीं इस घर में मेरा आना जाना बंद न हो जाए. क्या ज़रूरत थी जूसी से यह बात करने की. साली ईडियट कहीं की! जूसी अब तुझसे रिश्ते तोड़ लेगी फिर तू करियो ऐश. किसी ने सच ही कहा है- आधी छोड़ सारी को ध्यावे, सारी मिले न आधी पावे. बहनचोद छब्बे जी बनने चली थी दुबे जी बन के लौटेगी, कमीनी कुतिया. तेरा दिमाग ना तेरी चूत में घुसा पड़ा है. इसको निकाल के वापिस सिर में भेज, नहीं तो यूँही चुतियापा करती रहेगी. ऐसे ही खुद को कोसती हुई मैं काफी देर तक पहलू बदलती रही.

जूसी पूरे दिन भर मेरे से बोली नहीं. चुपचाप रही. न हंसी न मज़ाक न कोई और बातचीत किसी से भी. एकदम चुप्पी साधे रात को सोने चली गई. उस रात राजे भी चुदाई करने नहीं आया. मेरी भी पूरी रात टेंशन में तारे गिनते हुए बीती.

अगली सुबह भी राजे नहीं आया मेरा स्वर्ण अमृत पीने. इससे मेरे मन का तनाव और भी बढ़ गया. राजे मादरचोद सुबह सुबह रात भर का इकठ्ठा अमृत न पिए, यह तो बहुत गड़बड़ मामला है. शायद मेरे फूटे नसीब में जितनी चुदाई लिखी थी सो पूरी हो गई. बड़े बेमन से मैं उठी, बाथरूम जाकर नित्य क्रिया से निवृत्त हुई और ड्राइंग रूम में बैठ गई.

थोड़ी देर में जूसी आई और मुरझाई हुई आवाज़ में बोली- रेखा, मैंने रात राजे से तेरी बात की थी. पहले तो उसने साफ इंकार कर दिया. मगर मैंने भी उसका पीछ ना छोड़ा जब तक उसने हाँ ना कर दी. उसका कहना है कि उसने तुझे कभी इस निगाह से नहीं देखा और ना ही वो तेरे से प्यार कर सकता… बिना प्यार के सेक्स में तुझे मज़ा आए ना आए उसकी कोई गारंटी नहीं.

मैंने जूसी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- देख किरण, तू इतनी दुखी लग रही है कि मैं अब राज के साथ सेक्स करना ही नहीं चाहती. बहनचोद ड्रामा करना भी तो ज़रूरी था ना- मुझे तेरी ख़ुशी बर्बाद करके अपनी ख़ुशी नहीं चाहिए. भूल जा इस बात को. मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ किरण! ‘नहीं नहीं मैं दुखी बिल्कुल नहीं हूँ,’ जूसी ने कहा- बस मुझे बहुत अटपटा लग रहा है. थोड़ी मैं कन्फ्यूज्ड हूँ और कुछ नहीं. बाद में मैंने काफी सोचा तो यही नतीजे पर पहुंची कि तेरा राजे से सेक्स करना सभी के लिए बेहतर रहेगा. मैं कुछ दिनों में ठीक हो जाऊंगी.

‘पक्का ना किरण? ऐसा ना हो कि मुझे जीवन भर खुद को अपराधी सा समझना पड़े. मैं किसी भी हालत में तुझे दुखी नहीं देखना चाहती!

इससे पहले कि जूसी मेरी झूठी बात मान ले, मैंने आगे कहा- जहाँ तक रहा सवाल कि राज मेरे से प्यार नहीं कर सकता तो यह मैं जानती हूँ. मुझे राज का प्यार नहीं चाहिए. उस पर तो तेरा ही सौ परसेंट हक़ है. मुझे तो बस हफ्ते में एक दो बार सेक्स मिल जाए, मुझे और कुछ नहीं चाहिए. फिर मैं जूसी को खुश करने वाली बात कही- तू बहुत ही भाग्यवान है जो तुझे राज जी जैसा पति मिला. इतना प्यार करने वाला और तेरे पर जान छिड़कने वाला. कोई और होता ना तो अपनी साली के साथ मस्ती को फ़ौरन तैयार हो जाता.

