चुदाई कहानी पड़ोस की लड़की को चोदने की

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मेरा नाम आदित्य है, मैं राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना पर चुदाई कहानी सन 2007 से पढ़ रहा हूँ। ये मेरी पहली चुदाई कहानी है, जो मैं आपको अनामिका जी के माध्यम से भेज रहा हूँ।

सभी लड़कियों भाभियों और आंटियों की खुशबूदार चुत को मेरे खड़े लंड का नमस्कार। मेरी हाईट 6 फिट है, उम्र 28 साल और लंड की मोटाई किसी लम्बे खीरे जैसी है।

यह घटना 2004 के उस वक्त की है जब मैं हनुमानगढ़ में अपने छोटे भाई, कज़िन और नानी माँ के पास अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म करके आगे की पढ़ाई करने आया था। मैं दिखने में एक साधारण और सभ्य लड़का था और किसी से ज़्यादा नहीं बोलता था, बस अपनी धुन में मस्त रहता था। मैं ज़्यादा टाइम घर पर अपनी किताबों में खोया हुआ रहता था।

एक दिन शाम को मैं छत पर खड़ा अपने घर के पास कॉलेज क्रिकेट खेलते हुए लड़कों को देख रहा था, तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कोई मुझे देख रहा है। मैंने मुड़ कर देखा तो वहाँ एक लड़की थी, जो मेरे घर के सामने अपनी छत पर खड़े होकर मुझे देखते हुए मुस्करा रही थी। मैंने सोचा मेरे कपड़ों पर कुछ लगा है शायद.. इसलिए ये हंस रही है।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ.. मेरे कपड़ों पर कुछ लगा है क्या.. जो तुम हंस रही हो? उसने कुछ नहीं कहा और नीचे भाग गई। फिर रात को मैंने अपने भाई से उस लड़की के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो 5 बहनें हैं, उनमें से कौन सी थी?

मैंने अगले दिन उसको लड़की दिखाई तो उसने उसका नाम भावना बताया और कहा- ये सारा दिन ऐसे ही हँसती रहती है.. तू टेंशन ना ले। भावना की उम्र कमसिन थी और उसकी फिगर 32-28-34 की थी, जो मुझे बाद में उसकी चुदाई करने पर पता चली थी।

मेरे घर में ही खुली दुकान में पीसीओ है, जब भी मेरी छुट्टी होती या स्कूल से आने के बाद फ्री होता तो मैं दिन में वहाँ बैठ जाता था।

2-3 दिन बाद उसी लड़की का फोन पीसीओ पर आया, पीसीओ वाले ने मुझसे कहा- तेरा फोन है, कोई लड़की बोल रही है।

मैंने सोचा वो मज़ाक कर रहा है क्योंकि मैं तो किसी लड़की को जानता नहीं, फिर उसने दबाव दिया कि एक बार हैलो तो बोला, फिर मैंने फोन पर हैलो किया तो एक सुरीली आवाज़ आई तो मैं समझ गया कि कौन है। मैंने उसको पूछा- कॉल क्यों किया। तो बोली- तुमसे फ्रेंडशिप करनी है। मैंने कहा- ठीक है।

हमारी बातें होने लगीं.. फिर फोन सेक्स ये सिलसिला 2 साल चला क्योंकि मुझे और उसको चुदाई का कोई मौका नहीं मिल रहा था।

इसके बाद मैं फार्मेसी की पढ़ाई करने के लिए श्रीगंगानगर चला गया, तब मुझे पढ़ाई के दौरान नींद की गोलियों के बारे में पता चला। एक दिन मैंने घर आते वक़्त अपने एक फ्रेंड के मेडिकल स्टोर से इस तरह की गोलियों की एक पूरी स्ट्रिप ले ली और घर आ गया। इस बार कॉलेज की मेरी 10-15 दिन की छुट्टियाँ थीं।

घर आने के दूसरे दिन मैंने उसको गोलियां पीस कर दे दीं और कहा- सब्ज़ी में मिला देना और तुम सब्ज़ी मत खाना। उसने कहा- ठीक है।

चूंकि घर पर खाना वही बनाती थी तो उसने खाने में चूर्ण मिला दिया। फिर रात को 11 बजे उसकी कॉल आई कि सब सो गए हैं.. तुम आ जाओ। उसने अपने बाहर वाले कमरे का दरवाज़ा खोल रखा था, सो मैं अन्दर चला गया।

सब नशे में सो रहे थे तो किसी बात का कोई डर तो था नहीं। मैं जाते ही उसे बाँहों में भर कर प्यार करने लगा। उसके होंठों को चूमने लगा। चूँकि मैं पहली बार सेक्स कर रहा था तो मुझे डर भी लग रहा था और उसे भी लग रहा था।

उस वक़्त मुझे चुत चूसना अच्छा नहीं लगता था तो मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और उसकी ब्रा में ही उसके मम्मों को दबाने लगा। फिर उसकी ब्रा खोल कर मैंने उसके बड़े-बड़े मम्मों को चूसना शुरू किया, तो वो भी हल्की-हल्की सिसकारियां लेने लगी।

मुझे उसके मुलायम चिकने मम्मों को चूसने में मज़ा आ रहा था। मैंने एक उंगली उसकी सलवार में ही उसकी बुर में डाली, तो वो कसमकसा गई। फिर मैं उसकी चुत में उंगली को आगे-पीछे करने लगा तो उसकी कामुक सिसकारियां तेज हो गईं।

फिर मैंने उसके और अपने, दोनों के कपड़े निकाल दिए, वो कमरे में ज़ीरो वॉट की रोशनी में मेरे लंड को देख कर डर गई।

मैंने उसको प्यार करते हुए चुदाई के लिए तैयार किया। वो भी चुदासी थी सो उसने पैर पसार कर चुत खोल दी। मैंने अपने लंड और उसकी बुर पर ढेर सारा थूक लगाया और बुर में लंड डालने की कोशिश करने लगा।

पर मेरा लंड बार-बार फिसल रहा था तो उसने हाथ से लंड पकड़ कर बुर पर दबाया और कहा- अब डालो। मैंने थोड़ा जोर लगाया तो लंड का टोपा उसकी बुर में घुस गया, उसकी हल्की सी चीख निकल गई।

फिर मैंने थोड़ी देर में आहिस्ता-आहिस्ता अपना पूरा लंड उसकी बुर में डाल दिया। उसकी हालत खराब हो गई थी। थोड़ी देर बाद मैंने घस्से लगाने शुरू किए, धीरे-धीरे उसको मज़ा आने लगा।

वो कमर उठा कर साथ देने लगी। इस दौरान मैंने उसकी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी। अब तो वो मेरे हर घस्से का जबरदस्त जवाब देने लगी, इस दौरान वो एक बार झड़ चुकी थी।

फिर मैंने उसको घोड़ी बनाकर चोदा। अब मैं भी झड़ पहुँच चुका था और एक जोरदार सिसकी लेते हुए दोनों झड़ गए।

कुछ देर मैं कपड़े पहन कर घर आ गया और वो अपने घर वालों के साथ अन्दर वाले कमरे में जा कर सो गई।

यह थी मेरी गर्लफ्रेंड के साथ पहली चुदाई कहानी कैसी लगी.. मेल ज़रूर करें।

अनामिका को भी धन्यवाद कि उसने मेरी चुदाई कहानी आप तक भेजी। [email protected]

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