जूसी मुस्करा दी, बोली कुछ नहीं लेकिन ऐसा लगा कि अब वो नार्मल है गई है.

दिन भर यूँही बीत गया. जूसी का बर्ताव अब सामान्य था. रात की प्रतीक्षा बड़ी भारी लग रही थी. यूँ तो सदा ही मुझे चुदाई के लिए इंतज़ार करना पड़ता था परन्तु आज न जाने क्यों यह इंतज़ार बहुत दुखदायी महसूस हो रहा था. राजे से दो तीन बार एकांत में कुछ क्षणों के लिए मिल पायी तो उसने हर बार मेरे मम्मे ज़ोरों से दबा के मुझे और भी अधिक काम विहल कर दिया. मैंने उसे कहा कि राजे वक़्त काटे नहीं कट रहा कमीने, आज डिनर जल्दी करवा ले ताकि दस बजे तक चुदाई का कायक्रम शुरू कर सकें! राजे हंस के बोला- क्यों चूत बहुत दुःख दे रही है रंडी?

खैर रात दस बजे राजे और जूसी अपने बेडरूम में चले गए और मैं रीना के साथ मेहमानों वाले बेडरूम में लेट गई.

थोड़ी देर के बाद जूसी का फोन आया- रेखा तू आजा हमारी तरफ! मैं उठ खड़ी हुई और चलते हुए सोचने लगी कि जूसी ने फोन करके क्यों बुलाया, खुद आकर भी बुला सकती थी.

उनके कमरे का दरवाज़ा बंद था. मैंने हल्के से बिना आवाज़ किया धक्का दिया तो खुल गया. मैंने दरवाज़ा बंद करके सांकल लगा दी. देखा तो पाया कि कमरे में एक टेबल लैंप की मद्धम सी रोशनी थी, राजे और जूसी दोनों नंगे बेड के हेडस्टैंड से कमर टिकाये पसरे हुए थे. जूसी के हाथ में एक वाइन गिलास था और एक वाइन की बोतल साइड टेबल पर रखी थी. जूसी नग्न थी इसलिए फोन किया था. ‘आइये आइये रेखा जी… आपका हमारे बेडरूम में स्वागत है… आइये यहाँ मेरे बगल में तशरीफ़ रखिये.’ राजे ने मुझे घूरते हुए कहा. दोनों को नंगी हालत में सामने देखकर शर्माने का नाटक करती हुई, आँखें नीचे किये मैं राजे के पास जाकर बैठ गई.

राजे ने कहा- रेखा जी, आपके चेहरे, हाथ, बहन और पांव तो मैं सैकड़ों बार देख चुका हूँ. आप बहुत सुन्दर हैं जूसीरानी की तरह… लेकिन अब मुझे आपके बाकी बदन के दर्शन करने हैं… तुम दोनों बहनों ने फैसला तो कर लिया कि मैं आपको चुदाई के मज़ा दूँ लेकिन मुझे भी तो हक़ है कि अच्छे से देख लूँ कि मैं आपको चुदाई के ख्याल से गर्म होता हूँ या नहीं… अगर मुझे आपके बदन को निहार के गर्मी न चढ़ी तो चुदाई कैसे होगी.

फिर वो जूसी की तरफ पलट के बोला- जूसी रानी कर दे अपनी बहन को नंगी… धीरे धीरे एक एक कपड़ा उतार के इसके शरीर के एक एक भाग को दिखा!

‘पहले इसके होंठ चूस के इसके मुंह का स्वाद तो चख ले कुत्ते… फिर कर दूंगी इसे नंगी.’ जूसी ने कहा- रेखा यह वाइन ले… एक सिप ले, मुंह में घुमा और राजे के मुंह में डाल दे… उसके बाद ये तेरे होंठ चूसेगा. मैंने जूसी से वाइन का गिलास लेकर एक घूंट लिया और खूब मुंह में घुमा के अपना मुंह राजे की तरफ कर लिया. राजे ने झपट के मुझे अपने पास घसीटा और मेरे मुंह से मुंह चिपका दिया. मैंने वाइन उसके मुंह में डाल दी. राजे ने खूब चटखारे लेकर वो सिप निगल लिया. ‘हुम्म्म…’ करके दर्शाया की उसे मज़ा आया. फिर जैसा जूसी ने कहा था उसने मुझे बाहुपाश में लेकर मेरे होंठ चूसने शुरु कर दिए.

काफी देर तक राजे मेरे होंठ चूसता रहा. मेरी चूत में भीषण आग लग चुकी थी. चूत से गाढ़ा गाढ़ा रस निकल के मेरी पैंटी भिगो रहा था. पैंटी चूत से चिपकी जा रही थी. राजे का लौड़ा भी पूरा सख्त हो गया था. उसने अपने होंठ हटा के जूसी से कहा- जूसी रानी, तेरी बहन के होंठ भी मस्त हैं और उसके मुंह का रस भी मस्त.. अब इसके दूध के दर्शन करवा! मैंने दिल में सोचा ‘कितना ड्रामा करेगा यह मादरचोद…’ मेरे बदन के एक एक इंच को हरामज़ादे ने हज़ारों बार देखा है चाटा है चूसा है. फिर मैंने खुद को समझाया कि जूसी को कोई शक न हो इसके लिए ड्रामा तो करना ही पड़ेगा.

जूसी ने मेरा काफ़्तान उतार दिया और ब्रा भी खोल दी. मैं भी शर्म का ड्रामा करते हुए चुपचाप नज़रें झुकाए रही. राजे ने मेरे चूचे देख के एक ज़ोर की किलकारी मारी- जूसी रानी, जूसी रानी, देख बहनचोद अपनी बहन के चूचे… हैं न दिल को लुभाने वाले! हरामज़ादी का साइज 42 डी से कम न होगा… जूसी रानी, तुम दोनों बहनों ने दुनिया के बेहतरीन चूचे ले लिए भगवान से… दोनों के दोनों बदजात रंडियाँ… छू के देखता हूँ. राजे ने चूचियों पर हाथ फिराया, फिर निप्पल को ऐसे उमेठा जैसे निम्बू निचोड़ा जाता है और उसके पश्चात् दोनों मम्मी अच्छे से दबाये.

‘बेटीचोद रेखा के मम्मे बहुत सख्त हो रहे हैं… बहुत ज़ोर से मसलना पड़ेगा… हुम्म्म ज़रा चूस के भी देखूं!’ राजे ने तपाक से एक चूचा मुंह में घुसा लिया और लगा चूसने, जबकि दूसरे चूचे को मसलने लगा. थोड़ी थोड़ी देर उसने एक एक करके दोनों चूचियाँ चूस लीं और जूसी को कहा कि उसे स्वाद पसंद आया.

उसके बाद जूसी और मैंने वाइन के घूंट भरे और राजे को अपने अपने मुंह से पिलाया. फिर एक एक सिप हमने अपने लिए लिया. जूसी ने मेरी पैंटी उतार दी. राजे की निगाह मेरी भीगी हुई, जूस से सनी हुई जांघों पर पड़ी तो उसने मेरी टाँगें फैला के उँगलियों से मधु को समेटा और जूसी को दिखाया- देख रानी, इस कुतिया की चूत कितना गाढ़ा रस देती है… ले तू भी स्वाद चख! राजे ने रस से लिबड़ी हुई दो उंगलियाँ खुद मुंह में डालकर चूसी, बाकी वाली दो जूसी के मुंह में दे दीं.

जूसी ने चाट लिया और होंठ पर जीभ फिराई, बोली- रेखा हरामज़ादी, कैसा रस है तेरी चूत का. इतना गाढ़ा कि राजे के लंड का मसाला सा लगता है. वैसे है बड़ा टेस्टी!

‘आ जा, रेखा बदजात कुलटा, अपनी चूत दिखा बहन की लौड़ी!’ राजे ने मुझे खींच के लिटा दिया और मेरी टाँगें पूरी चौड़ी कर दी. फिर वो टांगों के बीच बैठ गया और दोनों उँगलियों से चूत को खोल दिया. नाक लगा के सूंघा, फिर जूसी से बोला- जूसी रानी तेरी बहन पास… मैं कर दूंगा इसकी चूत को शांत… मस्त गुलाबी गुलाबी चूत है हरामज़ादी की बिल्कुल तेरी रसीली चूत जैसी… मज़ा आएगा दोनों कमीनी बहनों को चोद के!

मैं जानती थी इस ड्रामा का अंत तो यही होना था. मैं उठ के बैठ गई और बोली- राज जी, तुम इतनी गालियाँ क्यों देते हो? राजे दहाड़ा- चुप रह हराम की ज़नी रंडी… बहनचोद मेरे बेडरूम में गालियाँ देना लाज़िमी है… तू भी सीख ले रंडी अपनी चुदक्कड़ बहन जूसी रानी से… और हाँ ये राज जी राज जी बोलना बंद कर दे इसी पल से, जैसे जूसी रानी मुझे राजे बोलती वैसे ही तू भी राजे बोल. मैं तुझे रेखा रानी कहा करूँगा.

मैं बोली- ठीक है राजे, जैसा तुम चाहो वैसा ही करूंगी. राजे ने कहा- हाँ रंडी, अब चूस इस लौड़े को. ये अब तेरी चूत में जाकर अंदर की खबर लेगा कमीनी कुतिया… ले जल्दी से पूरा लंड मुंह के अंदर! तभी जूसी की आवाज़ आई- ठहर राजे… पहले इसको चोद दे, लंड बाद में चूस लेगी… साली दस साल से चुदी नहीं है, चुदास से पगलाई पड़ी है, इसको ठंडा कर दे फिर आराम से चुसवाना लंड!

राजे ने आव देखा न ताव, बेड के सिरे पर खिसक कर टाँगें नीचे फर्श पर फैला लीं. मुझे कन्धों से पकड़ के जंगली की तरह घसीटा और अपनी जांघों पर बिठा लिया- ले रंडी अब मेरी तरफ पीठ कर ले और लौड़े पर बैठ कर इसको चूत में ले ले! मैंने वैसा ही किया और लंड के ऊपर रस से भरी हुई चूत का छेद टिका के नीचे सरकती चली गई जब तक कि लौड़ा जड़ तक चूत में धंस नहीं गया. मादरचोद मज़े की हद हो गई… चूत ने लपलपा के लौड़े का स्वागत किया और साथ में ढेर सा जूस भी निकाल दिया.

धीरे धीरे चूतड़ हिलाते हुए मैं आनन्द मग्न हो गई. तभी राजे ने पीछे से मेरे चूचे पकड़ के खींच के मुझे अपने पेट पर लिटा दिया और जूसी को बोला- जूसी रानी, तू रेखारानी के मुंह पर चूत लगा के बैठ जा. साली को अपनी चूत के जूस का स्वाद दे! जूसी मेरे मुंह पर चूत जमा के बैठ गई और राजे उसके चूचे मसलने लगा. जूसी की चूत से बेतहाशा रस बह रहा था. राजे ने उसका नाम ही जूसी इसलिए रखा है कि वो इतना ज़्यादा रस का फव्वारा सा छोड़ती है जितना मूत्र भी नहीं करती होगी. बहुत स्वादिष्ट रस था मेरी सौत की चूत का. तभी तो राजे कुत्ता चालीस रानियों के होते हुए भी जूसी का गुलाम बना उस पर लट्टू हुआ रहता है और है भी हरामज़ादी बहुत खूबसूरत, मेरे से ज़्यादा सुन्दर है कमीनी. मुझे उस पर बहुत जलन होती है. जब जब मैं उसको बाहर बालकनी से झांक कर राजे से चुदते हुए देखती थी, मेरा कलेजा फटने को हो जाता था.

हम दोनों बहनें परन्तु मेरे नसीब में एक मरगिल्ला सा महा निकम्मा पति और जूसी को मिला राजे जैसा चुदाई का गोल्ड मेडलिस्ट! अवश्य ही मैंने पिछले जन्म में कोई भयंकर पाप किये होंगे जिसका परिणाम यह सारा जन्म भोगूंगी.

थोड़ी देर में जूसी इतनी अधिक कामोत्तेजित हो गई कि उठ गई और हांफते हुए बोली- राजे तू चोद इसको… मैं वाइब्रेटर से मज़ा लेती हूँ… यह साली चूत मुझे बहुत दुःख दे रही है. जूसी ने अलमारी से एक वाइब्रेटर निकाल के नक़ली लंड चूत में घुसेड़ दिया और लगी अपने आप को तेज़ तेज़ चोदने. तेज़ चलते वाइब्रेटर की जूं जूं जूं की आवाज़ आ रही थी.

जैसे ही जूसी के उठने से जगह खाली हुई तो राजे ने अपनी हथेलियाँ मेरे मम्मों पर जमा दीं और ज़ोरों से आगे पीछे आगे पीछे करते हुए मसलने लगा. चूचों के आगे पीछे होने से मेरा बदन भी आगे पीछे होता. इस प्रकार बिना धक्के लगाए अपने आप धक्के लगने लगे. इस किस्म के धक्कों में लौड़ा चूत में खूब रगड़ लगाता है. इतना मज़ा आ रहा था कि बयान करना मुश्किल! चूत में तो घर्षण दबादब हो ही रहा था, राजे जो मम्मे ज़ोर ज़ोर से मसल कुचल रहा था उसका भी आनन्द बेतहाशा आ रहा था. लगता था कि आज तो ये सख्त हुए चूचे थोड़े तो मुलायम हो ही जायेंगे, निप्पल भी हवस की तेज़ी में ऐंठ गए थे जैसे राजे का लौड़ा ऐंठा हुआ मेरी चूत की खबर ले रहा था.

राजे घसर घसर चूचों को आगे पीछे रगड़ रगड़ के उनका कीमा बनाने पर तुला था, उधर उसका लंड धमक धमक के चूत को मदमस्त किये था. फिर राजे ने अचानक से मुझे कस के जकड़ा और मुझे लिए लिए एक कलाबाज़ी खाई तो वो मेरे ऊपर हो गया. उसने मेरे पैर अपने कन्धों पर रख लिए और दोनों अंगूठे मुंह में लेकर चूसने लगा. रानियों के पांव चाटने का उसको शौक है ही. उसका मुंह पैरों पर, लंड चूत में और हाथ चूचों पर… ज़बरदस्त तालमेल से मेरी चुदाई हो रही थी जबकि जूसी लगी पड़ी थी वाइब्रेटर के नक़ली लौड़े के साथ. राजे मम्मे निचोड़ता हुआ थोड़े से बलशाली धक्के ठोकने लगा.

अब उसने मुंह में पांवों की दो उंगलियाँ ले ली थीं जिनको लॉलीपॉप जैसे चूस रहा था. मेरे पांव राजे की लार से खूब गीले हो चुके थे. वो मेरे पांवों को बेसाख्ता चाट रहा था, उँगलियों के नीचे वाला तलवे का हिस्सा, एड़ी, एड़ी और पंजे के बीचे का उभार वाला भाग सब मज़े से चटखारे लेते हुए! कहना न होगा कि मुझे इस सब में बहुत आनन्द आ रहा था. जूसी के बिस्तर पे उसकी मौजूदगी में उसके पति से चुदना! वाह वाह!!! यह अपने आप में ही आनन्द को अनेकों गुणा बढ़ने के लिए काफी था. बाईस सालों में राजे से हज़ारों बार चुदी थी परन्तु आज वाली चुदाई तो कुछ अलग ही थी.

राजे ने अब पूरी ताक़त से धक्के मारने शुरू कर दिए, कालचक्र थम गया, मेरी सुध बुध गुम हो गई, मुझे सिर्फ कुछ आवाज़ें सुनाई दे रही थीं, यह भी नहीं मालूम कि वो आवाज़ें मैं कानों में सुन रही थी या दिल में या शायद दोनों में… राजे के मुंह से निकलती हुई हैं हैं हैं और गालियाँ, मेरे मुंह की सीत्कारें, सिसकियाँ और आहें, जूसी की किलकारियाँ. हर धक्के पर मुझे पहले कलेजे में और तुरंत ही मस्तक में धमक सुनाई पड़ती. साथ में भीतरी अंगों की उथल पुथल सुनाई भी पड़ती महसूस भी पड़ती. जब राजे मम्मे मसलता तो कचर कचर कचर सी होती. इन सब ध्वनियों में लंड घुसते समय पिच्च पिच्च पिच्च की मदमस्त आवाज़ भी मिक्स हो जाती. एक शॉट एक गाली. ले हरामज़ादी… धक्का… ले बहनचोद कुतिया और ले रंडी… धक्का… तेरी माँ को चोदूँ लेएएए… एक ज़बरदस्त धक्का… साली हराम की ज़नी… और ले कमीनी रंडी… आह्ह आअह्ह… धक्क धक्क धक्क… तेरी चूत फाड़ के छोडूंगा.

बहनचोद, सच में बहुत अधिक आनन्द आ रहा था. इन सब आवाज़ों और दनादन होती चुदाई ने पूरा माहौल बहुत कामुक बना दिया था. मैं तीव्र गति से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी. शायद राजे भी स्खलन के करीब था. इतने वर्षों से राजे से चुद के मुझे काफी अंदाज़ा होने लगा था कि वो कब झाड़ेगा.

मेरा अनुमान सही निकला. राजे ने हुंकार भरते हुए ताबड़तोड़ ज़ोरदार झटके ठोकने शुरू किये. मेरे अंजर पंजर हिला के रख दिए. दस पंद्रह शॉट में ही मैं तो चरम आनन्द को प्राप्त होकर विस्फोटक रूप से स्खलित हुई, चूत से मलाई की बरसात होने लगी, चूत तेज़ी से बंद खुल बंद खुल करती हुई मलाई से राजे के लौड़े को भिगोने लगी. तभी जूसी की एक ऊँची आवाज़ में चीख की आवाज़ आई, एक नहीं तीन चार मस्ती वाली चीखें… संभवतः वो भी झड़ गई थी.

इधर राजे धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था.

यकायक उसने मेरी चूचियों को बड़ी बुरी तरह से पंजे फैला के भींचा और ‘रेखा रानीईई ईईईई…’ का शब्द चिल्ला के धड़ाम झड़ा. उसका लंड उछल उछल के मेरी चूत में वीर्य बरसाने लगा. दस बारह दफा फुदकने के बाद उसका जब सारा माल खाली हो गया तो लौड़ा बेचारा चुपचाप शांत होकर बैठ गया. बैठ ही नहीं गया, फिसल के चूत से निकल भी आया.

राजे अब मेरे ऊपर लेट गया और रेखा रानी रेखा रानी रेखा रानी मेरे कानों में फुस्फुस करके बोलता हुआ मेरे गालों, होंठों, कानों, गला और नाक पर गरम चुम्मियों की वर्षा करने लगा. मैं भी आनन्द में मग्न होकर चुम्मियों के साथ साथ प्यार से अपना नाम पुकारे जाने का मज़ा लूटती रही.

मेरे मम्मे मुलायम हो गए थे, चूत मस्त पड़ी थी, तथा मुझे अपनी रूह तक आनन्द में डूबी हुई अनुभव हो रही थी. कुछ देर यूँ ही पड़े रहे और एक दूसरे के बदन के सानिध्य का स्वाद लेते रहे. उसके पश्चात राजे ने दो तरह की मलाई से बुरी तरह सनी हुई चूत, झांटें और जांघों का ऊपरी भाग चाट के साफ किया.

राजे का भी लौड़ा अपनी मलाई और मेरी चूत की मिक्स मलाई में लिबड़ा हुआ था. सिर्फ लंड ही क्यों, उसकी झांटें, टट्टे इत्यादि भी सने हुए थे. कोई देखता तो उसे ऐसा लगता कि कई लड़कों ने मुट्ठ मार के लावा बिखरा दिया है. मैंने अच्छे से सब चाट के साफ किया, अपनी और राजे की मलाइयों को भोगा. मेरी मलाई लगती तो लड़के के वीर्य जैसी है लेकिन फर्क बहुत है. मेरी मलाई चिकनी चिकनी है जबकि लंड की मलाई चिपचिपी. मेरी मलाई थोड़ी थोड़ी नमकीन है जबकि लौड़े वाली मलाई का स्वाद कुछ अलग सा होता है. न मीठा, न नमकीन, न खट्टा, न कड़वा. ये तो लंड चूसने की शौक़ीन पढ़ने वालियों को भी खूब ज्ञात है कि लड़कों के मसाले का स्वाद को किसी को समझा पाना कितना मुश्किल है. खैर जो भी स्वाद है वो होता बहुत मज़ेदार है. क्यों पाठकों क्या कहते हैं आप लोग?

तभी जूसी ने आकर राजे के चूतड़ों पर ज़ोर से च्यूंटी काटी- राजे माँ के लौड़े, मेरी सौत से ही चिपका रहेगा या मेरी चूत का हाल चाल भी लेगा… कमीने… कुत्ते की औलाद!

उसके बाद मैंने जूसी की ज़बरदस्त चुदाई इतने करीब से देखी, जूसी की चूत से रस की वर्षा भी देखी. राजे उसको कितना प्यार करता ये भी देखा. जूसी राजे को बिस्तर के पास एक बेंच पर ले गई. बेंच कहना गलत होगा, असल में उसने दो संदूकों को लम्बाई में जोड़ के एक लम्बा सा बेंच बना लिया है और उसके ऊपर गद्दे व सुन्दर सी चादर बिछा के उसको मस्त लव सीट बना लिया है.

जूसी ने राजे को बेंच पर लेटने को बोला और खुद उसके लंड पर चूत टिका के बैठ गई तो पूरा का पूरा लंड चूत में समा गया. चूत से रस टपक टपक हो रहा था. चिकना चिकना चूत रस जिसके कारण लंड आराम से भीतर घुसे चला गया. उसके बाद जो हुआ उससे मुझे समझ में आया कि इन दोनों ने यह लव बेंच क्यों बनाई है. राजे के लंड पर बैठी जूसी के दोनों पांव फर्श पर यूँ टिके हुए थे जैसे बाइक पर बैठ के पांव ज़मीन पर टिका के बैलेंस बढ़िया हो जाता है.

जूसी ने हाथ राजे की छाती पर जमाये और ऐसे धक्के लगाए जो वो लेटी हुई अवस्था में कभी नहीं लगा सकती थी. इसने राजे को बिना हिले लेटे रहने का हुक्म दिया और चुदाई का मस्त नज़ारा बांध दिया. भूखी शेरनी की भांति जूसी ने राजे को चोदा और राजे केवल उसके चूचों से खेलता रहा. बहुत देर चुदाई चली जिसके बाद दोनों एक साथ स्खलित हुए और एक दूसरे की बाँहों में लिपट गए.

कुछ ही देर में जूसी को सदा की तरह नींद आने लगी. यह तो होना ही था. इतनी ज़ोर ज़ोर से कूद कूद के चोदेगी तो थक के चूर होएगी ही और नींद भी आएगी ही.

जूसी के सो जाने के बाद राजे ने मुझे भी लव बेंच पर चुदाई ट्राई करने का पूछा. मैं फ़ौरन तैयार हो गई और फिर मैंने भी राजे को लिटा के बिल्कुल जूसी के स्टाइल में उसको धमाधम चोदा. बहुत ज़्यादा मज़ा आया क्यूंकि इस चुदाई में सारा कण्ट्रोल मेरे पास था. मैंने अपने हिसाब से धक्कों की गति जब चाहा कम की और जब चाहा तेज़ कर दी. जब दोनों पैर ज़मीन पर पुख्ता जमे हों तो धक्के ऐसे तगड़े लगते हैं जिसका कुछ हिसाब नहीं.

कम से कम मैं इतने ताक़तवर धक्के किसी और पोज़ में नहीं लगा सकी थी. पढ़ने वाले इसे आज़मा सकते हैं. बेहद आनन्द की गारंटी मैं अपने खुद के अनुभव से दे सकती हूँ.

उस चुदाई के बाद थोड़ा आराम करके मैंने राजे से गांड मरवाने की फरमाईश की. राजे भला कभी न करता है. साले ने जूसी वाला वाइब्रेटर मेरी चूत में दिया और लौड़ा गांड में… फिर बहनचोद मेरी गांड और चूत की एक साथ जो ठुकाई हुई है कि वर्णन करना ही मुश्किल!

खैर अच्छे से चुद के, गांड मरवा के मैं और राजे दोनों सो गए. राजे बीच में सोया और उसकी एक तरफ मैं सोई. जूसी पहले ही दूसरी तरफ सोई पड़ी थी.

इस घटना के बाद तो मेरा रास्ता ही खुल गया. अब तो हर शुक्रवार को मैं राजे के घर आ जाती हूँ और तीन दिन खूब चुदती हूँ. जब जी में आता तो गांड भी मरवा लेती हूँ. खूब मस्ती चल रही है. सुबह सुबह राजे को मैं और जूसी दोनों अपना स्वर्ण अमृत पिला देती हैं. सिर्फ रीना को कुछ तकलीफ होती है. पहले तो महारानी अंजलि जी के हुक्म से राजे जूसी के सो जाने के बाद पहले रीना को चोदा करता था और उसके बाद मेरी बारी आती थी. परन्तु अब मैं पहले चुद लेती हूँ. महारानी अंजलि जी मुझको क्षमा करें… दासी का आपके आदेश की अवहेलना करने का कोई इरादा नहीं था परन्तु कुछ हालात ही ऐसे बन गए कि दासी मजबूर हो गई.

वैसे रीना ने भी इस बात से समझौता कर लिया है. आशा है कि वो आपसे दासी की शिकायत नहीं करेगी.

एक बात और… इस घटना के बाद से राजे मुझे रेखा रानी की जगह रेखा रण्डी कहने लगा है. बाकि की रानियों को भी इस नाम का जैसे जैसे पता लगता गया उन्होंने भी मुझे रेखा रंडी बोलना शुरू कर दिया. सच कहूं तो मुझे भी यह नाम अच्छा लगने लगा है.

रेखा रंडी की बात ख़त्म

तो पाठक पाठिकाओ, अपने देखा कि किस तरह से रेखा रंडी ने जूसी को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करके अपना कहा मनवाया. अब हरामज़ादी अपनी सगी बहन की सौतन बन के ऐश कर रही है. ऐसा भी बोल रही थी कि अब वो फरीदाबाद वाला घर छोड़ के बाल बच्चों सहित राजे के घर पर ही रहा करेगी ताकि रोज़ रोज़ चुद सके. लेकिन बाली दीदी ने उसे रोक दिया कि ऐसा करेगी तो तेरे बच्चों को एक न एक दिन ये भेद खुल जायगा कि तू राजे से चुदती है.

आशा है आपको यह घटना का विवरण पसंद आया होगा. मोना अब विदा लेती है. नमस्कार. मोना रानी के शब्द समाप्त

प्रिय पाठको पाठिकाओ, तो ये थी रेखा रंडी की कारगुजारी. बेटी चोद है ही बहुत ज़्यादा चुदक्कड़!

कहानी पढ़ने के उपरांत कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य लिखें. धन्यवाद चूत निवास [email protected]

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